डॉक्टरी के फायदे .हमारे एक परिचित अपने किशोरवय इकलौते सुपुत्र से बड़े परेशान थे .छोटे मियां खिलोने से खेलने की उम्र में ही खिलौनों के वजाय अपनी हमउम्र बच्चियों के साथ मम्मी पापा वाला खेल खेलने में दिलचस्पी ज्यादा रखते थे .
हमारे एक
परिचित अपने किशोरवय इकलौते सुपुत्र से बड़े परेशान थे .छोटे मियां खिलोने
से खेलने की उम्र में ही खिलौनों के वजाय अपनी हमउम्र बच्चियों के साथ
मम्मी पापा वाला खेल खेलने में दिलचस्पी ज्यादा रखते थे .हमारे यह छोटे से
चुलबुल पांडे कभी बच्चियों का हाथ कसके पकड़ रिंगा रिंगा रोजेज तो कभी पोशमपार खेलते और पोशमपार वाले खेल में "अब तो जेल में जाना पडेगा": वाली
जब अंतिम लाइन आती तो साथी खिलाड़ी को कसकर दवोचने में उन्हें अत्यंत
प्रसन्नता होती मानो वह इस खेल में अंतिम लाइन का ही बेसब्री से इन्तजार कर रहे हों। जब
छोटे मियां किशोरवय के हुए तो मम्मी पापा या रिश्तेदारों द्वारा मांगी गयी
मदद के बदले अपना कमीशन माँगना नहीं भूलते .परीक्षा में भूगोल उनके मोजे
में छिपा होता तो विज्ञान पेंट के अन्दर चड्डी में, हिंदी आस्तीन में और संस्कृत बेल्ट में गणित जूते के सोल में में दबा कसमसाकर उनकी परीक्षा की नैया पार लगाने के लिए छोटे मिया के आदेश का इन्तजार करता।
हमारे वह परिचित अपने पुत्र की करतूतों से आजिज आकर एक दिन हमसे बोले -मेडम जी, एक पुत्र की चाहत में हमने चार पुत्रियों को जन्म दे डाला और तीन एबॉर्शन करवा दिए श्रीमती जी के, जिससे की हमें एक ऐसे पुत्र की प्राप्ति हो जो हमारे बुढापे में हमारी सेवा करे और देखिये कैसा मास्टरपीस दिया है उपरवाले ने हमें। दुनिया का ऐसा कौनसा ऐव है जो हमारे इस नालायक सुपुत्र में नहीं है। आखिर
क्या कमी रह गयी थी हमारी पूजा अर्चना मे बीस किलो देसी घी के दिए जलाए
.सेंकडों पेकेट अगरवत्ती और धूपबत्ती के स्वाहा हो गए और तब जाके इस बेशर्म, निर्लज्ज को जन्मे थे .हम उनकी बात पर हंस पड़े तो परिचित का क्रोध हमपर ही उफान आया वह बोले - "मेडम जी यहाँ भविष्य और खानदान के नाम की वाट लगी हुई है और आप हंस रही हैं?" कमाल है भाई किसी ने ठीक ही कहा है -जाके पैर ना फाटे बिबाई वो क्या जाने पीर परायी।
हम बोले -भाईसाहब आप बाप होकर भी अपने पुत्र का हुनर नहीं पहचान पाए, पहचाना
होता तो कोसने के वजय गोदी में उठाकर बलैयां ले रहे होते .हमारी बात सुन
परिचित सुरसा की तरह मुंह फाड़ हैरानी से हमें देखने लगे .फिर बोले-मुआ कौनसा हुनर दिखा इस नालायक में आपको जरा में भी तो जानूं।
हमने जैसे ही कहा -डॉक्टर बनने का तो वह हमें बेवक़ूफ़ समझते हुए बोले -अरे क्या बात कर रही हैं बोलने से पहले सोचिये तो-यह ह्र्दयाविहीन, कमीशन खोर, लम्पट, मुन्ना भाई टाइप का नकलची एक जगह बेठे बेठे रोटियां तोड़ने वाला काम चोर में आपको नामी डॉक्टर बनने की सम्भावना दिखती है?
सपना मांगलिक |
हम
थोड़ी चमक अपनी आँखों में भर और उन्हें जुगनुओं की तरह चमकाते हुए बोले
-जिन्हें अप कमियां कह रहे हैं वाही इसकी खूबियाँ हैं फिर हमने उन्हें
विस्तार से समझाना शुरू किया -आपका सुप्त्र नकलची है इसलिए आसानी के साथ
प्रवेश परीक्षा पास कर लेगा .क्योंकि प्रतिवर्ष
मेडिकल एंट्रेंस में दो या तीन मुन्ना भाई पकडे ही जाते हैं और जो मुन्ना
नक़ल में होगा तगड़ा वो कभी ना जाएगा पकड़ा .रही बात ह्रद्याविहीन होने की
तो मेडिकल की पढ़ाई में मुर्दों को काटने चीरने और फाड़ने का कार्य ही
करवाया जाता है और तुम्हारा ह्रदय विहीन बालक
उससे घबराएगा नहीं आनन्द ही प्राप्त करके सीखेगा .अब चूंकि डॉक्टरी का पेशा
आधी आवादी की पहली पसंद है तो आपके सुपुत्र को रंगीन मिजाजी के भी उसमे
भरपूर अवसर मिलेंगे .बच्चे का मन पढ़ाई लिखाई में खूब रमेगा .अब समझो कि
उसने डॉक्टरी पास कर ली तो जहाँ नौकरी करेगा वहां उससे सांठ-गाँठ
करने दवाइयों के एजेंट और एम् आर भी आयेंगे तो इस तरह तुम्हारे कमीशन खोर
बेटे का पार्ट टाइम बिसनेस भी शुरू हो जाएगा.चुपके चुपके वह मरीजों को
अस्पताल के वजाय अपने घर पर देखने की सलाह देकर घर को ही नर्सिंगहोम बनाने कि शुरुआत करके अपने मालिक की कमाई ममे सेंध लगाएगा। महंगी
नकली दवा लिख वह दवा कम्पनियों से मोटी रकम और गिफ्ट वसूल दिन दूनी रात
चौगुनी तरक्की कर जल्द ही अपना खुद का नर्सिंग होम खोल लेगा.और उसकी नकली
दवाइयों से मरीज को सही होने में भी वक्त लगेगा हो सकता है कि मरीज की
परेशानी दो दूनी चार, चार दूनी आठ हो जाए तो यह भी सोने पे सुहागा होगा आपका बीटा हर सीजन में स्वार्थ का सीजन दनादन कूटेगा।
तुम्हारे
परिवार के दोनों हाथ घी में और सर तो कढाई से बाहर निकलेगा ही नहीं .वजह
जिस डॉक्टर के पास भीड़ ज्यादा होती है पब्लिक भी भेद चाल में उसके पास ही
ज्यादा जाती है .क्या फर्क पड़ता है कि मरीज उसी डॉक्टर की स्वार्थ प्रतिभा
का अंजाम हों .हमारी आँखों की चमक अब हमारे
परिचित की आँखों में उतरने लगी थी .हमने आगे कहा -भैया अब सुनो कोई और पेशा
इसने चुना तो इसकी लड़की बाजी की आदत की वजह से नौकरी तो जायेगी ही साथ
में रोज रोज की जूतम पजार भी होगी सो अलग और
तुम्हारी यह लम्बी नाक भी सूपर्णखा कि तरह आधी हो जाए तो भी कुछ संदेह नहीं
.मगर डॉक्टरी के इस महान पेशे में यह सम्भावना ही ख़तम हो जाती है
.तुम्हारे दुशासन बेटे ने एक बार शिवजी के नाग की तरह जो स्टेथोस्कोप गले में
लटकाया तो खुद द्रोपदियां अपने वस्त्र का पर्दा खोलेंगी और अगर वह गायनी
का डॉक्टर बना तो उनके रखबाले अर्थात घरबाले भी इसे नहीं रोक पायेंगे अपने
केबिन से लेकर ओटी तक तुम्हारा कन्हैया नर्स रुपी गोपियों के संग रास रचता
फिरेगा .उसके बाद किसी डॉक्टर लड़की से ही शादी
कर अपने नर्सिंग होम में अन्य डॉक्टर की जगह उसे देकर पुराने के पेट पर लात
मारेगा .आगे चलकर बच्चे भी डॉक्टर ही पैदा करेगा .और तुम्हारा खानदान
डॉक्टर के खानदान के नाम से जाना जाएगा .इतने में उनका होनहार बीटा कोलर
कड़ी करके वहां आया और बाप को हडकाते हुए बोला-डैड
दो हजार रूपये निकालो गर्लफ्रेंड को घुमाने ले जाना है .बाप जो अबतक पुत्र
को नालायक कह गालियों की बोछार कर रहा था .उसने फटाफट पैसे अपने लायक बेटे
के हाथ में रख उसे गर्व से चूम लिया। बेचारा लड़का पिताजी का ह्रदय परिवर्तित देख हक्का बक्का रह गया .और हम अपने भाषण की सफलता से मन ही मन मुस्का उठे।
यह रचना सपना मांगलिक जी द्वारा लिखी गयी है . आपका रचना कर्म कविता ,कहानी ,व्यंग ,गीत ,लेख ,संस्मरण ,समीक्षा आदि विभिन्न क्षेत्रों में फैला हुआ है . 'कल क्या होगा ,बगावत ,कमसिन बाला (काव्य ),पापा कब आओगे ,जंगल ट्रीट , गुनगुनाते अक्षर (बाल साहित्य ) आदि आपकी प्रकाशित कृतियाँ है . आपको विभिन्न प्रादेशिक व राजकीय सम्मानों से सम्मानित किया गया है . संपर्क सूत्र - सपना मांगलिक,F-659 आगरा (उत्तर प्रदेश) 282,005 मो. 9548509508, email-sapna8manglik@gmail.com