गौरी - सुभद्रा कुमारी चौहान

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गौरी - सुभद्रा कुमारी चौहान
Gauri -  Subhadra Kumari Chauhan


गौरी कहानी का सार सारांश summary of gauri in hindi - गौरी कहानी सुभद्रा कुमारी चौहान जी द्वारा लिखित एक प्रसिद्ध कहानी है। कहानी में स्वतंत्रता आंदोलन के समय गौरी नामक पात्र के माध्यम से भारतीय नारी के उदात्त चरित्र को दिखाया गया है।गौरी उन्नीस वर्ष की राधाकृष्ण जी और कुंती की एक मात्र संतान है।उन्हें विवाह की चिंता सताए जा रही है।  वे योग्य वर की तलाश थी।  कहानी के प्रारम्भ में ही वे गौरी के लिए योग्य वर की तलाश में गए हैं।  गौरी स्वयं विवाह का इतना महत्व नहीं देती है।  वह अपने पिता को मना कर देना चाहती है कि आप इतना चिंता का करें।  आप चाहे जिसके साथ और जहाँ भी विवाह करें ,वह सुखी रहेगी।  गौरी आत्मग्लानि और क्षोभ में व्यथित थी।  



योग्य वर की तलाश में राधाकृष्ण जी कानपुर गए थे।वहां पर वे एक ३५- ३६  वर्ष के आदमी से मिले जो विधुर था ,पत्नी के मर जाने दो बच्चों को पालने के लिए विवाह करना चाहता है।  उसका नाम सीताराम था।कांग्रेस  के दफ्तर में सेक्रेटरी थे।  तीन -चार बार जेल जा चुके थे।  रविवार के दिन वे बच्चों के साथ राधाकृष्ण के घर आये।  साधारण सा आयोजन था।  बच्चे भी खादी के कुर्ते व हाफ पेंट पहने हुए थे।  घर में उनका स्वागत हुआ। कुंती को बच्चे बहुत प्यारे लगे।  गौरी से बच्चे हिल मिल गए।  बच्चों को गौरी ने मिठाई खिलाई ,हाथ मुँह धुलाया।  अब बच्चे गौरी को साथ नहीं छोड़ना चाहते थे।  किसी तरह बच्चों को सिनेमा ,सर्कस और मिठाई का प्रभोलन देकर कठिनाई से गौरी से अलग कर सके। गौरी भी सीताराम जी के व्यक्तित्वा से बहुत प्रभावित हुई।  सीताराम मजी को पक्का हो चला था कि विवाह होगा केवल तारीख निश्चित करने भर ही देर है।
  
राधाकृष्ण और उनकी पत्नी को सीताराम जी पसंद नहीं आये।उन्होंने गौरी के लिए दूसरे वर की तलाश करनी शुरू की ,जल्द ही वर्ष का युवक है। बदशक्ल होते हुए भी राधाकृष्ण के यह वर अच्छा लगा।  दोनों तरफ से विवाह की तैयारियाँ होने लगी। पर गौरी के मन में सीताराम जी के प्रति अपार श्रद्धा थी।वह नायब तहसीलदार से विवाह नहीं करना चाहती थी ,पर लोकलाज से नहीं कह पाती थी।
  
विवाह की निश्चित तारीख से पंद्रह दिन पहले ही नायब तहसीलदार की पिता की मृत्यु हो गयी , अब विवाह साल भर के लिए टल गया।  गौरी के माता - पिता बड़े दुःखी हुए किन्तु गौरी के सिर पर जैसे चिंता का पहाड़ टूट पड़ा. 

इसी बीच सत्याग्रह आंदोलन चला ,देश भर में गिरफ्तारियों का ताँता सा लग गया।राजद्रोह के अपराध में सीताराम जो एक साल का सश्रम कारावास हुआ।  समाचार पढ़कर गौरी स्तब्ध रह गयी। उसने कानपुर बच्चों की देख रेख के लिए निश्चिय किया।  कुंती गौरी का विरोश न कर सकी। नौकर के साथ गौरी कानपुर चली गयी।
 
सजा पूरी के होने के बाद सीताराम जी घर लौटते समय बच्चों के लिए गरम -गरम जलेबियाँ खरीदी और चुपके से घर में घुसे। परन्तु घर में कुंती को देखकर स्तब्ध रह गए। गौरी के झुक कर उनकी पद धुली अपने माथे से लगा ली।  


गौरी कहानी का उद्देश्य 

गौरी कहानी सुभद्रा कुमारी चौहान जी द्वारा लिखित राष्ट्र प्रेम की भावना जाग्रत करने वाली कहानी है। राष्ट्रहित के लिए व्यक्ति को अपना व्यक्तिगत स्वार्थ छोड़ देना चाहिए।गौरी को देखने के लिए सीताराम जी आते हैं।  उनके व्यक्तित्व से गौरी प्रभावित होती है।वे कांग्रेस से सेक्रेटरी के पद पर थे।स्वंतत्रा आंदोलन के कई बार जेल जा चुके थे।वे स्वयं विवाह करने को अनिच्छुक थे।  लेकिन बच्चों के देखरेख के लिए वे विवाह के लिए राजी हुए।  गौरी के माता - पिता अधिक उम्र होने के कारण विवाह के ठुकरा देते हैं। गौरी का विवाह २४- २५ वर्ष के नायब तहसीलदार से तय होता है।  गौरी स्वयं एक विलासी युवक की पत्नी बनने के बजाय ,सीताराम जी जैसे देश भक्त की पत्नी बनना चाहती है ,लेकिन लज़्ज़ावश कुछ नहीं कह पाती।  जब उसे पता चला कि सत्याग्रह आंदोलन वे सीता राम जी जेल हो गयी है ,तो वह बच्चों की देख रेख के लिए कानपुर चली जाती है।  जेल में छूटने  सीताराम ,गौरी को अपने घर में देख कर दंग राज जाते हैं।  गौरी ऐसे महान देश भक्त की चरणों की धूलि माथे पर लगाती है।
  
इस प्रकार लेखिका ने गौरी के माध्यम  भारतीय नारी का देश भक्त ,ममतामयी व साहसी रूप दिखाया है , जिसमें वह पाठकों को नारी का आदर्श रूप दिखाने में सफल रही है।  


गौरी कहानी शीर्षक की सार्थकता 

गौरी कहानी सुभद्रा कुमारी चौहान जी द्वारा लिखित एक प्रसिद्ध कहानी है। कहानी में स्वतंत्रता आंदोलन के समय गौरी नामक पात्र के माध्यम से भारतीय नारी के उदात्त चरित्र को दिखाया गया है।पूरी कहानी उन्नीस वर्षीय गौरी के इर्द -गिर्द घूमती है।  उसके पिता उसके विवाह के लिए चिंतित है। गौरी को देखने के लिए सीताराम जी आते हैं।  उनके व्यक्तित्व से गौरी प्रभावित होती है।वे कांग्रेस से सेक्रेटरी के पद पर थे।स्वंतत्रा आंदोलन के कई बार जेल जा चुके थे।वे स्वयं विवाह करने को अनिच्छुक थे।  लेकिन बच्चों के देखरेख के लिए वे विवाह के लिए राजी हुए।  गौरी के माता - पिता अधिक उम्र होने के कारण विवाह के ठुकरा देते हैं। गौरी का विवाह २४- २५ वर्ष के नायब तहसीलदार से तय होता है।  गौरी स्वयं एक विलासी युवक की पत्नी बनने के बजाय ,सीताराम जी जैसे देश भक्त की पत्नी बनना चाहती है ,लेकिन लज़्ज़ावश कुछ नहीं कह पाती।  जब उसे पता चला कि सत्याग्रह आंदोलन वे सीता राम जी जेल हो गयी है ,तो वह बच्चों की देख रेख के लिए कानपुर चली जाती है।  जेल में छूटने  सीताराम ,गौरी को अपने घर में देख कर दंग राज जाते हैं।  गौरी ऐसे महान देश भक्त की चरणों की धूलि माथे पर लगाती है।

इस प्रकार लेखिका ने गौरी जैसी महिला के चरित्र की महानता को दिखाना लेखिका का उद्देश्य है।  देश के प्रति अपार प्रेम , प्रदर्शित करना ,व्यक्तिगत सुखों और ऐसे आराम को तिलांजलि देना व्यक्ति का लक्ष्य होना चाहिए। कहानी की नायिका गौरी का शीर्षक अपने नाम के अनुरूप है।  अतः कहानी गौरी का शीर्षक  सार्थक व उचित है। 


गौरी कहानी में गौरी का चरित्र चित्रण


सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित कहानी 'गौरी' की मुख्य पात्र गौरी है, उसके चरित्र में सहजता, मानवीयता और उच्च आदर्श समाहित हैं। 

उसके अन्तर्द्वन्द्व का सजीव चित्र प्रस्तुत कर कहानीकार ने गौरी के सांस्कृतिक वैभव, कर्त्तव्यनिष्ठा, देश-प्रेम और त्याग की भावनाओं का चित्रण किया है। निम्न विशेषताएँ गौरी के चरित्र को उजागर करती हैं- 
  1. दृढ़ निश्चय वाली- सीताराम जी के घर आने के समय से ही गौरी उनके बच्चों को प्रेम करने लगी और उनके देश-प्रेम को भी पसन्द करने लगी थी। माँ-बाप के लिए इन चीजों का कोई मूल्य नहीं था। जब उसने सीताराम जी के गिरफ्तार होने की बात अखबार में पढ़ी तो वह स्तब्ध रह गई। तभी उसने निश्चय कर लिया कि सीताराम जी के बच्चों की देखभाल करने के लिए वह कानुपर जायेगी। माँ के बार-बार समझाने पर भी चह अपना निश्चय नहीं बदलती । वह कहती है- "नहीं माँ मैं पागल नहीं हूँ। बच्चों को तुम भी जानती हो उनके पिता को राजद्रोह के मामले में सालभर की सजा हो गई है। बच्चे छोटे हैं। मैं जाऊँगी माँ, मुझे जाना ही पड़ेगा।" 
  2. संवेदनशील- गौरी भावुक और संवदेनशील है। जब उसने सीताराम जी के बच्चों को देखा और उनके छोटे बच्चों ने उसका आंचल पकड़कर खींचते हुए पूछा - "क्या तुम अमारी माँ हो ?" उनके इस भोले प्रश्न को सुनकर गौरी ने उसे गोद में उठा लिया और कहा-"हाँ !" उसका यह कहना गौरी की संवेदनशीलता को प्रकट करता है। इससे बच्चों के प्रति गौरी का प्रेम स्पष्ट हो जाता है। 
  3. लज्जाशील - गौरी भारतीय कन्याओं की प्रतिमूर्ति है और लज्जा उसका आभूषण । निर्भीक और दृढ़ निश्चय वाली होने के साथ-साथ उसमें लज्जाशीलता कूट-कूटकर भरी है। निम्न पंक्तियाँ गौरी के इसी गुण को परिभाषित करती हैं- "उनकी यह परेशानी इतनी चिन्ता अब उससे सही नहीं जाती, किन्तु संकोच और लज्जा जुबान पर ताला-सा डाल देते हैं।" 
  4. देश-प्रेम की प्रतिमूर्ति - गौरी की भावनाएँ देश-प्रेम से ओतप्रोत हैं। वह सीताराम जी की देशभक्ति से अत्यन्त प्रभावित है। उसके हृदय में देशभक्त और देश के लिए त्याग करने वाले व्यक्तियों के लिए बहुत सम्मान है। उसे तनिक भी इच्छा नहीं थी कि वह नायब तहसीलदार से विवाह करे। कहानीकार ने निम्न पंक्तियों में यह बात स्पष्ट की है- "ज्यों-ज्यों विवाह की तिथि नजदीक आती, गौरी की चिन्ता बढ़ती ही जाती थी।"
 
इस प्रकार गौरी का चरित्र पूरी कहानी में सजीव एवं जीवन्त रूप में मुखरित हुआ है जो उसे कहानी के मुख्य और सशक्त पात्र के रूप में प्रतिस्थापित करता है। कहानी गौरी के ही इर्द-गिर्द घूमती है।
 

गौरी कहानी के प्रश्न उत्तर


प्रश्न. सीताराम जी के घर आने के बाद एक ही व्यक्ति और रिश्ते के प्रति राधाकृष्ण जी, कुन्ती और गौरी के मन में क्या-क्या विचार उठते हैं? 

उत्तर- 'गौरी' कहानी के माध्यम से सुभद्राकुमारी चौहान ने एक ही घटना के प्रति अलग-अलग पात्रों में किस प्रकार अलग-अलग विचार उठते हैं, उसे दिखाने का बड़ा ही सफल प्रयास किया है। जब सीताराम जी अपने दो छोटे बच्चों के साथ गौरी को देखने आते हैं तो घर के लोगों में अलग-अलग प्रतिक्रिया होती है।
 
सीताराम जी के आने का दिन रविवार था और यह बात गुप्त रखी गई ताकि मुहल्ले में किसी को मालूम न होने पाये। यथासमय सीतरामजी अपने दो छोटे बच्चों के साथ गौरी के घर आ गये। बच्चे भी वही खादी के कुरते और हाफ पेंट पहने थे। न जूता, न मोजा, न किसी प्रकार का ठाट-बाट, पर दोनों बड़े प्रसन्न, बड़े हँसमुख, आकर घर में वे इस प्रकार खेलने लगे, जैसे इस घर से वे चिर-परिचित हों । कुन्ती एक तरफ बैठी थी। उसने मन ही मन सोचा कितने अच्चे बच्चे हैं। यदि बिना किसी प्रकार का सम्बन्ध हुए भी सीताराम जी इन बच्चों के सम्भालने का भार उसे सौंप दें, तो वह खुशी-खुशी ले ले। वह बच्चों के खेल में इतनी तन्मय हो गई कि क्षणभर के लिए भूल बैठी कि सीताराम जी भी बैठे हैं और उनसे भी कुछ बातचीत करनी है।
 
वहीं राधाकृष्ण जी के मन में सीताराम जी और उनके बच्चों को देखकर एक अलग ही विचार आया। उनके अनुसार सीताराम जी की उमंगें और उत्साह सब ठण्डा पड़ गया है। वे अपने बच्चों के लिए एक धाय चाहते हैं। सीताराम जी अपने बच्चों को पालने के लिए विवाह करना चाहते हैं। उनके इस उद्देश्य से गौरी की संवेदनाओं और उसके सपनों की पूर्ति नहीं की जा सकेगी। उनकी बेटी सीताराम जी के घर एक धाय के रूप में जायेगी। 

वहीं सीताराम जी को देखकर गौरी प्रभावित हुई। उनके देश-प्रेम, आदर्श तथा सादा जीवन का गौरी पर प्रभाव पड़ा। उनके प्रति गौरी के हृदय में अनजाने ही श्रद्धा के भाव जाग्रत हो गये। उसके अनुसार सीताराम जी ने अपने जीवन को देश-सेवा में लगा दिया है। इस प्रकार गौरी के मन में सीताराम जी के प्रति स्नेह और संवेदना के भाव जाग्रत हुए। उसने सोचा, "किसी विलासी युवक की पत्नी बनने के बजाय मैं इन भोले-भाले बच्चों की माँ बनना पसन्द करूँगी।" इस प्रकार सीताराम जी के गौरी के घर आने पर सबके भाव अलग-अलग थे ।

प्रश्न. 'गौरी' एक चरित्र प्रधान कहानी है"। कहानी के आधार पर गौरी की देशभक्ति एवं त्याग का वर्णन करते हुए बताइए कि गौरी का योगदान सीताराम जी की तुलना में कहीं कम नहीं था। 

उत्तर -'गौरी', कहानीकार सुभद्राकुमारी चौहान की एक चरित्र प्रधान कहानी है। भारतीय नारी की कर्तव्यपरायणता इस कहानी में दृष्टिगोचर होती है। बाबू राधाकृष्ण तथा कुंती की एकमात्र पुत्री है'गौरी' वह उन्नीस वर्ष की सुंदर युवती है। उसके माता-पिता उसके विवाह के लिए चिंतित हैं तथा एक योग्य वर ढूँढ रहे हैं। राधाकृष्ण जी सीताराम जी से गौरी के विवाह प्रस्ताव के साथ मिलते हैं। सीताराम जी 35-36 वर्ष के विधुर तथा दो बच्चों के पिताजी हैं। राधाकृष्ण जी न चाहते हुए भी इतवार को लड़की देखने आने को निमंत्रण दे देते हैं । जब नियत समय पर वे बच्चों के साथ गौरी के घर आते हैं, तब उनकी सादगी, स्पष्टवादिता और देशभक्ति से गौरी प्रभावित हो जाती है तथा बच्चे भी उससे हिल जाते हैं।
 
राधाकृष्ण जी को सीताराम जी पसंद नहीं आये, कुंती को भी लगा कि वहाँ उनकी बेटी आया बनकर ही रह जाएगी। अतः उन्होंने सीताराम जी को संदेश भेज दिया कि जन्मपत्री न मिलने के कारण यह विवाह नहीं हो सकता।
 
राधाकृष्ण जी ने गौरी का विवाह एक नायब तहसीलदार के साथ तय कर दिया, पर गौरी को विनम्रता और सादगी की मूर्ति सीताराम जी और उनके प्यारे-प्यारे बच्चों का ध्यान आता रहता। वह नायब तहसीलदार से विवाह नहीं करना चाहती थी क्योंकि उसे लगता था कि वह अंग्रेजों का नौकर है और उनसे वेतन पाता है। वह देशभक्तों का सम्मान करती थी, पर लज्जावश कुछ कह नहीं पाती थी । विवाह की तारीख से पंद्रह दिन पहले नायब तहसीलदार के पिता का देहांत हो गया और विवाह एक साल के लिए टल गया। गौरी ने स्वयं को चिंतामुक्त महसूस किया।
 
इस बीच पूरे देश में सत्याग्रह आंदोलन की लहर चली। गौरी समाचार-पत्रों के माध्यम से सारी जानकारी लेती रहती। सीताराम जी के एक वर्ष के लिए कारावास जाने के समाचार से गौरी व्यथित हो गई और माँ को अपना निर्णय दृढ़ता से सुनाकर उनके घर जा पहुँची । 

साल भर बाद सीताराम जी बच्चों की चिंता करते हुए घर लौटे, वहाँ गौरी को देखकर आश्चर्यचकित रह गये। गौरी ने उनके चरणों की धूल अपने माथे पर लगा ली। इस प्रकार गौरी देशभक्त है तथा उसने अपने सुख का त्याग करके सीताराम जी के बच्चों को संभाला। घरवालों का विरोध करके वह देशभक्त और देशभक्तों के सम्मान के लिए सीताराम जी के बच्चों को संभालती है। इस प्रकार अप्रत्यक्ष रूप से वह स्वतंत्रता के लिए आंदोलन में योगदान देती है।
 
उसके योगदान को कम नहीं आँका जा सकता, क्योंकि वह घरवालों का विरोध और लोगों के ताने सहकर अपनी आत्मा की आवाज सुनती है। वह चाहती तो नायब तहसीलदार से विवाह कर सुखी और समृद्ध जीवन पा सकती थी, पर उसने ऐसा नहीं किया। गौरी प्रधान नायिका है तथा उसके चरित्र की दृढता यहाँ देखने को मिलती है। अतः 'गौरी' एक चरित्र प्रधान कहानी है। 

प्रश्न. 'गौरी' कहानी द्वारा श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान ने देश प्रेम के संदेश को लोगों तक कैसे पहुँचाया है? स्पष्ट कीजिए।
 
उत्तर- साहित्य समाज का दर्पण होता है। साहित्यकार अपनी तत्कालीन परिस्थितियों से न केवल परिचित होता है, अपितु प्रभावित भी होता है। सुभद्रा कुमारी चौहान के समय में स्वतंत्रता आंदोलन चल रहा था। गाँधी जी द्वारा सत्याग्रह का आंदोलन भी चल रहा था। श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान देशहित के लिए कई बार जेल भी गई। लोगों में देशप्रेम की भावना भरने के लिए जो कुछ भी लिखा वह अवर्णनीय है। 

प्रस्तुत कहानी 'गौरी' में लेखिका सुभद्रा कुमारी चौहान ने अठारह वर्ष की युवती गौरी के देश प्रेम के भाव को उजागरकर हमें देश हित में कुछ करने की प्रेरणा दी है। वह किसी ऐसे युवक से विवाह नहीं करना चाहती जो अपने सुख और ऐश्वर्य के लिए अपने देश के लोगों के गले पर छुरी फेरने में जरा भी संकोच नहीं करता। भले ही वह युवक नायब तहसीलदार है और आगे जीवन में बहुत उन्नति कर सकता है। इसके विपरीत, वह सीताराम नाम के एक ऐसे व्यक्ति से विवाह करने को तैयार हो जाती है जो 34-35 वर्ष की आयु का है और दो बच्चों का पिता है। सीताराम देशप्रेमी है। वह तीन बार जेल जा चुका है। सत्याग्रह आन्दोलन में भाग लेने के कारण उसे फिर एक वर्ष के लिए कड़ा कारावास दिया जाता है। वह अपने दोनों बच्चों को अपने घर एक कहारिन (पानी भरने वाली) के सहारे छोड जाता है। उसे देश के लिए जीवन उत्सर्ग में कोई हिचक नहीं। गौरी समाचार-पत्र में उसके बलिदान के बारे में पढ उसके बच्चों की देखभाल के लिए उसके घर कानपुर चली जाती है। उसके लौटने पर वह उसके चरणों की धूलि अपने माथे लगाती है। 

केवल सैनिक बनकर सीमा रेखा पर जाकर शत्रु से युद्ध करना या शहीद होना देश सेवा नहीं है। सैनिकों की और उसके परिवार की सेवा एवं सहायता करना भी देश सेवा है। सैनिक जब घर की तरफ से निश्चिंत होकर जाता है तो वह बड़े उत्साह के साथ शत्रु के दाँत खट्टे करता है। यहाँ गौरी ने जो किया वह एक आदर्श है। हमें गौरी के कार्यों से प्रेरणा मिलती है। घर में बैठे भी देश की सेवा की जा सकती है। सैनिक के लिए स्वैटर बुनकर भेजना या कोई दूसरी सेवा का कार्य करना देश प्रेम का रूप है। अत: सुभद्रा कुमारी द्वारा दर्शाये नए तथ्य का हमें स्वागत करना चाहिए और देश की सेवा करनी चाहिए।
 
प्रश्न. 'गौरी' के विवाह की चिंता माता-पिता को क्यों थी और उसके लिए क्या-क्या प्रयास किये गए ? 

उत्तर- हर माता-पिता को अपनी जवान होती बेटी को देख विवाह की चिंता होती है। माता-पिता अपनी बेटी के हाथ पीले करके निश्चिंत होना चाहते हैं। उसके लिए वे अथक प्रयास भी करते हैं। 'गौरी' कहानी में भी गौरी के पिता राधाकृष्ण और माता कुंती चाहती हैं कि अठारह साल पूरे करके उन्नीसवें साल में जाने वाली और पूनम के चाँद की तरह बढ़ने वाली बेटी गौरी के हाथ जल्दी पीले किये जाएँ। दोनों को बेटी की चिंता है। वे योग्य वर ढूँढकर निश्चिंत होना चाहते हैं। उसके लिए यथेष्ट संपत्ति भी चाहिए।
 
वर ढूँढने के प्रयास में राधाकृष्ण जी कई प्रयास करते हैं। वे एक लड़के को देखने कानपुर जाते हैं। वहाँ युवक के स्थान पर उन्हें 35-36 वर्ष के सीताराम जी मिले, जो पहली पत्नी के मर जाने के कारण अपने बच्चों की देखभाल के लिए दूसरा विवाह करना चाहते थे। सीताराम जी अपने दोनों बच्चों के साथ गौरी को देखने आए। गौरी और उसकी माँ कुंती सीताराम जी के स्वभाव और उसकी महानता से प्रभावित हुए। बच्चे भी बड़े प्यारे थे। पर राधाकृष्ण जी नहीं चाहते थे कि उनकी बेटी किसी के घर 'धाय' बन कर जाए। अतः दूसरे वर की खोज शुरू हुई।
 
दूसरा वर एक नायब तहसीलदार था जो 24-25 वर्ष का बदशकल युवक था। राधाकृष्ण जी के मन को वह भा गया। कुंती ने भी इसे स्वीकारा परंतु गौरी ऐसे आरामपरस्त और देशवासियों को हानि पहुँचाने वाले युवक के स्थान पर देशप्रेमी, नम्र और सादगी की प्रतिमा सीताराम के साथ विवाह करना अधिक पसंद करती थी।
 
भले ही माता-पिता ने बेटी गौरी के मन की बात जानने की चेष्टा नहीं की और अपनी इच्छा उस पर थोपने का प्रयास भी करते रहे। माता-पिता सदा बच्चों का भला ही सोचते हैं और उन्हें अनुभव भी अधिक होता है। बेटियाँ बेचारी लज्जावश कुछ नहीं कह पाती। गौरी ने साहस दिखाया। वह माँ से कहकर अपने नौकर के साथ कानुपर सीताराम जी के घर चली गई। यह उसके लिए योग्य वर था। 

प्रश्न. “किसी विलासी युवक की पत्नी बनने की बजाए मैं इन भोले-भाले बच्चों की माँ बनना पसंद करूंगी।" यह निर्णय किसका था? क्या यह निर्णय उचित था?
 
उत्तर- प्रस्तुत पंक्तियाँ श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान की कहानी 'गौरी' से ली गई हैं। उपरोक्त पंक्तियाँ गौरी ने कहीं। वह सीताराम जी के विवाह के बारे में कहे गए स्पष्ट वक्तव्य से प्रभावित हुई थी। उसकी देशभक्ति की बातें सुन गौरी ने उस महापुरुष को मन-ही-मन प्रणाम किया। उसने बच्चों को प्रेम-भरी दृष्टि से देखते हुए उपरोक्त पंक्ति कही।

गौरी द्वारा लिया गया निर्णय सर्वथा उचित था। उसे अपना जीवन बिताना था। उसके सामने दूसरे 'वर' नवयुवक का प्रस्ताव था। उस नवयुवक नायब तहसीलदार को उसके माँ-बाप ने बिना बेटी से पूछे स्वीकार किया था। विवाह कीं तैयारियाँ शुरू हो गई थीं। गौरी विनयी, नम्र और सादगी की प्रतिमा सीताराम जी का इसलिए सम्मान करती है क्योंकि वे देशभक्त, त्यागी और वीर महापुरुष थे। इसके विपरीत दूसरा वर नायब तहसीलदार चाँदी के चंद टुकड़ों पर बिकने वाला युवक था। उसने दोनों की तुलना करके उचित निर्णय लिया। उसने माता-पिता की इच्छा के विरुद्ध कानपुर जाकर सीताराम जी के घर एवं उसके बच्चों को संभाला। जब सत्याग्रह में भाग लेने के कारण मिले एक वर्ष के कड़े कारावास के दण्ड को भोग कर सीताराम जी वापिस आए तो गौरी ने उनके चरणों की धूल को अपने माथे लगा लिया।

प्रश्न. 'अरे, नहीं-नहीं, वह आदमी कपटी नहीं है। उनके भीतर कुछ और बाहर कुछ हो ही नहीं सकता, हृदय तो उनका दर्पण की तरह साफ है। ''– प्रस्तुत कथन को स्पष्ट करते हुए सीताराम जी के चरित्र की विशेषताएँ लिखिए।
 
उत्तर- श्रीमती सुभद्राकुमारी चौहान द्वारा लिखित 'गौरी' कहानी एक चरित्र प्रधान, नारी समस्या पर आधारित कहानी है। गौरी राधाकृष्ण जी की एकमात्र कन्या थी जिसके विवाह की चिन्ता गौरी के पिता को सता रही थी। वे अपनी बेटी के लिए योग्य वर की तलाश में थे। वह जब सीताराम जी को देखने गए तो वहाँ से निराश होकर लौटे। उन्होंने अपनी पत्नी कुंती को बताया कि वह लड़का नहीं 35-36 वर्ष का आदमी है जिसके दो बच्चे भी हैं। वह बच्चों की परवरिश के लिए विवाह करना चाहते हैं। उन्हें पत्नी नहीं बच्चों के लिए एक धाय चाहिए। राधाकृष्ण जी सीताराम को लड़की देखने का निमंत्रण देकर आए पर उन्होंने लड़की देखने से मना कर दिया। अंत में बहुत समझाने पर वह गौरी को देखने आने के लिए तैयार हो गए। गौरी सीताराम जी की देशभक्ति, सरलता, सादगी व चरित्रवान इन्सान जैसे गुणों के बारे में सुनती है तो उन्हें मन ही मन प्रणाम करती है और सीताराम के दोनों बच्चों को ममत्व से देखती है।
 
गौरी दोनों बच्चों के साथ कमरे में रहती है। बच्चे भी उसके साथ हिल-मिल जाते हैं और अपने पिता की शिकायतें करते हैं। काफी देर बाद सीताराम जी बोले कि "समय बहुत हो चुका है, अब चलूँगा, नहीं तो शाम को ट्रेन न मिल सकेगी।" फिर राधाकृष्ण जी की ओर देखकर बोले- “आप लोगों से मिलकर बहुत प्रसन्नता हुई, लड़की तो आपकी साक्षात् लक्ष्मी है और यह मैं जानता था कि आपकी लड़की ऐसी ही होगी, इसलिए देखने को आना नहीं चाहता था।"
 
सीताराम जी के चरित्र में कई विशेषताएँ हैं जो उनको एक आदर्श पुरुष बनाती हैं। गौरी भी उन्हें मन से सम्मान देती है। उनके चरित्र की कुछ विशेषताएँ इस प्रकार हैं- 
  • सच्चे, सरल व सादगी पसन्द - सीताराम जी 35-36 वर्ष के व्यक्ति है, जिनके 2 बच्चे हैं। पत्नी का देहान्त हो चुका है। अतः बच्चों की परवरिश के लिए विवाह करना चाहते हैं। उनकी सादगी व सरलता इन पंक्तियों में देखी जा सकती है। "बच्चे भी वही खादी के कुरते और हाफपैंट पहने थे, न जूता, न मोजा, किसी प्रकार का ठाट-बाट ।" राधाकृष्ण जी उनके सीधेपन के विषय में कहते हैं-"रूप रंग नहीं, रहन-सहन बहुत खराब है। इतनी सिधाई भी तो अच्छी नहीं होती कि जिसके पीछे आदमी आदमी न दिखे।"
  • निश्छल हृदय - सीताराम जी बड़े निश्छल हृदय व्यक्ति हैं, छल-कपट से दूर। जब राधाकृष्ण जी उनके घर से आकर कुंती को बताते हैं- "वे तो अपने बच्चों के लिए एक धाय चाहते हैं, पर मेरी लड़की की तो दूसरी शादी नहीं है, और ये तो साफ-साफ कहते हैं कि मैं बच्चों के लिए विवाह करना चाहता हूँ।"कुंती कहती है कि जिन्हें विवाह नहीं करना होता वे ऐसा ही कह देते हैं। बच्चों के ही बहाने तो शादी करते हैं। तब राधाकृष्णजी कुंती से कहते हैं- 'अरे, नहीं नहीं, वह आदमी कपटी नहीं है, उनके भीतर कुछ और बाहर कुछ हो ही नहीं सकता, हृदय तो उनका दर्पण की तरह साफ है।'
  • देशभक्त - सीताराम जी एक सच्चे देशभक्त हैं। उनका पहनावा भी खादी का कुरता, गाँधी टोपी तथा पैरों में फटी सी चप्पल है। देश के लिए कई बार जेल भी जा चुके हैं। गौरी ने अपने पिता से सीताराम जी के बारे में जो कुछ सुना उससे वह बहुत प्रभावित हो गई। उन्होंने विवाह करने का कारण दिया कि "मुझे पत्नी की उतनी जरूरत नहीं, जितनी इन बच्चों को जरूरत है एक माँ की, मेरा क्या ठिकाना आज बाहर हूँ तो कल जेल में।"गौरी ने मन ही मन इस महापुरुष के चरणों में प्रणाम किया और सोचने लगी- "किसी विलासी युवक की पत्नी बनने के बजाय में इन भोले-भाले बच्चों की माँ बनना पसन्द करूँगी।"
  • स्त्रियों का सम्मान करने वाले -सीताराम जी स्त्रियों को भोग विलास की वस्तु नहीं मानते थे। वह उन्हें सम्मान की दृष्टि देखते हैं। जब गौरी के पिता उनसे लड़की देखने की बात कहते हैं तो वे मना कर देते हैं कहते हैं- "नहीं साहब! मैं लड़की देखने न आऊँगा। इस तरह लड़की देखकर मुझसे किसी लड़की का अपमान नहीं किया जाता।"
इस प्रकार हम देखते हैं कि सीताराम जी का चरित्र एक आदर्श चरित्र है। वह एक नेक इन्सान होने के साथ ही अच्छे पिता भी हैं, उन्हें जेल में भी अपने बच्चों की चिन्ता रहती है। उनके विनयी, नम्र, सादगी की मूर्ति तथा देशभक्त रूप को देखकर गौरी सीताराम जी के बच्चों की माँ बनना स्वीकार कर लेती है। 

 

MCQ Questions with Answers Gauri Subhadra Kumari Chauhan


बहुविकल्प उत्तर प्रश्न 
१. सुभद्राकुमारी कुमारी चौहान का जन्म कब हुआ था ?

a. १८८० 
b. २००३ 
c. १९०४ 
d. १९४७ 

उ. c. १९०४ 

२. गौरी कहानी का मुख्य पात्र कौन है ?

a. कुंती 
b. गौरी 
c. सीता 
d. जानकी 

उ. b. गौरी 

३. गरम गरम जलेबी कौन ख़रीदा था ?

a. सीताराम 
b. कुंती 
c. राधाकृष्ण 
d. गौरी 

उ. a. सीताराम 

४. बाबू राधाकृष्ण की कितनी संतानें हैं ?

अ. एक 
b. तीन 
c. चार 
d. दो 

उ. a. एक 

५. बाबू राधाकृष्ण की क्या समस्या थी ?
a. बेटी की शादी 
b. घर बनाने की . 
c. पत्नी बीमार थी . 
d. आर्थिक परेशानी 

उ. a. बेटी की शादी 

६. सीताराम के कितने बच्चे थे ?

a. दो 
b. तीन 
c. एक 
d. चार 

उ. a दो 

७. सीताराम जी जेल किसलिए गए थे ?

a. चोरी करने के आरोप में . 
b. मारपीट किये थे . 
c. स्वतंत्रता आन्दोलन में 
d. असहयोग आन्दोलन 

उ. c . स्वतंत्रता आन्दोलन 

8. सीताराम जी शादी क्यों करना चाहते थे ?

a. उनकी पहली पत्नी मर गयी थी .
b. बच्चों को सँभालने के लिए . 
c. अकेलापन दूर करने के लिए 
d. जीवन को खुशहाल बनाने के लिए 

उ. b. बच्चों को सँभालने के लिए 

९. बाबू राधाकृष्ण कानपुर क्यों गए थे ?

a. घूमने के लिए 
b. रिश्तेदार से मिलने के लिए 
c. बेटी की शादी तय करने के लिए 
d. मित्र से मिलने के लिए 

उ. c. बेटी की शादी तय करने के लिए . 

१०. सीताराम किस तरह के व्यक्ति थे ?

a. धूर्त आदमी 
b. व्यापारी थे 
c. एक देशभक्त थे 
d. गांधीवादी नेता थे . 

उ. c. एक देशभक्त थे . 

11. गौरी पाठ किस तरह के कहानी है ?

a. देशप्रेम से युक्त 
b. चरित्र प्रधान कहानी 
c. सामाजिक कहानी 
d. राजनितिक समस्या 

उ. b. चरित्र प्रधान कहानी 

१२. गौरी की उम्र कितनी है ?

a. १९ 
b. ३५
c. १८ 
d. २५ 

उ. a. १९ 

१३. गौरी का चरित्र किस प्रकार का है ?

a. सुशील व पतिपरायण 
b. सामाजिक एवं पारिवारिक 
c. आत्मकेंद्रित 
d. स्वार्थपरक 

उ. b. सामाजिक एवं पारिवारिक 

१४. सीताराम जब जेल गए ,तब उनके बच्चों को कौन संभालता था ?

a. गौरी 
b. पडोसी 
c. सीताराम के माता-पिता 
d. पड़ोस की कहारिन 

उ. d. पड़ोस की कहारिन 

१५. गौरी किसे लेकर कानपुर गयी ?

a. नौकर के साथ 
b. पिताजी के साथ 
c. पडोसी के साथ . 
d. स्वयं अकेली 

उ. a. नौकर के साथ 

१६. गौरी का पहला विवाह किसके साथ तय हुआ था ?

a. एक तहसीलदार के साथ 
b. पढ़े लिखे युवक के साथ 
c. सीताराम जी के साथ 
d . एक ग्रामीण युवक के साथ 

उ. a. एक तहसीलदार के साथ 

१७. गौरी कानपुर क्यों जाती है ?
a. बच्चों की देखभाल करने . 
b. घूमने के लिए 
c. एक रिश्तेदार से मिलने के लिए 
d. माता-पिता को तीर्थयात्रा करवाने 

उ. a. बच्चों की देखभाल करने 

१८. "निढाल होकर कुर्सी पर बैठ गए " कौन कुर्सी पर बैठ गया ?
a. बाबू राधा कृष्ण जी .
b. कुंती 
c. सीताराम जी 
d. दो बच्चे 

उ. a. बाबू राधाकृष्ण जी 

१९. राजद्रोह के आरोप में किसे सजा हुई थी ?

a. कुंती को 
b. राधाकृष्ण 
c. सीताराम जी को 
d. तहसीलदार को 

उ. c. सीताराम जी को 




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