प्रिय मित्रों , हिन्दीकुंज में रणजीत कुमार जी के स्तम्भ मंगलज्ञानानुभाव के अंतर्गत आज प्रस्तुत है - 'आकर्षण का सिद्धांत' . इस लेख ...
प्रिय मित्रों , हिन्दीकुंज में रणजीत कुमार जी के स्तम्भ मंगलज्ञानानुभाव के अंतर्गत आज प्रस्तुत है - 'आकर्षण का सिद्धांत' . इस लेख में आकर्षण के सम्बन्ध में वैज्ञानिक विचारों को व्यक्त किया गया है . आशा है कि आप सभी को यह लेख पसंद आएगा .
आकर्षण का सिद्धांतआकर्षण का सिद्धांत जीवन के मूल में है बस ये समझ होनी चाहिए की हम मदहोशी में अवांछित घटना, वस्तु और विचार को आकर्षित न करें. पुस्तक कभी कभी आपके अवचेतन मन पर दस्तक देते हैं और फिर जागृत होती है देवत्व की सम्भावना. मेरे एक करीबी मित्र वीणा मिश्रा ने मेरा परिचय रोंडा ब्रायन द्वारा रचित पुस्तक ‘दे सेक्रेट’ से कराया. समसामयिक परिस्थिति में विश्व को ऐसे ही विचारों की आवश्यकता है. हमारी यह अवधारणा की संसार में आभाव है प्रेरित है हमारी मान्यताओं से. मान्यताओं से परे जाकर मंथन करें तो ज्ञात होगा की प्रकृति में हर कुछ प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है आवश्यकता है सार्थक प्रयास की. हर मनुष्य मात्र एक मनोशरीर यंत्र नहीं अपितु एक अन्तर्निहित अपार शक्ति श्रोत है . अव्यक्त व्यक्त और जीवंत होता है जब अवचेतन मन की उर्जा ब्रम्हाण्ड की उर्जा से मिल जाती है और फिर आरम्भ होता है प्रकृति का षड्यंत्र आपके ही इक्षा को मूर्त रूप प्रदान करने के लिए.दीपक चोपड़ा कहते हैं मनुष्य वस्तुतः गर्भ में पल रहा नवजात ईश्वर है जिसकी मात्र आकांक्षा जन्म लेना है “man is a god in embryo its only desire is to be born ” प्रश्न है की क्या हम इस प्रसव वेदना के लिए तैयार हैं. आकर्षण का सिद्धांत सदैव कार्य कर रहा है भले ही हम इस से परिचित हो या न हों. तरंगों के सागर में जीवन की लहरें मचल रही हैं अगर हम आकर्षण के मूल मन्त्र को समझ लें तो हमारे प्रयास सार्थक दिशा पा सकते हैं सपनो को साकार करने में. हर मनुष्य में कुछ ऐसी विशिष्टता होती है जिससे वो प्रायः परिचित नहीं होता ध्यान एवं मंथन के माध्यम से वो इस तथ्य से परिचित हो सकता है और इन संभावनाओं का व्यक्त होना ही उसके व्यक्तित्व का उद्देश्य पूर्ण करता है. प्रकृति के सिद्धांत निरंतर कार्य कर रहे हैं बस आवश्यकता है उस अनुभव को आत्मसात करने की.कहने को तो बहुत कुछ है पर मेरा उद्देश्य मात्र आपके उर्जा पुंज को झंकृत करना है आनंद के यात्रा में आपका हम कदम सत्यान्वेषी ................
akarshan ki shakti ko kaise samjhe jab mahsus karne ke bad bhi prinaam dikhai na de!!!!!!!!!!!!!!!
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