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सती कहानी शिवानी
Sati Story by Shivani in Hindi
सती कहानी शिवानी पाठ का सार summary of sati - सती कहानी शिवानी जी द्वारा लिखित एक प्रसिद्ध कहानी है। प्रस्तुत कहानी में आपने यात्रा के समय सावधानी बरतने के सलाह दी है। कहानी का प्रारम्भ प्रयाग स्टेशन के खचाखच भीड़ से होती है। लेखिका को गाड़ी पकड़नी थी ,वह रिजर्वशन स्लिप पर अपना नाम देखकर गाड़ी में चढ़ जाती है। जिस डिब्बे में लेखिका चढ़ती है ,उसमें तीन महिलाएँ भी थे।उनमें एक पंजाबी महिला थी ,जिसके पति की भारत विभाजन के समय में हत्या कर दी गयी थी।वर्तमान में वे आश्रम की संचालिका है।वे जासूसी उपन्यास पढ़कर अपनी यात्रा को मनोरंजक बनाने जा रही थी।दूसरी ओर एक महिला अपनी वेश -भूषा से महाराष्ट्री लग रही है। उन्होंने वार्तालाप द्वारा अपना परिचय नहीं दिया।उनके सामान पर लगे लेबल से पता चला कि वह मेजर जनरल बनोलकर की पत्नी है। वह एक मराठी पत्रिका पढ़ रही थी।
लेखिका स्वयं कम सामान लेकर चल रही थी। सामान के नाम पर उनके पास मात्र एक बटुवा था। गाड़ी के सीटी देते ही एक महिला का प्रवेश होता है।उनके हाथ में बेंट की बानी एक छोटी टोकरी तथा बगल में एक बैग लटकाये थी।उसका कद ६ फुट और साढ़े दस इंच था।उसने अपने परिचय देते हुए कहा कि उसका नाम मदालसा सिघड़ियाँ है। वह कल ही प्रिटोरिया से भारत आयी है।अपने मृत पति के लिए वह सती होने आयी है। उसने बताया कि पिछले वर्ष पर्वतारोही दल के साथ मेरे पति भारत आये थे। तूफ़ान के नीचे दब जाने से उनकी मृत्यु हो गयी।इसिलए वह भारत में सती होने आयी है।तीनो महिलाएं उनकी बातें सुनकर हैरान रह गयी ।
पंजाबी महिला ,जो कि समाज सेविका थी ,उसने उसे समझाने की कोशिश की।पति के अंतिम संस्कार के बाद पंजाब स्थित अपने आश्रम में आने के लिए कहा।इस प्रकार मदालसा ने कहा कि मुझे ब्रह्मा भी सती होने रोक नहीं सकते हैं।उसकी नानी और माँ भी सती हुई थी। अतः सती होना उसके परिवार की परंपरा है। गुशलखाने में हाथ मुँह धोने के बाद मदालसा ने सबको खाने के लिए निमंत्रित किया।उसने अपना टिफिन निकाल सबको खिलाया।कचौड़ियाँ ,रायता , चटनी और मेवा जड़े लड्डू देखकर सभी ने खूब छककर खाया। खाना खाने के बाद उसने सबको केवड़ा ,इलाइची और सुपारी से भरा पान खिलाया।खाना खाने के बाद महिलाओं में सती प्रथा को लेकर बहस छिड़ गयी। थोड़ी देरी सबको नींद आने लगी।मदालसा ने सबको गुड नाईट कहा। तीनों महिलाएँ गहरी नींद में सो गयी और तरह - तरह के सपने देखने लगी।जब सुबह सबकी नींद खुली ,तो देखा कि मदालसा गायब है।सबका सामान लेकर वह गायब हो गयी है।समाज सेविका का सेविका का सूटकेस ,जिसमें आश्रम के दस हज़ार रुपये थे। मराठी महिला के स्टील के बक्स ,जिसमें सोने के हार थे।लेखिका के बटुए में पचपन रुपये और एक फर्स्ट क्लास की वापसी का टिकट था।चैन खींचकर किसी प्रकार गाड़ी को रोका गया।समाज सेविका ने पुलिस को खबर की ,लेकिन उस चोरनी का कहीं पता नहीं लगा।
सती कहानी शिवानी पाठ का उद्देश्य /story sati by shivani
प्रस्तुत कहानी सती में शिवानी जी ने आम जनता को जागृत करने का प्रयास किया है. यात्रा के समय ,सहयात्रियों पर विश्वास नहीं करना चाहिए। उनके द्वारा दिए गए खाद्य पदार्थ पर सावधानी से नज़र रखनी चाहिए। हम आये दिन समाचार पत्रों में इस तरह की ख़बरें पढ़ते हैं ,लेकिन फिर भी सजग होने का प्रयास नहीं करते हैं। प्रस्तुत कहानी में तीन महिलाएँ प्रयाग स्टेशन से अपने गंतव्य के लिए ट्रैन में बैठती हैं। तभी एक मदालसा नाम की युवती आती है। वह अपने पति की मृत शरीर लेने के लिए प्रिटोरिआ से भारत आयी है।अपने पति की मृत शरीर के साथ ही वह सती होगी। अन्य सहयात्री महिलाएँ उसकी बातों में आ जाती है।वह सभी महिलाओं को कचौड़ियाँ ,रायता ,चटनी ,लडडू खिलाती है। साथ ही केवड़ा ,इलाइची और सुपारी से मिश्रित पान खिलाती है। यह सब खा कर सभी महिलाएँ गहरी नींद में सो जाती है और इसी बीच मदालसा ,सबके सामान को लेकर चम्पत हो जाती है।
इस प्रकार लेखिका ,पाठकों को यह समझाना चाहा है कि इस प्रकार की महिलाओं से सावधान रहना चाहिए। ये महिलाएँ अन्य लोगों को रूढ़ियों के नाम पर सहानुभूति बटोरती है और मूर्ख बनाकर धन -सामान लूटकर चम्पत हो जाती है।
कहानी के अंत में हम यह पाते हैं कि समाज सेविका जिस मदालसा को सती होने से बचाने के लिए कह रही थी ,वह अंत में गुस्से से सती की बच्ची कहती है और पुलिस में रिपोर्ट करती है।अतः लोगों को अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखना चाहिए और मदालसा जैसी महिलाओं से झाँसे में नहीं आना चाहिए।
सती कहानी शिवानी शीर्षक की सार्थकता
सती कहानी शिवानी जी द्वारा लिखित एक प्रसिद्ध कहानी है। प्रस्तुत कहानी में आपने यात्रा के समय सावधानी बरतने के सलाह दी है। सती कहानी का शीर्षक पढ़ते ही ,हमारे मन में यह प्रश्न उठता है कि सती कौन कौन है ? और आज के समय में कौन सती होने जा रहा है। प्रयाग स्टेशन में तीनों महिलाएँ अपने गंतव्य में रवाना होती है। इसी बीच चौथी महिला मदालसा आती है। वह सती हो जाने का ढोंग रचती है। सहयात्री महिलाएँ को उससे सहानुभूति हो जाती है। इसी प्रकार वह सहयात्री महिलाओं को खाद्य पदार्थ खिलाती है। खाद्य पदार्थ खाते ही सबको नींद आने लगती है और वह सबका सामान लेकर चम्पत हो जाती है। इसीलिए यात्रा के समय ,सहयात्रियों पर विश्वास नहीं करना चाहिए। उनके द्वारा दिए गए खाद्य पदार्थ पर सावधानी से नज़र रखनी चाहिए।
कहानी का शीर्षक बहुत सरल ,संक्षिप्त व पाठकों की जिज्ञासा को जागृत करने वाला है। पाठक की उत्सुकता बानी रहती है।अंत में मदालसा को समाज सेविका द्वारा सती की बच्ची कही जाती है, जो कि सबको चकमा देकर गायब हो जाती है।अतः सती शीर्षक सार्थक व उचित है।
सती कहानी के आधार पर मदालसा का चरित्र चित्रण
सती कहानी में शिवानी ने यात्रा में चोरी की समस्या को उजागर किया है। कहानी की पात्र योजना कहानी के अनुरूप है। इस कहानी में कुल चार पात्र हैं, जिनमें मदालसा का चरित्र प्रमुख है। इसी पात्र ने कहानी के उद्देश्य की पूर्ति में अधिक योगदान दिया है। इसी पात्र ने पाठकों को सर्वाधिक प्रभावित किया है। उसके चेहरे पर रौब था पर लावण्य नहीं। शरीर डील-डौल वाला था पर सुन्दरता नहीं थी। मदालसा के चरित्र मे निम्नलिखित विशेषताएँ दृष्टिगत होती हैं -
- शारीरिक बनावट - मदालसा का प्रस्तुत कहानी में परिचय उसकी शारीरिक बनावट के साथ हुआ है। मदालसा की लम्बाई-चौड़ाई उसके नकारात्मक व्यक्तित्व को और पुष्टता प्रदान करती है। उसका कथन देखिए- "केम बेन, बहुत लम्बी हूँ न मैं।"
- व्यवहारकुशल- मदालसा व्यवहार में कुशल थी। उसने बड़ी शीघ्रता से अपनी बातों के व्यवहार से अपने सहयात्रियों के साथ निकटता स्थापित कर ली। उसकी बातों और व्यवहार से ही तीनों सहयात्री प्रभावित हो जाती हैं। अन्ततः वे तीनों भी उसके साथ खाना खाने को तैयार हो जाती हैं। उन्होंने अनुभव किया- “उसकी भुवनमोहिनी हँसी ने हमें पराजित कर दिया।"
- संवाद में निपुण - मराठी महिला ने जब कहा कि वह हिन्दी नहीं जानती, तब मदालसा ने त्रुटिहीन अंग्रेजी में धारा प्रवाह भाषण झाड़ दिया। वह उसकी संवाद में निपुणता को व्यक्त करता है। इतना ही नहीं, मदालसा ने ही सर्वप्रथम बातचीत का सिलसिला शुरू किया। लेखिका के अनुसार - "फिर वे दनादन हमारा इंटरव्यू लेने लगीं। पहला प्रहार मुझ पर ही हुआ। समाजसेविका ने रुक-रुककर दो-तीन रूखे उत्तरों के चाँटे धर दिये।"
- कुशल अभिनेत्री - मदालसा की अभिनय कला विशिष्ट थी। उसके अभिनय में कहीं कोई बनावटीपन नहीं था। उसके अभिनय का प्रभाव इतना प्रबल था कि तीनों सहयात्रियों ने उसके द्वारा सुनाई गई घटना को सच मान लिया। उसने अपने अभिनय में इस प्रकार की सहजता रखी कि उसके सहयात्री महिलाओं को पता ही नहीं चला कि वह झूठ भी हो सकता है।
अन्त में कहा जा सकता है कि 'सती' कहानी में मदालसा एक ऐसी पात्र है जिसने कहानी की सफलता में सबसे अधिक योगदान दिया है। उसके चरित्र से पाठक प्रभावित हुए बिना नहीं रहते ।
सती कहानी के प्रश्न उत्तर
प्रश्न . सती कहानी के आधार पर शिवानी जी की भाषागत विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर - हिन्दी साहित्य में शिवानी एक जाना पहचाना नाम है। इन्होंने काफी सारे उपन्यास, कहानियाँ, आलेख और निबंध लिखकर हिन्दी साहित्य को अपना योगदान दिया है। इनके लेखन में भावों का सुंदर चित्रण, भाषा की सादगी तो होती ही थी साथ ही साथ पहाड़, वहाँ रहने वाले भोले लोग और वहाँ की संस्कृति का भी जीता जागता वर्णन होता था ।
भाषा के प्रयोग में लेखक को देश, काल, वातावरण, पात्रों की पात्रता अर्थात् चरित्र की अनुकूलता का ध्यान रखना आवश्यक है। कहानीकार के विषयवस्तु, पाठक और पात्र के अनुरूप भाषा का प्रयोग करने से पाठक को उसी अनुभूति का आभास होगा जिसकी लेखक ने अभिव्यक्ति करनी चाही है। भाषा में सरलता, प्रवाहमयता और बोधगम्यता होनी चाहिए। कहीं-कहीं भाषा में काव्यात्मकता का प्रदर्शन भाषा को प्रभावशाली बनाने में सहायक होता है। शब्द भण्डार सटीक व समृद्ध होना चाहिए। सूक्तियों और मुहावरों का प्रयोग भाषा को प्रवाहपूर्ण, प्रभावशाली व आकर्षक बनाने में सहायक होता है। शब्दों का चयन भावों के अनुकूल होना ही लेखक की सफलता का रहस्य होता है।
प्रस्तुत कहानी भाषा की दृष्टि से एक समृद्ध कहानी है। कहानी में भाषा के प्रयोग में शिवानी जी ने पात्रों के चरित्र के अनुकूल ही भाषा का प्रयोग किया है। इस कहानी में शिवानी जी की भाषा सरल, प्रवाहमय तथा बोधगम्य है। शिवानी के शब्दों का चयन भावों के अनुकूल हैं। शिवानी जी की भाषा की एक बानगी देखिए- "तो क्या आप अपने 'हसबैण्ड' का 'डैड बॉडी' लेकर प्रिटोरिया फ्लाई करेगा ?"
सती कहानी में मराठी महिला जो कि प्रारंभ में यह कहती है कि उसे हिन्दी बोलना नहीं आती उसका यह संवाद उसके कथन को प्रमाणित करता है, जिसमें हिन्दी की अपेक्षा अंग्रेजी के शब्द अधिक हैं।
प्रश्न. रेलगाड़ी के एक डिब्बे में यात्रा करने वाली चार देवियों में से कौन चालाक थी और वह अपने उद्देश्य में कैसे सफल हुई?
उत्तर- अर्ध-कुम्भ के मेले के अवसर पर प्रयाग स्टेशन पर अपार भीड़ थी। रेलगाड़ी खचाखच भरी थी। उस गाड़ी के एक डिब्बे में तीन महिलाएँ सवार थीं। उनमें एक लेखिका थी, जो पढ़ी-लिखी और समझदार थी। सफर में थोड़े सामान, के साथ सफर करना उसकी समझदारी का सबूत था। दूसरी जो पंजाबी महिला थी, एक सूटकेस, टोकरी, बिस्तर के साथ एक सुराहीदान को साथ लेकर चल रही थी। वह एक समाज-सेविका थीं। भारत विभाजन के समय उसके पति की हत्या हो गई थी। अतः अब वह दीन-दुखियों की सेवा करती थी। समाज सेविका को जासूसी उपन्यास पढ़ने का शौक था। अतः वह गाड़ी में यही काम कर रही थी। वह विदेश से आई थी और अब लखनऊ में किसी 'समाज कल्याण गोष्ठी' में भाग लेने जा रही थी।और तीसरी एक महाराष्ट्री महिला थी जो स्वल्पभाषिणी, सुंदर प्रौढ़ा थी। उसके पति का नाम था-मेजर जनरल बनोलकर।वह डिब्बे में किसी कुशल मराठी कथा लेखक की रोचक कथा को पढ़ रही थी। उसके गोरे रंग पर लाल शोलापुरी साड़ी जच रही थी।
चौथी महिला मदालसा थी जो अपने को मदालसा सिंघाड़िया कह कर पुकार रही थी। उसका कद था छ: फुट साढ़े दस इंच। वह त्रुटिहीन अंग्रेज़ी में धाराप्रवाह भाषण दे सकती थी। मदालसा पठानिन-सी गठे-कसे शरीर वाली लावण्यमयी गतयौवना थी। वह धानी रेशमी साड़ी में बड़ी सुंदर लग रही थी।
उन चार देवियों में से चालाक चौथी महिला मदालसा थी। वह सती होने का नाटक कर रही थी। आज के युग में सती होना एक अचम्भित करने वाली बात है। उस चालाक स्त्री ने तीन महिलाओं की सहानुभूति पाने के लिए अपने पति के साथ सती होने की बात कही। वह प्रिटोरिया से भारत अपने पति नीलरतन के साथ सती होने के लिए आई थी। वह उसके प्रिय पानदान के साथ सती होने की बात कह रही थी। तीनों महिलाओं ने उसे ऐसा कदम बढ़ाने से रोका । पर वह इसे अपना खानदानी रोग कह रही थी। उसकी परनानी, नानी और माँ भी सती हुई थीं। अब वह बिना किसी हिचकिचाहट के खुशी-खुशी सती होने की बात कर रही थी।
मदालसा अपनी योजनानुसार बिना किसी घबराहट के काम कर रही थी।उसने पहले तीन महिलाओं की सहानुभूति प्राप्त की। फिर उसने नशीले विष से युक्त स्वादिष्ट भोजन को उन तीनों महिलाओं को खिलाया। उनके बेहोश होने पर वह चम्पत हो गई। वह जिस उद्देश्य से आई थी, उसमें सफल हुई। वह उनका धन और गहने लेकर चम्पत हो गई। पर पुलिस उसे कभी नहीं पकड़ पाई। उसकी चालाकी की कहानी पढ़कर हमें यात्रा में सावधान होने की शिक्षा मिली।
प्रश्न. महाराष्ट्री महिला कौन थी? उसका परिचय देते हुए बताइये कि मदालसा के बारे में उसके क्या विचार थे?
उत्तर- महाराष्ट्री महिला मेजर जनरल बनोलकर की पत्नी थी। उसकी बड़ी आँखें थीं। वह स्वल्पभाषिणी थी। वह गोरे रंग की थीं। उनके गोरे रंग पर लाल शोलपुरी साड़ी अति सुंदर लग रही थी। उसके बड़े-बड़े सिर के बाल थे। गोल परिपाटी. से उसने सिर पर जूड़ा बाँधा था। कानों में कर्णफूल थे और गले में दुहरी लड़ी का मंगलसूत्र था। वह मंगलसूत्र को बार-बार अपने दाँतों में दबा ले रही थी। उन्हें मराठी पत्रिका की एक कहानी पढ़ने में बड़ा आनंद आ रहा था। कभी वह कहानी पढ़ते-पढ़ते मुस्कराती थीं और कभी उदासी से गर्दन मोड़ लेती थीं।
'मदालसा' जो अपने को नीलरतन की पत्नी बता रही थी और अपने मृत पति के साथ सती होने की बात कह रही थी, वास्तव में वह तीन महिलाओं की सहानुभूति प्राप्त कर उन्हें अपने जाल में फंसाना चाहती थीं।
लेखिका के महाराष्ट्री महिला से पूछने पर कि क्या मदालसा सचमुच 'सती' होने जा रही है, तो इस पर उस महिला ने अपना विचार व्यक्त किया। उसके विचार से मरने वाला कभी ढिंढोरा पीटकर नहीं मरता। फिर उसने कहा कि हमको तो इसका स्क्रू ढीला लगता है। माथे की ओर उंगली घुमाते हुए उसने कहा कि इस जमाने में कोई सती-फती नहीं होता।
वास्तव में देखा जाए तो वह सत्य कह रही थी। पढ़ी-लिखी और समझदार होते हुए भी वह नहीं समझ पाई कि मदालसा सबको बेककूफ बना रही है। वह चकमा देकर सबको लूटना चाहती थी। मदालसा इतनी चालाक थी कि वह पहले सबकी सहानुभूति प्राप्त करने में सफल हुई और बाद में वह नशीला भोजन खिलाकर सामान के साथ रात के अंधेरे में गायब हो गई।
सवेरा होते ही सबको सिर दर्द और चक्कर की शिकायत थी।महाराष्ट्री महिला का स्टील का वह बक्सा जिसमें उसके विवाह का जड़ाऊ सेट था, गायब था। उसके मुँह से निकला कि बच्ची हमें विष खिलाकर गायब हो गई है।
प्रश्न. “पर आज तक पुलिस उस सती मैया के फूल नहीं चुन पाई" - 'उस सती मैया' का परिचय देते हुए प्रस्तुत कथन में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- प्रस्तुत कहानी 'सती' लेखिका 'शिवानी' द्वारा लिखित है। लेखिका प्रयाग के रेलवे स्टेशन से गाड़ी पकड़ती है। वह रिजर्व डिब्बे में बैठती है जहाँ दो महिलाएँ एक महाराष्ट्र से व दूसरी पंजाबी महिला आकर बैठती हैं। जैसे ही गाड़ी ने सीटी दी ठीक उसी समय चौथी महिला ने डिब्बे में प्रवेश किया। उसके हाथ में बेंत की बनी एक छोटी टोकरी थी और काँख में चौकोर बटुआ दया था। वह गाड़ी के एक धक्के के साथ सीट पर लुढ़क पड़ी। उसे देखकर समाज सेविका ने जासूसी उपन्यास पढ़ना बन्द कर दिया। मराठी महिला मोनालिसा ने चश्मा हाथ में ले लिया और बैठ गई । लेखिका व अन्य दोनों महिलाएं उस चौथी महिला को देखती रह गईं। वह चीज ही देखने लायक थी। तीनों महिलाओं द्वारा घूरने पर वह बोली- "केम बेन, बहुत लम्बी हूँ न मैं"।
उस चौथी महिला का नाम मदालसा सिंघाड़िया था जो प्रिटोरिया से अपने पति की मृत देह लेने आई थी। उसने सबको अपना यही परिचय दिया कि वह छः फीट साढ़े दस इंच की है। शायद भारतीय स्त्रियों में सबसे लम्बी। वह तीनों महिलाओं का इन्टरव्यू लेने लगी।
उसने बताया कि - "असल में पिछले वर्ष, एक पर्वतारोही दल के साथ मेरे पति भारत आए थे वहीं एक एवलैंस के नीचे दबकर उनकी मृत्यु हो गई।"
लेखिका को मदालसा की वेशभूषा से विधवा स्त्री के लक्षण नहीं मिल रहे थे। वह पठानिन-सी गठे बदन की सुन्दर स्त्री थी जिसके बाल कीमती सैलून में कटे-सँवरे लग रहे थे। उसने धानी रेशमी साड़ी पहनी थी। उस महिला ने तीनों को बताया कि - भारत सरकार की सूचना पर वह भारत आई है। उसके पति की मृत देह मिल गई है। एक लम्बी साँस खींचकर वह बोली- "मैं असल में सती होने भारत आई हूँ।"
मदालसा के सती होने की बात पर सब स्तब्ध रह गईं। तीनों महिलाएँ उसे अपने तरीके से समझा रही थीं पर मदालसा बोली-"ना, बैन ना" मैं तो सती होने ही भारत आई हूँ। हाय मेरा नीलरतन, नीलू डार्लिंग।
समाज-सेविका पंजाबी महिला ने उसे फिर समझाना चाहा पर वह बोली- “अब मुझे ब्रह्मा भी अपने निश्चय से डिगा नहीं सकते।"
मदालसा के बात कहने का ढंग ऐसा था कि कोई भी उसकी बातों में आ जाए। उसका आश्चर्यजनक व विलक्षण व्यक्तित्व सबको प्रभावित कर देता था। तीनों महिलाएँ अपना व्यक्तित्व भूल उसी की चिन्ता में मानो घुली जा रही थीं। उसकी सती होने की बात सबके दिल को छू गई। पंजाबी महिला उससे प्रभावित होकर कहती है -
"आँखें नहीं देखीं आपने ? कितनी निष्पाप, पवित्र और उदार हैं।"
अन्त में मदालसा ने जैसे ही नाश्ते का कटोरदान निकाला तो सभी बोली - "हमारे साथ भी तो खाना है, इसे कौन खाएगा ?" वह कहती है - "वाह जी वाह, उसे हम खाएँगी। ईश्वर ने यह छह फीट साढ़े दस इंच का दुर्ग आखिर बनाया किसलिए है?"
लेखिका ने उसकी हँसी को भुवनमोहिनी कहा है, वह अपनी हँसी से सबको सम्मोहित कर लेती थी। एक ठग, लुटेरी महिला के रूप में वह सबको पान में विषैला पदार्थ मिलाकर लूट लेती है। पंजाबी महिला जो स्वयं को पारखी व अनुभवी बताती है, वह कहती है-
“मैं ऐसी भावुक प्रकृति की भोली औरतों को चेहरा देखते ही पहचान लेती हूँ ।" अन्त में मदालसा उसके आश्रम के दस हजार रुपए भी पार कर देती है। पंजाबी महिला पुलिस में खबर देती है पर वह पकड़ी नहीं जाती। लेखिका ने मदालसा को 'सती मैया' कहकर व्यंग्य किया है।
मदालसा नाम की तेज तर्रार महिला ने अपने बातों के जाल में उलझा कर अन्य तीनों महिलाओं को मूर्ख बनाकर अपना स्वार्थ सिद्ध कर लिया। भारत में पति की मृत्यु के साथ ही पत्नी का भी पति के साथ जलकर मर जाने की प्रथा थी। इस कुप्रथा का लाभ उठाकर मदालसा ने भी 'सती' का ढोंग रचा व सबका सामान लेकर चंपत हो गई। पुलिस वाले उस सती मैया को खोजते ही रह गए।
MCQ Questions with Answers Sati Kahani Shivani
बहुविकल्प प्रश्न उत्तर
१. सती कहानी के लेखक का नाम बताओ .
a. मन्नू भंडारी
b. जयशंकर प्रसाद
c. शिवानी
d. महादेवी वर्मा
उ. c. शिवानी
२. लेखिका को गाडी कहाँ से पकडनी थी ?
a. लखनऊ
b. इलाहाबाद
c. प्रतापगढ़
d. प्रयाग
उ. d. प्रयाग
३. सती महिला का पूरा नाम बताएं .
a. मिसेज बनोलकर
b. मदालसा सिंघदिया
c. शिवानी
d. मिसेज वर्मा
उ. b. मदालसा
४. गाडी के कूपे में कुल कितनी सहयात्री थी ?
a. कुल चार
b. दो सहयात्री
c. दस
d. पाँच सहयात्री
उ. a. कुल चार
५. "अरे राम - राम कोई दुर्घटना हो गयी थी क्या ?" इस वाक्य को किसने कहा ?
a. मदालसा ने
b. शिवानी
c. पंजाबी महिला
d. मिसेज बनोलकर
उ. c. पंजाबी महिला
६. मराठी महिला का नाम क्या था ?
a. मिसेज बनोलकर
b. मोनोलिसा
c. मन्नू
d. शिवानी
उ. b. मोनोलिसा
७. किसकी सूचना पर कौन आया था ?
a. पंजाबी महिला मित्र की सूचना पर आई थी .
b. मराठी महिला मित्र की सूचना पर प्रयाग जा रही थी .
c. भारत सरकार की सूचना पर मदालसा भारत आई थी .
d. लेखिका मित्र की सूचना पर लखनऊ जा रही थी .
उ. c. भारत सरकार की सूचना पर मदालसा भारत आई थी .
8. चौथी महिला कौन थी और कहाँ जा रही थी ?
a. चौथी महिला मिसेज बनोलकर थी . वे पंजाब जा रही थी .
b. चौथी महिला लेखिका थी .वे प्रयाग जा रही थी .
c. चौथी महिला मदालसा थी . वे अपने मृत पति का देह लेने जा रही थी .
d. चौथी महिला आश्रम की संचालिका थी .वे लखनऊ जा रही थी .
उ. c. चौथी महिला मदालसा थी . वे अपने मृत पति का देह लेने जा रही थी .
९. सती किसे कहते हैं ?
a. जो मृत पति के चिता के साथ जल जाए उसे सती कहते हैं .
b. विवाहित स्त्री को सती कहते हैं .
c. सत्यवाचक को सती कहते हैं .
d. जो सत्यता के राह पर चले उसे सती कहते हैं .
उ. a. जो मृत पति की चिता के साथ जल जाए उसे सती कहते हैं .
१०. मैं असल में सती होने भारत आई हूँ ." इस वाक्य को किसने कहा ?
a. मदालसा ने कहा .
b. मिसेज बनोलकर
c. पंजाबी महिला
d. लेखिका ने
उ. a. मदालसा ने कहा .
11. समाज सेविका कौन थी और कहाँ जा रही थी ?
a. समाज सेविका पंजाबी महिला थी .वे लखनऊ जा रही थी .
b. मिसेज बनोलकर जो प्रयाग जा रही थी .
c. लेखिका जो दिल्ली जा रही थी .
d. लेखिका एक समाज थी जो लखनऊ जा रही थी .
उ. a. समाज सेविका पंजाबी महिला थी .वे लखनऊ जा रही थी .
१२. मराठी महिला का पति किस पद पर था ?
a. अध्यापक था .
b. पुलिस अधिकारी
c. मेजर जनरल
d. कुलपति
उ. c. मेजर जनरल
१३. सती कहानी किसके ऊपर आधारित है ?
a. मदालसा के ऊपर
b. समाज सेविका के ऊपर
c. समाज के ऊपर
d. परिवार एवं समाज के ऊपर
उ. a. मदालसा के ऊपर .
१४. मदालसा कितने फुट लम्बी थी ?
a. ६ फुट १० इंच
b. ४ फुट २ इंच
c. ५ फुट ६ इंच
d. ७ फुट 8 इंच
उ. a. ६ फुट १० इंच .
१५. सती होने कौन जा रहा है ?
a. पंजाबी महिला
b. मराठी महिला
c. मदालसा
d. लेखिका स्वयं सती होने जा रही थी .
उ. c. मदालसा
१६. सती कहानी किन तथ्यों पर आधारित है ?
a. सामाजिक जागरूकता
b. सती प्रथा पर
c. स्त्री समस्या पर आधारित
d. सामाजिक एवं पारिवारिक समस्या पर आधारित
उ. a. सामाजिक जागरूकता
१७. अर्धकुम्भ का मेला कब लगता है ?
a. पौष महीने में .
b. माघ महीने में .
c. चैत महीने में .
d. सावन महीने में .
उ. b. माघ महीने में
१८. मदालसा पानदान में कैसे पान लेकर उतरी ?
a. बनारसी पान .
b. मघई पान
c. इलायची पान .
d. मैंन सुपारी पान
उ. b. मघई पान
१९. मराठी महिला को क्या उपनाम दिया गया था ?
a. स्वल्पभाषिणी
b. सुंदरी प्रौढ़ा
c. मोनालिसा
d. मिसेज बनोलकर
उ. a. स्वल्पभाषिणी
२० . " हमको तो इसका स्क्रू ढीला लगता है ? यह कथन किसने कहा ?
a. पंजाबी महिला .
b. लेखिका ने .
c. मराठी महिला ने.
d. उपयुक्त सभी ने .
उ. c. मराठी महिला ने.
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जवाब देंहटाएंधनयवाद
जवाब देंहटाएंmadalsa ka charitra chitran bhi daalna cahiye
जवाब देंहटाएंNatak ke rup me likiye
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" 09 अक्टूबर शनिवार 2021 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
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