दहेज प्रथा पर निबंध दहेज प्रथा के कारण दहेज प्रथा एक अभिशाप दहेज प्रथा पर निबंध हिन्दी में Essay on Dowry System Board exam essay on Dowry System
दहेज प्रथा के फायदे और नुकसान
दहेज प्रथा पर निबंध दहेज प्रथा के कारण दहेज प्रथा एक अभिशाप दहेज प्रथा पर निबंध हिन्दी में Essay on Dowry System Board exam essay on Dowry System - भारतीय समाज में विवाह को एक आध्यात्मिक कर्म ,आत्माओं का मिलन तथा पवित्र संस्कार माना गया है। हिन्दू धर्म में विवाह को सामाजिक तथा धार्मिक मान्यता प्रदान की गयी है। परन्तु समाज का कोढ़ दहेज प्रथा निरंतर विकृत रूप धारण करता जा रहा है। प्रतिदिन समाचार पत्रों में दहेज से सम्बंधित दुर्घटनाओं के समाचार प्रकाशित होते रहते हैं। समय रहते इस भयानक रोग का उपचार व निदान आवश्यक है।दहेज भारतीय समाज के लिए अभिशाप है। यह कुप्रथा घुन की तरह समाज को खोखला करती चली जा रही है। इसने नारी जीवन और समाजिक व्यवस्था को तहस -नहस करके रख दिया है।
दहेज के बुराई - दुर्भाग्य से आजकल दहेज की ज़बरदस्ती माँग की जाती है। दूल्हों के भाव लगते हैं। बुराई की हद यहाँ तक बढ़ गयी है कि जो जितना शिक्षित है ,समझदार है ,उसका भाव उतना ही तेज़ है। ऐसे में कन्या का पिता कहाँ मरे ? वह दहेज की मंडी में से योग्यतम वर खरीदने के लिए धन कहाँ से लाये ? बस यहीं से बुराई शुरू हो जाती है।
भारत में दहेज की समस्या क्या है ?
दहेज प्रथा के दुष्परिणाम विभिन्न हैं .या तो कन्या के पिता को लाखों का दहेज देने के लिए घूस ,रिश्वतखोरी,भष्ट्राचार ,काला -बाज़ार आदि का सहारा लेना पड़ता है या उसकी कन्याएँ अयोग्य वरों के मत्थे मढ दी जाती हैं। हम रोज़ समाचार पत्रों में पढ़ते हैं कि अमुक शहर में कोई युवती रेल के नीचे कट मरी ,किसी बहु को ससुराल वालों ने जलाकर मार डाला ,किसी ने छत से कूदकर आत्महत्या कर ली। ये सब घिनौने परिणाम दहेज रूपी दैत्य के ही हैं।
हालांकि दहेज को रोकने के लिए समाज में संस्थाएं बनी है ,युवकों ने प्रतिज्ञा पत्रों पर हस्ताक्षर भी किये है ,कानून भी बने हैं ,परन्तु समस्या ज्यों की त्यों हैं। सरकार ने दहेज निषेध अधिनियम (दहेज प्रतिबंध अधिनियम, १९६१) के अंतर्गत दहेज के दोषी को कडा दंड देने का विधान रखा है। परन्तु वास्तव में आवश्यता है -जन जागरण की। जब तक युवक दहेज का बहिष्कार नहीं करेंगे और युवतियाँ दहेज लोभी युवकों का तिरस्कार नहीं करेंगी ,तब तक यह कोढ़ चलता रहेगा। दहेज प्रथा के कारण वर पक्ष की माँग को पूरा करने के लिए कई बार कन्या के पिता को ऋण भी लेना पड़ता है। वर पक्ष की माँग के अनुसार दहेज़ न देने अथवा उसमें किसी प्रकार की कमी रह जाने के कारण नव वधू को ससुराल में अपमानित होना पड़ता है।
दहेज के अभाव में उपयुक्त वर न मिलने के कारण अपने माता -पिता को चिंतामुक्त करने हेतु अनेक लड़कियां आत्महत्या भी कर लेती है। कभी कभी ससुराल के लोगों के ताने सुनने एवं अपमानित होने पर विवाहित स्त्रियाँ भी अपने स्वाभिमान की रक्षा हेतु आत्महत्या कर लेती है।
दहेज़ प्रथा के कारण कई बार निर्धन परिवारों की लडकियाँ को उपयुक्त वर नहीं मिल पाते हैं। आर्थिक दृष्टि से दुर्बल परिवारों की जागरूक युवतियों गुणहीन तथा निम्नस्तरीय युवकों से विवाह करने की अपेक्षा अविवाहित रहना उचित समझती है।
दहेज प्रथा के दोष एवं परिणाम
दहेज़ प्रथा समाज के लिए एक अभिशाप है। आज यदि बहू शारीरिक कष्ट और मानसिक पीड़ा से भी दहेज पूरा न कर सकी तो उसे जलाकर मार दिया जाता है तो दहेज प्रथा को दूर करने के लिए समाज सुधारकों एवं कानून ने अनेक उपाय किये हैं। दहेज़ प्रथा वास्तव में एक अभिशाप व घुन है जो समाज को धीरे - धीरे खोखला कर रहा है। इस कुप्रथा का अंत करने के लिए युवक युवतियों को दहेज़ रहित विवाह रचाने के लिए आगे आना चाहिए। युवकों को अपने माता - पिता को दहेज प्रथा की बुराइयों से अवगत कराना चाहिए तथा अपने माता से कहना चाहिए कि वे दहेज कदापि नहीं लेंगे।
दहेज प्रथा को रोकने के उपाय
आज समाज में दहेज रूपी दानव का शिकंजा मजबूत होता जा रहा है। इस कुप्रथा को दूर करने के लिए सरकार तथा समाज सुधारकों के अतिरिक्त शिक्षित युवक -युवतियों को भी प्रयत्न करना चाहिए। यदि हम चाहते हैं कि हमारी बेटियाँ दहेज की बलि न चढ़े तो हमें इस दहेज रूपी अधिशाप को सदा के लिए समाप्त करना होगा।
दहेज अपनी शक्ति के अनुसार दिया जाना चाहिए ,धाक ज़माने के लिए नहीं।दहेज दिया जाना ठीक है ,माँगा जाना ठीक नहीं है। दहेज को बुराई वहां कहा जाता है ,जहाँ माँग होती हैं। दहेज प्रेम का उपहार है ,ज़बरदस्ती खींच ली जाने वाली संपत्ति नहीं।
COMMENTS