आज प्रिया का भंडा-फोड़ हो गया |उसके पास बचने का कोई उपाय नहीं था क्योंकि सभी के पास उसके ब्याह की एक दो तस्वीरे थी सबूत के लिए | पुलिसे ने प्रिया और उसके गैंग को धोखा-धड़ी और लूटमारी के जुर्म में गिरफ्तार कर लिया |
मासूम चेहरा ( भाग ३ )
सविता को यह सुझाव पसंद आया और उसने आरम्भ से अंत तक सारी कहानी बतादी | प्रौढ़ा ने उससे पूछा "क्या तुमने अपने घर के कीमती सामान,नकदी सब उसके हाथों में सौपा था |
नमिता ने सरलता से कहा --"हाँ वह भी तो हमारे घर की सदस्य थी| जितना मेरा अधिकार उतना उसका भी अधिकार था |"
प्रौढ़ा ने उसे समझाया "सही है किन्तु थोडा समय बितता और उसे तुम परख लेती तब यदि उसे ये
जिम्मेदारियां सौंपती तो ठीक होता था | अपने घर के गहनों और नकदी की सुध ली या ऐसे ही बहू का गम मनाते हुए ही बैठी थी |
"नहीं किसी काम में जी नहीं लग रहा हैं,बस समय गुजार रहे हैं | नमिता ने जवाब दिया |
"जाओ पहले अपने घर में जाकर तिजोरी देखो |" प्रौढ़ा ने कहा |
"लेकिन हमने तो उसे कभी किसी चीज के लिए रोका नहीं तो वह ऐसा कार्य क्यों करेगी |" नमिता बोल पड़ी |
"जैसा तुमने बताया ठीक वैसा मेरे साथ भी हुआ |एक औरत ने मुझसे दोस्ती बढ़ा,घर आने जाने लगी,शादी करवाई | और जिस लड़की के साथ शादी करवाई वह दो-तीन महीनों में इसी तरह लड़-झगड़ कर निकल गई | मैं आज तुम्हें ज्ञान दे रही हूँ मैंने भी तुम्हारी तरह घर की साड़ी जिम्मेदारी उसे सौंपी रुपयों की,लेन-देन की और वह हमें चुना लगाकर चम्पत हो गई |
नमिता के मोबाइल में प्रिया कि एक तस्वीर थी | उसने तस्वीर प्रौढ़ा को दिखाई | प्रौढ़ा ने तुरंत उसे पहचान लिया और बताया कि "ये वही है इनका पांच लोगो का गैंग है,जो इसी तरह लोगों को लूटता है और मोहल्ला छोड़कर गायब हो जाते है जैसे गधे के सर से सिंग |
नमिता सकते में आ गई और तुरंत घर की ओर दौड़ी | घर पहुंचकर सबसे पहले तिजोरी खोली और वही बेहोश हो गई |
रजत ने उसे उठाया और उसने मन में ठान लिया कि चाहे कुछ भी हो वह इस गैंग को पकड़ेगा और उसे सजा दिलवाएगा | रजत ने एडी चोटी का जोर लगाया किन्तु प्रिया उसकी पकड़ में नहीं आई |
धीरे-धीरे रजत सामान्य होने लगा | वह भूला तो नहीं किन्तु घर में कठोरता से सभी को मना कर दिया कि प्रिया का जिक्र नहीं होगा और शादी की रट कोई नहीं लगाएगा क्योंकि शादी पर से उसका विश्वास उठ गया था | छ: महीने बीत गए | जीवन अपनी पटरी पर चल रहा था |
एक दिन रजत अपने कार्यालय में बैठा था | अचानक उसका कॉलेज का मित्र उसे अपनी शादी में शामिल होने के लिए न्योता देने आया | रजत ने अपने मित्र नरेश को छेडते हुए कहा कि "यार तू किसी लड़की से ब्याह कर रहा है या बस यूँ ही ......."
नरेश ने कहा ---- "ले तू ही देख ले मेरी सगाई की तस्वीरें |"
तस्वीर देखकर रजत के होश उड़ गए | किन्तु रजत नरेश की ख़ुशी देखकर असमंजस में पड़ गया | क्या करे ? कहे या न कहे -यदि नहीं कहेगा तो उसके मित्र की जिंदगी ख़राब हो जाएगी | उसने कहना उचित समझा |
जयश्री |
रजत ---- "सुन, नरेश मैं बहुत खुश हूँ कि एक लम्बे इंतज़ार के बाद तेरा ब्याह हो रहा है | लेकिन मैं जो कहूँगा उस पर तुझे विश्वास करना पड़ेगा |"
नरेश ---- "बता तो सहीं बात क्या हैं|"
रजत -----" यह लड़की पहले से ही पांच ब्याह कर चूकी है | तू छठा है मैं पांचवां था |"
नरेश --- "क्या कह रहा है
रजत --- "शादी कर सभी को अपने विश्वास में लेकर उस घर की संपत्ति लेकर उड़ना इनका पेशा है |"
नरेश ---- "यार इतना मासूम चेहरा,मैं मान ही नहीं सकता |
रजत --- "चल मेरे घर मैं तुझे अपनी शादी के फोटो दिखाता हूँ | वह मेरे पास बच गए क्योंकि मैंने उसे छुपाकर रखा था |"
नरेश -- "चल |"
दोनों रजत के घर चले गए | रजत ने नरेश को फोटो दिखाए | फोटो देखकर उसके पैरों तले ज़मीन खिसक गई | वह पसीना-पसीना हो गया | उसने रजत का और ईश्वर का धन्यवाद किया नरेश ने जैसे ही फोन निकाला रजत ने रोक दिया -- "यार तू एकदम निर्णय मत ले | अब इसे हम मिलकर पकडाएंगे | बहुतों को इसने लूटा है | अब सजा की बारी है |तू मेरी थोड़ी सहायता कर दे |
नरेश --- बोल, तूने मुझे बर्बाद होने से बचा लिया | "
रजत ------ "उसे फोन कर और मिलने के लिए बुला मैं वहाँ इन तस्वीरों के साथ तथा कुछ लोग जो यहीं आस-पास रहते हैं जिन्हें इस लड़की ने धोखा दिया है | उन सभी को मैं जमा कर वहाँ लाता हूँ |"
योजना के अनुसार प्रिया पास के बगीचे में आई | नरेश उसके साथ इधर-उधर की बातें करते हुए समय बीता रहा था ताकि रजत अपने दिए समय के हिसाब से वहाँ पहुंचे | करीब आधे घंटे में रजत सबूतों के साथ वहाँ पहुँचा तथा पुलिस को भी साथ ले आया |
आज प्रिया का भंडा-फोड़ हो गया |उसके पास बचने का कोई उपाय नहीं था क्योंकि सभी के पास उसके ब्याह की एक दो तस्वीरे थी सबूत के लिए | पुलिसे ने प्रिया और उसके गैंग को धोखा-धड़ी और लूटमारी के जुर्म में गिरफ्तार कर लिया |
समाप्त
यह रचना जयश्री जाजू जी द्वारा लिखी गयी है . आप अध्यापिका के रूप में कार्यरत हैं . आप कहानियाँ व कविताएँ आदि लिखती हैं .
Nice Post
जवाब देंहटाएंएक नई दिशा !