दो कलाकार, मन्नू भंडारी जी द्वारा लिखी गयी प्रसिद्ध कहानी है . जिसमें उन्होंने दो लड़कियों का चित्रण किया है और एक सच्चे कलाकार की पहचान पर प्रकाश डाला गया है .
दो कलाकार Do Kalakar
दो कलाकार, मन्नू भंडारी जी द्वारा लिखी गयी प्रसिद्ध कहानी है । जिसमें उन्होंने दो लड़कियों का चित्रण किया है और एक सच्चे कलाकार की पहचान पर प्रकाश डाला गया है ।दो कलाकार हिंदी साहित्य की एक महत्वपूर्ण रचना है।यह कहानी न केवल कला और कलाकारों के बारे में सोचने पर मजबूर करती है, बल्कि जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने में भी मदद करती है।दो कलाकार कहानी का सारांश
दो कलाकार कहानी में दो कलाकारों के जीवन व उनकी सोच को प्रकट करती है। इस कहानी में दो लड़कियों के विचारों का वर्णन किया गया है। उनका नाम है 'अरुणा' और 'चित्रा'। दोनों लड़कियों में अच्छी मित्रता थी। दोनों पढ़ने के लिए अपने-अपने घर से दूर एक हॉस्टल में रहती थीं। वे दोनों होस्टल के एक ही कमरे में रहती थीं। दोनों की मित्रता पर सभी ईर्ष्या करते थे। चित्रा एक अमीर परिवार की लड़की थी, जिसके पास साधनों का कोई अभाव नहीं था। चित्रा चित्रकारी की कला में प्रवीण थी। वह चित्र बनाने में सदा व्यस्त रहती थी। वह चौबीसो घंटे अपनी तूलिका व रंग में खोई रहती थी। दुनिया की हर घटना दुर्घटना में वह अपने चित्र का विषय ढूँढ़ लेती थी।
इसके ठीक विपरीत अरुणा एक साधारण परिवार की लड़की थी। वह परोपकार, मानवता को सबसे अधिक महत्त्व देती थी। एक बार मूसलाधार वर्षा के कारण बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई। लगातार तीन दिनों तक वर्षा होती रही। बाढ़ पीड़ितों की दशा बिगड़ती जा रही थी। बाढ़ पीड़ितों की सेवा-सहायता के लिए स्वयंसेवी लोग जा रहे थे। अरुणा भी उन्हीं के साथ चली गई। जब पंद्रह दिनों बाद वह लौटी तो उसकी हालत देखकर चित्रा हैरान हो गई थी। अरुणा बहुत कमज़ोर हो गई थी। वहाँ से लौटने के बाद चित्रा ने उसे अपने तीन चित्र दिखाए, जिन्हें देखकर अरुणा को वे बाढ़ पीड़ित क्षेत्रों के दृश्य याद आ गए, जिन बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए वह गई थी। कुछ समय बाद चित्रा को अपनी उच्चतम शिक्षा के लिए विदेश जाना था। जिस दिन चित्रा होस्टल छोड़कर जा रही थी, उसी दिन उसके छात्रावास के बाहर एक भिखारिन की मृत्यु हो गई थी और उसके दो बच्चे उस भिखारिन के पास बैठकर रो रहे थे। चित्रा ने उनका रफ़ स्केच बनाया और वह विदेश चली गई। इसी भिखारिन की तस्वीर के कारण चित्रा को देश-विदेश में ख्याति, नाम तथा पैसा मिला। अखबारों में भी चित्रा की प्रसिद्धि की चर्चा होने लगी।
एक बार दिल्ली में चित्रा को उसी की प्रदर्शनी में बुलाया गया जहाँ फिर उसकी मुलाकात अरुणा से हुई। अरुणा के साथ दो बच्चे भी थे। दोनों बच्चों के बारे में चित्रा के बार-बार पूछने पर अरुणा ने चित्रा को उसी भिखारिन की तस्वीर पर बने दोनों बच्चों की ओर इशारा करते हुए बताया कि यही दो बच्चे हैं जिन्हें अरुणा ने गोद लिया था व उनका पालन-पोषण कर रही है। चित्रा हैरान हो गई, चित्रा के शब्द उसके विचारों में खो गए।
दो कलाकार शीर्षक की सार्थकता
दो कलाकार, मन्नू भंडारी जी द्वारा लिखी गयी प्रसिद्ध कहानी है. प्रस्तुत कहानी में कथानक आरम्भ से लेकर अंत तक दो सहेलियों से आस-पास घूमता है .एक चित्रकार है तो दूसरी समाज सेविका .एक कला के प्रति समर्पित है है और जीवन के रंगों को कैनवास पर उतारना चाहती है जबकि दूसरी जीवन को जैसा है उसे सेवा भाव से पूरा करती हैं .कहानी के अंत में दोनों सहेलियों की मुलाकात बहुत समय बाद होती है ,चित्रा अपने पेशे में बहुत प्रसिधी पा चुकी है ,देश विदेश में उसका नाम है . जिस चित्र से उसे प्रसिद्धी मिली .वही भिखारिन के बच्चों को अरुणा गोद लेकर पालन -पोषण करती है . अतः यह संदेह उभर कर सामने आता है कि कौन कलाकार है .वह जिसने चित्र बनाया है या वह जिसने पालन पोषण किया है .अतः दोनों कलाकार मिलकर दो कलाकार कहानी की शीर्षक की सार्थकता सिद्ध करते हैं .
'दो कलाकार' कहानी में लेखिका ने दो कलाकारों अरुणा और चित्रा के जीवन और कार्यों से परिचित करवाया है तथा उनके माध्यम से सच्चे कलाकार का महत्व भी समझाने का प्रयास किया है। संपूर्ण कथानक दो कलाकारों के आसपास ही रहता है। शीर्षक 'दो कलाकार' पढ़ने के बाद मन में दोनों कलाकारों के विषय में जानने की जिज्ञासा भी उठती है इसलिए कह सकते हैं कि यह शीर्षक सार्थक व सटीक है।
दो कलाकार कहानी के पात्रों का चरित्र चित्रण
दो कलाकार मन्नू भंडारी जी द्वारा रचित एक प्रसिद्ध कहानी है। यह कहानी दो सहेलियों, चित्रा और अरुणा, के जीवन और उनकी कला के प्रति समर्पण के इर्द-गिर्द घूमती है।दो कलाकार कहानी के प्रमुख पात्रों का चरित्र चित्रण निम्नलिखित है -
दो कलाकार कहानी में अरुणा का चरित्र चित्रण
अरुणा एक व्यावहारिक लड़की है .वह भौतिकता को महत्व न देते हुए व्यावहारिक जीवन को देखती है .एक छात्रा होने के बावजूद भी वह समाज सेवा के प्रति समर्पित दिखाई देती है .उसके जीवन का उद्देश्य निर्धन ,बेसहारा तथा निर्धनवर्ग के बच्चों की सहायता करना है . वह त्यागी और परोपकारी स्वभाव की है .अपनी सुख -सुविधाओं को त्यागकर बाढ़ - पीड़ितों की सेवा करती है . वह लौटने पर बीमार हो जाती है . चित्रा द्वारा भिखारिन की मृत्यु का समाचार सुनते ही वह बच्चों की सहायता के लिए निकल पड़ती है .अपने आप की चिंता न करते हुए वह निरंतर बच्चों की मदद करती है .इस प्रकार वह मानवीय चरित्र के रूप में उभर कर सामने आती है तथा एक सच्चे कलाकार जिसके ह्रदय में करुणा व ममता है के रूप में उभरती है . कहानी 'दो कलाकार' के आधार पर अरुणा के चरित्र की विशेषताओं को निम्नलिखित शीर्षकों में दर्शाया जा सकता है-
- व्यवहारिकता - अरुणा एक व्यवहारिक लड़की है। वह भौतिकता को महत्व न देते हुए, व्यवहारिकता को महत्व देती है। वह चित्रा के विदेश जाने की बात सुनकर प्रसन्न नहीं होती, बल्कि वह चित्रा से कहती है कि अपने साधनों का प्रयोग करके तुम यहाँ किसी गरीब की सहायता कर दो। अरुणा स्वयं अपने स्वास्थ्य की परवाह न करते हुए, लगातार पंद्रह दिनों तक बाढ़ पीड़ितों की सेवा में लगी रहती है।
- मानवीय दृष्टिकोण - अरुणा जीवन के हर क्षेत्र में मानवीय दृष्टिकोण को प्रमुखता देती है। इसीलिए अरुणा चौकीदारों, नौकरों और चपरासियों के बच्चों को पढ़ाती है। अपनी मानवीयता का परिचय देते हुए ही वह बाढ़-पीड़ितों की सहायता करती है। विदेश जाती हुई चित्रा के सामान को व्यवस्थित करती है। सड़क पर से अनाथ बच्चों को उठा कर ला उनका पालन-पोषण करती है।
- संवेदनशील - अरुणा संवेदनशील लड़की है। चित्रा के द्वारा बनाए गए चित्रों में भी उसकी आँखें मानवीय संवेदना ढूँढ़ती रहती हैं। संवेदनशील होने के कारण, अपनी परीक्षा की परवाह न करते हुए अरुणा बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए चंदा इकट्ठा करने में व्यस्त रहती है। भिखारिन की मृत्यु का समाचार सुनकर अपनी संवेदनशीलता का परिचय देते हुए उसके दोनों बच्चों को सहर्ष अपना लेती है।
- त्यागी और परोपकारी - वह त्यागी और परोपकारी स्वभाव की है। अपनी सुख-सुविधाओं को त्यागकर, स्वयंसेवकों के साथ बाढ़ पीड़ितों की सेवा करना एक उदाहरण के योग्य है। जब वहाँ से वह लौटी तो उसकी सूरत ऐसी हो गई थी मानों छह महीने से वह बीमार थी। अपने समय का त्याग व परोपकारी स्वभाव के कारण अरुणा को चित्रा की खरी खोटी भी सुननी पड़ती थी।
- दृढ़ता एवं कर्मठता - अरुणा स्वभाव से एक दृढ़निश्चयी एवं कर्मठ लड़की थी। चित्रा के द्वारा भिखारिन की मृत्यु का समाचार सुनते ही वह उसके बच्चों की सहायता के लिए निकल पड़ती है। अपनी आवश्यकताओं को पीछे छोड़कर दूसरों की सहायता करना उसकी दृढ़ता का परिचय देता है। लगातार बाढ़ पीड़ितों की सहायता करना, निरंतर गरीब बच्चों को पढ़ाना अरुणा की दृढ़ता और कर्मठता का सबसे बड़ा उदाहरण है।
दो कलाकार कहानी में चित्रा का चरित्र चित्रण
चित्रा धनी पिता की इकलौती बिटिया है। वह एक चित्रकार है और उसके जीवन का उद्देश्य है कि वह एक विश्व प्रसिद्ध चित्रकार बने। वह अरुणा की अच्छी मित्र है, पर उसे अरुणा की समाज-सेवा समझ नहीं आती। उसे हर घटना में अपने चित्र के लिए आइडिया ढूँढना होता है। अगर किसी घटना में उसके चित्रों के लिए आइडिया नहीं, तो उसकी नज़र में उसका कोई महत्व नहीं। उसे भावहीन, संवेदनाहीन भी कहा जा सकता है। एक भिखारिन की मृत्यु पर उसने चित्र बनाया, पर उसके बच्चों की सहायता नहीं की। कहानी के अंत में वह विश्वा प्रसिद्ध चित्रकार तो बन गई, पर अरुणा के आगे वह नतमस्तक हो गई, क्योंकि सच्ची कला की परख उसे हो गई।
लेखिका मन्नू भंडारी का परिचय
श्रीमती मन्नू भंडारी का जन्म 3 अप्रैल, 1931 ईस्वी को मध्यप्रदेश में मंदसौर जिले के भानपुरा नामक ग्राम में हुआ। इनका बचपन का नाम महेंद्र कुमारी था। इनकी प्रमुख रचनाएँ हैं- एक प्लेट सैलाब, मैं हार गई, तीन निगाहों की एक तस्वीर, यही सच है, त्रिशंकु, आँखों देखा झूठा-कहानी संग्रह, आपका बंटी, एक इंच मुसकान, महाभोज-उपन्यास तथा बिना दीवारों का घर-नाटक । इस प्रकार यह बहुमुखी प्रतिभा की धनी हैं। इन्हें हिंदी अकादमी दिल्ली का - शिखर सम्मान, राजस्थान संगीत नाटक अकादमी-व्यास सम्मान, से विभूषित किया गया तथा उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा पुरस्कृत किया गया।
दो कलाकार कहानी का उद्देश्य
Do kalakar kahani ka uddeshya - दो कलाकार, मन्नू भंडारी जी द्वारा लिखी गयी प्रसिद्ध कहानी है .प्रस्तुत कहानी के माध्यम से लेखिका ने दो छात्राओं चित्रा और अरुणा के जीवन और उनके जीवन की प्रति दृष्टि को प्रस्तुत किया है . लेखिका मन्नु भंडारी ने अरुणा और चित्रा के माध्यम से सच्चा कलाकार कौन होता है? यह समझाने का सार्थक प्रयास किया है। इसमें वह सफल भी रही हैं। उनके अनुसार जिस कला से समाज का कल्याण हो, निर्धन असहाय पीड़ित का उद्धार हो वही कला सच्ची कला है। केवल अपने मन की प्रसन्नता के लिए किया गया कार्य उतना सार्थक नहीं होता जितना निस्वार्थ भाव से दूसरों के लिए किया गया कार्य है ।
इन पात्रों के माध्यम से लेखिका ने यह स्पष्ट करना चाहा है कि जीवन में एक सच्चे कलाकार की क्या पहचान होती है . दोनों ही सहेलियाँ अलग - अलग रास्ते पर चलती हुई आगे बढती है एक प्रसिद्धी और धन कमा रही है तथा दूसरी आत्मतोष . इनके माध्यम से मन्नू भंडारी ने समझाना चाहा है कि परोपकार का जीवन जीने वाला मनुष्य ही सच्चा मनुष्य है और वही जीवन का सच्चा कलाकार है .इस रूप में अरुणा सार्थक कलाकार के रूप में सामने आती है .
प्र. अरुणा और चित्रा के बीच में क्या सम्बन्ध हैं ? उनके विचार कैसे हैं ?
उ. अरुणा और चित्रा बहुत अच्छी सहेलियाँ हैं . दोनों एक ही साथ पढ़ाई करती हैं . दोनों की सोच जीवन के प्रति अलग - अलग है .चित्रा,कला के प्रति समर्पित है और जीवन के रंगों को कैनवास पर उतारना चाहती है जबकि अरुणा जीवन को जैसा है उसे सेवा भाव से पूरा करती हैं .
प्र. चित्रा ने किसे बन्दर कहा है ?
उ. चित्रा ने बन्दर उन बच्चों को कहा जो की अरुणा को पढ़ाने के लिए बुलाने आये थे . चित्रा का जीवन लक्ष्य एक महान चित्रकार बनना था . वह संवेदनहीन लड़की थी .वह प्रायः अरुणा का मज़ाक उड़ाया करती थी .
प्र. कला के प्रति अरुणा के क्या विचार थे ?
उ. अरुणा , कला को निरर्थक मानती थी . उसे कला बेकार की बात लगती थी .उसे ऐसा लगता था की जैसे जो कला किसी आदमी के काम न आये वह बेकार है .
प्र. भिखारिन कहाँ बैठी रहती थी ? चित्रा ने क्या देखा ?
उ. भिखारिन पेड़ के नीचे अक्सर बैठी रहती थी . लौटते समय चित्रा ने देखा कि वह मरी पड़ी है .उसके बच्चे उसके सूखे शरीर से चिपककर बुरी तरह रो रहे हैं .अतः ऐसे अवसर पर चित्रा को लगा कि यह चित्र बनाने का सबसे उपयुक्त अवसर है और वह तुरंत उस दृश्य का रफ - सा स्केच बना डाला .
प्र. चित्रा क्या सुनकर हैरान रह गयी ?
उ. जब अरुणा ने चित्रा को बताया कि ये बच्चे वही भिखारिन के बच्चे हैं तो वह सुनकर अवाक रह गयी .अरुणा ने बच्चों को यह भी बताया कि यह आपकी मौसी है और बहुत प्रसिद्ध चित्रकार हैं .
प्र. दो कलाकार,कहानी के माध्यम से कहानीकार ने क्या शिक्षा दी है ?
उ. दो ,कलाकार मन्नू भंडारी जी की प्रसिद्ध कहानी है जिसने उन्होंने यह बताने का प्रयन्त किया है कि जीवन में एक सच्चे कलाकार की क्या पहचान होती है . दोनों ही सहेलियाँ अलग - अलग रास्ते पर चलती हुई आगे बढती है एक प्रसिद्धी और धन कमा रही है तथा दूसरी आत्मतोष . इनके माध्यम से मन्नू भंडारी ने समझाना चाहा है कि परोपकार का जीवन जीने वाला मनुष्य ही सच्चा मनुष्य है और वही जीवन का सच्चा कलाकार है .इस रूप में अरुणा सार्थक कलाकार के रूप में सामने आती है .
दो कलाकार कहानी के प्रश्न उत्तर
उ. अरुणा और चित्रा बहुत अच्छी सहेलियाँ हैं . दोनों एक ही साथ पढ़ाई करती हैं . दोनों की सोच जीवन के प्रति अलग - अलग है .चित्रा,कला के प्रति समर्पित है और जीवन के रंगों को कैनवास पर उतारना चाहती है जबकि अरुणा जीवन को जैसा है उसे सेवा भाव से पूरा करती हैं .
प्र. चित्रा ने किसे बन्दर कहा है ?
उ. चित्रा ने बन्दर उन बच्चों को कहा जो की अरुणा को पढ़ाने के लिए बुलाने आये थे . चित्रा का जीवन लक्ष्य एक महान चित्रकार बनना था . वह संवेदनहीन लड़की थी .वह प्रायः अरुणा का मज़ाक उड़ाया करती थी .
प्र. कला के प्रति अरुणा के क्या विचार थे ?
उ. अरुणा , कला को निरर्थक मानती थी . उसे कला बेकार की बात लगती थी .उसे ऐसा लगता था की जैसे जो कला किसी आदमी के काम न आये वह बेकार है .
प्र. भिखारिन कहाँ बैठी रहती थी ? चित्रा ने क्या देखा ?
उ. भिखारिन पेड़ के नीचे अक्सर बैठी रहती थी . लौटते समय चित्रा ने देखा कि वह मरी पड़ी है .उसके बच्चे उसके सूखे शरीर से चिपककर बुरी तरह रो रहे हैं .अतः ऐसे अवसर पर चित्रा को लगा कि यह चित्र बनाने का सबसे उपयुक्त अवसर है और वह तुरंत उस दृश्य का रफ - सा स्केच बना डाला .
प्र. चित्रा क्या सुनकर हैरान रह गयी ?
उ. जब अरुणा ने चित्रा को बताया कि ये बच्चे वही भिखारिन के बच्चे हैं तो वह सुनकर अवाक रह गयी .अरुणा ने बच्चों को यह भी बताया कि यह आपकी मौसी है और बहुत प्रसिद्ध चित्रकार हैं .
प्र. दो कलाकार,कहानी के माध्यम से कहानीकार ने क्या शिक्षा दी है ?
उ. दो ,कलाकार मन्नू भंडारी जी की प्रसिद्ध कहानी है जिसने उन्होंने यह बताने का प्रयन्त किया है कि जीवन में एक सच्चे कलाकार की क्या पहचान होती है . दोनों ही सहेलियाँ अलग - अलग रास्ते पर चलती हुई आगे बढती है एक प्रसिद्धी और धन कमा रही है तथा दूसरी आत्मतोष . इनके माध्यम से मन्नू भंडारी ने समझाना चाहा है कि परोपकार का जीवन जीने वाला मनुष्य ही सच्चा मनुष्य है और वही जीवन का सच्चा कलाकार है .इस रूप में अरुणा सार्थक कलाकार के रूप में सामने आती है .
प्रश्न. चित्रा किसकी पाठशाला का चित्र बनाना चाहती है और क्यों ?
उत्तर- चित्रा अपनी सहेली अरुणा की पाठशाला का चित्र बनाना चाहती थी ताकि वह लोगों को दिखा सके कि उसकी मित्र बस्ती के गरीब बच्चों को पढ़ाकर ही स्वयं को बहुत बड़ी पंडिताइन और समाज सेविका समझती है।
प्रश्न. किसे धनी पिता की इकलौती संतान कहा गया है और उसकी क्या इच्छा थी ?
उत्तर- चित्रा धनी पिता की इकलौती संतान थी। उसकी इच्छा थी कि कोर्स समाप्त कर विदेश जाए और वहाँ चित्रकारी में नाम ओड कमाए। उसके पिता ने चित्रा को इसकी अनुमति दे दी।
प्रश्न. अरुणा ने चित्रा की कला को निरर्थक क्यों कहा?
उत्तर- अरुणा ने चित्रा की कला को निरर्थक इसलिए कहा क्योंकि ऐसी कला किसी काम की नहीं है महत्त्वहीन है जो एक आदमी को आदमी न रहने दे वरन् उसे दीन-दुनिया से दूर कर संवेदनहीन बना दे।
प्रश्न. अरुणा ने चित्रा को क्या सलाह दी ?
उत्तर- अरुणा ने चित्रा से हर जगह, हर घड़ी हर चीज में अपने चित्रों के लिए मॉडल खोज कागज पर निर्जीव चित्रों को बनाने के स्थान पर दो-चार की जिंदगी में खुशियाँ बिखेरने की बात कही क्योंकि चित्रा धनी पिता की संतान थी उसके पास सामर्थ्य व साधन दोनों थे।
प्रश्न. चित्रा को कहाँ जाने के लिए देर हो गयी थी ?
उत्तर- चित्रा को चित्रकारी में महारत हासिल करने विदेश जाना था। उसकी गाड़ी पाँच बजे की थी। वह गुरुजी का आशीर्वाद लेने गयी थी लेकिन वह तीन बजे तक भी नहीं आयी अतः चित्रा को बहुत देर गयी थी।
प्रश्न. कौनसा दृश्य देख चित्रा स्वयं को रोक नहीं पायी ?
उत्तर- चित्रा ने रास्ते में भिखारिन के मृत शरीर से चिपककर रोते हुए उसके दोनों बच्चों को देखा तो उस दृश्य को देख चित्रा स्वयं को रोक नहीं सकी और उनका रफ-स्केच बनाने लग गयी।
प्रश्न. चित्रा की आँखें किसे खोज रही थीं और क्यों ?
उत्तर- चित्रा की आँखें उसकी सहेली अरुणा को ढूँढ रही थीं क्योंकि चित्रा काफी समय के लिए विदेश जा रही थी। हॉस्टल की बहुत सारी लड़कियाँ चित्रा को छोड़ने स्टेशन तक भी गईं लेकिन अरुणा कहीं नजर नहीं आ रही थी। चित्रा जाने से पहले उससे मिलना चाहती थी।
प्रश्न . 'रुनी' कौन है? वह चित्रा से कहाँ मिली ?
उत्तर- चित्रा अपनी सहेली अरुणा को प्यार से रूनी कहती थी हॉस्टल में दोनों साथ रहती थीं।
प्रश्न . चित्रा अवाक् क्यों रह गयी?
उत्तर- जब अरुणा ने अपने दोनों बच्चों से चित्रा को मिलवाया तो उन बच्चों को देख चित्रा अवाक् रह गयी क्योंकि लड़के की उम्र लगभग दस साल व लड़की की आठ साल थी अतः इतने बड़े बच्चे अरुणा के होने की बात पर उसे विश्वास नहीं था ।
प्रश्न. किस तस्वीर को देखना बच्चों के लिए असह्य था और क्यों ?
उत्तर- चित्रा की सबसे प्रसिद्ध 'अनाथ' शीर्षक वाली तस्वीर देखना बच्चों के लिए असहय था क्योंकि उस तस्वीर में दो बच्चे अपनी मरी हुई मॉ से चिपककर रो रहे थे तथा चित्र वास्तविक घटना को देखकर बनाये जाने की बात सुन बच्चे असहज हो गए। उन्होंने चित्रा से अच्छी-अच्छी जैसे राजा-रानी और परियों की तस्वीरें दिखाने को कहा।
प्रश्न. चित्रा की आँखें विस्मय से क्यों फैल गयीं?
उत्तर- चित्रा के जोर देने पर अरुणा ने बताया कि ये दोनों बच्चे नाम तुम्हारी तस्वीर वाली मरी भिखारिन के हैं तथा उसने उन्हें गोद लिया है यह बात जान चित्रा की आँखें विस्मय से फैल गयीं और वह चित्रा की समाज सेवा व उच्च कोटि के कलाकार की होने की बात सोच निरुत्तर हो गयी।
विडियो के रूप में देखें -
Manuu Bhandari dwara likhi gayi Do Kalakar Yah kahani kafi achchi hain.
जवाब देंहटाएंNamaskar Devi'o o' Sanjan'o Mai Amitabh Bachan Aap Sabbhi ka swagat karta hu Hindi Kunj Pe
हटाएंJi Amitabh Bachan AAP to hindi kavita padh rahe hai
हटाएंसार्थक विश्लेषण
जवाब देंहटाएंNice written...very helpful
जवाब देंहटाएंthanks a lot.....very helpful
जवाब देंहटाएंMore explanation needs to be added
जवाब देंहटाएंKoti koti dhanayavad✌️✌️✌️✌️✌️
जवाब देंहटाएंChitra ka charitra chitran
जवाब देंहटाएंI want the answer to the question that ' chitraa dwara banaye gye chitra ko dekh kar aruna ki kya pratikriya hui?'
जवाब देंहटाएंAruna ko chitra dwara banaya gya chitr confusion nazar aa rha tha kyonki usme sadak,tram,motar,makaan sab ek dusre par chadh rahe pratit ho rahe the.Aruna chitra se bolti hai ki sansaar ke chauraasi lakh yoniyon mei se tasveer me akhir konsa jeev hai.
हटाएंमुझे दो प्रश्न का उत्तर चाहिए 1 paragraph में
जवाब देंहटाएंप्रश्न "चित्र के कला के कला के प्रति अरुणा के क्या विचार थे ?"
दूसरा प्रश्न "रोज अखबारों में क्या खबर आ रही थी ? इसका दोनों पर क्या प्रभाव पड़ा ?"
मुझे दो प्रश्न का उत्तर चाहिए 1 paragraph में
जवाब देंहटाएं1. "चित्रा की कला के विषय में अरुणा के क्या विचार थे ? स्पष्ट कीजिए ।"
2. "रोज अखबरों में क्या खबरें आ रही थी? उन खबरों का उन दोनों पर क्या प्रभाव पड़ा?"
Bahut bahut dhanyawad apka
जवाब देंहटाएंकृपया कर दो कलाकार कहानी का सारांश भी वेबसाइट पर अपलोड कर दीजिए। मुझे इसकी सख्त जरूरत है।
जवाब देंहटाएंDo kala kar kahani muni Bhandari ki
जवाब देंहटाएंThank you so much for this amazing explanation 🙏🏻🙏🏻
जवाब देंहटाएंreally very helpful and clearly explained 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
चित्रा इतनी शोरत क्यों मिली
जवाब देंहटाएं‘दो कलाकार’ कहानी मᱶ मानव-सेवा को मह᭜ वपूणᭅ यᲂ बताया गया है? तकᭅसिहत उ᭜ तर दीिजए।
जवाब देंहटाएं‘दो कलाकार’ कहानी मᱶ मानव-सेवा को मह᭜ वपूणᭅ यᲂ बताया गया है? तकᭅसिहत उ᭜ तर दीिजए।
जवाब देंहटाएं