मोहन राकेश का जीवन परिचय mohan rakesh jivan parichay मोहन राकेश का जीवन परिचय इन हिंदी मोहन राकेश का व्यक्तित्व एवं कृतित्व नाटक नाटककार हिन्दी साहित्
मोहन राकेश जीवन परिचय
मोहन राकेश का जीवन परिचय mohan rakesh jivan parichay मोहन राकेश का जीवन परिचय इन हिंदी मोहन राकेश का व्यक्तित्व एवं कृतित्व mohan rakesh ke vyaktitva aur krititva - हिन्दी साहित्य के सुप्रसिद्ध नाटककार ,कहानी लेखक ,उपन्यासकार तथा निबंध लेखक श्री मोहन राकेश जी का जन्म अमृतसर (पंजाब) के एक सुसंस्कृत परिवार में ८ जनवरी १९२५ को हुआ था। इनके बचपन का नाम मदन मोहन गुगलानी था। "राकेश" उपनाम उन्होंने बाद में अपनाया । राकेश के पिता श्री करमचंद गुगलानी पेशे से वकील तथा प्रकृति से साहित्यिक व्यक्ति थे ,उनकी बैठक में साहित्यकारों की मंडली जुटती थी । पंडित राधारमण जी के प्रभाव में आ कर राकेश ने कविता लिखनी प्रारम्भ कर दी । १९४१ को आप के पिता का देहांत हो गया । घर की आर्थिक अवस्था अच्छी न थी । घर को चलाने की पूरी जिम्मेदारी मोहन राकेश पर आ पड़ी।
मोहन राकेश ने लाहौर के ओरियंटल कॉलेज से संस्कृत में एम् .ए.की परीक्षा पास की और जालंधर से हिन्दी में एम्.ए .की परीक्षा पास की । राकेश स्वत्रंत प्रकृति के थे और अपनी शर्तो पर जीवन यापन के हिमायती थे। इसलिए इन्हे अनेक नौकरी करनी और छोडनी पड़ी । कुछ बर्षो तक इन्होने कॉलेज में अध्यापन का कार्य किया और इसी दौरान इन्होने व्वास्थित रूप से लिखना आरभ किया । इनकी कुछ पुस्तके काफी चर्चित रही -जिसमे इनके नाटको के अतिरिक्त इनकी डायरी भी है ।इसी दौरान उनका लेखन भी चलता रहा और लेखक राकेश जीवन की ,मन की ,और अपने खुलेपन की अनेक समस्यायों से जूझता रहा। एक के बाद दूसरे अनेक पडाव से गुजरती हुई राकेश जी की यह साहित्यिक ,यात्रा आधुनिक हिन्दी साहित्य का महत्वपूर्ण दस्तावेज़ है।
मोहन राकेश |
राकेश जी के व्यावसयिक जीवन की तरह उनका पारिवारिक जीवन भी उथल -पुथल भरा रहा ,मोहन राकेश का पारिवारिक जीवन दुःख -सुख की धुप -छाव का मिश्रण था । राकेश जी को साहित्यिक संस्कार और कलात्मक रूचि के साथ -साथ ऋण ग्रस्तता भी विरासत में मिली थी । इनका वैवाहिक जीवन भी बिखराव की कहानी है। इन्होने तीन शादी की थी ,अंत में अनीता औलक के साथ ही इन्होने अपनी शेष जीवन व्यतीत किया।
मोहन राकेश का देहांत ३ दिसम्बर १९७२ को दिल्ली में अचानक हुआ । इस अल्पायु में इनके देहांत से हिन्दी साहित्य को बहुत हानि पहुँची।
नयी कहानी आन्दोलन के स्तंभ
विद्यार्थी जीवन से ही मोहन राकेश को कुछ लिखने का शौक था। अतः प्रारम्भ से ही राकेश जी एकांकी और कहानियां लिखने लगे थे। एकांकी एक रूप में आपने लहरों के राजहंस नामक नाटक लिखा ,जो नाट्यकला की दृष्टि से सफल नाटक माना जाता है। अँधेरे बंद कमरे ,नीली रौशनी की बाहें ,नामक उपन्यासों में आपने महानगरों के यथार्थ जीवन का सजीव चित्रण किया है। इसके अतिरिक्त आपको पुस्तक को यात्रा पुस्तक के रूप में स्थान दिया जाता है। संस्कृत में नाटकों तथा अंग्रेजी के नाटकों का आपने सफल अनुवाद भी किया है। परन्तु साहित्य में आप अपने कहानियों व नाटकों द्वारा ही प्रसिद्ध व लोकप्रिय हैं। आपका नाम आज के अच्छे कहानीकारों के रूप में लिया जाता है। आप की कहानियां अब कई भारतीय भाषाओँ में अनुदित करके प्रकाशित की गयी है। राकेश जी ने नाटक ,उपन्यास ,कहानी ,निबंध ,यात्रावृत्त आदि उनके गद्य विधाओं को समृद्ध किया किन्तु उन्हें सर्वाधिक ख्याति एक नाटककार के रूप में ही मिली है।
मोहन राकेश की प्रमुख रचनाएँ
मोहन राकेश जी की प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं -
उपन्यास : अंधेरे बंद कमरे ,अन्तराल ,न आने वाला कल।
कहानी -संग्रह : क्वाटर तथा अन्य कहानिया ,पहचान तथा अन्य कहानिया ,वारिस तथा अन्य कहानिया
नाटक : आषाढ़ का एक दिन ,लहरों के राजहंस ,आधे -अधूरे ,
निबंध संग्रह : परिवेश
विडियो के रूप में देखें -
meri maa ko padhne ka bahut shaukh hai unhone inki bahut saari upanyass ki copy ko ghar me rakha hai jisse wo time to time padhte rehti hai
जवाब देंहटाएंMohan Rakesh ke maa ka kya namtha
हटाएंSamy sarthi kis vidha ki rachna h
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