अमीर खुसरो को हिंदी का पहला लोकप्रिय कवि माना जाता है । खुसरो अरबी , फारसी , तुर्की और हिंदी के विद्वान थे तथा इन्हें ...
अमीर खुसरो को हिंदी का पहला लोकप्रिय कवि माना जाता है । खुसरो अरबी ,फारसी ,तुर्की और हिंदी के विद्वान थे तथा इन्हें संस्कृत का भी थोडा बहुत ज्ञान था । इन्होने कविता की ९९ पुस्तकें लिखी जिनमे कई लाख शेर थे । पर अब इनके केवल २० -२२ ग्रन्थ ही प्राप्य है। इन्होने फारसी से अधिक हिंदी में लिखा है । इनके साहित्य में भी समय समय पर प्रक्षेपों का समावेश होता रहा है। इनकी कुछ पहेलियाँ ,मुकरियां और फुटकर गीत उपलब्ध होते है ,जिनसे इनकी विनोदी प्रकृति का भली भातिं परिचय मिल जाता है । मनोरंजन के खजाने से मालामाल सूफियों में अग्रणी कवि अमीर खुसरों ने अपनी सहज मनोवृति के कारण जन सामान्य को उन्मुक्त ह्रदय से मालामाल कर दिया ।
यहां पर उनकी कुछ प्रसिद्ध मुकरियों को प्रस्तुत किया जा रहा है । आशा है कि इसके माध्यम से अमीर खुसरों के साहित्य के सौन्दर्य को समझने में सहायता मिलेगी ।
१.
खा गया पी गया
दे गया बुत्ता
ऐ सखि साजन? ना सखि! कुत्ता!
२.
लिपट लिपट के वा के सोई
छाती से छाती लगा के रोई
दांत से दांत बजे तो ताड़ा
ऐ सखि साजन? ना सखि! जाड़ा!
३.
रात समय वह मेरे आवे
भोर भये वह घर उठि जावे
यह अचरज है सबसे न्यारा
ऐ सखि साजन? ना सखि! तारा!
४.
नंगे पाँव फिरन नहिं देत
पाँव से मिट्टी लगन नहिं देत
पाँव का चूमा लेत निपूता
ऐ सखि साजन? ना सखि! जूता!
५.
ऊंची अटारी पलंग बिछायो
मैं सोई मेरे सिर पर आयो
खुल गई अंखियां भयी आनंद
ऐ सखि साजन? ना सखि! चांद!
६.
जब माँगू तब जल भरि लावे
मेरे मन की तपन बुझावे
मन का भारी तन का छोटा
ऐ सखि साजन? ना सखि! लोटा!
७.
वो आवै तो शादी होय
उस बिन दूजा और न कोय
मीठे लागें वा के बोल
ऐ सखि साजन? ना सखि! ढोल!
८.
बेर-बेर सोवतहिं जगावे
ना जागूँ तो काटे खावे
व्याकुल हुई मैं हक्की बक्की
ऐ सखि साजन? ना सखि! मक्खी!
९.
अति सुरंग है रंग रंगीले
है गुणवंत बहुत चटकीलो
राम भजन बिन कभी न सोता
ऐ सखि साजन? ना सखि! तोता!
१०.
आप हिले और मोहे हिलाए
वा का हिलना मोए मन भाए
हिल हिल के वो हुआ निसंखा
ऐ सखि साजन? ना सखि! पंखा!
११.
अर्ध निशा वह आया भौन
सुंदरता बरने कवि कौन
निरखत ही मन भयो अनंद
ऐ सखि साजन? ना सखि! चंद!
१२.
शोभा सदा बढ़ावन हारा
आँखिन से छिन होत न न्यारा
आठ पहर मेरो मनरंजन
ऐ सखि साजन? ना सखि! अंजन!
१३.
जीवन सब जग जासों कहै
वा बिनु नेक न धीरज रहै
हरै छिनक में हिय की पीर
ऐ सखि साजन? ना सखि! नीर!
१४.
बिन आये सबहीं सुख भूले
आये ते अँग-अँग सब फूले
सीरी भई लगावत छाती
ऐ सखि साजन? ना सखि! पाती!
१५.
सगरी रैन छतियां पर राख
रूप रंग सब वा का चाख
भोर भई जब दिया उतार
ऐ सखी साजन? ना सखि! हार!
१६.
पड़ी थी मैं अचानक चढ़ आयो
जब उतरयो तो पसीनो आयो
सहम गई नहीं सकी पुकार
ऐ सखि साजन? ना सखि! बुखार!
१७.
सेज पड़ी मोरे आंखों आए
डाल सेज मोहे मजा दिखाए
किस से कहूं अब मजा में अपना
ऐ सखि साजन? ना सखि! सपना!
१८.
बखत बखत मोए वा की आस
रात दिना ऊ रहत मो पास
मेरे मन को सब करत है काम
ऐ सखि साजन? ना सखि! राम!
१९.
सरब सलोना सब गुन नीका
वा बिन सब जग लागे फीका
वा के सर पर होवे कोन
ऐ सखि ‘साजन’? ना सखि! लोन(नमक)
२०.
सगरी रैन मिही संग जागा
भोर भई तब बिछुड़न लागा
उसके बिछुड़त फाटे हिया’
ए सखि ‘साजन’ ना,सखि! दिया(दीपक)
२१.
वह आवे तब शादी होय,
उस बिन दूजा और न कोय
मीठे लागे वाके बोल
ऐ सखि 'साजन’, ना सखि! ‘ढोल’
बहुत उम्दा लेख है जी, आपका।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया पोस्ट प्रेषित की है।आभार।
जवाब देंहटाएंमन व्याकुल जियरा बेचैन
जवाब देंहटाएंबिन तेरे सब जीवन सून
भई ज़िन्दगी मिटटी मोल
क्यों सखी सजन ? नहीं पेट्रोल
Saajan to sakhi us par hai
जवाब देंहटाएंbahut acchi kavita hai ji man bhar aaya
जवाब देंहटाएंदेखन गोले गिनन सोले
जवाब देंहटाएंसोन सुन्दर कहूँ रंग धोले
मनिसर स्याम रुर सुर बोले
ऐ सखि साजन ? ना! रमझोले !
नींद परी मोरी वा की बैयाँ..,
जवाब देंहटाएंकसकन कंधन साँवरे सैंया..,
तन माँ जाके खोल धर आई..,
ऐ सखि साजन ? ना सखि! रजाई!
कोऊ कर गए आपद कार..,
जवाब देंहटाएंकोऊ तोप सिर धर सोए..,
कोई कोरी के करोर कर..,
कोई लो कोइलो लोए.....
bahut hee rochak tha.
जवाब देंहटाएंमन प्रसन्न हो गया।
जवाब देंहटाएंAmir khurso ko amir upnaam kisne diya tha
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