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Solution,3,Class 9 Hindi Kshitij क्षितिज भाग 1,17,Class 9 Hindi Sparsh,15,English Grammar in Hindi,3,formal-letter-in-hindi-format,143,Godan by Premchand,11,hindi ebooks,5,Hindi Ekanki,20,hindi essay,423,hindi grammar,52,Hindi Sahitya Ka Itihas,105,hindi stories,679,hindi-bal-ram-katha,12,hindi-gadya-sahitya,8,hindi-kavita-ki-vyakhya,19,hindi-notes-university-exams,65,ICSE Hindi Gadya Sankalan,11,icse-bhasha-sanchay-8-solutions,18,informal-letter-in-hindi-format,59,jyotish-astrology,22,kavyagat-visheshta,25,Kshitij Bhag 2,10,lok-sabha-in-hindi,18,love-letter-hindi,3,mb,72,motivational books,11,naya raasta icse,9,NCERT Class 10 Hindi Sanchayan संचयन Bhag 2,3,NCERT Class 11 Hindi Aroh आरोह भाग-1,20,ncert class 6 hindi vasant bhag 1,14,NCERT Class 9 Hindi Kritika कृतिका Bhag 1,5,NCERT Hindi Rimjhim Class 2,13,NCERT Rimjhim Class 4,14,ncert rimjhim class 5,19,NCERT Solutions Class 7 Hindi Durva,12,NCERT Solutions Class 8 Hindi Durva,17,NCERT Solutions for Class 11 Hindi Vitan वितान भाग 1,3,NCERT Solutions for class 12 Humanities Hindi Antral Bhag 2,4,NCERT Solutions Hindi Class 11 Antra Bhag 1,19,NCERT Vasant Bhag 3 For Class 8,12,NCERT/CBSE Class 9 Hindi book Sanchayan,6,Nootan Gunjan Hindi Pathmala Class 8,18,Notifications,5,nutan-gunjan-hindi-pathmala-6-solutions,17,nutan-gunjan-hindi-pathmala-7-solutions,18,political-science-notes-hindi,1,question paper,19,quizzes,8,raag-darbari-shrilal-shukla,7,Rimjhim Class 3,14,samvad-lekhan-in-hindi,6,Sankshipt Budhcharit,5,Shayari In Hindi,16,skandagupta-natak-jaishankar-prasad,6,sponsored news,10,suraj-ka-satvan-ghoda-dharmveer-bharti,4,Syllabus,7,top-classic-hindi-stories,51,UP Board Class 10 Hindi,4,Vasant Bhag - 2 Textbook In Hindi For Class - 7,11,vitaan-hindi-pathmala-8-solutions,16,VITAN BHAG-2,5,vocabulary,19,
Nice information...keep it up!
जवाब देंहटाएंbhai ye bata ye inorfation copy paste kyu nhi ho rha hai mere laptop pe...
हटाएंजानकारी के लिए आभार।
जवाब देंहटाएंघुघूती बासूती
इस विश्लेक्षणात्मक जानकारी के लिए आभार।
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
प्रिय बन्धु
जवाब देंहटाएंजय हिंद
बड़े दिन बाद ज्ञानवर्धक ब्लॉग मिला , शुभकामनाएं
कभी साहित्य हिन्दुस्तानी देखिये ,थोड़ी सी साहित्य की सेवा मैं भी कर रही हूँ
अगर आप अपने अन्नदाता किसानों और धरती माँ का कर्ज उतारना चाहते हैं तो कृपया मेरासमस्त पर पधारिये और जानकारियों का खुद भी लाभ उठाएं तथा किसानों एवं रोगियों को भी लाभान्वित करें
Ji
हटाएंशब्द हिंदी नहीं शब्द हिंद फारसी का है,,प्राचीन काल में ईसाई इब्रानी को मूल भाषा मानते थे, मगर जब और शोध और खोज हुयी तो एक ऐसी भाषा सामने आई जो न संस्कृत थी, न पाल,न प्राकृत, और न ही हिंदी इरानी,इब्रानी...कुल मिलकर एक आदमी भाषा थी..इससे ही तूरानी,आर्य,शामी,और हब्शी आदि भाषाएँ सामने आयीं.यहाँ भी नहीं कह सकते की लैटिन और रुसी वगैरह भी वैदिक संस्कृत से निकली हैं,.पर जब आर्य लोग पश्चिम गए तो ग्रीक लैटिन अंग्रेजी आदि भाषाएँ आयीं,दो भागों में होकर एक काबुल की तराई की और पंहुंचा और हिन्दोस्तान आया.पहले भाग के लोगों ने मीडी भाषा बनाई जो की फारस पंहुंची थी और इसी आधुनिक फारसी की नींव माना जा सकता था.हिन्दुस्तान पन्हुंचे लोगों ने प्राकृत का प्रचार किया,और आर्यों ने वेदांत दर्शन और यास्क एवं वरदराज के उपस्तिथ ग्रंथों के माध्यम से वैदिक संस्कृत का प्रचार किया.अष्टाध्यायी में वैदिक और लौकिक दोनों भाषाओँ का उल्लेख है,बहुत सारे कारकों में भेद किया गया जिस प्रकार बंगाली में मनुश्येर का अर्थ मनुष्य का होगा उसी प्रकार संस्कृत में भी मनुष्येर का अर्थ वही होगा.अगर पतंजलि के अनुदित ग्रंथों से और अशोक के शिलालेख स्पष्ट रूप से समझे जायें तो साफ़ होता है की उतर में भी एक भाषा थी जो बड़ी ही अस्पष्ट एवं चित्रों से समझने वाली भाषा थी,भारत की बहुदा भाषाएँ हैं जो न प्राकृत से निकलीं, न संस्कृत से..हिंद शब्द को भी सिन्धु से जोड़ना गलत है क्यूंकि इस प्रकार से अगर सिन्धु नदी का असली नाम सिंध था जो भारत के उत्तर {पाकिस्तान} से आती थी,उस समय सिंध का "उ" प्रत्यय गलत था क्यूँ की यह प्रत्यय आधुनिक देन है. जो अक्सर शब्दों में मिल ही जाती है,.मसलन हिन्दू ही लिया जाये, कायदे से इस शब्द का अर्थ हिन्दोस्तान में रहने वाले हर एक प्राणी जीव से है, मगर आधुनिक {यह शब्द मुझे समझ नहीं आता आज } समय में इसे जाती के आधार पर प्रयोग किया जा रहा है, जिस प्रकार पंजाब में रहने वाला पञ्जाबी है, मगर गुरु ग्रन्थ में आस्थावान व्यक्ति सरदार है, अगर कोई सरदार तमिलनाडु में रहता है तो वह तमिल सरदार कहलायेगा न की पञ्जाबी. वैसे हिंद शब्द फारसी का है मगर इसका इसके प्रत्यय का संबंद मूलतः भारतीय भाषाओँ से ही हैं.किन्तु में हिंद को भी फारसी शब्द मानने में गुरेज़ करता हूँ, क्यूंकि दक्षिण में एक ग्रन्थ "निशीथ चुर्षक" अत्यंत पुराने ग्रन्थ में हिंदी शब्द का उल्लेख मिलता है.. हिन्दुकुश पहाड़ का नाम लेना यहाँ बड़ा विवादित होगा..
जवाब देंहटाएंNishant Kaushik
kaushiknishant2@gmail.com
सुंदर व सम्मत टिप्पणी.
हटाएंजानकारी के लिए धन्यवाद.
laxmirangam.blogspot.in
08462021340
माफ़ करियेगा वहां ऊपर की ओर आदिम भाषा शब्द है..जो कि गलत से आदमी लिख गया है
जवाब देंहटाएंबहुत ग्यानवर्धक अलेख है बधाई स्वीकरें
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह एक सुन्दर ग्यानवर्धक आलेख धन्यवाद्
जवाब देंहटाएंलेख और निशांत की टिप्पणि दोनों ही ज्ञान वर्धक है. धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंHindi pakhwaare me mahaanubhaavon ne Hindi ke ITIHAAS ko khangaalaa.dhanyavaad.
जवाब देंहटाएंjhalli-kalam-se
jankari dene ka dhanyavaad
जवाब देंहटाएंहिंदू शब्द भारतीय विद्दवानो के अनुसार कम से कम ४००० वर्ष पुराना है।
जवाब देंहटाएंशब्द कल्पद्रुम : जो कि लगभग दूसरी शताब्दी में रचित है ,में मन्त्र है.............
"हीनं दुष्यति इतिहिंदू जाती विशेष:"
अर्थात हीन कर्म का त्याग करने वाले को हिंदू कहते है।
इसी प्रकार अदभुत कोष में मन्त्र आता है.........................
"हिंदू: हिन्दुश्च प्रसिद्धौ दुशतानाम च विघर्षने"।
अर्थात हिंदू और हिंदु दोनों शब्द दुष्टों को नष्ट करने वाले अर्थ में प्रसिद्द है।
वृद्ध स्म्रति (छठी शताब्दी)में मन्त्र है,...........................
हिंसया दूयते यश्च सदाचरण तत्पर:।
वेद्.........हिंदु मुख शब्द भाक्। "
अर्थात जो सदाचारी वैदिक मार्ग पर चलने वाला, हिंसा से दुख मानने वाला है, वह हिंदु है।
ब्रहस्पति आगम (समय ज्ञात नही) में श्लोक है,................................
"हिमालय समारभ्य यवाद इंदु सरोवं।
तं देव निर्वितं देशम हिंदुस्थानम प्रच्क्षेत ।
अर्थात हिमालय पर्वत से लेकर इंदु(हिंद) महासागर तक देव पुरुषों द्बारा निर्मित इस छेत्र को हिन्दुस्थान कहते है।
पारसी समाज के एक अत्यन्त प्राचीन ग्रन्थ में लिखा है कि,
"अक्नुम बिरह्मने व्यास नाम आज हिंद आमद बस दाना कि काल चुना नस्त"।
अर्थात व्यास नमक एक ब्र्हामन हिंद से आया जिसके बराबर कोई अक्लमंद नही था।
इस्लाम के पैगेम्बर मोहम्मद साहब से भी १७०० वर्ष पुर्व लबि बिन अख्ताब बिना तुर्फा नाम के एक कवि अरब में पैदा हुए। उन्होंने अपने एक ग्रन्थ में लिखा है,............................
"अया मुबार्केल अरज यू शैये नोहा मिलन हिन्दे।
व अरादाक्ल्लाह मन्योंज्जेल जिकर्तुं॥
अर्थात हे हिंद कि पुन्य भूमि! तू धन्य है,क्योंकि ईश्वर ने अपने ज्ञान के लिए तुझे चुना है।
१० वीं शताब्दी के महाकवि वेन .....अटल नगर अजमेर,अटल हिंदव अस्थानं ।
महाकवि चन्द्र बरदाई....................जब हिंदू दल जोर छुए छूती मेरे धार भ्रम ।
जैसे हजारो तथ्य चीख-चीख कर कहते है की हिंदू शब्द हजारों-हजारों वर्ष पुराना है।
इन हजारों तथ्यों के अलावा भी लाखों तथ्य इस्लाम के लूटेरों ने तक्ष शिला व नालंदा जैसे विश्व -विद्यालयों को नष्ट करके समाप्त कर दिए
पहले मैं भी येही समझता था कि हिन्दू और हिंदी शब्द कि उत्पत्ति फारसी या अरबी शब्दों से हुई है किन्तु शोध करके देखो तो पता लगता है कि ये शब्द यहीं बने है. जैसे और भी देशज शब्द बनते हैं. हिंदी का प्राचीन नाम निश्चित ही प्राकृत था या कह सकते हैं प्राकृत के रूप में विद्यमान थी वो बात अलग है बहुत से नए शब्दों का इसमें समावेश हुआ है जैसे कि हर भाषा में होता है . किन्तु संस्कृत से सबसे पहले इसी प्राकृत का निर्माण हुआ है बाकी सब धीरे-धीरे भारत के साम्प्रदायिकरण, अशिक्षा और उसके कारण उपजे अंधविश्वास तथा गलत राजनीतियों के कारण देश में बिखराव शुरू हो गया और अनेक भाषाओं तथा सम्प्रदायों का निर्माण होता गया और भी लगातार चालू है. हजारो सम्प्रदाय हैं अनेको भाषाएँ हैं, आज जो कुछ क्षेत्र हिंदी को अपने तरह से बोलते हैं जैसे हरियाणवी, भोजपुरी, नेपाली बिहारी आदि अब वो भी अपनी अलग भाषा घोषित करने का प्रयास करते दिखाई देते हैं और इन सबके झगड़े में एक विदेशी भाषा मजे ले रही है. यही भारत का करीब २-३ हजार सालों से अलगाव का इतिहास है जो अंतहीन नज़र आता है, मैं जानता हूँ बहुत से लोग मेरी बात से सहमत नहीं होंगे किन्तु भविष्य में भारत की दुर्दशा साक्षात् प्रमाण देगी यदि यह सब ऐसे ही चलता रहा.
जवाब देंहटाएंउचित व्याख्या की है आपने!.
हटाएंलेख और निशांत की टिप्पणि दोनों ही ज्ञान वर्धक है. धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंहिंदी भाषा के लिए आपके प्रयास सराहनीय हैं.
जवाब देंहटाएंkisi vidwan ne kaha hai — saralta aur abhibvyakti ki drishti se duniya ki koi aisi bhasha nahin hai jo hindi ki tulna kar sake. hindi ke prachaar prasaar ke liye bahut bahut dhanyabaad.
जवाब देंहटाएंSanjay
कृपया उस विद्वान का नाम भी उजागर करें।
हटाएंhindi ko protsahan dene ke liye dhanyawaad...
जवाब देंहटाएंहिन्दी के उदभव के बारे में जानकारी उपलब्ध करवाने के बारे में धन्यावाद|
जवाब देंहटाएंThe original inhabitants of Sindh
जवाब देंहटाएं7000 BC-3600BC
As stated earlier the Sindh emerged as a land mass from the sea in
the TERTIARY age. The oldest fossils have been found near
Sehwan by the archeologists. The experts consider Sehwan to be the
oldest cradle of civilization. The fossils were found in 1922 on a hillock
near Sehwan. The lake Manchar is in the vicinity and it is presumed
that the water of the lake in the distant past used to touch Sehwan.
The present day Santhals, Bhils and Maands owe their origins to those
early aborigines of Sindh.
Though the name Sehwan is quite old but in historical perspective
it is of recent origin as the age that we are referring to is known in the
History of mankind as Paleolithic and Neolithic ages. That is the
time when man learnt to fashion tools out of stone, firstly of crude
shape for usage and subsequently refined and more useful and
complicated tools. All the same the existence of the man was not
much better than that of others in the animal kingdom. Much of the
land was still covered by the snow. To seek safety from ferocious
animals, man had to take shelter in the caves and crevices. Man used
to subsist by hunting and gathering food.
In Sindh the traces of settlements of that time are found by
archeologists in the caves of Laki Mountains and old stone implements
are found near Rohiri, along coastal areas and near hills in the south.
In the north west Sindh some peculiar stone implements are found
and it is presumed that they were used to kill Birds and fish.
Mr. Behrumal Meharchand cites some examples of remnants of
those times on certain practices and in Sindhi language which are
even today found among the Kols and Santhals of Sindh.
1. The present day Bhils are descendants of ancient Kols . The
Bhils of today might have migrated from Rajasthan desert
but they owe their ancestry to original inhabitants of Sindh.
Today also most of them subsist by hunting. They are called
‘Paradi” (Hunters) and in Datki language they are referred to
as “Tori”.
2. The language of Kols is not spoken in the present day Sindh
but the traces of their language are found. They could count
only up to 20 , that is called ‘Kori’ and even now instead of
50 they would say two and half Koris and Sixty is counted as
three Koris.
3. Sindhi language has many words made of various sounds e.g.
Bau bau, Miyaoon Miyaoon, Thack Thack Tha Tha. etc
Their fascination and adoration of Sindhu has
been described thus in Rig Veda;-
“Unstoppable, Irreversible, with strong flow, mighty Sindhu!
From mountain and plains,
You bring great expanse of water,
lightning with a roar,
Like unchained horse,
Bewitching and beautiful Sindhu.
Sindhu is rich in strong horses,
32 f History of Sindh
In chariots and cloth of many designs,
Rich in golden ornaments,
Of unmeasured wealth,
The meadows of this land are feast to the eyes,
Wool is unmatched,
And sweet syrup to drink,
The ultimate in taste.”
(Sindhu kasht- A poet Rishi’s composition In Rig Veda)
सौरभ आत्रेय जी की टिप्पणी प्रमाणोँ के साथ उपलब्ध है, वास्तव मेँ हिन्दी भाषा के विकास मेँ अन्यान्य भाषाओँ का योगदान हो सकता है परन्तु हिन्दी शब्द का अस्तित्व तो सर्वथा प्राचीन हैँ इसमेँ लेशमात्र भी संदेह नहीँ।
जवाब देंहटाएंBhut hi gyanvardhak or achcha blog h aaj meri mehnat vasool ho gyi
जवाब देंहटाएंAapse nivedan h aap kripa krke bgartiye sanskriti ke bare m bhi kuch likhe or mhe link bgeje
DHANYABAD
Bhut hi gyanvardhak or achcha blog h aaj meri mehnat vasool ho gyi
जवाब देंहटाएंAapse nivedan h aap kripa krke bgartiye sanskriti ke bare m bhi kuch likhe or mhe link bgeje
DHANYABAD
hindi bhasa bhale he hmare rastra bhasa h par iskA MULL ARTH HAR KOI NI JANTA OR ISKE MUL ARTH KO SMJHNA ATYANT KATHIN H
जवाब देंहटाएंHME APNE RASTRA BHASA HINDI KO SMJHNE KE LIYE ATYANT GAMBHIR VICHAR KRNA PDEGA
जवाब देंहटाएंआखिर क्यों है भगवान शिव का निवास स्थान कैलाश पर्वत :-
जवाब देंहटाएंशिवपुराण के अनुसार भगवान शिव का निवास स्थान कैलाश पर्वत है, यह अत्यत उचाई और एकांत वाला स्थान है जहा साधारण मनुष्य नहीं पहुंच पाता. केवल सिद्ध पुरुष ही यहाँ जा पाते है. भगवान शिव एक सिद्ध योगी है जो कैलाश पर्वत पर सदैव तपस्या में लीन रहते है.
आगे पढ़े ==> भगवान शिव का निवास स्थान कैलाश पर्वत,शिव निवास स्थान, शिव का घर,प्रभु दर्शन
Koi mujhe ek question ko briefly smjha skta h plz bta do kuki mra test h or asi hindi life m ni pdhi so plz hlp me ...this is a question
जवाब देंहटाएंHindi bhasha ka arth btate hue uske udbhav or vikas prr parkash daaliye??
जवाब देंहटाएंमैंने अभी अभी हिन्दी पढना शुरू किया है। अर्थात हिन्दी भाषा का नया छात्र हू। हिन्दी के संबंध में मैं काफी जानकारी जानना चाहता हूं। आशा है कि, इस सुविधा के माध्यम से आप सभी मेरा सहयोग कर मुझे हिन्दी और उसके संबधित ज्ञान से परिचीत करायेंगे। धन्यवाद ........
धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा यह लेख पढ़कर |मन आनंदित हो गया आप सभी की टिप्पणियाँ पढ़कर |
जवाब देंहटाएंमैं भी एक साहित्य से जुड़े परिवार से हूँ | पिताजी कवि रहे और उनका कुछ प्रभाव मुझ पर भी पड़ा आजकल भारत से दूर ऑस्ट्रेलिया में लेखन का कार्य कर रही हूँ परन्तु गर्व होता है बताने में की आप जैसे महानुभाव यहाँ भी हैं जो हिंदी भाषा से हमारी आने वाली पीढ़ी जिन्होंने भारत को शायद देखा भी नहीं है उन्हें हिंदी भाषा से जोड़ने में कार्यरत हैं और हमारी मातृभाषा का प्रभाव देखिये ,केवल भारतीय मूल के ही नहीं विभिन्न मूल के बच्चे और बड़े अब हिंदी सीखते हैं |
अगर उचित न लगे तो कृपया प्रविष्टि न डालें:
हम हिंदी समाज की और से यहाँ ऑस्ट्रेलिया में एक द्विमासिक पत्रक ऑनलाइन प्रकाशित करते हैं |
यदि कोई लेखक अपनी रचना भेजने के इच्छुक हों तो आपकी रचनायें सादर आमंत्रित हैं|
साभार,
अरुषा मिश्रा
बहुत बढ़िया कार्य कर रही हैं आप 👍
हटाएंबहुत बढ़िया कार्य कर रही हैं आप 👍
हटाएंआपसे सम्पर्क कैसे करें > मैं इच्छुक हुं
हटाएंकुछ बात राज ख़ास याद दिलाया नहीं जाता |
जवाब देंहटाएंलाशें टंगी दरख़्त की दिखाया नहीं जाता ||
टुप-टुप रिश्ता लहू माना बताया नहीं जाता |
लहू का रंग हुआ सफेद ,समझाया नहीं जाता ||
आजादी का खटमीठा दंश ,दिखाया नहीं जाता |
हिन्दू मुस्लिम संग -संग समझाया नहीं जाता ||
सिखों का दिया साथ गाथा गया नहीं जाता |
इसाई का प्यारा प्यार वह सुनाया नहीं जाता ||
डर डालर दिखा -दिखा इंसान को कुचला जाता |
हिन्दू मुस्लिम बाँट-बाँट क्र इंसान खरीदा जाता ||
मिश्रित सभ्यता लिए देश अमन चैन से रहता |
अर्थ व्यवस्था उत्तम मन आतंकवाद से लड़ता ||
फलफूलों से लदा दरख्त खग-मृग का मन भरता|
कुछ बात राज ख़ास याद दिलाया नहीं जाता ||
Upyogi jankari.
जवाब देंहटाएंHindi hamari state language hai 14 September Hindi days manate hai
जवाब देंहटाएंइस अनुपम जानकारी के लिए बहुत बहुत आभार।
जवाब देंहटाएं