नई सोच नया आइडिया आजकल नई सोच और नये आइडिया का जमाना है । पुरानी बातों को खारिज कर नई बातों को अपनाने का युग है । जमाने के साथ कंधा मिलाकर चलना ही होगा । मेरे दिमाग में भी नया आइडिया आया है जो मैं आपके साथ साझा करना चाहता हूं ।
नई सोच नया आइडिया
आजकल नई सोच और नये आइडिया का जमाना है । पुरानी बातों को खारिज कर नई बातों को अपनाने का युग है । जमाने के साथ कंधा मिलाकर चलना ही होगा । मेरे दिमाग में भी नया आइडिया आया है जो मैं आपके साथ साझा करना चाहता हूं । अब अपने पास बात रखने के दिन गए । जो भी दिमाग में आए तुरंत उसे शेयर करना ही
आज का चलन है । पहले जमाने में एक कहानी या कविता लिखने पर उसे अपने पास रखा जाता था, उसके बाद उसमें बार-बार सुधार किया जाता था । उसके बाद ही उसे प्रकाशित करने के लिए भेजा जाता था । अब झटपट का जमाना है । लिखने के तुरंत बाद सोशल मीडिया पर उसे शेयर कर दीजिए । तुरंत लाइक मिल जाएंगे । अगर लोगों ने ना पसंद किया तो उसपर बहस होगी । सब झटपट ।
और विलंब न कर हाथोंहाथ अपनी बात कहता हूं । हां, इसमें से कुछ बातों सोशल मीडिया में भी घूम रहे हैं । उसमें से कुछ उधार लाकर अपनी तरह उसे पेश कर रहा हूं ।
लक्ष्य -
पहले जो किया जाता था वह है: पहले लक्ष्य तय किया जाता था । उसके उसे भेद करने के लिए अभ्यास किया जाता था । पहले साधना के बल पर लक्ष्य को साधित किया जाता था । लेकिन अब युग बदल गया है । नया आइडिया । पहले अंधों की तरह गोली चलाओ । तीर चलाओ । जहां निशाना लगा वहीं कहिए कि- यही मेरा लक्ष्य था । उसमें किसी भी तरह की साधना की जरुरत नहीं और लोग भी आपकी तारीफ कर कहेंगे कि आपने कितनी आसानी से लक्ष्य को प्राप्त कर लिया ।
वजन -
मान लीजिए आपका वजन 100किलो है । आपको सभी मोटा कह कर चिढ़ा रहे हैे । आपका मन खराब है । उधर आप वजन कम करने के लिए कुछ करना नहीं चाहते । व्यायाम करके टाइम खराब करना कौन चाहता है ! आप दुसरे तरीके से सोचिए । पृथ्वी में आपका वजन सौ किलो । मंगल में होगा 38 किलो और चंद्र पर सिर्फ 16.7 किलो । क्या समझ रहे हैं ? आपके वजन में कोई मुसीबत नहीं । आप गलत ग्रह में हैं । आपकी जीवनशैली में बदलाव लाने की आवश्यकता नहीं । भोजना कम करने की बिलकुल भी जरुरत नहीं । हो सके तो जितना जल्दी संभव हो दुसरे ग्रह में चले जाएं ।
गंगा माता को दक्षिणा -
आप अगर कभी बनारस गए हों तो आपने जरूर देखा होगा कि ट्रेन गंगा नदी पर से गुजरते समय कईं लोग नदी में सिक्का डालते हैं । उनका विश्वास है कि इससे पूण्य मिलता है । नदी में सिक्के डालने का एक वैज्ञानिक व्याख्या है पहले जमाने में तांबा से सिक्के बनते थे । तांबा पानी को शोधित करता है । इसीलिए नदी में सिक्के डालने को उत्साहित किया जाता था । लोग तो बिना किसी कारण पानी में सिक्के नहीं डालेंगे इसीलिए कहा गया कि नदी में सिक्के डालने पर पूण्य मिलेगा । हमारे देश में समय के साथ असली उद्देश्य गायब हो जाता है । बाद में उसे रीति रिवाज के नाम पर अंध विश्वास बना दिया जाता है । इसीलिए कईं लोग अब भी पूण्य कमाने के लिए नदी में सिक्का डालते हैं । हमारा नवघन नई सोच में विश्वास रखता है । वह ट्रेन से बनारस जा रहा था । लोगों ने ज्यो गंगा नदी में सिक्का डालना शुरु किया नवघन ने चेक निकाला । उसमें धारक की जगह जय गंगे मय्यां लिखकर चेक के कोने में खाता भुगतानकर्ता लिखा । नीचे लिखा एक लाख रुपये । उसके बाद चेक को गंगा में डाल दिया ।
आसपास के लोगों ने उससे पूछा, यह क्या है ? नवघन ने जवाब दिया-भाई, फिलहाल प्रधानमन्त्री देश को कैशलेस इकॉनमी बनाना चाहते हैं । इसीलिए वह कहते हैं कि कैशलेस मतलब कैशलेश । नई सोच । नई योजना
- मृणाल चटर्जी
अनुवाद- इतिश्री सिंह राठौर
मृणाल चटर्जी ओडिशा के जानेमाने लेखक और प्रसिद्ध व्यंग्यकार हैं।मृणाल ने अपने स्तम्भ 'जगते थिबा जेते दिन' ( संसार में रहने तक) से ओड़िया व्यंग्य लेखन क्षेत्र को एक मोड़ दिया।इनका उपन्यास 'यमराज नम्बर 5003' का अंग्रेजी अनुवाद हाल ही में प्रकाशित हुआ है । इसका प्रकाशन पहले ओडिया फिर असमिया में हुआ । उपन्यास की लोकप्रियता को देखते हुए अंग्रेजी में इसका अनुवाद हुआ है।
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