महाकवि बिहारी हिन्दी साहित्य के अत्यन्त लोकप्रिय कवि है। कविवर बिहारीलाल का जन्म सन १६०० में बसुआ गोविंदपुर नामक गाँव में ग्वालियर जिले मे...
महाकवि बिहारी हिन्दी साहित्य के अत्यन्त लोकप्रिय कवि है। कविवर बिहारीलाल का जन्म सन १६०० में बसुआ गोविंदपुर नामक गाँव में ग्वालियर जिले में हुआ था।
जन्म ग्वालियर जानिये खंड बुन्देलेबाल ।
तरुणाई आई सुधर ,मथुरा बसि ससुराल । ।
वे जाति के माथुर ब्राह्मण थे। महाराज जयसिंह को उन्होंने निम्नलिखित दोहा सुनाकर मुग्ध कर लिया :-
नहि पराग नहिं मधुर मधु ,नहिं विकास यहि काल ।
अली कलि ही सो बंध्यो ,आगे कौन हवाल । ।
कविवर बिहारी ने अपनी एकमात्र रचना सतसई (सात सौ दोहों का संकलन) अपने आश्रयदाता महाराज जयसिंह से प्रेरणा प्राप्त कर लिखी थी। प्रसिद्ध है कि महाराज ने उनके प्रत्येक दोहे के भावसौदर्य पर मुग्ध होकर एक -एक स्वर्ण मुद्रा भेट की थी। सन १६६३ में उनकी मृत्यु हो गई।
बिहारी एक सजग कलाकार थे। उन्होंने जीवन में ७१३ दोहों का एक ही ग्रन्थ लिखा है ,वह है बिहारी सतसई । बिहारी का स्थान हिन्दी साहित्य के रीतिकालीन कवियों में बहुत बड़ा है,उनका एक ही ग्रन्थ उनकी महती कीर्ति का आधार है। आचार्य शुक्ल का इस सम्बन्ध में कहना है - यह बात साहित्य क्षेत्र के इस तथ्य की स्पष्ट घोषणा कर रही है की किसी कवि का यश उनकी रचनाओं के परिमाण से नही होता ,गुण के हिसाब से होता है। बिहारी सतसई का दोहा एक -एक उज्जवल रत्न है। उन्होंने गागर में सागर भर दिया है। इनके दोहे रस की पिचकारियाँ है। वे एक ऐसी मीठी रोटी है,जिसे जिधर से तोडा जाय ,उधर से मीठी लगती है। किसी ने ठीक ही कहा है -
सतसैया के दोहरे ,ज्यों नैनन के तीर ।
देखन में छोटे लगे ,बेधे सकल शरीर।
उनके दोहों में प्रतिपादित श्रृंगार रस ने रीतिकाल को श्रृंगार काल की संज्ञा दिलवाने में आधार भूमि का कार्य किया।
कविवर बिहारी एक श्रृंगारी कवि है। श्रृंगार के संयोग पक्ष में वे जितने रमे है,उतने वियोग पक्ष में नहीं। विरह -वर्णन के लिए ह्रदय की जिस संवेदन शीलता एवं सहानुभूति की आवश्यकता होती है,बिहारी उनमे शून्य है। वे मूलत : अनुराग के कवि है, और उनका मन अनुराग के मिलन पक्ष में खूब रमा है। संयोग पक्ष की कोई ऐसी बात नहीं जो बिहारी की दृष्टि से बची हो। हावों और भावों की सुंदर योजना उनके समान अन्य कोई समकालीन कवि न कर सका । एक उदाहरण देखिये -
बतरस लालच लाल की ,मुरली धरी लुकाइ।
सौह करे भौह्नी हँसे दैन कहे नाती जाई । ।
नायक और नायिका के प्रेम को दर्शाने वाला यह दोहा भी प्रसिद्ध है -
कहत ,नटत,रीझत ,खीझत ,मिळत ,खिलत ,लजियात ।
भरे भौन में करत है,नैनन ही सों बात ।
श्रृंगार वर्णन के साथ - साथ बिहारी ने भक्ति और नीति समबन्धी दोहे भी लिखे है। इनकी किसी वाद विशेष पर आस्था नहीं थी। उन्होंने समान भाव से राम-कृष्ण और नरसिंह का स्मरण किया है। उन्होंने प्रत्येक महाकवि की तरह अपने विषय के अतिरिक्त भक्ति और नीति पर भी लिखा है। इनकी भक्ति और नीति का एक - एक उदाहरण देखिए:-
मेरी भव- बाधा हरो राधा नागरि सोइ।
जा तन की झांई परे ,श्याम हरित धुती होइ। ।
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दुसह दुराज प्रजान को क्यों न बड़े दुःख द्वंद ।
अधिक अंधेरो जग करत ,मिलि मावस रविचंद । ।
अधिक अंधेरो जग करत ,मिलि मावस रविचंद । ।
बिहारी सतसई की लोकप्रियता का मुख्य कारण है उसका अनेक स्वादों से भरा होना । उसमे श्रृंगार ,नीति ,भक्ति ,ज्ञान ,आध्यात्मिकता ,सूक्ति और नीति -परम्परा आदि सबका संमिश्रण होना है। अतः भिन्न -भिन्न रूचि के व्यक्तियों के लिए यह अधिक प्रिय प्रतीत हुई है।
इस प्रकार गागर में सागर भरने वाले बिहारी का हिन्दी साहित्य सदा ऋणी रहेगा।
mhakvi bihari ke bare me jankari ke liye dhnywad .aaj ke yug me fir se in kaviyo ko pdhvakar unki jeevni btakar aap bahut achha kam kar rhe hai .
जवाब देंहटाएंabhar
अच्छा लगा पढ़कर.
जवाब देंहटाएंaacha laga hai
जवाब देंहटाएंपढ़कर अच्छा लगा
जवाब देंहटाएंThe best.
जवाब देंहटाएंabhyarthiyonke liye upukt hain...
जवाब देंहटाएंbahut acchhe..jitni bhi prasansa karoon kam hai.aaj phir se sahitya paan kar trupta hua.bahut bahut saadhuvad
जवाब देंहटाएंkeshva, bihari jai se kviyon ka prichy neyn sandrbh main prapt hua ke lya dhnyawad. asha karta hun ki adikal , bhktikal , ritikalin kviyon ke bare main vistrut prichaya prapta hoga. from sunil jadhav nanded (mharashta) 9405384672
जवाब देंहटाएंhindi kunj mein di gayee rachnayein bahut hi mulyavaan hai is anmol dharohar se hamein abgat karakane ke liye bahut bahut dhanayabaad
जवाब देंहटाएंबिहारी जी के सतसई
जवाब देंहटाएंनहीं ढूँढ पा रही शब्द क्या लिक्खूँ
कृपया बताएं कहाँ मिलेगी सतसई काव्य धन्यवाद
गुड्डो दादी चिकागो से
bihari ji ke doho ka pthan kar lga...
जवाब देंहटाएंkya aj ke yug me esa kvi ya rchna kar mil payega????
upyogi hai. dhanyavad
जवाब देंहटाएंlakh jankari se paripurna tha.
जवाब देंहटाएंMene kai sites check ki par jo jankari yaha m
जवाब देंहटाएंThank u very much
जवाब देंहटाएंVry important knowledge I get 4m here
I am very interesting and good feeling for bihari
जवाब देंहटाएंthanking you
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