bhikshuk kavita ka bhavarth in hindi bhikshuk explanation bhikshuk kavita ka uddeshya suryakant tripathi nirala kavita in hindi bhikshuk poem summary in english bhikshuk bhavarth meaning of bhikshuk in hindi bhikshuk kavita ki व्याख्या भिक्षुक की आत्मकथा भिक्षुक कविता का काव्य सौंदर्य भिक्षुक का अर्थ जागो फिर एक बार कविता का अर्थ भिक्षुक कविता summary भिछुक कविता
भिक्षुक कविता Bhikshuk Kavita
वह आता -
दो टूक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता|
पेट-पीठ दोनों मिलकर हैं एक,
चल रहा लकुटिया टेक,
मुट्ठी-भर दाने को-भूख मिटाने को
मुँह फटी-पुरानी झोली का फैलता -
दो टूक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता|
व्याख्या - प्रस्तुत पद में कवि निराला जी ने कहा है कि एक भिखारी को जब वे भीख माँगते देखते हैं तो उसकी दीन - हीन दशा को देखकर उनके कलेजे के टुकड़े - टुकड़े हो जाते हैं . वह अपनी दीन - हीन अवस्था को देखकर पश्चाताप है . वह लाठी के सहारे धीरे धीरे चलता हैं ,उसकी पीठ और पेट एक हो गए हैं यानी की वह कई दिनों से भूखा है . थोड़े से भोजन के लिए उसे दर -दर की ठोकरे खानी पड़ रही हैं . उसके हाथ में एक फटी पुरानी झोली है ,जिसे वह सबके सामने फैलाता हुआ भीख माँग रहा है ताकि वह अपना पेट भर सके . यह देख कर कवि का ह्रदय चीर - चीर हो जाता है . यह दरिद्रता को देखकर पछताता रहता है .
२. साथ दो बच्चे भी हैं सदा हाथ फैलाये ,
बायें से वे मलते हुए पेट को चलते,
और दाहिना दया-दृष्टि पाने की ओर बढ़ाए|
भूख से सूख ओंठ जब जाते,
दाता-भाग्य-विधाता से क्या पाते?
घूँट आँसूओं के पीकर रह जाते|
व्याख्या - सड़क पर चलते भिखारी के साथ उसके दो बच्चे भी है .वे अपने बाएँ हाथ से अपने पेट को मलते हुए चल रहे है और दाहिने हाथ से आते -जाते हुए लोगों से कुछ पाने के लिए हाथ फैलाये माँग रहे हैं . भूख से होंठ सूख गए गए है तो वे अपने अपने आंसुओं को पीकर रह जाते है . ऐसा लगता है मानों उन बच्चों की दशा को देख कर किसी को दया नहीं आती है और किसी ने उनको खाने के लिए कुछ भी नहीं मिलता . अतः कवि उनकी दशा को देखकर द्रवित हो जाता है .
३.चाट रहे जूठी पत्तल वे कभी सड़क पर खड़े हुए ,
और झपट लेने को उनसे कुत्ते भी हैं अड़े हुए|
ठहरो, अहो मेरे हृदय में है अमृत,
मैं सींच दूंगा|
अभिमन्यु जैसे हो सकोगे तुम
तुम्हारे दुःख मैं अपने हृदय में खींच लूँगा|
व्याख्या - भूख से ब्याकुल भिखारी और उसके दोनों बच्चे जब मार्ग से गुजरते है तो सड़क से किनारे झूठी पत्तलों को देखकर उनसे रहा नहीं जाता है और वे अपनी भूख को मिटाने के लिए वे सड़क पर पड़े हुए उन्ही झूठी पत्तलों को चाटते हैं . वे भी गली के कुत्ते को साथ झूठी पत्तलों को चाटने के लिए लड़ने लगते हैं .कवि यह देखकर को देखकर द्रवित हो जाता है . कवि का ह्रदय इस बात के लिए चिंतित हो जाता है कि वह उनके दुःख दर्द को बाटेंगा और इनका दर्द दूर करेगा .
भिक्षुक कविता का केंद्रीय भाव / मूल भाव
भिक्षुक कविता महाप्राण निराला जी द्वारा लिखी गयी है . प्रस्तुत कविता में कवि एक भिखारी और उसके दो बच्चों की दयनीय अवस्था का वर्णन किया है . भिखारी से पेट और पीठ भुखमरी के कारण एक हो गए है . वे अपनी भूख मिटाने के लिए भीख माँगते रहते है ,सड़क पर चलते हुए झूठी पत्तलों को चाट रहे हैं ,जिसके लिए उन्हें कुत्तों से भी छिना -झपटी करना पड़ रहा है . भिक्षुक की दीनता को देख कर कवि उनके प्रति अपनी सहानुभूति प्रकट करता है .
प्रश्न - उत्तर
प्र .१.दो टूक कलेजे का क्या अर्थ हैं ?
उ .दो दो टूक कलेजे का अर्थ है कि बहुत दुखी होना है . प्रस्तुत कविता में भिक्षुक बहुत दुखी है .
प्र .पेट और पीठ मिल कर एक क्यों हो गए हैं ?
उ. भिक्षुक का पेट और पीठ मिल कर एक इसीलिए हो गए है क्योंकि उन्हें बहुत दिनों से भर पेट भोजन नहीं मिला है .वे अन्दर से भुखमरी के शिकार हो गए हैं .
प्र .भिखारी सड़क पर क्या कर रहे हैं ?
उ. भिखारी और उसके दोनों बच्चे झूठी पत्तले चाट रहे हैं .
प्र .भिखारी के हाथ से कौन पत्तल झपट लेना चाहता है ?
उ . भिखारी और उसके बच्चे अपनी भूख शांत करने के लिए रास्ते पर पड़े हुए पत्तलों को चाट रहे हैं .उनके साथ कुत्ते भी उन्ही पत्तलों को चाट रहे है ,अतः कुत्तों के साथ उनकी लडाई हो रही हैं .
प्र .किसकी दशा को देख कर किसी को दया नहीं आती है ?
उ .भिखारी और उसके दोनों बच्चों की दशा को देखर किसी को दया नहीं आती है और न ही उनकी सहायता के लिए कोई उन्हें अनाज ही दे रहा है ताकि उनकी भूख शांत हो सके .
विडियो के रूप में देखें -
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भिछुक कविता
Bahut achhi kavita hai. Kabhi 6th class mai padhi thi. Aj Ise padhkar wo waqt yaad aa gya...
जवाब देंहटाएंSahi bola yrr
हटाएंLol
हटाएंप्रस्तुत कविता की अंतिम पंक्तियों में अभिमन्यु शब्द का क्या अभिप्राय है ?
जवाब देंहटाएंजिस प्रकार अभिमन्यु चक्र को तोड़ कर अकेला घुस गया और सात सात महारथियों का सामना किया वैसे ही लेखक भीख के चक्र से भिक्षुक को निकाल कर उसे सभी विपदाओं से लडने वाला बना देना चाहता है।
हटाएंजिस प्रकार अभिमन्यु चक्र को तोड़ कर अकेला घुस गया और सात सात महारथियों का सामना किया वैसे ही लेखक भीख के चक्र से भिक्षुक को निकाल कर उसे सभी विपदाओं से लडने वाला बना देना चाहता है।
हटाएंकालजयी कविता!
जवाब देंहटाएंThis poem is my favourite poem in my class
जवाब देंहटाएंहृदय कंपित कविता
जवाब देंहटाएंKavita mai bhikshuk abhimanyu k saman kab ho sakte hai?
जवाब देंहटाएंSo nice kavita
जवाब देंहटाएंMere question ka answer do abhi bohot zaruri hai
जवाब देंहटाएंHow you do,do you good poem very good
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