गिरधर की कुंडलियाँ

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गिरधर की कुंडलियाँ Giridhar Ki Kundaliya


१.लाठी में गुण बहुत हैं, सदा राखिये संग।
गहरि, नदी, नारी जहाँ, तहाँ बचावै अंग॥
जहाँ बचावै अंग, झपटि कुत्ता कहँ मारै।
दुश्मन दावागीर, होयँ तिनहूँ को झारै॥
कह गिरिधर कविराय सुनो हो धूर के बाठी॥
सब हथियार न छाँड़ि, हाथ महँ लीजै लाठी॥

व्याख्या - कवि गिरिधर कविराय जी ने सीधी सरल भाषा में तथ्यपूर्ण ढंग से जो कुछ भी बताया है उसका पाठक पर सीधा प्रभाव पड़ा है .उन्होंने उदाहरणों के माध्यम से दोहों को प्रभावशाली बनाया है .प्रस्तुत कुंडलियों में उन्होंने लाठी को बहुत गुणकारी बताया है उसे अपने साथ रखने की सलाह दि है क्योंकि रास्ते में यदि नदी या नाला पड़ जाय तो लाठी के सहारे कूद कर नाला पार कर सकते हैं यदि मार्ग में कोई कुत्ता या दुश्मन पीछे पड़ जाए तो यह लाठी बहुत काम ही है .

२.कमरी थोरे दाम की,बहुतै आवै काम।
खासा मलमल वाफ्ता, उनकर राखै मान॥
उनकर राखै मान, बँद जहँ आड़े आवै।
बकुचा बाँधे  मोट, राति को झारि बिछावै॥
कह गिरिधर कविराय, मिलत है थोरे दमरी।
सब दिन राखै साथ, बड़ी मर्यादा कमरी॥

व्याख्या -  दूसरी कुंडली में कवि ने कम्बल का महत्व बताते हुए कहा है किइसका मूल्य कम् होता है लेकिन यह बहुत काम की बस्तु है . यह व्यक्ति का मान बढाती है ,मार्ग में गठरी बाधने के काम आती है तथा रात को बेचकर सोने का काम भी लिया जाता है . 

३.गुन के गाहक सहस, नर बिन गुन लहै न कोय।
जैसे कागा कोकिला, शब्द सुनै सब कोय॥
शब्द सुनै सब कोय, कोकिला सबै सुहावन।
दोऊ के एक रंग, काग सब भये अपावन॥
कह गिरिधर कविराय, सुनो हो ठाकुर मन के।
बिनु गुन लहै न कोय, सहस नर गाहक गुन के॥

व्याख्या - तीसरी कुंडली में कवि गुणवान व्यक्तियों का महत्व बताते है . कौए और कोयल की वाणी की तुलना करते हुए कवि ने कोयल की मधुर वाणी का महत्व बताया है कि कोयल की मधुर आवाज के कारण वह सबकी प्रिय है इसी प्रकार मीठा बोलने वालों को सभी पसंद करते हैं . 

४.साँई सब संसार में, मतलब का व्यवहार।
जब लग पैसा गाँठ में, तब लग ताको यार॥
तब लग ताको यार, यार संग ही संग डोले।
पैसा रहे न पास, यार मुख से नहिं बोले॥
कह गिरिधर कविराय जगत यहि लेखा भाई।
करत बेगरजी प्रीति, यार बिरला कोई साँई॥ 

व्याख्या - चौथी कुंडली में कवि ने संसार के स्वार्थी लोगों के बारे में बताया कि ऐसे लोग मतलबी होते हैं जब तक दूसरे के पास पैसा होते है तब तक उसके मित्र बने रहते है , पैसा न होने पर मुँह फेर लेते हैं .बहुत कम लोग होते है जो निस्वार्थ भाव से प्रेम करते हैं .

५.रहिए लटपट काटि दिन, बरु घामे माँ सोय।
छाँह न बाकी बैठिये, जो तरु पतरो होय॥
जो तरु पतरो होय, एक दिन धोखा देहैं।
जा दिन बहै बयारि, टूटि तब जर से जैहैं॥
कह गिरिधर कविराय छाँह मोटे की गहिए।
पाती सब झरि जायँ, तऊ छाया में रहिए॥

व्याख्या - पाँचवी कुंडली में कवि मज़बूत वृक्ष की छाया में बैठने को कह रहे हैं , कमज़ोर पेड़ तो हलकी से हवा चलने आर स्वयं को नहीं संभाल पाटा तो दूसरों को क्या सहारा देगा अर्थात निर्बल व्यक्ति से सहायता नहीं लेनी चाहिए . 

६.पानी बाढ़ै नाव में, घर में बाढ़े दाम।
दोऊ हाथ उलीचिए, यही सयानो काम॥
यही सयानो काम, राम को सुमिरन कीजै।
पर-स्वारथ के काज, शीश आगे धर दीजै॥
कह गिरिधर कविराय, बड़ेन की याही बानी।
चलिए चाल सुचाल, राखिए अपना पानी॥

व्याख्या - छठी कुंडली में कवि ने परोपकार को महत्व देते हुए कहते हैं कि घर में धन आ जाने से दोनों हाथों से बाट देना चाहिए अपने व्यवहार व आचरण को पवित्र रखना चाहिए इसी से सम्मान बना रहता रहता है . 

७.राजा के दरबार में, जैये समया पाय।
साँई तहाँ न बैठिये, जहँ कोउ देय उठाय॥
जहँ कोउ देय उठाय, बोल अनबोले रहिए।
हँसिये नहीं हहाय, बात पूछे ते कहिए॥
कह गिरिधर कविराय समय सों कीजै काजा।
अति आतुर नहिं होय, बहुरि अनखैहैं राजा॥

व्याख्या - अंतिम कुंडली में कवि गिरिधर जी स्वाभिमान से जीने को कहते हैं .राजा के दरबार में भी यदि आपको सम्मानपूर्वक बैठने को कहा जाय तभी वहाँ रहना चाहिए ,बिना पूछे बेकार के सवाल नहीं बोलना चाहिए . 


गिरिधर की कुंडलियाँ केन्द्रीय भाव / मूल भाव 

गिरिधर कविराय जी ने अपनी कुंडलियाँ में लाठी और कम्बल के प्रति आदरभाव ,मौकापरस्ती ,सबल का सहारा ,समय के अनुसार कार्य का महत्व आदि बातों को लेकर बड़ी ही मार्मिक ढंग से बात कही है . उनकी कविता ने जनमानस पर बहुत ही प्रभाव छोड़ा है और वे आज भी लोकप्रिय हैं . कवि कहते है कि हमें अपने जीवन में परोपकार को  महत्व देना चाहिए तथा बिना बुलाये ऐसी जगह नहीं जाना चाहिए जहाँ हमारा अपमान हो ,इसी प्रकार कवि अपनी बात पाठकों तक पहुँचाने में सफल रहे हैं . 

कवि ने जीवन में लाठी की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए कहा है कि लाठी के सदुपयोग से हम अपनी रक्षा कर सकते हैं। यहीं कवि ने कंबल की उपयोगिता और महत्त्व पर चर्चा करते हुए उसके विविध प्रयोगों पर प्रकाश डाला है। कवि ने मनुष्य के जीवन में महत्त्व को दर्शाते हुए कोयल व गुणवान लोगों को एक समान कहा है और गुणहीन लोगों को अपवित्र कौए के समान बताया है। संसार में सभी जगह गुणवानों की प्रशंसा होती है। कवि ने स्वार्थी संसार पर व्यंग्य करते हुए कहा है कि अगर है मनुष्य के पास धन हो तो उसके कई मित्र बन जाते हैं और निर्धन लोगों का कोई मित्र बनना नहीं चाहता क्योंकि निर्धनों से स्वार्थ की पूर्ति नहीं होती। उन्होंने यह भी कहा है कि दुख की घड़ी में मनुष्य को गुणवान, धनी और ताकतवर लोगों की सहायता लेनी चाहिए क्योंकि गुणहीन, कमज़ोर और निर्धन आवश्यकता के समय सहायता नहीं कर पाते। कवि ने उन्हीं लोगों को महान् तथा गुणी कहा है जो परोपकार में अपना जीवन व्यतीत करते हैं, सबके साथ अच्छा व्यवहार करते हैं, भगवत् भजन करते हैं और दूसरों के हित में सब कुछ त्याग करने के लिए तैयार रहते हैं। अंतिम कुण्डली में कवि ने राजा के दरबार में प्रजा के द्वारा अपेक्षित कुलीन व्यवहारों पर प्रकाश डाला है। कम बोलना एवं धैर्यपूर्वक रहना प्रजा को शोभा देता है। 

गिरिधर कविराय का जीवन परिचय

गिरिधर का मूल नाम हरिदास था। उनका जन्म संवत् 1770 को माना जाता है। ऐसा अनुमान है कि वे पंजाब के रहने वाले थे किंतु बाद में इलाहाबाद के आस-पास आकर रहने लगे। इन्होंने कुंडलियों में ही समस्त काव्य की रचाना की।
 
गिरिधर कविराय ने नीति, वैराग्य और अध्यात्म को ही अपनी कविता का मुख्य विषय बनाया है। जीवन के व्यावहारिक पक्ष का इनके काव्य में प्रभावशाली वर्णन मिलता है जो कि आम लोगों में बहुत लोकप्रिय है। इस लोकप्रियता का सबसे बड़ा कारण है-बिल्कुल सरल, सहज, व्यावहारिक तथा सीधी-सादी भाषा में गंभीर तथा नीति परक तथ्यों का कथन। गिरिधर कविराय की कुंडलियाँ अवधी और पंजाबी भाषा में हैं। 

'गिरिधर कविराय ग्रंथावली' में इनकी पाँच सौ से अधिक कुंडलियाँ संकलित हैं। 



गिरधर की कुंडलियां पाठ के प्रश्न उत्तर


१. लाठी में गुण बहुत हैं, सदा राखिये संग।
गहरि, नदी, नारी जहाँ, तहाँ बचावै अंग॥
जहाँ बचावै अंग, झपटि कुत्ता कहँ मारै।
दुश्मन दावागीर, होयँ तिनहूँ को झारै॥
कह गिरिधर कविराय सुनो हो धूर के बाठी॥
सब हथियार न छाँड़ि, हाथ महँ लीजै लाठी॥

प्र. कवि ने लाठी में कौन कौन से गुण बताये हैं ?

उ. कवि गिरिधर कविराय ने लाठी के बहुत गुण बताये हैं .यही हमें नदी ,नाला पार करना हो तो यह बहुत काम आती है . मार्ग में कुत्ता मिल जाए तो हमें कुत्ते के आक्रमण से बचाती है . दुश्मनों के आक्रमण से हमें बचाती है .

प्र. कवि ने अन्य हथियार को छोड़कर लाठी पकड़ने के लिए क्यों कहा है ?

उ. कवि ने लाठी की प्रसंसा की है . लाठी न केवल आत्म रक्षा के लिए काम आती है ,बल्कि लाठी के कई अन्य लाभ भी है . इसीलिए सब हथियारों को छोड़कर कवि ने लाठी पकड़ने की सलाह दी है .

प्र. कवि ने कुत्ते का उदाहरण क्यों दिया है ?

उ. कवि ने लाठी ने बहुत सारे लाभ बताते कहा है की यदि हमें मार्ग में कुत्ता मिल जाए तो लाठी कुत्ते के आक्रमण से बचाती है और हम अपनी आत्म रक्षा कर सकते हैं .

प्रश्न . 'तहाँ बचावै अंग' में कौन अंगों को बचाता है? और कैसे? 

उत्तर- मार्ग में गहरी नदी या नाला आ जाने पर लाठी उसकी गहराई आदि को नापकर यात्रा को सफल बनाने में सहायता करती है तथा मार्ग में यदि कोई दुष्ट कुत्ता हमें काटने के लिए झपटे तो लाठी के द्वारा हम सहजता से अपनी रक्षा कर सकते हैं। 

प्रश्न. लाठी अहंकारी से बचने में हमारी सहायक होती है। कैसे ? 

उत्तर- किसी अहंकारी दुश्मन के सामने आ जाने पर लाठी से उसको पराजित कर उसका अहंकार दूर किया जा सकता है तथा स्वयं की रक्षा भी लाठी के द्वारा की जा सकती हैं। अत: लाठी से अहंकारी पर विजय प्राप्त कर दुश्मनों से बचा जा सकता है।
 
प्रश्न. 'सब हथियारन छाँडि, हाथ महँ लीजै लाठी। ' से कवि का - आशय स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर- उपर्युक्त पंक्तियों के माध्यम से कविराय जी ने लाठी की महत्ता हैं का प्रतिपादन करते हुए कहा है कि लाठी तलवार, धनुष आदि समस्त हथियारों से अधिक उपयोगी होती है। यह सदैव रक्षा करती है और इससे किसी तरह का खतरा भी नहीं है अतः सब हथियारों को छोड़ हमें लाठी को सदैव अपने पास रखने को कहा है। 


२. रहिए लटपट काटि दिन, बरु घामे माँ सोय।
छाँह न बाकी बैठिये, जो तरु पतरो होय॥
जो तरु पतरो होय, एक दिन धोखा देहैं।
जा दिन बहै बयारि, टूटि तब जर से जैहैं॥
कह गिरिधर कविराय छाँह मोटे की गहिए।
पाती सब झरि जायँ, तऊ छाया में रहिए॥

प्र.कवि के अनुसार किस प्रकार के पेड़ों को शरण हमें नहीं लेना चाहिए ?

उ. कवि का मानना है कि हमें जल्दी रास्ता पार कर लेना चाहिए ,दिन में भले ही धूप को सहना पड़े . हमें पतले पेड़ों को छाया के नीचे नहीं बैठना चाहिए क्यों आँधी तूफ़ान आने पर ऐसे पेड़ जल्द ही गिर जाते है और दुर्घटना का कारण बनते है .





प्र.किस प्रकार के पेड़ों को हमें पकड़ कर रखना चाहिए ?

उ. कवि का मानना है कि आँधी तूफ़ान आने पर पतले पेड़ जल्द ही गिर जाते है .इनके स्थान पर हमें मोटे और बड़े पेड़ों के पास बैठना चाहिए भले ही तेज़ हवा से इनके सारे पत्ते झड जाए लेकिन लोगों की जान बची रहती है .

प्र.कवि ने प्रस्तुत पद में क्या सन्देश दिया है ?

उ. कवि ने प्रस्तुत पद में हमें यह बताया है कि हमें हमेशा गुणी, धनवान और धैर्यवान लोगों से सहायता लेनी चाहिए क्योंकि इनकी सहायता हमें जीवन में आगे उन्नति की तरफ ले जाती है . इसी तरह मोटे और मजबूत पेड़ों की सहायता लेनी चाहिए न की कमज़ोर और पतले पेड़ों की .

प्रश्न. कवि ने किस प्रकार के वृक्ष की छाया में बैठने से मना किया है और क्यों ? 

उत्तर- कवि गिरधर कविराय ने पतले तने वाले वृक्ष की छाया में बैठने से मना किया है क्योंकि ऐसा पेड़ धोखा दे सकता है। तेज हवा आने पर पतला पेड़ जड़ सहित उखड़ कर हानि पहुँचा सकता है। 

प्रश्न. कवि ने मोटे पेड़ का छाया में बैठने को क्यों कहा? 

उत्तर- कवि ने मोटे पेड़ की छाया में बैठने को इसलिए कहा कि मोटे पेड़ की छाया घनी होती है। तेज हवा आने पर भी वह गिरता नहीं तथा अगर पत्ते झड़ भी जाएँ तो भी उसकी छाया मिलती रहती है। 

प्रश्न. पतले व मोटे वृक्ष के माध्यम से कवि का क्या आशय है? 

उत्तर - यहाँ पतले वृक्ष से कविराय जी का आशय कमजोर व निर्धन व्यक्ति से है। वह स्वयं असहाय होने कारण विपत्ति में हमारी अधिक सहायता नहीं कर सकता। मोटे वृक्ष से तात्पर्य धनी व सामर्थ्यवान से है जो हमारी हर तरह से सहायता कर सकता है। अतः हमें कमजोर की अपेक्षा धनी की शरण लेनी चाहिए। 

प्रश्न . प्रस्तुत कुंडली में कवि ने क्या चेतावनी दी है? 
उत्तर- प्रस्तुत कुंडली में गिरधर कविराय ने चेतावनी दी है कि चाहे हमें तेज धूप में सोकर अपने कष्टपूर्ण दिन व्यतीत करने पड़ें परन्तु पतले तने वाले पेड़ की छाया के नीचे कभी विश्राम नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा पेड़ हमें लाभ देने के स्थान पर हानि पहुँचा सकता है। 

प्रश्न . संसार में मित्रता का आधार कवि ने क्या बताया है और कैसे ? 

उत्तर- कवि ने संसार में मित्रता का आधार पैसा, धन-सम्पत्ति को बताया है। जिसके पास धन होता है सब उससे मित्रता करना चाहते हैं। तब अनेक व्यक्ति उसके मित्र बन जाते हैं और उसके साथ-साथ घूमते हैं परन्तु पैसे के समाप्त होने पर उसे पहचानते भी नहीं। 

प्रश्न. संसार में कैसे व्यक्तियों का मिलना दुर्लभ है और क्यों ? 

उत्तर- कविराय जी कहते हैं कि इस मतलब के संसार में यहाँ प्रत्येक व्यक्ति अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए दूसरे व्यक्ति से मित्रता करता है। ऐसे संसार में निःस्वार्थ प्रेम करने वाले व्यक्तियों का मिलना दुर्लभ है जो तुम्हारे कष्ट में भी तुम्हारा साथ दे।
 
प्रश्न. 'पैसा रहे न पास यार मुख से नहीं बोले' का भाव स्पष्ट कीजिए । 

उत्तर- कवि गिरिधर जी के अनुसार इस संसार में मित्रता का आधार धन है जिस व्यक्ति के पास धन है उसके मित्र हर समय उसके साथ रहते हैं लेकिन धन न होने पर वही मित्र मुँह से भी नहीं बोलते। साथ छोड़ देते हैं। निर्धन को कोई नहीं पूछता । 

प्रश्न. सयानो काम से कवि का संकेत किस ओर है और क्यों ? 

उत्तर- 'सयानो काम' से कवि का यह संकेत है कि नाव में पानी भर जाने पर उसे दोनों हाथों से बाहर निकालना चाहिए अन्यथा डूबने का खतरा रहता है तथा घर में धन की अधिकता हो जाने पर उसे दान में, परहित में लगाना चाहिए।
 
प्रश्न. 'पर-स्वारथ के काज, शीश आगे धर दीजै' से कवि का क्या अभिप्राय है ? 

उत्तर- दीन-दुखियों की सेवा ही सच्ची ईश्वर सेवा है। अतः हमें परोपकार के समय अपना सर्वस्व अर्पण करना पड़े तो पीछे नहीं हटना चाहिए। परोपकार करते हुए मार्ग में आने वाली सभी कठिनाइयों का मुकाबला करना चाहिए।
 
प्रश्न. कवि के अनुसार विद्वानों का क्या मत है? 

उत्तर- कवि के अनुसार बड़े और विद्वज्जनों का यही मत है कि व्यक्ति को सन्मार्ग पर चलना चाहिए। अपने आचरण को शुद्ध रखकर अपने मान सम्मान की रक्षा करनी चाहिए। 

प्रश्न. राजा के दरबार में जाते समय क्या सावधानी बरतनी किसी चाहिए? 

उत्तर- राजा के दरबार में जाते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि अनावश्यक व असमय वहाँ न जाये तथा बुलावा आते ही वहाँ जाने का प्रयास करना चाहिए।
 
प्रश्न. 'हँसिये नहीं हहाय' से कवि का क्या तात्पर्य है? 

उत्तर- कवि का तात्पर्य है कि भरी सभा में हमें शिष्टता पूर्ण आचरण करते हुए शान्त रहना चाहिए। जोर से ठहाका मारकर हँसना असभ्यता का सूचक है अतः हँसते समय सावधानी बरतनी चाहिए। 

प्रश्न. हमें अपनी बात कब कहनी चाहिए? 

उत्तर- हमें अपनी बात तभी कहनी चाहिए जब हमसे बोलने को कहा जाए। कुछ पूछा जाए। दूसरों के बीच में बोलना अथवा आवश्यकता से अधिक बोलना अनुचित है। हमें अपनी बारी आने का इन्तजार करना चाहिए। 

प्रश्न. 'अनखै हैं' का क्या अर्थ है? यह किस सन्दर्भ में प्रयुक्त हुआ है? 

उत्तर- 'अनखैहै' का अर्थ है-क्रोधित होना, बुरा मानना ।कवि गिरिधर जी के अनुसार हमें समयानुसार आचरण करते हुए धैर्य बनाए रखना चाहिए। अधिक आतुरता हानिकारक सिद्ध होती है। अतुरता दिखाने कई बार राजा क्रोधित भी जाता है। 

MCQ Questions with Answers Giridhar Ki Kundaliya


बहुविकल्पीय प्रश्न उत्तर 
प्र.१. कुण्डलियाँ पाठ के कवि कौन है ?
a. कबीरदास 
b. रहीमदास 
c. गिरिधर कविराय 
d. तुलसीदास 

उ. c. गिरिधर कविराय 

२. गिरिधर कविराय की रचनाओं का संकलन किस नाम से हुआ है ?
a. बीजक 
b. दोहावली 
c. प्रश्न उत्तर 
d. गिरिधर कविराय ग्रंथावली 

उ. d. गिरिधर कविराय ग्रंथावली 

३. कवि के काव्य का मुख्य विषय क्या है ?
a. नीति ,वैराग्य व अध्यात्म 
b. श्रृंगार 
c. वात्सल्य 
d . वीरगाथा 

उ. a. नीति ,वैराग्य व अध्यात्म 

४. कवि पहली कुंडली में किसका वर्णन करते हैं ?
a .कम्बल 
b. कुत्ते 
c. लाठी 
d. तलवार 

उ. c. लाठी 

५. लाठी कवि के अनुसार हमारे किस कार्य में आती है ?
a. दुश्मनों से लडाई में 
b. नदी - नालों को पार करने में 
c. कुत्तों से बचाव 
d. उपयुक्त सभी 

उ. d. उपयुक्त सभी 

६. कमरी शब्द का क्या अर्थ है ?
a. कम्बल 
b. कपडा 
c. रजाई 
d. गमछा 

उ. a. कम्बल 

७. 'मिलत है थोरे दमरी ' शब्द का क्या अर्थ है ?
a. बहुत ज्यादा कीमत में मिलती है . 
b. नहीं मिलती है . 
c. कम कीमत में ही प्राप्त हो जाती है . 
d. उपयुक्त में से कोई नहीं 

उ. c. कम कीमत में ही प्राप्त हो जाती है . 

8. किस तरह के व्यक्ति को सभी लोग स्वीकार करते हैं ?
a. धनी व्यक्ति को 
b. निर्धन को 
c. स्वार्थी व्यक्ति को 
d. गुणी जनों को 

उ. d. गुणी जनों को 

९. कोयल सभी प्यारी क्यों लगती है है ?
a. सुन्दरता के लिए 
b. मीठा बोलती है 
c. काले रंग के कारण 
d. तेज़ उडती है 

उ. b. मीठा बोलती है 

१०. समाज में लोग मित्रता कब तक निभाते हैं ?
a. हमेशा 
b. थोड़े समय के लिए 
c. जब तक दोनों चाहे 
d. जब तक व्यक्ति के पास धन - दौलत होती है 

उ. d. जब तक व्यक्ति के पास धन - दौलत होती है . 

11. कवि के अनुसार हमें पैसे पेड़ों के छाया के नीचे आराम करना चाहिए . 
a. लम्बे वृक्ष 
b. मोटे वृक्ष 
c. छायादार वृक्ष 
d. पुराने व सूखे 

उ. c. छायादार वृक्ष 

१२. हमें कैसे व्यक्तियों की संगती करनी चाहिए ?
a. अनुभवी 
b. धनवान 
c. बलशाली 
d. अनुभवहीन 

उ. a. अनुभवी 

१३. बिरला शब्द का क्या अर्थ है ?
a. कोई-कोई 
b. सभी 
c. कोई नहीं 
d. धनी व्यक्ति 

उ. a. कोई -कोई 

१४. घर में धन - संपदा आ जाने से कवि के अनुसार क्या करना चाहिए ?
a. परोपकार करना चाहिए 
b. मुकदमा करना चाहिए 
c. धन और एकत्र करना चाहिए 
d. राजा को दे देना चाहिए 

उ. a. परोपकार में धन लगाना चाहिए . 

१५. अंतिम कुंडली में कवि ने क्या बातें कहीं है ?
a. राजा के दरबार में समय से पहुंचना चहिये . 
b. सही जगह पर बैठना चाहिए . 
c. बिना पूछे किसी प्रश्न का जबाब नहीं देना चाहिए . 
d. उपयुक्त सभी 

उ. d. उपयुक्त सभी 



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गिरधर की कुंडलियाँ
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