यशपाल : एक परिचय आधुनिक हिन्दी साहित्य के कथाकारों में यशपाल का नाम प्रमुख है । ये एक साथ क्रांतिकारी और साहित्यकार, दोनों रूपों म...
यशपाल :एक परिचय
आधुनिक हिन्दी साहित्य के कथाकारों में यशपाल का नाम प्रमुख है । ये एक साथ क्रांतिकारी और साहित्यकार, दोनों रूपों में जाने जाते है। इनका जन्म ३ दिसम्बर ,१९०३ को पंजाब के फिरोजपुर छावनी में हुआ था। इनकी माता का नाम प्रेमा देवी और पिता का नाम लाला हीरालाल था। बचपन में इनकी शिक्षा गुरुकुल कांगडी में हुई। सातवी कक्षा में अत्यधिक बीमार पड़ जाने के कारण ,इनकी माँ इन्हे लेकर लाहौर चली आई।
इसके बाद यशपाल की शिक्षा डी.ए.वी.स्कूल और मनोहर लाल हाई स्कूल में हुई। बचपन में यशपाल आर्यसमाजी विचारो से प्रभावित थे। सन १९२१ में मैट्रिक प्रथम श्रेणी से पास किया। इसी समय गाँधी जी का असहयोग आन्दोलन चल रहा था। इससे प्रभावित होकर यशपाल ने स्कूल छोड़ दिया और फिरोजपुर जिले में असहयोग आन्दोलन का प्रचार करने लगे। लेकिन गाँधी जी द्वारा असहयोग आन्दोलन असमय रोक देने के कारण यशपाल निराश हो गए ।
इसके बाद यशपाल ने लाला लाजपत द्वारा स्थापित नेशनल कॉलेज में दाखिला लिया। यहाँ पर इनका परिचय भगत सिंह, राजगुरु, भगवतीचरण वोहरा और सुखदेव से हुआ। सभी साथियो ने गाँधी जी द्वारा चलाए जा रहे सत्याग्रह से अलग हट कर देश की स्वंत्रता के मार्ग के बारे में बिचार विमर्श किया। इसी परिणाम से क्रांतिकारी दल और नौजवान भारत सभा का गठन हुआ।
इसके बाद यशपाल का इन्द्रपाल और चंद्रशेखर आजाद से संपर्क हुआ। सभी साथियो के सहयोग से भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने मार्च १९२९ में दिल्ली असेम्बली में बम फेंका । १९२९ में लाहौर में बम फैक्ट्री पकड़ी गई। इसके बाद यशपाल फरार हो गए। २३ दिसंबर १९२९ को लोर्ड इर्विन की गाड़ी के निचे यशपाल ने बम विष्फोट किया। इस काम में इन्द्रपाल और चंद्रशेखर आजाद का सक्रिय सहयोग रहा। लेकिन १९३१ में आजाद के शहीद हो जाने के बाद यशपाल को हिन्दुस्तान रिपब्लिक आर्मी का "कमांडर इन -चीफ" बनाया गया। २३ जनवरी १९३२ को यशपाल , पुलिस के साथ गोली-बारी में इलाहाबाद में गिरफ्तार हो गए।
करीब छःबर्षो के सजा के बाद २ मार्च ,१९३८ को यशपाल को रिहा किया गया। जेल में यशपाल का जीवन पठन-पाठन में व्यतीत होता रहा। इनकी आरभिक कहानिया जेल में लिखी गई। जेल से रिहा होने के बाद ये लखनऊ के एक पत्र में काम करने लगे। इसके बाद इन्होने "विप्लव" और "बागी" नामक पत्र का प्रकाशन किया। इस तरह यशपाल ने अपना साहित्यिक जीवन पूर्ण रूप से शुरु किया। सन १९३९ में इनका पहला कहानी संग्रह पिंजरे की उड़ान प्रकाशित हुई। इसके बाद यशपाल का लेखन अनवरत चलता रहा। इस क्रम में "न्याय का संघर्ष ,दिव्या, बात बात में बात , देखा सोचा समझा ,लोहे की दीवारों के दोनों ओर " जैसी पुस्तके प्रकाशित हुई। सन १९५९ में इनकी प्रसिद्ध पुस्तक झूठा -सच (वतन और देश) ,तथा सन १९६० में झूठा सच (देश का भविष्य ) प्रकाशित हुई। इन उपन्याशो ने यशपाल को हिन्दी साहित्य का अमर साहित्यकार बना दिया। सन १९७६ में इन्हे साहित्य अकादमी पुरस्कार इनके उपन्याश "मेरी तेरी उसकी बात" पर प्राप्त हुआ। इनका देहांत २३ दिसंबर १९७६ में हुआ।
"कला कला के लिए ",में यशपाल को विश्वास नही था। उनका कहना था कि सुंदर पदार्थ से भिन्न सौन्दर्य का कोई अस्तित्व नही है। सौन्दर्य का प्रयोजन मानसिक संतोष दे सकना है। इसी प्रकार जीवन से पृथक कला का कोई अस्तित्व नही हो सकता । यशपाल सदा से रूढ़ीगत समाज की आलोचना करते रहे। यशपाल का साहित्य हिन्दी में नए उद्बबोधन तथा नई विशेषताओ के साथ आया।इनकी विचारधारा समाजवादी थी। इनके साहित्य में वर्ग-संघर्ष तथा व्यंग साफ़ तौर पर झलकते है। इनका साहित्य जीवन की वास्तविकता के निकट है तथा समाज की विविध परिस्थितियो का यथार्थ चित्रण करती है। समाज की कुरीतियो तथा आर्थिक -विषमता को ही समस्याओ का कारण मान कर इनसे लड़ने की प्रेरणा हमे यशपाल के साहित्य से मिलती है।
रचना कर्म :
कहानी -संग्रह : पिंजरे की उड़ान, तर्क का तूफ़ान ,उत्तराधिकारी,ज्ञानदान,फूलो का कुरता,उत्तमी की माँ, ओ भैरवी ,सच बोलने की भूल ,लैंप शेड ,तुमने क्यों कहा था ! सुंदर हूँ ,धर्मयुद्ध ।
उपन्यास : दादा-कामरेड ,दिव्या, मनुष्य के रूप,देशद्रोही ,झूठा-सच (दो भाग),क्यों फंसे !,मेरी तेरी उसकी बात, बारह घंटे ,अप्सरा का शाप ।
निबंध :मार्क्सवाद, गांधी-वाद की शव परीक्षा,न्याय का संघर्ष ।
यात्रा -साहित्य: राह-बीती,लोहे के दीवारों के दोनों ओर।
आत्मकथा :सिंहावलोकन (तीन-भाग)।
bahut hi khushi hui ki aisi vibhuti ka parichye mila dhanybaad
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंYshpalji ke bre me jankari dene keliye bhutbhut dhanywad.
जवाब देंहटाएंबहुत दिनों बाद यशपाल का ब्लाग जगत में उल्लेख हुआ है। आप इस के लिए बधाई के पात्र हैं।
जवाब देंहटाएंgood
जवाब देंहटाएंyashpal ji ke baare me achhi jankari di aapne
जवाब देंहटाएंyashpal hindi bhasha ke agraniya sahityakaro mai ek anokhe lekhak hai
जवाब देंहटाएंBahot achi Jan Kari dense ke liye shukriya
जवाब देंहटाएंJan Kari Milne ke liye shulriya
जवाब देंहटाएंयशपाल जी के कुछ उपन्यास पढ़ने का अवसर प्राप्त हुआ है बहुत ही उच्च कोटि के उपन्यास है आज उनका परिचय पढ़ना बहुत अच्छा लगा .
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