सारा आकाश का उद्देश्य sara akash samasya सारा आकाश उपन्यास मध्यवर्गीय युवक समर के जीवन की संघर्ष की कथा है।राजेंद्र यादव जी ने मध्यम वर्ग के आर्थिक और सामाजिक जीवन का जीवंत चित्रण इस उपन्यास में प्रस्तुत किया है।
सारा आकाश का उद्देश्य
सारा आकाश उपन्यास मध्यवर्गीय युवक समर के जीवन की संघर्ष की कथा है।राजेंद्र यादव जी ने मध्यम वर्ग के आर्थिक और सामाजिक जीवन का जीवंत चित्रण इस उपन्यास में प्रस्तुत किया है। कथा नायक समर में आदर्श और उच्च भाव है। वह कुछ बनने का स्वप्न देखता है।उसके आदर्श राणा प्रताप और शिवाजी है। इसी बीच उसके पिता उसका विवाह प्रभा नामक शिक्षित युवती से कर देते हैं। समर की महत्वकांक्षा पर तुषारापात होता है।इससे समर के जीवन की संघर्ष की कथा उपजती है। सारा आकाश उपन्यास में जिन समस्यायों का चित्रण किया गया है ,उनका वर्णन निम्न रूपों में किया जा सकता है -
१. बेरोजगार युवकों के संघर्ष का वर्णन -
सामान्यतया" मध्यम वर्ग के माता पिता आत्म निर्भर हुए बिना लड़कों की शादी कर देते हैं। फिर आये दिन तनाव खींचतान की प्रक्रिया प्रारम्भ हो जाती है। निम्न माध्यम वर्ग के लोग इस हालत पर शादी विवाह करके परम्परों ,अंध विश्वासों तथा अपरिपक्व मानसिकता का परिचय देते हैं. सारा आकाश मध्यम वर्ग़ का यर्थाथ चित्र प्रस्तुत करने वाली रचना है। इसका सम्पूर्ण कलेवर यर्थार्थवादी और रोचक है। सारा आकाश अपनी विषय वस्तु ,शैली ,भाषा आदि के कारण अत्यंत प्रभावकारी और मर्मस्पर्शी बन सका है।
२. संयुक्त परिवार की समस्या -
उपन्यासकार ने माध्यम वर्ग की सामान्य अपरिपक्व मानसिकता का सजीव चित्रण किया है। इस वर्ग की मानसिकता ,अंध विश्वास ,परंपरागत संस्कार आदि से जुडी होती है। यह सामान्यतः अपरिपक्व और किसी हद तक घिनौनी भी भी हो सकती है , लड़के की इच्छा के विपरीत उसकी शादी कर दी जाती है। लड़के को उसे स्वीकार करना ही पड़ता है।राजेंद्र यादव जी ने इस उपन्यास को मर्मस्पर्शी बनाने के लिए अंध विश्वासों ,परम्पराओं तथा संकीर्ण भावनाओं को हृदयस्पर्शी चित्रण किया है।
३. स्त्री जाति पर होने वाले अत्याचार -
प्रभा की घर में जो स्थिति है वह मर्मस्पर्शिता का केंद्र है। सामान्यतया सभी पाठक उसके प्रति उदार है। समर और प्रभा के बीच बनने वाली दिवार से सभी सदस्य निश्चिंत रहते हैं। भाभी आग में घी डालने का काम करती है।प्रभा की हालत घर में नौकरानी सी हो जाती है। परन्तु जब प्रभा कुछ प्रगतिशील मार्ग अपनाती है तो परिवार पर ब्रजपात होता है। वह थोथी नैतिकता में जीना उचित नहीं समझती है।
४. भारतीय एवं पश्चिमी सभ्यता में अंतर -
उपन्यासकार ने परिवार की समस्त दुर्बलताओं का यर्थार्थ चित्रण किया है। शिरीष के संपर्क में आने पर समर संयुक्त परिवार का विरोधी बन जाती है। अंत में वह कहीं भाग जाने या ट्रैन से कट जाने के लिए बाध्य हो जाता है। इस प्रकार जीवन की कटुता ,विषमता और आर्थिक अभाव में पिसते हुए समर के जीवन संघर्ष को बड़ा मार्मिक बनाया गया है।
५. दहेज़ प्रथा की समस्या -
दहेज़ प्रथा समाज के लिए एक कोढ़ है। देश की अधिकाँश जनता गाँव में रहती है और उस रोग से पीड़ित है। अतः विषय के प्रति पाठकों में रूचि का होना स्वाभाविक है। प्रभा और मुन्नी का जीवन दहेज़ के कारण ही नष्ट हुआ है। पाठक प्रभा और मुन्नी के प्रति आदि से अंत तक उदार दिखाई पड़ते हैं।
उपन्यासकार का विश्वास है कि जब तक विवाह कराने की डोर माँ बाप के हाथ में है ,तब ताज सारा आकाश की सच्चाई जिन्दा है। लड़के लड़कियों को आपस में एक दूसरे को समझने की यातनाओं से गुजरना ही है। एडजस्टमेंट की तकलीफें वर्दास्त करना ही है।
सारा आकाश उपन्यास अनेकानेक समस्याओं को अपने कलेवर में समाहित किये हुए है। इन समस्याओं के रूप में इसका रूप और अधिक सार्थक बन गया है। उपन्यास की प्रमुख समस्याएं निम्नलिखित है -
१. संयुक्त परिवार की समस्या २. दहेज़ प्रथा की समस्या।
६. नारी ही नारी की शत्रु -
सारा आकाश उपन्यास के सभी पात्र स्वाभविक एवं यथार्थ है। भाभी के चरित्र का यदि विश्लेषण किया जाय तो ज्ञात होगा की प्रत्येक संयुक्त परिवार में इस स्वभाव की स्त्रियां उपलब्ध होगी। भाभी की कुटिलता ,ईर्ष्या कान भरने की आदत ,नाज़ नखरा कहीं भी अस्वाभविक नहीं है। दूसरों का दाम्पत्य जीवन इनसे देखा नहीं जाता। प्रभा की शिक्षा तथा सौंदर्य भाभी जी सुलगती रहती है। परिवार में प्रभा की दयनीय स्थिति बनाने का सम्पूर्ण श्रेय भाभी जी को है।
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि सारा आकाश उपन्यास यथार्थवादी उपन्यास है। अपने साथ मध्यवर्गीय परिवार की विभिन्न समस्यों को समाहित किये हुए कथावस्तु ,पात्र चित्रण ,वातावरण तथा उद्देश्य सभी दृष्टियों में अंकित है।
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