प्रतियोगी परीक्षाओं में परिवर्तन/विचार मंथन

SHARE:

मनोज सिंह पिछले कुछ समय से स्कूलों की परीक्षा प्रणाली पर खूब चर्चा हो रही है। परिवर्तन की बात की जाती है। कुछ परिवर्तन हुए और कुछ होने ...

मनोज सिंह
पिछले कुछ समय से स्कूलों की परीक्षा प्रणाली पर खूब चर्चा हो रही है। परिवर्तन की बात की जाती है। कुछ परिवर्तन हुए और कुछ होने वाले हैं। इंजीनियरिंग और मेडिकल की प्रवेश परीक्षाओं में परिवर्तन हो रहे हैं तो नौकरी की विभिन्न चयन परीक्षाओं में बदलाव की बातें सुनी जा रही हैं। ये कदम कितने सही दिशा में हैं या नहीं, इस लेख का विषय नहीं। यह कितना आवश्यक है? सवाल नहीं किया जाना चाहिए। चूंकि परिवर्तन जीवन का मूल सिद्धांत है। हां, यहां विश्लेषण इन परीक्षाओं में सफल और असफल होने वाले छात्रों के बीच किया जा सकता है। हिन्दुस्तान की दो महत्वपूर्ण परीक्षाएं, जिसके द्वारा हिन्दुस्तान के युवाओं का सितारा रातों-रात चमक उठता है, पर चर्चा की जा सकती है। पहला, अखिल भारतीय सिविल सेवा की परीक्षाएं, जिसके माध्यम से देश के लिए आईएएस, आईपीएस और अन्य क्षेत्र के नौकरशाहों का चयन किया जाता है। अर्थात देश की शासन व्यवस्था। दूसरी परीक्षा है- कैट (कॉमन एडमिशन टेस्ट), मैनेजमेंट के शीर्ष संस्थानों में प्रवेश के लिए ली जाने वाली परीक्षा। अर्थात कार्पोरेट वर्ल्ड के शीर्ष मैनेजरों का चयन। क्या कभी इन परीक्षाओं में भाग लेने वाले और सफल होने वाले परीक्षार्थी के बीच तुलनात्मक विश्लेषण हुआ है? हुआ होगा, मगर इसके कई और भी नजरिये हो सकते हैं। सभी इस बात से सहमत होंगे कि इन परीक्षाओं में सफल होने के लिए छात्रों को बेहद मेहनत करनी पड़ती है। एक से दो साल जम कर पढ़ना पड़ता है। ये किताबों में घुसे रहते हैं। पढ़ना, पढ़ना और सिर्फ पढ़ना। यूं तो पाठ्यपुस्तकों के अतिरिक्त समाचारपत्र-पत्रिकाएं और सामान्य ज्ञान भी पढ़ने के लिए कहा जाता है। लेकिन सभी के मूल में किताबी पढ़ाई ही होती है।
यह सच है कि जब भाग लेने वाले प्रतियोगी की अच्छी-खासी संख्या हो तो चयन के लिए कोई न कोई प्रणाली तो निकालनी ही पड़ेगी। यहां बात एक अनार सौ बीमार की हो रही है। इन लाखों छात्रों के बीच में से शीर्ष के कुछ छात्रों के चयन के लिए कोई न कोई तरीका तो निकालना ही होगा। बहरहाल, चर्चा के लिए सर्वप्रथम हमें सफल परीक्षार्थी की उपयोगिता और गुणवत्ता को परिभाषित करना होगा। यह कितना सही होगा, तर्कसंगत होगा, सदैव वाद-विवाद का विषय हो सकता है। लेकिन यहां बात हो रही है कि आज के संदर्भ में ये परीक्षाएं कितनी सार्थक हैं? इस बात का मूल्यांकन होना चाहिए। ये अवाम और राष्ट्र की आवश्यकताओं को पूरा करने में कितनी सफल हुई हैं? इसी संदर्भ में मुझे किसी एक परीक्षार्थी की इस बात ने सोचने के लिए मजबूर किया था, वह एक होनहार छात्र होते हुए भी इन परीक्षाओं में असफल रहा था, उसका कहना था कि मात्र तीन घंटे में प्रतिभा की परख कितनी संभव है? कुछ लोगों के लिए यहां किस्मत की बात करना बेवकूफीभरा होगा। विशेष रूप से उन्हें जो इन परीक्षाओं में सफल रहे हैं। वे स्वयं को इन परीक्षाओं के लिए सर्वश्रेष्ठ और एकमात्र उपयोगी उम्मीदवार साबित करने का प्रयास करेंगे। लेकिन यह सवाल उन छात्रों से पूछो, जो प्रतिभावान होते हुए भी बिना किसी विशिष्ट कारण के सिर्फ इसलिए चूक गए क्योंकि परीक्षा के दौरान अचानक ही या तो उनकी तबीयत खराब हो गई या फिर परीक्षा से ठीक पहले घर-परिवार-समाज में कोई ऐसा हादसा हुआ जिससे वह विचलित हो गए थे। ये हमारे वश में नहीं, इसलिए इन पर चर्चा करना मूर्खता होगी। मगर उन बातों को तो गौर कर ही सकते हैं जो हमारे नियंत्रण में हैं और जिन पर ध्यान दिया जा सकता है। मसलन वे स्वयं को प्रस्तुत करने की कला में माहिर न होने का खमियाजा भी भुगत रहे थे। यहां सवाल उठता है कि क्या प्रतिभाएं मात्र एक परीक्षा के माध्यम से ही परखी जा सकती हैं? वो भी किताबी अध्ययन पर आधारित? यह इस बात की ओर भी प्रश्नचिन्ह लगाती है कि इसके माध्यम से चुने गये परीक्षार्थी व्यावहारिक रूप से कितने उपयोगी और सफल सिद्ध हो सकते हैं?
पहले हम बात करते हैं अखिल भारतीय परीक्षाओं की। इसके माध्यम से जिले के कलेक्टर, पुलिस कप्तान, इनकम टैक्स कमिश्नर आदि, संक्षिप्त में कहें तो भविष्य के शासन व्यवस्था में बैठने वाले शीर्ष नौकरशाहों का चयन होता है। अब गौर करें, आज की परिस्थिति में, एक पुलिस कप्तान को क्या करना होता है? आज का अपराधी सामान्य व्यक्ति नहीं रह गया। आज आतंकवाद और नक्सलवाद जैसी संगठित विचारधाराएं काम करती हैं। इनका लक्ष्य केंद्रित है और ये चतुर-चालाक व्यक्तियों का समूह बनता जा रहा है। ये शारीरिक और मानसिक रूप से सुदृढ़ और अपनी विचारधारा के प्रति समर्पित होते हैं। ये आर्थिक और राजनैतिक रूप से शक्तिशाली हैं। ये भावनात्मक रूप से भी मजबूत हैं। ये अच्छे वक्ता होते हैं। ये लोगों को अपनी बातों के जाल में फंसाना जानते हैं। इनमें से कुछ दर्शनशास्त्री व चिंतक भी हैं और उच्चस्तर पर पढ़े-लिखे भी। यह दीगर बात है कि ये सब भ्रमित हैं, मगर कई अपने-अपने क्षेत्र के सूरमा हैं। वो जमाने गए जब ये सिर्फ बंदूकों-तलवार से जंगलों में लड़ा करते थे या चाकू-छुरी से शहर की छोटी-मोटी गुंडागर्दी किया करते थे। अब इनका जाल व सूचनातंत्र अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फैल चुका है। इनके कई रूप हैं जिन्हें पहचानना अपने आप में एक चुनौती है। यहां सवाल उठता है लिखित परीक्षाओं में अव्वल नंबर लेने वाला युवक क्या इन संगठित मजबूत इरादों वाले असामाजिक तत्वों के सामने खड़ा हो सकता है? और फिर बात यहां सिर्फ खड़े होने की नहीं है, क्या वो इन्हें नियंत्रित कर सकता है? क्या इनसे व्यावहारिक रूप से धरातल पर लड़ सकता है? कुछ लोग कह सकते हैं कि हमें पंजा लड़ाने वाला पहलवान का चयन नहीं करना है। यह सच है। लेकिन क्या सिर्फ किताबी ज्ञान से यह बात सुनिश्चित हो जाती है कि चयन किये जाने वाला सफल उम्मीदवार शारीरिक मानसिक और भावनात्मक रूप से मजबूत हो? यकीनन इसकी संभावना कम ही होगी। इतिहास-भूगोल आदि का ज्ञान पढ़कर एक व्यक्ति अर्थशास्त्र, विधि और विज्ञान की बात तो कर सकता है परंतु विश्व में फैले हुए अपराधी व संगठित गिरोह का, जिसने कई मुखौटे चढ़ा रखे हैं, सामना करने में समर्थ हो, जरूरी नहीं। आज का समाज हर क्षेत्र में आगे बढ़ चुका है। यह विविधता लिये हुए है। वर्तमान काल की मुश्किलें भी कई रूपों में सामने आ रही हैं। विकास की नयी परिभाषा गढ़ी गयी है। ऐसे में, जिले का जिलाधीश, क्या सिर्फ भाषा और गणित की किताब पढ़कर नेतृत्व प्रदान कर सकता है? शेक्सपियर का साहित्य या स्थानीय किसी भी भाषा की श्रेष्ठ कविता इसका जवाब नहीं दे सकती। आधुनिक युग में परिस्थितियां और घटनाएं तेजी से घटती हैं, स्वाभाविक है इनको नियंत्रित करने वाला भी उतना ही तेजी से चलने वाला हो। क्या करोड़ों के घोटालों की तह तक जाने में एक किताबी छात्र सफल हो सकता है? क्या वो इसे रोक पाने की योग्यता वाला अधिकारी बन सकता है? इसमें कोई शक नहीं कि इन परीक्षाओं से निकलने वाला व्यक्ति मानसिक रूप से एक होनहार छात्र होता है मगर उसका व्यक्तित्व संपूर्णता से भरा हुआ भी होगा, यह दावे से नहीं कहा जा सकता। यह कहना भी कि, एक सफल छात्र को ट्रेनिंग के दौरान ऐसी शिक्षा दी जाती है कि वह इन कार्यों के लिए अनुभवी हो जाता है, गलत होगा। क्योंकि नैसर्गिक प्रतिभाओं से सिर्फ अनुभव प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकता। क्या यह ठीक नहीं होगा कि इन शक्तिशाली और उच्च पदों के लिए सर्वगुण संपन्न और ऊर्जावान युवाओं का चयन हो। ऐसी प्रणाली विकसित की जाए कि समाज के हर क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शित करने वाले का चुनाव हो।
मैनेजमेंट संस्थाओं के चयन प्रक्रिया की बात करें तो, इसमें अमूमन अंग्रेजी भाषा के ऊपर बहुत जोर दिया जाता है। यहां सवाल उठता है कि क्या सिर्फ भाषा से प्रबंधकीय बारीकियां समझी व समझायी जा सकती हैं? क्या सिर्फ भाषा के द्वारा प्रबंधन किया जा सकता है? या यूं कहें कि क्या सिर्फ भाषा के माध्यम से किसी कारखाने का उत्पादन और विक्रय बढ़ाया जा सकता है? किसी संस्था के लाभ में भाषा का कितना योगदान हो सकता है? यह एक अव्यवहारिक बात लगती है। यह सच है कि हम भाषा के माध्यम से अपनी बातों का आदान-प्रदान बेहतर ढंग से कर सकते हैं। मगर उसके लिए सिर्फ अंगे्रजी का ज्ञान होना ही आवश्यक क्यों? हमारे देश के बुद्धिजीवी वर्ग इस बात का तत्काल उत्तर देंगे कि विश्व व्यापार के लिए अंग्रेजी आवश्यक है। मगर यहां सवाल उठता है कि आपको अपना माल किसे बेचना है? बाजार में करोड़ों हिन्दी और चीनी भाषा बोलने वाले लोग हैं। आपके अधीनस्थ कार्य करने वाले लोग भी स्थानीय भाषा में ही बातचीत करते हैं फिर भी सिर्फ अंग्रेजी की बात करना कहीं एक धोखा तो नहीं? कहीं ये समाज के गिने-चुने लोगों द्वारा प्रभुत्व बरकरार रखने की साजिश तो नहीं? मूल बात है कि सिर्फ भाषा से ही प्रबंधन बिल्कुल नहीं हो सकता।
एक अच्छे प्रबंधक के पास नेतृत्व का गुण होना चाहिए। उसका एक लक्ष्य होता है। दूरदर्शिता होनी चाहिए, समय के साथ चलना, लोगों को साथ लेकर चलने की कला होनी चाहिए। आदमी के समूहों को प्रभावित करना आना चाहिए। मेहनती, समझदार, भावुक व संवेदनशील मगर किसी भी रूप में कमजोर नहीं। सोलह-कला संपन्न। मैनेजमेंट एक नैसर्गिक कला है। यह नेताओं अभिनेताओं में भी पायी जाती है। कोई भी शैक्षणिक संस्थान स्वाभाविक मैनेजर पैदा नहीं कर सकती। इसके द्वारा अच्छे मैनेजर में सिर्फ निखार लाया जा सकता है। संस्थायें एक क्लर्क तो बना सकती हैं लेकिन नेतृत्व प्रदान करने वाला कुशल अधिकारी नहीं। इसीलिए हिन्दुस्तान में ही नहीं विश्व उद्योग को खंगाल कर देख लें, जिन व्यक्तियों ने इतिहास रचा अर्थात मिट्टी से उठकर महल खड़ा किया, वो किसी मैनेजमेंट संस्थान के छात्र नहीं थे। फिर चाहे वह हमारे धीरूभाई अंबानी हों या फिर मुंबई स्थित टिफिन वालों का व्यापारिक समूह। यहां इन प्रतिभाओं को व्यावहारिक ज्ञान अधिक होता है। दूसरी ओर रईसों के बच्चों ने बड़ी-बड़ी संस्थाओं से डिग्री लेकर कोई विशेष तीर नहीं मारा। कइयों ने अगर अपने बाप-दादा की जागीर को किसी तरह से चलाया है तो कइयों ने उसे डूबा भी दिया।
हमें समय के हिसाब से अपनी चयन प्रक्रियाओं में समय-समय पर परिवर्तन करना होगा। हमें ऐसी चयन प्रक्रिया को अपनाना होगा जो सही प्राकृतिक प्रतिभाओं को, गांव की बस्तियों तक से निकाल सके। सचिन तेंदुलकर से लेकर पीटी उषा तक, ध्यानचंद से मिल्खा सिंह भी, किसी एकेडमी या संस्थान द्वारा पैदा नहीं किए जाते। यहां उन चयनकर्ताओं की पारखी निगाहें थीं जिन्होंने इन्हें भीड़ में से पहचान कर अलग किया।
 

यह लेख मनोज सिंह द्वारा लिखा गया है.मनोजसिंह ,कवि ,कहानीकार ,उपन्यासकार एवं स्तंभकार के रूप में प्रसिद्ध है .आपकी'चंद्रिकोत्त्सव ,बंधन ,कशमकश और 'व्यक्तित्व का प्रभाव' आदि पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है.

COMMENTS

Leave a Reply: 1
  1. प्रतियोगी परीक्षाओं में परिवर्तन/विचार मंथन --It is very valuable note

    जवाब देंहटाएं
आपकी मूल्यवान टिप्पणियाँ हमें उत्साह और सबल प्रदान करती हैं, आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है !
टिप्पणी के सामान्य नियम -
१. अपनी टिप्पणी में सभ्य भाषा का प्रयोग करें .
२. किसी की भावनाओं को आहत करने वाली टिप्पणी न करें .
३. अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .

नाम

अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोश,3,अकबर इलाहाबादी,11,अकबर बीरबल के किस्से,62,अज्ञेय,37,अटल बिहारी वाजपेयी,1,अदम गोंडवी,3,अनंतमूर्ति,3,अनौपचारिक पत्र,16,अन्तोन चेख़व,2,अमीर खुसरो,7,अमृत राय,1,अमृतलाल नागर,1,अमृता प्रीतम,5,अयोध्यासिंह उपाध्याय "हरिऔध",7,अली सरदार जाफ़री,3,अष्टछाप,4,असगर वज़ाहत,11,आनंदमठ,4,आरती,11,आर्थिक लेख,8,आषाढ़ का एक दिन,22,इक़बाल,2,इब्ने इंशा,27,इस्मत चुगताई,3,उपेन्द्रनाथ अश्क,1,उर्दू साहित्‍य,179,उर्दू हिंदी शब्दकोश,1,उषा प्रियंवदा,5,एकांकी संचय,7,औपचारिक पत्र,32,कक्षा 10 हिन्दी स्पर्श भाग 2,17,कबीर के दोहे,19,कबीर के पद,1,कबीरदास,19,कमलेश्वर,7,कविता,1480,कहानी लेखन हिंदी,17,कहानी सुनो,2,काका हाथरसी,4,कामायनी,6,काव्य मंजरी,11,काव्यशास्त्र,40,काशीनाथ सिंह,1,कुंज वीथि,12,कुँवर नारायण,1,कुबेरनाथ राय,2,कुर्रतुल-ऐन-हैदर,1,कृष्णा सोबती,3,केदारनाथ अग्रवाल,4,केशवदास,6,कैफ़ी आज़मी,4,क्षेत्रपाल शर्मा,53,खलील जिब्रान,3,ग़ज़ल,139,गजानन माधव "मुक्तिबोध",15,गीतांजलि,1,गोदान,7,गोपाल सिंह नेपाली,1,गोपालदास नीरज,10,गोरख पाण्डेय,3,गोरा,2,घनानंद,3,चन्द्रधर शर्मा गुलेरी,6,चमरासुर उपन्यास,7,चाणक्य नीति,5,चित्र शृंखला,1,चुटकुले जोक्स,15,छायावाद,6,जगदीश्वर चतुर्वेदी,17,जयशंकर प्रसाद,35,जातक कथाएँ,10,जीवन परिचय,77,ज़ेन कहानियाँ,2,जैनेन्द्र कुमार,7,जोश मलीहाबादी,2,ज़ौक़,4,तुलसीदास,28,तेलानीराम के किस्से,7,त्रिलोचन,4,दाग़ देहलवी,5,दादी माँ की कहानियाँ,1,दुष्यंत कुमार,7,देव,1,देवी नागरानी,23,धर्मवीर भारती,12,नज़ीर अकबराबादी,3,नव कहानी,2,नवगीत,1,नागार्जुन,25,नाटक,1,निराला,39,निर्मल वर्मा,4,निर्मला,42,नेत्रा देशपाण्डेय,3,पंचतंत्र की कहानियां,42,पत्र लेखन,202,परशुराम की प्रतीक्षा,3,पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र',4,पाण्डेय बेचन शर्मा,1,पुस्तक समीक्षा,141,प्रयोजनमूलक हिंदी,38,प्रेमचंद,50,प्रेमचंद की कहानियाँ,91,प्रेरक कहानी,16,फणीश्वर नाथ रेणु,4,फ़िराक़ गोरखपुरी,9,फ़ैज़ अहमद फ़ैज़,24,बच्चों की कहानियां,88,बदीउज़्ज़माँ,1,बहादुर शाह ज़फ़र,6,बाल कहानियाँ,14,बाल दिवस,3,बालकृष्ण शर्मा 'नवीन',1,बिहारी,8,बैताल पचीसी,2,बोधिसत्व,9,भक्ति साहित्य,143,भगवतीचरण वर्मा,7,भवानीप्रसाद मिश्र,3,भारतीय कहानियाँ,61,भारतीय व्यंग्य चित्रकार,7,भारतीय शिक्षा का इतिहास,3,भारतेन्दु हरिश्चन्द्र,10,भाषा विज्ञान,18,भीष्म साहनी,9,भैरव प्रसाद गुप्त,2,मंगल ज्ञानानुभाव,22,मजरूह सुल्तानपुरी,1,मधुशाला,7,मनोज सिंह,16,मन्नू भंडारी,10,मलिक मुहम्मद जायसी,9,महादेवी वर्मा,20,महावीरप्रसाद द्विवेदी,3,महीप सिंह,1,महेंद्र भटनागर,73,माखनलाल चतुर्वेदी,3,मिर्ज़ा गालिब,39,मीर तक़ी 'मीर',20,मीरा बाई के पद,22,मुल्ला नसरुद्दीन,6,मुहावरे,4,मैथिलीशरण गुप्त,14,मैला आँचल,8,मोहन राकेश,16,यशपाल,19,रंगराज अयंगर,43,रघुवीर सहाय,6,रणजीत कुमार,29,रवीन्द्रनाथ ठाकुर,22,रसखान,11,रांगेय राघव,2,राजकमल चौधरी,1,राजनीतिक लेख,21,राजभाषा हिंदी,66,राजिन्दर सिंह बेदी,1,राजीव कुमार थेपड़ा,4,रामचंद्र शुक्ल,3,रामधारी सिंह दिनकर,25,रामप्रसाद 'बिस्मिल',1,रामविलास शर्मा,9,राही मासूम रजा,8,राहुल सांकृत्यायन,2,रीतिकाल,3,रैदास,4,लघु कथा,125,लोकगीत,1,वरदान,11,विचार मंथन,60,विज्ञान,1,विदेशी कहानियाँ,34,विद्यापति,8,विविध जानकारी,1,विष्णु प्रभाकर,3,वृंदावनलाल वर्मा,1,वैज्ञानिक लेख,8,शमशेर बहादुर सिंह,6,शमोएल अहमद,5,शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय,1,शरद जोशी,3,शिक्षाशास्त्र,6,शिवमंगल सिंह सुमन,6,शुभकामना,1,शेख चिल्ली की कहानी,1,शैक्षणिक लेख,57,शैलेश मटियानी,3,श्यामसुन्दर दास,1,श्रीकांत वर्मा,1,श्रीलाल शुक्ल,4,संयुक्त राष्ट्र संघ,1,संस्मरण,34,सआदत हसन मंटो,10,सतरंगी बातें,33,सन्देश,44,समसामयिक हिंदी लेख,270,समीक्षा,1,सर्वेश्वरदयाल सक्सेना,19,सारा आकाश,22,साहित्य सागर,22,साहित्यिक लेख,88,साहिर लुधियानवी,5,सिंह और सियार,1,सुदर्शन,3,सुदामा पाण्डेय "धूमिल",10,सुभद्राकुमारी चौहान,7,सुमित्रानंदन पन्त,23,सूरदास,16,सूरदास के पद,21,स्त्री विमर्श,11,हजारी प्रसाद द्विवेदी,4,हरिवंशराय बच्चन,28,हरिशंकर परसाई,24,हिंदी कथाकार,12,हिंदी निबंध,438,हिंदी लेख,537,हिंदी व्यंग्य लेख,14,हिंदी समाचार,187,हिंदीकुंज सहयोग,1,हिन्दी,7,हिन्दी टूल,4,हिन्दी आलोचक,7,हिन्दी कहानी,32,हिन्दी गद्यकार,4,हिन्दी दिवस,91,हिन्दी वर्णमाला,3,हिन्दी व्याकरण,45,हिन्दी संख्याएँ,1,हिन्दी साहित्य,9,हिन्दी साहित्य का इतिहास,21,हिन्दीकुंज विडियो,11,aapka-banti-mannu-bhandari,6,aaroh bhag 2,14,astrology,1,Attaullah Khan,2,baccho ke liye hindi kavita,70,Beauty Tips Hindi,3,bhasha-vigyan,1,chitra-varnan-hindi,3,Class 10 Hindi Kritika कृतिका Bhag 2,5,Class 11 Hindi Antral NCERT Solution,3,Class 9 Hindi Kshitij क्षितिज भाग 1,17,Class 9 Hindi Sparsh,15,divya-upanyas-yashpal,5,English Grammar in Hindi,3,formal-letter-in-hindi-format,143,Godan by Premchand,12,hindi ebooks,5,Hindi Ekanki,20,hindi essay,430,hindi grammar,52,Hindi Sahitya Ka Itihas,105,hindi stories,682,hindi-bal-ram-katha,12,hindi-gadya-sahitya,8,hindi-kavita-ki-vyakhya,19,hindi-notes-university-exams,77,ICSE Hindi Gadya Sankalan,11,icse-bhasha-sanchay-8-solutions,18,informal-letter-in-hindi-format,59,jyotish-astrology,24,kavyagat-visheshta,26,Kshitij Bhag 2,10,lok-sabha-in-hindi,18,love-letter-hindi,3,mb,72,motivational books,12,naya raasta icse,9,NCERT Class 10 Hindi Sanchayan संचयन Bhag 2,3,NCERT Class 11 Hindi Aroh आरोह भाग-1,20,ncert class 6 hindi vasant bhag 1,14,NCERT Class 9 Hindi Kritika कृतिका Bhag 1,5,NCERT Hindi Rimjhim Class 2,13,NCERT Rimjhim Class 4,14,ncert rimjhim class 5,19,NCERT Solutions Class 7 Hindi Durva,12,NCERT Solutions Class 8 Hindi Durva,17,NCERT Solutions for Class 11 Hindi Vitan वितान भाग 1,3,NCERT Solutions for class 12 Humanities Hindi Antral Bhag 2,4,NCERT Solutions Hindi Class 11 Antra Bhag 1,19,NCERT Vasant Bhag 3 For Class 8,12,NCERT/CBSE Class 9 Hindi book Sanchayan,6,Nootan Gunjan Hindi Pathmala Class 8,18,Notifications,5,nutan-gunjan-hindi-pathmala-6-solutions,17,nutan-gunjan-hindi-pathmala-7-solutions,18,political-science-notes-hindi,1,question paper,19,quizzes,8,raag-darbari-shrilal-shukla,8,Rimjhim Class 3,14,samvad-lekhan-in-hindi,6,Sankshipt Budhcharit,5,Shayari In Hindi,16,skandagupta-natak-jaishankar-prasad,6,sponsored news,10,suraj-ka-satvan-ghoda-dharmveer-bharti,6,Syllabus,7,tamas-upanyas-bhisham-sahni,4,top-classic-hindi-stories,59,UP Board Class 10 Hindi,4,Vasant Bhag - 2 Textbook In Hindi For Class - 7,11,vitaan-hindi-pathmala-8-solutions,16,VITAN BHAG-2,5,vocabulary,19,
ltr
item
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika: प्रतियोगी परीक्षाओं में परिवर्तन/विचार मंथन
प्रतियोगी परीक्षाओं में परिवर्तन/विचार मंथन
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhDEPSdQCMYztGQ86VTNL_-RoeafWEKH36h33Q4RcIQMOi00Duski0Fl59bqj7XmR3RAug7Xb2u6U8ssa6Y8pTD2s2qAy-ztUuCfIyqP2W4acR5E5N7FDIsNO2dnDw3dHFv-yS6UiK5hHob/s200/9.jpg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhDEPSdQCMYztGQ86VTNL_-RoeafWEKH36h33Q4RcIQMOi00Duski0Fl59bqj7XmR3RAug7Xb2u6U8ssa6Y8pTD2s2qAy-ztUuCfIyqP2W4acR5E5N7FDIsNO2dnDw3dHFv-yS6UiK5hHob/s72-c/9.jpg
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika
https://www.hindikunj.com/2011/10/pratiyogi-parikshaon-main-parivartan.html
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/2011/10/pratiyogi-parikshaon-main-parivartan.html
true
6755820785026826471
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका