सामाजिक रुढिवाद की देन है हिन्दू-मुस्लिम विद्वेष

SHARE:

इस्लामिक दर्शन और धर्म की परंपराओं के बारे में घृणा के माहौल को खत्म करने का सबसे आसान तरीका है मुसलमानों और इस्लाम धर्म के प्रति अलगाव ...

इस्लामिक दर्शन और धर्म की परंपराओं के बारे में घृणा के माहौल को खत्म करने का सबसे आसान तरीका है मुसलमानों और इस्लाम धर्म के प्रति अलगाव को दूर किया जाए। मुसलमानों को दोस्त बनाया जाए। उनके साथ रोटी-बेटी के संबंध स्थापित किए जाएं। उन्हें अछूत न समझा जाए। भारत जैसे बहुसांस्कृतिक देश में धर्मनिरपेक्ष संस्कृति को निर्मित करने लिए जमीनी स्तर पर विभिन्न धर्मों और उनके मानने वालों के बीच में सांस्कृतिक -सामाजिक आदान-प्रदान पर जोर दिया जाए। अन्तर्धार्मिक समारोहों के आयोजन किए जाएं। मुसलमानों और हिन्दुओं में व्याप्त सामाजिक अलगाव को दूर करने के लिए आपसी मेलजोल,प्रेम-मुहब्बत पर जोर दिया जाए। इससे समाज का सांस्कृतिक खोखलापन दूर होगा,रूढ़िवाद टूटेगा और सामाजिक परायापन घटेगा।
जगदीश्वर चतुर्वेदी

भारत में करोड़ों मुसलमान रहते हैं लेकिन गैर मुस्लिम समुदाय के अधिकांश लोगों को यह नहीं मालूम कि मुसलमान कैसे रहते हैं,कैसे खाते हैं, उनकी क्या मान्यताएं, रीति-रिवाज हैं। अधिकांश लोगों को मुसलमानों के बारे में सिर्फ इतना मालूम है कि दूसरे वे धर्म के मानने वाले हैं । उन्हें जानने से हमें क्या लाभ है। इस मानसिकता ने हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच के सामाजिक अंतराल को बढ़ाया है। इस अंतराल ने संशय,घृणा और बेगानेपन को पुख्ता किया है।
मुसलमानों के बारे में एक मिथ है कि उनका खान-पान और हमारा खान-पान अलग है, उनका धर्म और हमारा धर्म अलग है। वे मांस खाते हैं, गौ मांस खाते हैं। इसलिए वे हमारे दोस्त नहीं हो सकते। मजेदार बात यह है कि ये सारी दिमागी गड़बड़ियां कारपोरेट संस्कृति उद्योग के प्रचार के गर्भ से पैदा हुई हैं।
सच यह है कि मांस अनेक हिन्दू भी खाते हैं,गाय का मांस सारा यूरोप खाता है। मैकडोनाल्ड और ऐसी दूसरी विश्वव्यापी खाद्य कंपनियां हमारे शहरों में वे ही लोग लेकर आए हैं जो यहां पर बड़े पैमाने पर मुसलमानों से मेलजोल का विरोध करते हैं। मीडिया के प्रचार की खूबी है कि उसने मैकडोनाल्ड का मांस बेचना, उसकी दुकान में मांस खाना, यहां तक कि गौमांस खाना तो पवित्र बना दिया है, लेकिन मुसलमान यदि ऐसा करता है तो वह पापी है,शैतान है ,हिन्दू धर्म विरोधी है।
आश्चर्य की बात है जिन्हें पराएपन के कारण मुसलमानों से परहेज है उन्हें पराए देश की बनी वस्तुओं, खाद्य पदार्थों , पश्चिमी रहन-सहन,वेशभूषा, जीवनशैली आदि से कोई परहेज नहीं है। यानी जो मुसलमानों के खिलाफ ज़हर फैलाते हैं वे पश्चिमी सभ्यता और संस्कृति के अंधभक्तों की तरह प्रचार करते रहते हैं। उस समय उन्हें अपना देश,अपनी संस्कृति,देशी दुकानदार,देशी माल,देशी खानपान आदि कुछ भी नजर नहीं आता। अनेक अवसरों पर यह भी देखा गया है कि मुसलमानों के प्रति घृणा फैलाने वाले पढ़े लिखे लोग ऐसी बेतुकी बातें करते हैं जिन्हें सुनकर आश्चर्य होता है। वे कहते हैं मुसलमान कट्टर होता है। रूढ़िवादी होता है। भारत की परंपरा और संस्कृति में मुसलमान कभी घुलमिल नहीं पाए,वे विदेशी हैं।
मुसलमानों में कट्टरपंथी लोग यह प्रचार करते हैं कि मुसलमान तो भारत के विजेता रहे हैं।वे मुहम्मद बिन कासिम,मुहम्मद गोरी और महमूद गजनवी की संतान हैं। उनकी संस्कृति का स्रोत ईरान और अरब में है। उसका भारत की संस्कृति और सभ्यता के विकास से कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन सच यह नहीं है।
सच यह है कि 15वीं शताब्दी से लेकर आज तक भारत के सांस्कृतिक -राजनीतिक-आर्थिक निर्माण में मुसलमानों की सक्रिय भूमिका रही है। पन्द्रहवीं से लेकर 18वीं शताब्दी तक उत्तरभारत की प्रत्येक भाषा में मुसलमानों ने शानदार साहित्य रचा है। भारत में तुर्क,पठान अरब आदि जातीयताओं से आने शासकों को अपनी मातृभाषा की भारत में जरूरत ही नहीं पड़ी,वे भारत में जहां पर भी गए उन्होंने वहां की भाषा सीखी और स्थानीय संस्कृति को अपनाया। स्थानीय भाषा में साहित्य रचा। अपनी संस्कृति और सभ्यता को छोड़कर यहीं के होकर रह गए। लेकिन जो यहां के रहने वाले थे और जिन्होंने अपना धर्म बदल लिया था उनको अपनी भाषा बदलने की जरूरत महसूस नहीं हुई। जो बाहर से आए थे वे स्थानीय भाषा और संस्कृति का हिस्सा बनकर रह गए।
हिन्दी आलोचक रामविलास शर्मा ने लिखा है मुसलमानों के रचे साहित्य की एक विशेषता धार्मिक कट्टरता की आलोचना, हिन्दू धर्म के प्रति सहिष्णुता,हिन्दू देवताओं की महिमा का वर्णन है। दूसरी विशेषता यहाँ की लोक संस्कृति,उत्सवों-त्यौहारों आदि का वर्णन है। तीसरी विशेषता सूफी-मत का प्रभाव और वेदान्त से उनकी विचारधारा का सामीप्य है।
उल्लेखनीय है दिल्ली सल्तनत की भाषा फारसी थी लेकिन मुसलमान कवियों की भाषाएँ भारत की प्रादेशिक भाषाएँ थीं। अकबर से लेकर औरंगजेब तक कट्टरपंथी मुल्लाओं ने सूफियों का जमकर विरोध किया। औरंगजेब के जमाने में उनका यह प्रयास सफल रहा और साहित्य और जीवन से सूफी गायब होने लगे। फारसीयत का जोर बढ़ा।
भारत में ऐसी ताकतें हैं जो मुसलमानों को गुलाम बनाकर रखने ,उन्हें दोयमदर्जे का नागरिक बनाकर रखने में हिन्दू धर्म का गौरव समझती हैं। ऐसे संगठन भी हैं जो मुसलमानों के प्रति अहर्निश घृणा फैलाते रहते हैं। इन संगठनों के सामाजिक-राजनीतिक प्रभाव का ही दुष्परिणाम है कि आज मुसलमान भारत में अपने को उपेक्षित,पराया और असुरक्षित महसूस करते हैं।
जिस तरह हिन्दुओं में मुसलमानों के प्रति घृणा पैदा करने वाले संगठन सक्रिय हैं वैसे ही मुसलमानों में हिन्दुओं के प्रति घृणा पैदा करने वाले संगठन भी सक्रिय हैं। ये एक ही किस्म की विचारधारा यानी साम्प्रदायिकता के दो रंग हैं।
हिन्दी के महाकवि सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला ने हिन्दू-मुस्लिम भेद को नष्ट करने के लिए जो रास्ता सुझाया है वह काबिलोगौर है। उन्होंने लिखा-‘‘ भारतवर्ष में जो सबसे बड़ी दुर्बलता है ,वह शिक्षा की है। हिन्दुओं और मुसलमानों में विरोध के भाव दूर करने के लिए चाहिए कि दोनों को दोनों के उत्कर्ष का पूर्ण रीति से ज्ञान कराया जाय। परस्पर के सामाजिक व्यवहारों में दोनों शरीक हों,दोनों एक-दूसरे की सभ्यता को पढ़ें और सीखें। फिर जिस तरह भाषा में मुसलमानों के चिह्न रह गए हैं और उन्हें अपना कहते हुए अब किसी हिन्दू को संकोच नहीं होता, उसी तरह मुसलमानों को भी आगे चलकर एक ही ज्ञान से प्रसूत समझकर अपने ही शरीर का एक अंग कहते हुए हिन्दुओं को संकोच न होगा। इसके बिना,दृढ़ बंधुत्व के बिना ,दोनों की गुलामी के पाश नहीं कट सकते,खासकर ऐसे समय ,जबकि फूट डालना शासन का प्रधान सूत्र है।’’
भारत में मुसलमान विरोध का सामाजिक और वैचारिक आधार है जातिप्रथा,वर्णाश्रम व्यवस्था। इसी के गर्भ से खोखली भारतीयता का जन्म हुआ है जिसे अनेक हिन्दुत्ववादी संगठन प्रचारित करते रहते हैं। जातिप्रथा के बने रहने के कारण धार्मिक रूढ़ियां और धार्मिक विद्वेष भी बना हुआ है।
भारत में धार्मिक विद्वेष का आधार है सामाजिक रूढ़ियाँ। इसके कारण हिन्दू और मुसलमानों दोनों में ही सामाजिक रूढ़ियों को किसी न किसी शक्ल में बनाए रखने पर कट्टरपंथी लोग जोर दे रहे हैं। इसके कारण हिन्दू-मुस्लिम विद्वेष बढ़ा है। सामाजिक एकता और भाईचारा टूटा है। हिन्दू-मुसलमान एक हों इसके लिए जरूरी है धार्मिक -सामाजिक रूढ़ियों का दोनों ही समुदाय अपने स्तर पर यहां विरोध करें।
हिन्दू-मुस्लिम समस्या हमारी पराधीनता की समस्या है। अंग्रेजी शासन इसे हमें विरासत में दे गया है। इस प्रसंग में निराला ने बड़ी मार्के की बात कही है। निराला का मानना है हिन्दू मुसलमानों के हाथ का छुआ पानी पिएं,पहले यह प्राथमिक साधारण व्यवहार जारी करना चाहिए। इसके बाद एकीकरण के दूसरे प्रश्न हल होंगे।
निराला के शब्दों में हिन्दू-मुसलमानों में एकता पैदा करने के लिए इन समुदायों को ‘‘वर्तमान वैज्ञानिकों की तरह विचारों की ऊँची भूमि’’ पर ले जाने की जरूरत है। इससे ही वे सामाजिक और धार्मिक रूढ़ियों से मुक्त होंगे।

यह लेख जगदीश्वर चतुर्वेदी जी द्वारा लिखा गया है . आप कलकत्ता विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में प्रोफेसर हैं .संपर्क ईमेल - jcramram@gmail.com

COMMENTS

Leave a Reply: 12
  1. हिन्दू, मुस्लिम पर लिखा यह लेख अच्छा लगा. लेखक ने नवीन विचारो के साथ एकता स्थापित करने के तरीको पर प्रकाश डाला.

    जवाब देंहटाएं
  2. bada hi bachkana lekh hai chaturwedi ji badi hi niraasha huyi pad kar lagta hai kabhi aapane islamic itihaas ko nahi pada na hi usaka adhyan kiya hai zara bhi pada hota to shyad yah lekh na likhate

    जवाब देंहटाएं
  3. chaturwedi ji apake lekh ko pad kar bahut hi nirasha huyi lagta hai aapane islamic shahitya aur itithaas ko nahi pada hai sirf shuni huyi baaton par hi apana lekh likh diya hai agar aapane zara bhi islamic itihaas pada hota to shayad yah lekh kabhi na likhate

    जवाब देंहटाएं
  4. THERE ARE MANY WHO RAISE ISSUES, WRITER HERE PROVIDES SOLUTIONS TOO

    जवाब देंहटाएं
  5. THERE ARE MANY WHO RAISE ISSUES, WRITER HERE PROVIDES SOLUTIONS TOO

    जवाब देंहटाएं
  6. चतुर्वेदी जी को इतिहास का थोड़ा सा भी ग्यान होता और पवित्र कुरान की हदीसे पढ़े होते तो ऐसी लेख कभी भी उनके जहन में नही आती! अच्छा होगा पहले कुरान का अध्ययन कर लें!

    जवाब देंहटाएं
  7. चतुर्वेदी जी आपको इतिहास का थोड़ा सा भी ग्यान नही है! अगर आप मुगलकालिन इतिहास और पवित्र कुरान की चन्द हदिशें भी पढ़े होते तो आपकी अंतःआत्मा कभी भी ऐसी लेखक की इजाजत नहीं देती! अच्छा होगा पहले आप कुरान का अध्ययन करलें! जय हिंद!

    जवाब देंहटाएं
  8. बेनामी सर! कहानी को very nice या हमारे टिप्पणी को? अगर टिप्पणी को तो हमारे तरफ से धन्यवाद! जय हिंद!

    जवाब देंहटाएं
  9. बेनामीजून 17, 2014 1:55 pm

    चतुर्वेदी जी ताली एक हाथ से नहीं बजती हैं, आप का लेख हकीकत से कोशो दूर हैं , या तो आपको कुछ पता नहीं हैं या आप सच्चाई लिखना नहीं चाहते अतः आप अपना ज्ञान बढ़ा कर लेख लिखा करे,

    जवाब देंहटाएं
  10. चतुर्वेदी जी अपने विचार और अपना नजरिया सभी को रखने का अधिकार है आपने जो सोचा वो लिखा पर इस पर अध्य्यन किया होता तो आपकी सोच एक तरफा नहीं होती। आपने इसे मुस्लिम नजरिए से लिखा है कि हिंदु उनके बारे में नहीं जानते. हिंदु उनके गौ मांस खाने के कारण उनसे दूर रहते हैं। हिंदु उनके खान-पान रहन-सहन की जानकारी नहीं रखते। पर ऐसा कतई नहीं है स्कूल कॉलेज ऑफिस में काम करने से ये दूरियां और दायरे कम हुए हैं। कई मुस्लिम साथियों में जरुर हिंदुओं के बारे में नकारात्मक सोच देखी है। पर हिंदुवाद इतना स्वतंत्र है उसने सभी को अपनाया है गले से लगाया है पर इतना अधिकार तो उसे भी है कि अगर पूंछ पर पांव रखोगे तो काटे बेशक नहीं पर फुंफकारेगें जरुर जिससे अपनी शख्श्यित का एहसास दिला दें।

    जवाब देंहटाएं
आपकी मूल्यवान टिप्पणियाँ हमें उत्साह और सबल प्रदान करती हैं, आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है !
टिप्पणी के सामान्य नियम -
१. अपनी टिप्पणी में सभ्य भाषा का प्रयोग करें .
२. किसी की भावनाओं को आहत करने वाली टिप्पणी न करें .
३. अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .

नाम

अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोश,3,अकबर इलाहाबादी,11,अकबर बीरबल के किस्से,62,अज्ञेय,37,अटल बिहारी वाजपेयी,1,अदम गोंडवी,3,अनंतमूर्ति,3,अनौपचारिक पत्र,16,अन्तोन चेख़व,2,अमीर खुसरो,7,अमृत राय,1,अमृतलाल नागर,1,अमृता प्रीतम,5,अयोध्यासिंह उपाध्याय "हरिऔध",7,अली सरदार जाफ़री,3,अष्टछाप,4,असगर वज़ाहत,11,आनंदमठ,4,आरती,11,आर्थिक लेख,8,आषाढ़ का एक दिन,22,इक़बाल,2,इब्ने इंशा,27,इस्मत चुगताई,3,उपेन्द्रनाथ अश्क,1,उर्दू साहित्‍य,179,उर्दू हिंदी शब्दकोश,1,उषा प्रियंवदा,5,एकांकी संचय,7,औपचारिक पत्र,32,कक्षा 10 हिन्दी स्पर्श भाग 2,17,कबीर के दोहे,19,कबीर के पद,1,कबीरदास,19,कमलेश्वर,7,कविता,1474,कहानी लेखन हिंदी,17,कहानी सुनो,2,काका हाथरसी,4,कामायनी,6,काव्य मंजरी,11,काव्यशास्त्र,38,काशीनाथ सिंह,1,कुंज वीथि,12,कुँवर नारायण,1,कुबेरनाथ राय,2,कुर्रतुल-ऐन-हैदर,1,कृष्णा सोबती,2,केदारनाथ अग्रवाल,4,केशवदास,6,कैफ़ी आज़मी,4,क्षेत्रपाल शर्मा,52,खलील जिब्रान,3,ग़ज़ल,139,गजानन माधव "मुक्तिबोध",15,गीतांजलि,1,गोदान,7,गोपाल सिंह नेपाली,1,गोपालदास नीरज,10,गोरख पाण्डेय,3,गोरा,2,घनानंद,3,चन्द्रधर शर्मा गुलेरी,6,चमरासुर उपन्यास,7,चाणक्य नीति,5,चित्र शृंखला,1,चुटकुले जोक्स,15,छायावाद,6,जगदीश्वर चतुर्वेदी,17,जयशंकर प्रसाद,35,जातक कथाएँ,10,जीवन परिचय,76,ज़ेन कहानियाँ,2,जैनेन्द्र कुमार,6,जोश मलीहाबादी,2,ज़ौक़,4,तुलसीदास,28,तेलानीराम के किस्से,7,त्रिलोचन,4,दाग़ देहलवी,5,दादी माँ की कहानियाँ,1,दुष्यंत कुमार,7,देव,1,देवी नागरानी,23,धर्मवीर भारती,10,नज़ीर अकबराबादी,3,नव कहानी,2,नवगीत,1,नागार्जुन,25,नाटक,1,निराला,39,निर्मल वर्मा,4,निर्मला,42,नेत्रा देशपाण्डेय,3,पंचतंत्र की कहानियां,42,पत्र लेखन,202,परशुराम की प्रतीक्षा,3,पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र',4,पाण्डेय बेचन शर्मा,1,पुस्तक समीक्षा,139,प्रयोजनमूलक हिंदी,38,प्रेमचंद,47,प्रेमचंद की कहानियाँ,91,प्रेरक कहानी,16,फणीश्वर नाथ रेणु,4,फ़िराक़ गोरखपुरी,9,फ़ैज़ अहमद फ़ैज़,24,बच्चों की कहानियां,88,बदीउज़्ज़माँ,1,बहादुर शाह ज़फ़र,6,बाल कहानियाँ,14,बाल दिवस,3,बालकृष्ण शर्मा 'नवीन',1,बिहारी,8,बैताल पचीसी,2,बोधिसत्व,9,भक्ति साहित्य,143,भगवतीचरण वर्मा,7,भवानीप्रसाद मिश्र,3,भारतीय कहानियाँ,61,भारतीय व्यंग्य चित्रकार,7,भारतीय शिक्षा का इतिहास,3,भारतेन्दु हरिश्चन्द्र,10,भाषा विज्ञान,17,भीष्म साहनी,8,भैरव प्रसाद गुप्त,2,मंगल ज्ञानानुभाव,22,मजरूह सुल्तानपुरी,1,मधुशाला,7,मनोज सिंह,16,मन्नू भंडारी,10,मलिक मुहम्मद जायसी,9,महादेवी वर्मा,20,महावीरप्रसाद द्विवेदी,3,महीप सिंह,1,महेंद्र भटनागर,73,माखनलाल चतुर्वेदी,3,मिर्ज़ा गालिब,39,मीर तक़ी 'मीर',20,मीरा बाई के पद,22,मुल्ला नसरुद्दीन,6,मुहावरे,4,मैथिलीशरण गुप्त,14,मैला आँचल,8,मोहन राकेश,15,यशपाल,15,रंगराज अयंगर,43,रघुवीर सहाय,6,रणजीत कुमार,29,रवीन्द्रनाथ ठाकुर,22,रसखान,11,रांगेय राघव,2,राजकमल चौधरी,1,राजनीतिक लेख,21,राजभाषा हिंदी,66,राजिन्दर सिंह बेदी,1,राजीव कुमार थेपड़ा,4,रामचंद्र शुक्ल,3,रामधारी सिंह दिनकर,25,रामप्रसाद 'बिस्मिल',1,रामविलास शर्मा,9,राही मासूम रजा,8,राहुल सांकृत्यायन,2,रीतिकाल,3,रैदास,4,लघु कथा,124,लोकगीत,1,वरदान,11,विचार मंथन,60,विज्ञान,1,विदेशी कहानियाँ,34,विद्यापति,8,विविध जानकारी,1,विष्णु प्रभाकर,2,वृंदावनलाल वर्मा,1,वैज्ञानिक लेख,8,शमशेर बहादुर सिंह,6,शमोएल अहमद,5,शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय,1,शरद जोशी,3,शिक्षाशास्त्र,6,शिवमंगल सिंह सुमन,6,शुभकामना,1,शेख चिल्ली की कहानी,1,शैक्षणिक लेख,57,शैलेश मटियानी,2,श्यामसुन्दर दास,1,श्रीकांत वर्मा,1,श्रीलाल शुक्ल,4,संयुक्त राष्ट्र संघ,1,संस्मरण,33,सआदत हसन मंटो,10,सतरंगी बातें,33,सन्देश,44,समसामयिक हिंदी लेख,269,समीक्षा,1,सर्वेश्वरदयाल सक्सेना,19,सारा आकाश,20,साहित्य सागर,22,साहित्यिक लेख,86,साहिर लुधियानवी,5,सिंह और सियार,1,सुदर्शन,3,सुदामा पाण्डेय "धूमिल",10,सुभद्राकुमारी चौहान,7,सुमित्रानंदन पन्त,23,सूरदास,16,सूरदास के पद,21,स्त्री विमर्श,11,हजारी प्रसाद द्विवेदी,4,हरिवंशराय बच्चन,28,हरिशंकर परसाई,24,हिंदी कथाकार,12,हिंदी निबंध,432,हिंदी लेख,532,हिंदी व्यंग्य लेख,14,हिंदी समाचार,182,हिंदीकुंज सहयोग,1,हिन्दी,7,हिन्दी टूल,4,हिन्दी आलोचक,7,हिन्दी कहानी,32,हिन्दी गद्यकार,4,हिन्दी दिवस,91,हिन्दी वर्णमाला,3,हिन्दी व्याकरण,45,हिन्दी संख्याएँ,1,हिन्दी साहित्य,9,हिन्दी साहित्य का इतिहास,21,हिन्दीकुंज विडियो,11,aapka-banti-mannu-bhandari,6,aaroh bhag 2,14,astrology,1,Attaullah Khan,2,baccho ke liye hindi kavita,70,Beauty Tips Hindi,3,bhasha-vigyan,1,chitra-varnan-hindi,3,Class 10 Hindi Kritika कृतिका Bhag 2,5,Class 11 Hindi Antral NCERT Solution,3,Class 9 Hindi Kshitij क्षितिज भाग 1,17,Class 9 Hindi Sparsh,15,English Grammar in Hindi,3,formal-letter-in-hindi-format,143,Godan by Premchand,11,hindi ebooks,5,Hindi Ekanki,20,hindi essay,424,hindi grammar,52,Hindi Sahitya Ka Itihas,105,hindi stories,679,hindi-bal-ram-katha,12,hindi-gadya-sahitya,8,hindi-kavita-ki-vyakhya,19,hindi-notes-university-exams,67,ICSE Hindi Gadya Sankalan,11,icse-bhasha-sanchay-8-solutions,18,informal-letter-in-hindi-format,59,jyotish-astrology,22,kavyagat-visheshta,25,Kshitij Bhag 2,10,lok-sabha-in-hindi,18,love-letter-hindi,3,mb,72,motivational books,11,naya raasta icse,9,NCERT Class 10 Hindi Sanchayan संचयन Bhag 2,3,NCERT Class 11 Hindi Aroh आरोह भाग-1,20,ncert class 6 hindi vasant bhag 1,14,NCERT Class 9 Hindi Kritika कृतिका Bhag 1,5,NCERT Hindi Rimjhim Class 2,13,NCERT Rimjhim Class 4,14,ncert rimjhim class 5,19,NCERT Solutions Class 7 Hindi Durva,12,NCERT Solutions Class 8 Hindi Durva,17,NCERT Solutions for Class 11 Hindi Vitan वितान भाग 1,3,NCERT Solutions for class 12 Humanities Hindi Antral Bhag 2,4,NCERT Solutions Hindi Class 11 Antra Bhag 1,19,NCERT Vasant Bhag 3 For Class 8,12,NCERT/CBSE Class 9 Hindi book Sanchayan,6,Nootan Gunjan Hindi Pathmala Class 8,18,Notifications,5,nutan-gunjan-hindi-pathmala-6-solutions,17,nutan-gunjan-hindi-pathmala-7-solutions,18,political-science-notes-hindi,1,question paper,19,quizzes,8,raag-darbari-shrilal-shukla,7,Rimjhim Class 3,14,samvad-lekhan-in-hindi,6,Sankshipt Budhcharit,5,Shayari In Hindi,16,skandagupta-natak-jaishankar-prasad,6,sponsored news,10,suraj-ka-satvan-ghoda-dharmveer-bharti,4,Syllabus,7,top-classic-hindi-stories,51,UP Board Class 10 Hindi,4,Vasant Bhag - 2 Textbook In Hindi For Class - 7,11,vitaan-hindi-pathmala-8-solutions,16,VITAN BHAG-2,5,vocabulary,19,
ltr
item
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika: सामाजिक रुढिवाद की देन है हिन्दू-मुस्लिम विद्वेष
सामाजिक रुढिवाद की देन है हिन्दू-मुस्लिम विद्वेष
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiHrQtuJ96wvNXSBEm9llGCpScDKWCmD6i9KObwH6W-DZCMs6cVu3AO-_bV_w5-F2rCrBihhGnyCdkYuCSpviyUEO1OTqNoEf1g3LINWbLTHyLn8TSYK9oHdd-z7YWJ_PvF7-tnP4RkFCm9/s1600/hindumuslimhug.jpg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiHrQtuJ96wvNXSBEm9llGCpScDKWCmD6i9KObwH6W-DZCMs6cVu3AO-_bV_w5-F2rCrBihhGnyCdkYuCSpviyUEO1OTqNoEf1g3LINWbLTHyLn8TSYK9oHdd-z7YWJ_PvF7-tnP4RkFCm9/s72-c/hindumuslimhug.jpg
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika
https://www.hindikunj.com/2014/03/hindu-muslim-relation.html
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/2014/03/hindu-muslim-relation.html
true
6755820785026826471
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका