surdas ke pad on krishna bal leela with meaning krishna ki bal leela ke pad bal leela of krishna in hindi baal leela summary bal leela poem explanation bal leela poem summary summary of hindi poem bal leela kavya manjari bal leelaसूरदास का वत्सल वात्सल्य रस का उदाहरण वात्सल्य रस की कविता वात्सल्य प्रेम वात्सल्य का अर्थ वात्सल्य रस के सरल उदाहरण वात्सल्य पर कविता वात्सल्य क्या है बाललीला मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो सूरदास श्री कृष्ण की बाल लीला इन हिंदी कृष्ण पर कविता
बाल लीला सूरदास
Krishna Bal leela by Surdas in Hindi
सोभित कर नवनीत लिए।
घुटुरुनि चलत रेनु तन मंडित मुख दधि लेप किए॥
चारु कपोल लोल लोचन गोरोचन तिलक दिए।
लट लटकनि मनु मत्त मधुप गन मादक मधुहिं पिए॥
कठुला कंठ वज्र केहरि नख राजत रुचिर हिए।
धन्य सूर एकौ पल इहिं सुख का सत कल्प जिए॥
व्याख्या - प्रस्तुत पद में सूरदास जी बाल गोपाल के नख शिख सौंदर्य का अद्वित्य वर्णन कर रहे हैं। श्री कृष्ण हाथ में दही लिए हुए हैं। घुटनों के बल से उनका शरीर धूल - धूसरित हो गया। वे अपने मुख पर दही का लेप लिए हुए हैं। उनके कपोल सुन्दर हैं ,नेत्र चंचल हैं और माथे पर गोरोचन का तिलक लगा हुआ है। उनकी लटें इस प्रकार लटकी हुई हैं ,मानों मादक मधु का पान किये हुए मतवाले भौरें हो. उनके वक्षस्थल पर ब्रज और सिंह का नख तथा कंठ में कठुला शोभयमान है। सूरदास जी कहते हैं कि कृष्ण के इस मुख पर पलभर भी दर्शन लाभ होना जीवन को धन्य बना देता हैं ,फिर सैकड़ों कल्पों तक जीने से क्या लाभ।
२. कहन लागे मोहन मैया मैया।
नंद महर सों बाबा बाबा अरु हलधर सों भैया॥
ऊंच चढि़ चढि़ कहति जशोदा लै लै नाम कन्हैया।
दूरि खेलन जनि जाहु लाला रे! मारैगी काहू की गैया॥
गोपी ग्वाल करत कौतूहल घर घर बजति बधैया।
सूरदास प्रभु तुम्हरे दरस कों चरननि की बलि जैया॥
व्याख्या - प्रस्तुत पद में कृष्ण, मैया, बाबा और भैया कहने लगे हैं। सूरदास कहते हैं कि अब श्रीकृष्ण मुख से यशोदा को मैया-मैया नंदबाबा को बाबा-बाबा व बलराम को भैया कहकर पुकारने लगे हैं। इना ही नहीं अब वह नटखट भी हो गए हैं, तभी तो यशोदा ऊंची होकर अर्थात् कृष्ण जब दूर चले जाते हैं तब उचक-उचककर कन्हैया को नाम लेकर पुकारती हैं और कहती हैं कि कान्हा ! गाय तुझे मारेगी। सूरदास कहते हैं कि गोपियों व ग्वालों को श्रीकृष्ण की लीलाएं देखकर अचरज होता है। श्रीकृष्ण अभी छोटे ही हैं और लीलाएं भी उनकी अनोखी हैं। इन लीलाओं को देखकर ही सब लोग बधाइयां दे रहे हैं। सूरदास कहते हैं कि हे प्रभु! आपके इस रूप के चरणों की मैं बलिहारी जाता हूँ।
३. मैया मोहिं दाऊ बहुत खिझायो।
मो सों कहत मोल को लीन्हों तू जसुमति कब जायो॥
कहा करौं इहि रिस के मारें खेलन हौं नहिं जात।
पुनि पुनि कहत कौन है माता को है तेरो तात॥
गोरे नंद जसोदा गोरी तू कत स्यामल गात।
चुटकी दै दै ग्वाल नचावत हंसत सबै मुसुकात॥
तू मोहीं को मारन सीखी दाउहिं कबहुं न खीझै।
मोहन मुख रिस की ये बातैं जसुमति सुनि सुनि रीझै॥
सुनहु कान बलभद्र चबाई जनमत ही को धूत।
सूर स्याम मोहिं गोधन की सौं हौं माता तू पूत॥
व्याख्या - प्रस्तुत पद में कृष्ण द्वारा बड़े भाई बलराम की माँ के पास शिकायत का वर्णन किया गया है। कृष्ण यशोदा से कहते हैं कि हे माँ ! मुझे बलराम ने बहुत खिझाया। मुझसे कहते हैं - तू खरीद कर लाया हुआ है ,तुझे यशोदा ने कब उत्पन्न किया ? क्या करूँ ,इसी क्रोध के कारण मैं खेलने नहीं जाता ,बार - बार कहते हैं ,कौन तेरी माँ है और कौन तेरा पिता है। नन्द गोरे हैं ,यशोदा गोरी हैं ,तुम क्यों साँवले शरीर वाले हो। चुटकी बजा -बजा कर ग्वाल नाचते हैं ,सभी हँसते और मुस्कराते है। तूने मुझे ही मारना सीखा है ,बलराम पर कभी नहीं खीझती। कृष्ण के मुख से यह सुनकर यशोदा प्रसन्न होती है। इस बात पर माता यशोदा कहती है कि हे कान्हा ! सुनो बलराम चुगलखोर है ,जन्म से ही धूर्त है। सूरदास के कृष्ण ,मुझे गायरूपी धन की शपथ ,मैं माता हूँ और तू पुत्र है।
सूरदास का वात्सल्य वर्णन
महाकवि सूरदास बाल मनोविज्ञान के महान पंडित थे। बाल मनोविज्ञान के अद्भुत ज्ञान ने वात्सल्य रस के वर्णन में उनकी बहुत सहायता की है। वास्तव में वात्सल्य रस का इतना सजीव ,सरस एवं स्वाभाविक वर्णन हिंदी में कोई कवि नहीं कर सका है। हिंदी में ही क्या ,विश्व में भी इस दृष्टि से सूरदास अनुपमेय है। हिंदी के सर्वश्रेष्ठ कवि तुलसीदास ने गीतावली आदि में जो जो भगवान् राम का बाल वर्णन किया है ,उसमें उन्हें सूर के समान सफलता नहीं मिल सकी है। वास्तव में सूर ने तो इस रस के चित्रण में कमाल ही करके दिखा दिया है।
महात्मा सूरदास ने श्री कृष्ण के बाल बर्णन के अंतर्गत उनका रूप वर्णन किया है। कृष्ण के रूप सौंदर्य पर कवि मुग्ध है। रूप सौंदर्य के वणन में सूर ने जो नवीन उपमाएँ तथा उत्प्रेक्षा एकत्रित की है ,उन्हें देखते ही बनता है। सूर ने अंग प्रयांग का इतना सुन्दर चित्रण किया है कि पाठक के नेत्रों के सम्मुख श्री कृष्ण के रूप सौंदर्य का चित्र साकार हो उठता है। अनेक उपमाओं से अलंकृत कृष्ण के श्यामल शरीर का वर्णन ,अपार ज्योति संपन्न कृष्ण ने नखों का आकर्षक वर्णन ,अवस्था और परिस्थिति के अनुसार वस्त्राभूषणों का विवरण किस पाठक को अपनी ओर आकर्षित न कर लेगा ? श्री कृष्ण ने सुन्दर वस्त्र आभूषण धारण किये हुए है।
रूप सौंदय के अतिरिक्त बाल लीला के भी अत्यंत हृदयस्पर्शी चित्र सूरसागर में उपलब्ध होते हैं। संयोग वात्सल्य के वर्णन में कृष्ण की तुतलाती भाषा ,घुटरुन चलना ,धीरे धीरे खड़ा होना और फिर गिर पड़ना ,नन्द को बाबा कहना ,शरीर पर धूल लपेटना ,मुख पर दही का लेप कर लेना आदि कितनी ही बाल सुलभ चेष्टाओं का बाल विज्ञानं के पंडित महाकवि सूर ने अत्यंत मर्मस्पर्शी ,स्वाभाविक एवं आकर्षक ढंग से वर्णन किया है। बालकों की रूचि कैसी होती है ,इसका सूर को पूर्ण ज्ञान था। इसका उदहारण निम्न है -
जसोदा हरि पालनैं झुलावै।
हलरावै दुलरावै मल्हावै जोइ सोइ कछु गावै॥
मेरे लाल को आउ निंदरिया काहें न आनि सुवावै।
तू काहै नहिं बेगहिं आवै तोकौं कान्ह बुलावै॥
कबहुं पलक हरि मूंदि लेत हैं कबहुं अधर फरकावैं।
सोवत जानि मौन ह्वै कै रहि करि करि सैन बतावै॥
इहि अंतर अकुलाइ उठे हरि जसुमति मधुरैं गावै।
जो सुख सूर अमर मुनि दुरलभ सो नंद भामिनि पावै॥
कितना स्वाभाविक चित्र है ? यशोदा लोरी गए गाकर कृष्ण को सुला रही है। कृष्ण के आँख बंद कर लेने पर माँ समझाती है कि बेटा अब सो गया है। वह लोरी गाना बंद कर देती है और वहां से उठना ही चाहती है कि फिर कृष्ण अकुला उठते हैं और यशोदा फिर से लोरी गाने लगती है। उसे पुत्र के पास ही बैठा रहना पड़ता है।
इसी प्रकार बालक कृष्ण पैरों के बल चल रहे हैं। यशोदा उन्हें देखकर स्वयं तो आनंदित होती ही है ,नन्द को भी यह दृश्य देखने के लिए बार -बार बुलाती है -
सोभित कर नवनीत लिए।
घुटुरुनि चलत रेनु तन मंडित मुख दधि लेप किए॥
चारु कपोल लोल लोचन गोरोचन तिलक दिए।
लट लटकनि मनु मत्त मधुप गन मादक मधुहिं पिए॥
कठुला कंठ वज्र केहरि नख राजत रुचिर हिए।
धन्य सूर एकौ पल इहिं सुख का सत कल्प जिए॥
माखन चोरी प्रसंग में तो कृष्ण का बुद्धि चातुर्य देखते ही बनता है। ब्रज के घरों में घुस -घुस सखाओं के साथ माखन चोरी करना और पकड़े जाने पर चातुर्य का प्रयोग करना ,इसका वर्णन बड़ा ही बिनोदपूर्ण है। एक दिन संध्या के समय कृष्ण माखन -चोरी के एक घर में घुसे। दही में हाथ डाला ही था कि एक गोपी ने आकर पकड़ लिया। गोपी ने शिकायत की -
श्याम कहा चाहत से डोलत।
बूझे हू तें बदन दुरावत सूधे बोल न बोलत।
यशोदा का कृष्ण से बहुत प्रेम था ,यह कोई कहने की बात नहीं है। वे पल भर भी अपने पुत्र को अपने से अलग करना नहीं चाहती थी। दुर्भाग्य से एक दिन वह समय भी आ पहुँचा ,जब अक्रूर कृष्ण को लेने आ पहुँचे। यशोदा व्याकुल हो उठी। वे कृष्ण के बदले में समर्पित करने को प्रस्तुत हो जाती है। कृष्ण मथुरा चले जाते हैं। अब माता यशोदा ,नवनीत आदि कृष्ण की प्रिय वस्तुएँ यशोदा के वात्सल्य वियोग को अब बहुत उदीप्त कर देती है।वे मथुरा लौटते हुए उद्धव से यशोदा क्या कह रही है -
संदेसो देवकी सौं कहियौ।
हौं तो धाय तिहारे सुत की कृपा करत ही रहियो।
उबटन तेल और तातो जल देखत ही भजि जाते।
जोई-जोई माँगत सोई-सोई देती करम-करम करि न्हाते।
तुम तो टेव जानतिहि व्है हो, तऊ मौहि कहि आवै।
प्रात उठत मेरे लाल लडैतेंहि माखन रोटी खावै।
इस प्रकार सूर ने मातृव ह्रदय का अत्यंत स्वाभाविक एवं मर्मस्पर्शी चित्रण किया है। बाल -ह्रदय की सुलभ चेस्टों के स्वाभाविक एवं हृदयस्पर्शी वर्णन का तो कहना ही क्या ?निसंदेह सूर वात्सल्य कोना -कोना झाँक आये हैं। वात्सल्य के क्षेत्र का जितना अधिक उद्घाटन सूर ने अपनी बंद आँखों से किया है,उतना अन्य किसी कवि ने खुली आँखों से भी नहीं किया। वास्तव में इस क्षेत्र में वे हिंदी में ही नहीं ,विश्व के साहित्य में अनुपमेय हैं।
बहुविकल्पीय प्रश्न उत्तर
MCQ Questions with Answers Baal leela by Surdas
बहुविकल्पीय प्रश्न उत्तर
प्र. १. बाल लीला कविता के रचयिता कौन है ?
a. कबीरदास
b. सूरदास
c. केशवदास
d. तुलसीदास
उ. b. सूरदास
२. बाललीला किस भाषा में रची हुई है ?
a. अवधी
b. हिंदी
c. ब्रजभाषा
d. मैथिलि भाषा
उ. c. ब्रजभाषा
३. बाल लीला के पदों में किसकी बातें उल्लेख हुई है ?
a. श्रीराम के बारे में
b. सूरदास के बारे में
c. श्रीकृष्ण के बारे
d. बलराम के बारे में .
उ. c. श्रीकृष्ण के बारे .
४. सूरदास जी के गुरु का नाम क्या है ?
a. समर्थ गुरु राम दास
b. कबीरदास
c. रामदास
d. महाप्रभु बल्लभाचार्य
उ. d. महाप्रभु बल्लभाचार्य
५. सूरदास जी की किस शाखा के कवि है ?
a. निर्गुण धारा के
b. सगुण धारा के
c. राम भक्ति शाखा
d. कृष्ण भक्ति शाखा के
उ. d. कृष्ण भक्ति शाखा के
६. सूरदास जी को की रस का सम्राट कहा जाता है ?
a. वीर रस
b. भक्ति रस
c. श्रृंगार रस
d. वात्सल्य रस
उ. d. वात्सल्य रस
७. सूरदास जी की रचनाओं का नाम बताओ .
a. प्रिय प्रवास
b. गंगालहरी
c. सूरसागर
d. रामचरितमानस
उ. c. सूरसागर
8. सूरदास जी की बाल लीला में श्रीकृष्ण के किस रूप का वर्णन किया गया है ?
a. यौवन रूप
b. बाल रूप का
c. सखा रूप
d. मित्र रूप
उ. b. बाल रूप का
९. श्री कृष्ण के गले में किसकी माला लटकी हुई है ?
a. शेर के नाख़ून की माला
b. मोती की माला
c. तुलसी की माला
d. चन्दन की माला
उ. a. शेर के नाख़ून की माला
१०. श्रीकृष्ण के माथे पर किसका तिलक लगा हुआ है ?
a. गोरोचन का तिलक
b. कुमकुम का तिलक
c. केशर का तिलक
d. चन्दन का तिलक
उ. a. गोरोचन का तिलक
11. बधाई के गीत कहाँ गाये जा रहे हैं ?
a. गोकुल में
b. मथुरा में
c. वृन्दावन में
d. सभी ग्वालबाल के घरो में
उ. d. सभी ग्वालबाल के घरों में .
१२. किसे किसे चिढ़ाता है ?
a. बलराम श्रीकृष्ण को
b. ग्वालबाल को श्रीकृष्ण
c. गोपियाँ श्रीकृष्ण को
d. बलराम राधा को
उ. a. बलराम श्रीकृष्ण को .
१३. दाऊ का क्या अर्थ है ?
a. दाऊ का अर्थ है बड़े भाई
b. यहाँ दाऊ का अर्थ है दोनों
c. गोपियों के सन्दर्भ में .
d. नन्द बाबा को दाऊ कहा गया है .
उ. a. दाऊ का अर्थ है बड़े भाई .
१४. "मोल को लीन्हो का क्या अर्थ है ?
a. खरीद कर लाया हुआ
b. माँग कर लाना
c. मिलाना
d. मोल भाव करना
उ. a. खरीद कर लाया हुआ .
१५. ग्वाल वाल को कौन सिखाता है ?
a. ग्वाल बाल को बलराम सिखाते हैं .
b. ग्वालबाल को नन्द बाबा सिखाते हैं .
c. गोपियाँ ग्वाल बाल को सिखाते हैं .
d. माँ यशोदा बलराम भईया को सिखाती हैं .
उ. a. ग्वालबाल को बलराम सिखाते हैं .
१६. "बाल-लीला " में कौन का रस कवि ने प्रयोग किया है ?
a. वीर रस
b. भक्ति रस
c. वात्सल्य रस
d. श्रृंगार रस
उ. c. वात्सल्य रस
१७. सूरदास किस रस के सम्राट माने जाते हैं ?
a. वीर रस
b. श्रृंगार रस
c. रौद्र व शांत रस
d. वात्सल्य रस
उ. d. वात्सल्य रस
१८. बलवीर को और किन -किन नामों से पुकारा जाता है ?
a. बलभद्र
b. हलधर
c. बलराम
d. उपयुक्त सभी
उ. d. उपयुक्त सभी
१९. "चबाई " शब्द का अर्थ क्या है ?
a. दुष्ट
b. चुगलखोर
c. चापलूस
d. चाटुकार
उ. b. चुगलखोर
Keywords -
surdas ke pad on krishna bal leela with meaning
krishna ki bal leela ke pad
bal leela of krishna in hindi
baal leela summary
bal leela poem explanation
bal leela poem summary
summary of hindi poem bal leela
kavya manjari bal leelaसूरदास का वत्सल
वात्सल्य रस का उदाहरण
वात्सल्य रस की कविता
वात्सल्य प्रेम
वात्सल्य का अर्थ
वात्सल्य रस के सरल उदाहरण
वात्सल्य पर कविता
वात्सल्य क्या है
बाललीला
मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो सूरदास
श्री कृष्ण की बाल लीला इन हिंदी
कृष्ण पर कविता
Thanks a lot
जवाब देंहटाएंThankyou so much for giving such a wonderful explanation
जवाब देंहटाएंTq so much
जवाब देंहटाएंBoht boht Dhanyawaad Guru ji aese hi aap latest videos ko YouTube pr daal diya kare ICSE or ISC board exam ki
जवाब देंहटाएंPlzz sir ji 🙏🙏🙏🙏
Thanks a lot
जवाब देंहटाएंThankyou so much
जवाब देंहटाएंThankyou so much
जवाब देंहटाएंThankyou so much
जवाब देंहटाएं