आज आप जो भी कहना चाहते है जरूर कहें। आप कह सकते हैं की मैं काम चोर हूँ। आप कह सकतें है की मैं समय पर स्कूल नहीं आता हूँ।
मैं चुप रहूँगा क्योंकि मैं एक शिक्षक हूँ
(शिक्षक दिवस पर विशेष )
सुशील कुमार शर्मा |
आज मैं चुप रहूँगा क्योंकि में विखंडित हूँ। मेरे अस्तित्व के इतने टुकड़े
कर दिए गए हैं कि की उसे समेटना मुश्किल हो रह है। हर टुकड़ा एक दूसरे से
दूर जा रहा है। इतने विखंडन के बाद भी में ज्ञान का दीपक जलने तत्पर हूँ।
आज मैं चुप रहूँगा क्योंकि ज्ञान देने के अलावा मुझे बहुत सारे दायित्व सौंपे या थोपे गए हैं उन्हें पूरा करना हैं।
मुझे रोटी बनानी हैं।
मुझे चुनाव कराने हैं।
मुझे लोग गिनने हैं।
मुझे जानवर गिनने हैं।
मुझे स्कूल के कमरे शौचालय बनबाने हैं।
मुझे माननीयों के सम्मान में पुष्प बरसाने हैं।
मुझे बच्चों के जाती प्रमाणपत्र बनबाने हैं।
मुझे उनके कपडे सिलवाने हैं।
हाँ इनसे समय मिलने के बाद मुझे उन्हें पढ़ाना भी है। जिन्न भी इन कामों को सुनकर पनाह मांग ले लेकिन में शिक्षक हूँ चुप रहूँगा। आज
आप जो भी कहना चाहते है जरूर कहें। आप कह सकते हैं की मैं काम चोर हूँ।
आज
के दिन शायद आप मुझे शायद सम्मानित करना चाहें ,मेरा गुणगान करे लेकिन
मुझे इसकी न आदत हैं न जरूरत है जब भी कोई विद्यार्थी मुझ से कुछ सीखता है
तब मेरा सम्मान हो जाता हैं जब वह देश सेवा में अपना योगदान देता है तब
मेरा यशोगान हो जाता है।
शिक्षा
शायद तंत्र व समाज की प्राथमिकता न रही हो लेकिन वह शिक्षक की पहली
प्राथमिकता थी है एवं रहेगी। साधारण शिक्षक सिर्फ बोलता है ,अच्छा शिक्षक
समझाता है सर्वश्रेष्ठ शिक्षक व्याहारिक ज्ञान देता है लेकिन महान शिक्षक
अपने आचरण से प्रेरणा देता है।
जिस
देश में शिक्षक का सम्मान नहीं होता वह देश या राज्य मूर्खों का या
जानवरों का होता है आज भी ऑक्सफ़ोर्ड विश्व विद्यालय के चांसलर के सामने
ब्रिटेन का राजा खड़ा रहता है। शिक्षक को सम्मान दे कर समाज स्वतः सम्मानित
हो जाता है। लेकिन मैं आज चुप रहूँगा।
आज जो कहना हैं आपको कहना हैं ,आप जो भी उपदेश ,जो भी सन्देश ,जो आदेश देने चाहें दे सकते हैं।
आपका दिया हुआ मान ,सम्मान,गुणगान,यशोगान सब स्वीकार है।
आपका दिया अपमान ,तिरिष्कार ,प्रताड़ना सब अंगीकार है।
यह रचना सुशील कुमार शर्मा जी द्वारा लिखी गयी है . आप व्यवहारिक भूगर्भ शास्त्र और अंग्रेजी साहित्य में परास्नातक हैं। इसके साथ ही आपने बी.एड. की उपाधि भी प्राप्त की है। आप वर्तमान में शासकीय आदर्श उच्च माध्य विद्यालय, गाडरवारा, मध्य प्रदेश में वरिष्ठ अध्यापक (अंग्रेजी) के पद पर कार्यरत हैं। आप एक उत्कृष्ट शिक्षा शास्त्री के आलावा सामाजिक एवं वैज्ञानिक मुद्दों पर चिंतन करने वाले लेखक के रूप में जाने जाते हैं| अंतर्राष्ट्रीय जर्नल्स में शिक्षा से सम्बंधित आलेख प्रकाशित होते रहे हैं | अापकी रचनाएं समय-समय पर देशबंधु पत्र ,साईंटिफिक वर्ल्ड ,हिंदी वर्ल्ड, साहित्य शिल्पी ,रचना कार ,काव्यसागर, स्वर्गविभा एवं अन्य वेबसाइटो पर एवं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं।आपको विभिन्न सम्मानों से पुरुष्कृत किया जा चुका है जिनमे प्रमुख हैं :-
1.विपिन जोशी रास्ट्रीय शिक्षक सम्मान "द्रोणाचार्य "सम्मान 2012
2.उर्स कमेटी गाडरवारा द्वारा सद्भावना सम्मान 2007
3.कुष्ट रोग उन्मूलन के लिए नरसिंहपुर जिला द्वारा सम्मान 2002
4.नशामुक्ति अभियान के लिए सम्मानित 2009
इसके आलावा आप पर्यावरण ,विज्ञान, शिक्षा एवं समाज के सरोकारों पर नियमित लेखन कर रहे हैं |
बहुत सुन्दर व विचारणीय
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