ब्रह्मांड विज्ञान की देन है!! - मनोज सिंह

SHARE:

वर्तमान युग के लोकप्रिय खगोल शास्त्री स्टीफन हॉकिंग के सूत्रों से विगत दिवस आये बयान ने मुझे निराश किया था। उनका कहना कि ब्रह्मांड की रचना ई...

वर्तमान युग के लोकप्रिय खगोल शास्त्री स्टीफन हॉकिंग के सूत्रों से विगत दिवस आये बयान ने मुझे निराश किया था। उनका कहना कि ब्रह्मांड की रचना ईश्वर ने नहीं की और यह विज्ञान की देन है, मुझे हास्यास्पद लगा। मीडिया से प्राप्त खबरों के अनुसार, उनकी नयी पुस्तक ÷द ग्रेंड डिजाइन' के संदर्भ से, ब्रह्मांड का निर्माण भौतिक शास्त्र की विभिन्न जटिलताओं और गुणों से प्रेरित होकर, समय के साथ परिवर्तित होते हुए आज इस स्वरूप में उपस्थित है। प्रथम प्रतिक्रिया में बात मेरे गले उतरी ही नहीं। यूं तो मैं तथाकथित धर्म के विभिन्न पाखंडों का अनुयायी नहीं हूं। इन धर्मों द्वारा परिकल्पित ईश्वर का मैं अंधभक्त भी नहीं हूं। मगर मनुष्य की शक्तियों और समझ को सीमित मानते हुए यह पूरे यकीन से स्वीकार करता हूं कि इस अंतरिक्ष में ऐसा कुछ है जो हमारी परिकल्पनाओं, जिसमें हमारा धर्म-विज्ञान-शास्त्र- अनुभव-दृश्य-ज्ञान सब कुछ आता है, से बाहर का है। जब इस अनंत आकाश के रूप-स्वरूप, व्यवस्थाओं, संरचनाओं और नियंत्रण की समझ हमारे लिये संभव नहीं तो उसके उत्पत्ति पर कुछ भी कहना तुक्के से अधिक नहीं। ऐसी अवस्था में हम उस अनजान अदृश्य शक्ति को सर्वशक्तिमान ईश्वर का नाम देकर बहुत कुछ सही-गलत कहने से कम से कम बच तो जाते हैं। और फिर उसे निराकार कहकर हम अपने मत को प्रमाणित भी करते हैं। जिस मानवीय विज्ञान ने पृथ्वी का गोल होना हजारों साल में समझा और जहां हर रोज खुद की अवधारणाएं ही खारिज की जाती हैं, उसी विज्ञान को ब्रह्मांड का रचयिता घोषित कर देना अटपटा लगता है। फिर इतना बड़ा अनुमान लगाना बेतुका जान पड़ता है, जिसके विरोध में अनगिनत उदाहरण अपने ही चारों ओर हम रोज देखते और अनुभव करते हैं।
स्टीफन हॉकिंग की पुस्तक 'ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम' ने मुझे आकर्षित किया था। यह इतने रोचक और सरल ढंग से लिखी गई किताब है कि इसे एक सामान्य आम आदमी भी पढ़कर बहुत हद तक समझ सकता है और विज्ञान की जटिलताओं का आनंद ले सकता है। शायद यही कारण है जो यह पुस्तक कई दिनों तक पश्चिम में बेस्ट सेलर रही। हिन्दुस्तान में भी यह लोकप्रिय हुई थी और आज भी पढ़ी जाती है। किताब को पढ़ते ही मैं उनका प्रशंसक बन गया था। इसमें विज्ञान के तथ्यों के साथ-साथ अध्यात्म और दर्शन भी है। अंतरिक्ष की शक्तियों को स्वीकार करते हुए, मनुष्य की मानसिक व बौद्धिक कोशिशों को आगे बढ़ाते हुए, तर्क के साथ समय को जिस तरह से परिभाषित करके प्रस्तुत किया गया, वो अत्यंत विश्वसनीय जान पड़ता है और सोचने के लिए मजबूर करता है। समय के विकासक्रम की कहानी पठनीय व व्यवस्थित ढंग से लिखी गयी थी। और स्टीफन हॉकिंग एक अच्छे लेखक साबित हुए थे। इसमें विज्ञान की सीमित संभावनाओं को, यहां किसी आत्ममुग्ध वैज्ञानिक द्वारा अतिरेक व अतिवाद से भरी पड़ी घोषणाओं में छिपा अहं नहीं अपितु, एक कोशिश के रूप में प्रस्तुत किया गया था। उनका यह कथन मुझे बेहद गहरा लगा था कि अगर समय का जन्म किसी एक बिंदु पर हुआ है तो उसके पूर्व क्या था? यहां शब्दों ने विज्ञान की जटिलताओं को सांकेतिक रूप में परिभाषित कर दिया था। एक स्थान पर हॉकिंग पूछते हैं कि अगर ईश्वर ने ब्रह्मांड की रचना की तो इसके पूर्व में वे क्या कर रहे थे? यह एक मजेदार सवाल है। इस पर जवाब तो नहीं बनता, न ही इसकी आवश्यकता दिखाई गई, लेकिन पाठक द्वारा कल्पना की उड़ान भरी जा सकती है। हंसी-हंसी में ही यह मस्तिष्क को अनंत सागर में सोचने के लिए भेज देता है। यकीनन आज भी इसका सीधा-सीधा जवाब देना असंभव जान पड़ता है। पता नहीं हॉकिंग ने इसका उत्तर कैसे और क्यों दिया? क्या उन्होंने वास्तव में इस गुत्थी को सुलझा लिया है? अभी तक मैंने उनकी नयी पुस्तक का विस्तार से अध्ययन तो नहीं किया लेकिन प्राप्त जानकारियों के हिसाब से ही पढ़ने के पूर्व यह मुझे एक कमजोर निष्कर्ष पर आधारित दिखाई देता है। यह सांकेतिक रूप में भी सही नहीं जान पड़ता क्योंकि इसके पीछे कोई मजबूत साक्ष्य छोड़ साधारण तथ्य तक भी खड़े नजर नहीं आते।
भौतिक शास्त्र विज्ञान की एक महत्वपूर्ण शाखा है। विज्ञान, मनुष्य का विशिष्ट ज्ञान असल में प्रकृति की सूचनाएं मात्र हैं जिसमें वो अपनी चारों ओर घट रही घटनाओं का सूक्ष्म अवलोकन करता है और उसी को मानवीय ढंग से समझते हुए शब्दों में विस्तार से, अंकों के साथ नियम और कायदे-कानून में पिरोते हुए परिभाषित करता है। और फिर इनका उपयोग मनुष्य के ऐशो-आराम, सुख-सुविधाओं के उपभोग में करता है। यह दीगर बात है कि अपने ही बनाये नियमों को कुछ नये अवलोकन आने पर निरस्त भी कर देता है। और फिर उसका संशोधन भी कर देता है। वो सिर्फ इतना बताता है कि सृष्टि में क्या हो रहा है। और उसे ही धीरे से कारण भी बना देता है मगर गहराई में 'क्यों' पूछने पर खामोश हो जाता है और किसी चतुर-चालाक दार्शनिक की तरह उलझा देता है। वो यह तो कहता है कि आम पेड़ से जमीन पर गिरता है। और इसे बड़ी सावधानी से गुरुत्वाकर्षण का नाम भी दे देता है। यह पूछे जाने पर कि आम पेड़ से जमीन की ओर ही क्यों गिरता है? तो तुरंत उसका जवाब गुरुत्वाकर्षण आ जाता है। अगला सवाल पूछने पर कि गुरुत्वाकर्षण होता ही क्यों है? तो वो उसे पदार्थ का गुण घोषित कर बच जाता है। मगर यह पूछे जाने पर कि पदार्थ में यह गुण क्यों होता है? उसके पास इसका कोई सीधा जवाब नहीं। इसी तरह के सवाल देखने में बहुत सरल परंतु धीरे-धीरे आगे बढ़ने पर कठिन होते चले जाते हैं। भौतिक शास्त्र की जटिलता इसलिए नहीं है कि इसके ज्ञान का भंडार असीम है। असल में सृष्टि की संरचना ही अपने आप में इतनी क्लिष्ट है कि इसको समझना असंभव होता चला जाता है। किसी भी नये घटनाक्रम की समझ में पुराने सत्य नहीं ठहरते और हम एक नये नियम की घोषणा कर देते हैं। इसे विज्ञान का विकासक्रम भी कह दिया जाता है। मगर ऐसी अनजान व अनहोनी अनंत घटनाएं हमारे चारों ओर घटित होती रहती हैं। यहां तो हरेक में कुछ न कुछ विशेषता है। यह बड़ी आम धारणाएं हैं कि पानी में ठोस पदार्थ डूब जाता है। और किसी भी तरल पदार्थ के जमने पर वो सिकुड़ता है। मगर खुद पानी ठोस बनने पर फैल जाता है। यही एक कारण है कि बर्फ पानी में तैरने लगता है। भौतिक शास्त्र यहां अपने नये अध्याय की शुरुआत कर देता है। नयी धारणा, नयी परिभाषाएं, नये सूत्र, नयी समझ और नये भाग-गुणा का जन्म। जबकि यह एक व्यवस्था है। इसी के तहत शायद कई जीव-जंतु ठंडे प्रदेश में बर्फीले सागर के नीचे जिंदा रह पाते हैं। तभी तो यहां पर समुद्र की ऊपरी चादर बर्फ से ढकी होती है लेकिन नीचे जाने पर पानी मिलता है। यही जीवन भी है। यही सृष्टि है। जिसे किसी भी तरह भौतिकी द्वारा नहीं कहा जा सकता। मैं इसे इस रूप में भी लेता हूं कि यह एक श्रृंखलाबद्ध व्यवस्था के तहत है। इसका मतलब इस तरह से सवाल करके भी लिया जा सकता है कि सृष्टि का मन अगर करता और बर्फ पानी में डूबने लगती तो क्या होता? कुछ विशेष नहीं होता, सिवाय इसके कि संसार में व्यवस्थाएं कुछ अलग ढंग से होती। हां, बेचारे भौतिक शास्त्र को अपना अध्याय नये ढंग से लिखना पड़ता।
असल में यह हमारी समझ की बात है। उपरोक्त साधारण उदाहरणों द्वारा सीधे व सरल रूप में इसे ज्यादा आसानी से समझा जा सकता है बनिस्पत ब्रह्मांड के अनंत शून्य में भटकने से। सृष्टि में जो भी घटित  हो रहा है उसका आंखों-देखा वर्णन महाभारत की तरह, संजय की नजरों में देखे जाने पर भौतिक शास्त्र है। जबकि सर्वशक्तिमान श्रीकृष्ण सब जानते हुए भी व्यवस्था के कारणों और कारकों से बंधे हैं। और चुपचाप कर्म कर रहे हैं। कहीं नियति को भौतिकी कहना उद्देश्य तो नहीं रहा होगा स्टीफन का! किसी भी कीमत पर यह भी तो नहीं कहा जाता कि सब कुछ अपने आप ही घटित हो रहा है। यहां पदार्थ या शून्य की उपस्थिति, जीव का आना और फिर चले जाना मात्र विज्ञान की उपज नहीं हो सकती है। यहां सृष्टि को भौतिकशास्त्र घोषित कर देना भूल होगी, परिणामस्वरूप विज्ञान के सर्वशक्तिमान होने का भ्रम वैज्ञानिकों को होने लगेगा। जिसने अभी तक कोई एक भी चीज पूरी तरह अपने से बनाकर नहीं दी, जिसमें सृष्टि का कोई योगदान न हो। प्रकृति के कच्चे माल पर आधारित हमारे प्रोडक्शन यूनिट में एक ही प्रकार की हजारों-लाखों मोबाइल, मोटरसाइकिल, टीवी, फ्रीज पैदा की जाती है। जबकि सृष्टि के कारखाने में से निकलने वाला एक भी उत्पादन किसी और की कापी नहीं होता। मनुष्य छोड़ मुझे तो कोई दो पेड़ भी एकसमान दिखाई नहीं देते। पेड़ की बात तो दूर की है एक ही पेड़ में अंकुरित होने वाली पत्तियों में भी फर्क देखा जा सकता है। 
ब्रह्मांड की परिकल्पनाओं में हॉकिंग का जवाब नहीं। उन्होंने समय-समय पर मानवीय सभ्यताओं को चेताया भी है। विगत दिवस उनका कथन मुझे अच्छा लगा था कि अगर मनुष्य को अपनी सभ्यता को बचाना है तो इसी शताब्दी के अंत तक उसे आकाश में अपना घर बना लेना होगा। यहां प्रकृति को चुनौती नहीं बल्कि अपने अस्तित्व की रक्षा की बात है। उनका यह कहना कि हमारे चारों ओर एलियन हैं और उनसे हमें बचना चाहिए, व्यवहारिक जान पड़ता है। मगर उपरोक्त नये कथन में अहम दिखाई देता है जो हॉकिंग के व्यक्तित्व से मेल नहीं खाता। स्टीफन हॉकिंग स्वयं अपने आप में प्रकृति की विलक्षण उपस्थिति हैं। क्या वह स्वयं इस बात को परिभाषित कर पाएंगे कि शारीरिक रूप से पूर्णतः अपाहिज अपंग होते हुए भी उनका मन-मस्तिष्क इतना शक्तिशाली  और कल्पनाओं से भरा हुआ कैसे है? मात्र बीस-बाईस वर्ष की उम्र में बीमारी होने पर दो-चार साल के मेहमान की बात करने वाले डाक्टर भी हैरान होंगे कि वो चार दशक से जिंदा हैं। ईश्वर उन्हें लंबी उम्र दे। क्या यह भी मात्र भौतिकी विज्ञान का नतीजा है? नहीं। हमें ब्रह्मांड में झांकने की क्या आवश्यकता? अपने शरीर के अंदर फैली स्नायु-तंत्र की आंख बंद करके परिकल्पना कीजिए, हमारे अंदर न जाने कितनी अंधेरी गुफाएं हैं जो अपने आप में किसी ब्रह्मांड को समेटे हुए है। बड़ी आंत के किसी कोने में पनप रहे सूक्ष्म कोशिकाओं, कीटाणु और जीवाणु के लिए ब्रह्मांड क्या होगा? परिकल्पना कीजिए। क्या वहां भी भौतिकी के नियम चलते हैं? नहीं। यकीनन उसकी दुनिया और विज्ञान भिन्न होंगे। तो फिर क्या अब भी कहा जा सकता है कि ब्रह्मांड किसी भौतिकी का नतीजा है?

COMMENTS

Leave a Reply: 3
  1. गणेशचतुर्थी और ईद की मंगलमय कामनाये !


    बहुत ही बढ़िया आलेख है .....

    इस पर अपनी राय दे :-
    (काबा - मुस्लिम तीर्थ या एक रहस्य ...)
    http://oshotheone.blogspot.com/2010/09/blog-post_11.html

    जवाब देंहटाएं
  2. mana ki pritvi ki utpatti vigyan ya big bang visfot se hua to kaise hue ? to visphot kaise hua,,,,,,,,,agar kudrat ke den he to kudrat ke utpaati kaise hue,,,,,,,,,plz response

    जवाब देंहटाएं
  3. मनोज सिन्ह जी, ब्रह्मांड तो वास्तव में ही भौतिकी का नतीज़ा है पर भौतिकी स्वयं ईश्वर या ब्रह्म की नियमावली है।.....क्या ख्याल है??

    जवाब देंहटाएं
आपकी मूल्यवान टिप्पणियाँ हमें उत्साह और सबल प्रदान करती हैं, आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है !
टिप्पणी के सामान्य नियम -
१. अपनी टिप्पणी में सभ्य भाषा का प्रयोग करें .
२. किसी की भावनाओं को आहत करने वाली टिप्पणी न करें .
३. अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .

नाम

अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोश,3,अकबर इलाहाबादी,11,अकबर बीरबल के किस्से,62,अज्ञेय,37,अटल बिहारी वाजपेयी,1,अदम गोंडवी,3,अनंतमूर्ति,3,अनौपचारिक पत्र,16,अन्तोन चेख़व,2,अमीर खुसरो,7,अमृत राय,1,अमृतलाल नागर,1,अमृता प्रीतम,5,अयोध्यासिंह उपाध्याय "हरिऔध",7,अली सरदार जाफ़री,3,अष्टछाप,4,असगर वज़ाहत,11,आनंदमठ,4,आरती,11,आर्थिक लेख,8,आषाढ़ का एक दिन,22,इक़बाल,2,इब्ने इंशा,27,इस्मत चुगताई,3,उपेन्द्रनाथ अश्क,1,उर्दू साहित्‍य,179,उर्दू हिंदी शब्दकोश,1,उषा प्रियंवदा,5,एकांकी संचय,7,औपचारिक पत्र,32,कक्षा 10 हिन्दी स्पर्श भाग 2,17,कबीर के दोहे,19,कबीर के पद,1,कबीरदास,19,कमलेश्वर,7,कविता,1480,कहानी लेखन हिंदी,17,कहानी सुनो,2,काका हाथरसी,4,कामायनी,6,काव्य मंजरी,11,काव्यशास्त्र,40,काशीनाथ सिंह,1,कुंज वीथि,12,कुँवर नारायण,1,कुबेरनाथ राय,2,कुर्रतुल-ऐन-हैदर,1,कृष्णा सोबती,3,केदारनाथ अग्रवाल,4,केशवदास,6,कैफ़ी आज़मी,4,क्षेत्रपाल शर्मा,53,खलील जिब्रान,3,ग़ज़ल,139,गजानन माधव "मुक्तिबोध",15,गीतांजलि,1,गोदान,7,गोपाल सिंह नेपाली,1,गोपालदास नीरज,10,गोरख पाण्डेय,3,गोरा,2,घनानंद,3,चन्द्रधर शर्मा गुलेरी,6,चमरासुर उपन्यास,7,चाणक्य नीति,5,चित्र शृंखला,1,चुटकुले जोक्स,15,छायावाद,6,जगदीश्वर चतुर्वेदी,17,जयशंकर प्रसाद,35,जातक कथाएँ,10,जीवन परिचय,77,ज़ेन कहानियाँ,2,जैनेन्द्र कुमार,7,जोश मलीहाबादी,2,ज़ौक़,4,तुलसीदास,28,तेलानीराम के किस्से,7,त्रिलोचन,4,दाग़ देहलवी,5,दादी माँ की कहानियाँ,1,दुष्यंत कुमार,7,देव,1,देवी नागरानी,23,धर्मवीर भारती,12,नज़ीर अकबराबादी,3,नव कहानी,2,नवगीत,1,नागार्जुन,25,नाटक,1,निराला,39,निर्मल वर्मा,4,निर्मला,42,नेत्रा देशपाण्डेय,3,पंचतंत्र की कहानियां,42,पत्र लेखन,202,परशुराम की प्रतीक्षा,3,पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र',4,पाण्डेय बेचन शर्मा,1,पुस्तक समीक्षा,141,प्रयोजनमूलक हिंदी,38,प्रेमचंद,50,प्रेमचंद की कहानियाँ,91,प्रेरक कहानी,16,फणीश्वर नाथ रेणु,4,फ़िराक़ गोरखपुरी,9,फ़ैज़ अहमद फ़ैज़,24,बच्चों की कहानियां,88,बदीउज़्ज़माँ,1,बहादुर शाह ज़फ़र,6,बाल कहानियाँ,14,बाल दिवस,3,बालकृष्ण शर्मा 'नवीन',1,बिहारी,8,बैताल पचीसी,2,बोधिसत्व,9,भक्ति साहित्य,143,भगवतीचरण वर्मा,7,भवानीप्रसाद मिश्र,3,भारतीय कहानियाँ,61,भारतीय व्यंग्य चित्रकार,7,भारतीय शिक्षा का इतिहास,3,भारतेन्दु हरिश्चन्द्र,10,भाषा विज्ञान,18,भीष्म साहनी,9,भैरव प्रसाद गुप्त,2,मंगल ज्ञानानुभाव,22,मजरूह सुल्तानपुरी,1,मधुशाला,7,मनोज सिंह,16,मन्नू भंडारी,10,मलिक मुहम्मद जायसी,9,महादेवी वर्मा,20,महावीरप्रसाद द्विवेदी,3,महीप सिंह,1,महेंद्र भटनागर,73,माखनलाल चतुर्वेदी,3,मिर्ज़ा गालिब,39,मीर तक़ी 'मीर',20,मीरा बाई के पद,22,मुल्ला नसरुद्दीन,6,मुहावरे,4,मैथिलीशरण गुप्त,14,मैला आँचल,8,मोहन राकेश,16,यशपाल,19,रंगराज अयंगर,43,रघुवीर सहाय,6,रणजीत कुमार,29,रवीन्द्रनाथ ठाकुर,22,रसखान,11,रांगेय राघव,2,राजकमल चौधरी,1,राजनीतिक लेख,21,राजभाषा हिंदी,66,राजिन्दर सिंह बेदी,1,राजीव कुमार थेपड़ा,4,रामचंद्र शुक्ल,3,रामधारी सिंह दिनकर,25,रामप्रसाद 'बिस्मिल',1,रामविलास शर्मा,9,राही मासूम रजा,8,राहुल सांकृत्यायन,2,रीतिकाल,3,रैदास,4,लघु कथा,125,लोकगीत,1,वरदान,11,विचार मंथन,60,विज्ञान,1,विदेशी कहानियाँ,34,विद्यापति,8,विविध जानकारी,1,विष्णु प्रभाकर,3,वृंदावनलाल वर्मा,1,वैज्ञानिक लेख,8,शमशेर बहादुर सिंह,6,शमोएल अहमद,5,शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय,1,शरद जोशी,3,शिक्षाशास्त्र,6,शिवमंगल सिंह सुमन,6,शुभकामना,1,शेख चिल्ली की कहानी,1,शैक्षणिक लेख,57,शैलेश मटियानी,3,श्यामसुन्दर दास,1,श्रीकांत वर्मा,1,श्रीलाल शुक्ल,4,संयुक्त राष्ट्र संघ,1,संस्मरण,34,सआदत हसन मंटो,10,सतरंगी बातें,33,सन्देश,44,समसामयिक हिंदी लेख,270,समीक्षा,1,सर्वेश्वरदयाल सक्सेना,19,सारा आकाश,22,साहित्य सागर,22,साहित्यिक लेख,88,साहिर लुधियानवी,5,सिंह और सियार,1,सुदर्शन,3,सुदामा पाण्डेय "धूमिल",10,सुभद्राकुमारी चौहान,7,सुमित्रानंदन पन्त,23,सूरदास,16,सूरदास के पद,21,स्त्री विमर्श,11,हजारी प्रसाद द्विवेदी,4,हरिवंशराय बच्चन,28,हरिशंकर परसाई,24,हिंदी कथाकार,12,हिंदी निबंध,438,हिंदी लेख,537,हिंदी व्यंग्य लेख,14,हिंदी समाचार,187,हिंदीकुंज सहयोग,1,हिन्दी,7,हिन्दी टूल,4,हिन्दी आलोचक,7,हिन्दी कहानी,32,हिन्दी गद्यकार,4,हिन्दी दिवस,91,हिन्दी वर्णमाला,3,हिन्दी व्याकरण,45,हिन्दी संख्याएँ,1,हिन्दी साहित्य,9,हिन्दी साहित्य का इतिहास,21,हिन्दीकुंज विडियो,11,aapka-banti-mannu-bhandari,6,aaroh bhag 2,14,astrology,1,Attaullah Khan,2,baccho ke liye hindi kavita,70,Beauty Tips Hindi,3,bhasha-vigyan,1,chitra-varnan-hindi,3,Class 10 Hindi Kritika कृतिका Bhag 2,5,Class 11 Hindi Antral NCERT Solution,3,Class 9 Hindi Kshitij क्षितिज भाग 1,17,Class 9 Hindi Sparsh,15,divya-upanyas-yashpal,5,English Grammar in Hindi,3,formal-letter-in-hindi-format,143,Godan by Premchand,12,hindi ebooks,5,Hindi Ekanki,20,hindi essay,430,hindi grammar,52,Hindi Sahitya Ka Itihas,105,hindi stories,682,hindi-bal-ram-katha,12,hindi-gadya-sahitya,8,hindi-kavita-ki-vyakhya,19,hindi-notes-university-exams,77,ICSE Hindi Gadya Sankalan,11,icse-bhasha-sanchay-8-solutions,18,informal-letter-in-hindi-format,59,jyotish-astrology,24,kavyagat-visheshta,26,Kshitij Bhag 2,10,lok-sabha-in-hindi,18,love-letter-hindi,3,mb,72,motivational books,12,naya raasta icse,9,NCERT Class 10 Hindi Sanchayan संचयन Bhag 2,3,NCERT Class 11 Hindi Aroh आरोह भाग-1,20,ncert class 6 hindi vasant bhag 1,14,NCERT Class 9 Hindi Kritika कृतिका Bhag 1,5,NCERT Hindi Rimjhim Class 2,13,NCERT Rimjhim Class 4,14,ncert rimjhim class 5,19,NCERT Solutions Class 7 Hindi Durva,12,NCERT Solutions Class 8 Hindi Durva,17,NCERT Solutions for Class 11 Hindi Vitan वितान भाग 1,3,NCERT Solutions for class 12 Humanities Hindi Antral Bhag 2,4,NCERT Solutions Hindi Class 11 Antra Bhag 1,19,NCERT Vasant Bhag 3 For Class 8,12,NCERT/CBSE Class 9 Hindi book Sanchayan,6,Nootan Gunjan Hindi Pathmala Class 8,18,Notifications,5,nutan-gunjan-hindi-pathmala-6-solutions,17,nutan-gunjan-hindi-pathmala-7-solutions,18,political-science-notes-hindi,1,question paper,19,quizzes,8,raag-darbari-shrilal-shukla,8,Rimjhim Class 3,14,samvad-lekhan-in-hindi,6,Sankshipt Budhcharit,5,Shayari In Hindi,16,skandagupta-natak-jaishankar-prasad,6,sponsored news,10,suraj-ka-satvan-ghoda-dharmveer-bharti,6,Syllabus,7,tamas-upanyas-bhisham-sahni,4,top-classic-hindi-stories,59,UP Board Class 10 Hindi,4,Vasant Bhag - 2 Textbook In Hindi For Class - 7,11,vitaan-hindi-pathmala-8-solutions,16,VITAN BHAG-2,5,vocabulary,19,
ltr
item
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika: ब्रह्मांड विज्ञान की देन है!! - मनोज सिंह
ब्रह्मांड विज्ञान की देन है!! - मनोज सिंह
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg68jI1qUmnRMaOO_MbwoCDRtARV1JWR64fqgrDUXrJjOTyWygSRW5-pQ_3rUE1bZ6-8KS4XqP616xuzv5I9wnn2lCHHLTn96_8DMPZSixFBTDCSIHaPpehORFL9ksbUPhFJdqmpZNqd2Xt/s200/manoj+photo.JPG
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg68jI1qUmnRMaOO_MbwoCDRtARV1JWR64fqgrDUXrJjOTyWygSRW5-pQ_3rUE1bZ6-8KS4XqP616xuzv5I9wnn2lCHHLTn96_8DMPZSixFBTDCSIHaPpehORFL9ksbUPhFJdqmpZNqd2Xt/s72-c/manoj+photo.JPG
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika
https://www.hindikunj.com/2010/09/bramaand-vigyan-ki-den-hai.html
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/2010/09/bramaand-vigyan-ki-den-hai.html
true
6755820785026826471
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका