गजानन माधव " मुक्तिबोध " : एक परिचय आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रसिद्ध कवि गजानन माधव "मुक्तिबोध " का जन्म १३ ...
गजानन माधव "मुक्तिबोध" : एक परिचय
आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रसिद्ध कवि गजानन माधव "मुक्तिबोध" का जन्म १३ नवम्बर १९१७ को श्योपुर में ग्वालियर के निकट हुआ था। इनके पिता पुलिस विभाग के इंस्पेक्टर थे और उनका तबादला प्रायः
होता रहता था। इसीलिए मुक्तिबोध जी की पढाई में बाधा पड़ती रहती थी। सन १९३० में मुक्तिबोध जी ने मिडिल की परीक्षा ,उज्जैन से दी और फेल हो गए । कवि ने इस असफलता को अपने जीवन की महत्वपूर्ण घटना के रूप में स्वीकार किया है । मुक्तिबोध, अपने दोस्तों के साथ रात -बेरात शहर घूमने को निकल जाते थे। बीडी पीने की आदत शायद वही से पड़ी । रात का भयानक सन्नाटा ,रहस्यमयी वातावरण ,जुर्मो का अँधेरा संसार जो उनकी कविता में है ,रात को घूमने के कारण ने भी ऐसे बिम्बों को सजोने में मदद की होगी । इसके बाद मुक्तिबोध किसी तरह संभले और उनकी पढाई का सिलसिला ठीक ढंग से चला और साथ ही जीवन के प्रति उनकी नई संवेदना और जागरूकता बढ़ने लगी । मुक्तिबोध जी ,उज्जैन में पढ़ते हुए १९५३ में इन्होने साहित्य रचना का कार्य प्रारम्भ किया। सन १९३९ में इन्होने शांताजी से प्रेम विवाह किया।
मुक्तिबोध |
मुक्तिबोध जी ने छोटी आयु में बडनगर के मिडिल स्कूल में अध्यापन कार्य प्रारम्भ किया। इसके बाद शुजालपुर,उज्जैन ,कलकत्ता,इंदौर ,बम्बई, तथा बनारस आदि जगहों पर नौकरिया की। उन्होंने लिखा है कि "नौकरिया पकड़ता और छोड़ता रहा । शिक्षक ,पत्रकार ,पुनः शिक्षक ,सरकारी और गैर सरकारी नौकरिया। निम्न -मध्यवर्गीय जीवन,बाल -बच्चे ,दवादारू ,जन्म -मौत में उलझा रहा।
मुक्तिबोध की रूचि अध्ययन -अध्यापन,पत्रकारिता और समसामयिक राजनितिक एवं साहित्य के विषयों पर लेखन में थी। सन १९४२ के आस-पास वे वामपंथी विचारधारा को ओर झुके तथा शुजालपुर में रहते हुए उनकी वामपंथी चेतना मजबूत हुई। आजीवन गरीबी से लड़ते हुए, और रोगों का मुकाबला करते हुए अंततः ११ सितम्बर १९६४ को इनका देहांत हो गया।
डॉ.नामवर सिंह जी के शब्दों में - "नई कविता में मुक्तिबोध की जगह वही है ,जो छायावाद में निराला की थी। निराला के समान ही मुक्तिबोध ने भी अपनी युग के सामान्य काव्य-मूल्यों को प्रतिफलित करने के साथ ही उनकी सीमा की चुनौती देकर उस सर्जनात्मक विशिषटता को चरितार्थ किया, जिससे समकालीन काव्य का सही मूल्याकन हो सका ।" मुक्तिबोध जी की रचनाओ में एक स्वस्थ सामाजिक चेतना ,लोक मंगल भावना तथा जीवन के प्रति एक व्यापक दृष्टिकोण विद्यमान है। काव्य -सृजन के प्रति इनका दृष्टिकोण सर्वदा प्रगतिशील रहा है, अतः इन्हे आधुनिक हिन्दी कविता के बाद के किसी संकरे कटघरे में सीमित करना उचित नही :
रचना - कर्म :
डॉ.नामवर सिंह जी के शब्दों में - "नई कविता में मुक्तिबोध की जगह वही है ,जो छायावाद में निराला की थी। निराला के समान ही मुक्तिबोध ने भी अपनी युग के सामान्य काव्य-मूल्यों को प्रतिफलित करने के साथ ही उनकी सीमा की चुनौती देकर उस सर्जनात्मक विशिषटता को चरितार्थ किया, जिससे समकालीन काव्य का सही मूल्याकन हो सका ।" मुक्तिबोध जी की रचनाओ में एक स्वस्थ सामाजिक चेतना ,लोक मंगल भावना तथा जीवन के प्रति एक व्यापक दृष्टिकोण विद्यमान है। काव्य -सृजन के प्रति इनका दृष्टिकोण सर्वदा प्रगतिशील रहा है, अतः इन्हे आधुनिक हिन्दी कविता के बाद के किसी संकरे कटघरे में सीमित करना उचित नही :
" मै अपने से ही सम्मोहित ,मन मेरा डूबा निज में ही
मेरा ज्ञान निज में से ,मार्ग निकाला अपने से ही
मै अपने में ही जब खोया ,तो अपने से ही कुछ पाया
निज का उदासीन विश्लेषण आँखों में आंसू भर लाया। "
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"पूरी दुनिया साफ़ करने के लिए मेहतर चाहिए -
वह मेहतर मै नही हो पाता। "
वह मेहतर मै नही हो पाता। "
काव्य : चाँद का मुँह टेढा है, भूरी भूरी खाक धूल
आलोचना-साहित्य : कामायनी :एक पुनर्विचार ,भारत : इतिहास और संस्कृति, नई कविता का आत्म संघर्ष तथा अन्य निबंध ,नए साहित्य का सौंदर्यशास्त्र ।
कथा-साहित्य : काठ का सपना, विपात्र, सतह से उठता आदमी
यह हिन्दी साहित्य के लिए शर्म की बात है कि ऐसे प्रतिभावान कवि की जीवन भर भरसक उपेक्षा हुई और उनकी कोई काव्य-पुस्तक उनके जीवित रहते प्रकाशित नही हुई।
गजानंद जी के वारे में पहली वार इतनी जानकारी मिली
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी के लिये धन्यबाद......
Muktibodh ki khas baat ye thi ki unhone jo yatra kee wo apne kade anubhavon ke jariyekee. wampanth bhi unhone kisi kitabi formula ki tarh nahi paya tha Namwar jaiso kee tarah. aur is baat ka jikr hi nahi kiya jata ki ve kavi hee nahi the balki Ramchandra Shukl ke baad akele bade alochak bhi. halanki unhone kuchh hi alochnatamk tippaniya likhee.n
जवाब देंहटाएंआशुतोष जी
जवाब देंहटाएंजिस तरह आप हिन्दी साहित्य जगत
के अग्रणी साहित्यकारों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दे रहे हैं वह अत्यन्त सराहनीय है !
मैं आपके लेखन कार्य को नमन करता हूँ और आपके ब्लॉग की सफलता की कामना करता हूँ !
मेरी शुभकामनाएं
MAI TO AAPKE BLOG KA NIYAMIT PATHAK HO GAYA HU.... KYA KARU YE MERI MAJBOORI HAI AAPKE BLOG PAR ETNI ACHHI JANKARIYAN MILTI HAI KI AAPKE BLOG PAR AAKAR PADHNA ACHHA LAGTA HAI.
जवाब देंहटाएंMAI TO AAPKE BLOG KA NIYAMIT PATHAK HO GAYA HU.... KYA KARU YE MERI MAJBOORI HAI AAPKE BLOG PAR ETNI ACHHI JANKARIYAN MILTI HAI KI AAPKE BLOG PAR AAKAR PADHNA ACHHA LAGTA HAI.
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंhindi sahitya jagat ke baare me jankari bahut hi sunder pryas aur sahiya seva hai mere jaisi alpagia ke liye bahut labhkari hai dhanyavad muktibodh ji ki jeevanike baare me pad kar achha laga
जवाब देंहटाएंgood post badhai
जवाब देंहटाएंSundar prastuti hetu aabhaar.
जवाब देंहटाएंBahoot sunar jaankaari..........
जवाब देंहटाएंacchhaa lagaa padh kar
आपका प्रयास सराहनीय है
जवाब देंहटाएंजानकारी के लिये धन्यबाद|
जवाब देंहटाएंमुक्तिबोध जी पर लिखे गये इस आलेख के लिए आपका आभार.
जवाब देंहटाएंMuktibodh Ji par acchi jankari uplabdh karai aapne. Shubhkaamnayein.
जवाब देंहटाएंआशुतोष जी,
जवाब देंहटाएंमैं भी हिंदी साहित्य से जुड़ा हूं। गजानन माधव "मुक्तिबोध के बारे आपकी प्रस्तुति सराहनीय है। अन्य साहित्यकारों के बारे में भी आपके ब्लाग पर प्रस्तुति देखने को मिलेगी। इसी आशा के साथ...
श्याम बाबू शर्मा
http://shyamgkp.blog.co.in
http://shyamgkp.blogspot.com
http://shyamgkp.rediffiland.com
E mail- shyam_gkp@rediffmail.com
बहुत सुंदर चिट्ठा। ...और सुंदर लेखन। चिट्ठों के इस सागर में गोते लगाने के लिए आपका स्वागत है। आप अच्छा लिखें और आपके शब्द ऐसे ही हमारे दिल को छूते रहें। हमारी शुभकामनाएं हमेशा आपके साथ हैं।
जवाब देंहटाएंगजानन माधव "मुक्तिबोध"जी के वारे में बहुत सुन्दर लिखा आपने, बधाई.
जवाब देंहटाएंकभी मेरे ब्लॉग शब्द-शिखर पर भी आयें !!
jankari ke liye aabhar. narayan narayan
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया जानकारियां...बधाई..
जवाब देंहटाएंAap mere blog par aaye aur utsaah-vardhan kiya. Hriday se dhanywaad...
जवाब देंहटाएंaapke blog ko main padhta raha hun...aap mahaan sahitykaaron ke samman men achchha kary kar rahe hain...iske liye prashansa ke paatr hain... Hindi ke sapoot hai...Meri subhkaamnayen aur badhaiyan swikaar karen...
मैँ धन्यवाद ! देना चाहता हूँ उस प्रकाशन और गुगल वेब को जो 'मुक्तिबोध' जी का अच्छे से चित्रित वर्णन का विवरण दिया है ।
जवाब देंहटाएंमनोज कुमार साहू
एम.ए.हिन्दी
रायपुर (छ.ग.)
मैँ धन्यवाद ! देना चाहता हूँ उस प्रकाशन और गुगल वेब को जो 'मुक्तिबोध' जी का अच्छे से चित्रित वर्णन का विवरण दिया है ।
जवाब देंहटाएंमनोज कुमार साहू
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रायपुर (छ.ग.)
मैँ धन्यवाद ! देना चाहता हूँ उस प्रकाशन और गुगल वेब को जो 'मुक्तिबोध' जी का अच्छे से चित्रित वर्णन का विवरण दिया है ।
जवाब देंहटाएंमनोज कुमार साहू
एम.ए.हिन्दी
रायपुर (छ.ग.)
मैँ धन्यवाद ! देना चाहता हूँ उस प्रकाशन और गुगल वेब को जो 'मुक्तिबोध' जी का अच्छे से चित्रित वर्णन का विवरण दिया है ।
जवाब देंहटाएंमनोज कुमार साहू
एम.ए.हिन्दी
रायपुर (छ.ग.)
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रायपुर (छ.ग.)
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रायपुर (छ.ग.)
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जवाब देंहटाएंमनोज कुमार साहू
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जवाब देंहटाएंमनोज कुमार साहू
एम.ए.हिन्दी
रायपुर (छ.ग.)
मैँ धन्यवाद ! देना चाहता हूँ उस प्रकाशन और गुगल वेब को जो 'मुक्तिबोध' जी का अच्छे से चित्रित वर्णन का विवरण दिया है ।
जवाब देंहटाएंमनोज कुमार साहू
एम.ए.हिन्दी
रायपुर (छ.ग.)
आज का हर वेक्ति आपने आप मे एक सहित्या कार है
जवाब देंहटाएंउस का जीवन ही
Bs us sahityakar ko khojne ki or tarsshne ki drr
हटाएंhar ek ki jidhgi ek kahni hai
जवाब देंहटाएंvery very nice...............................
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