अंग्रेजी साहित्य में 8वीं शती (लेन्गलेन्ड) से लेकर 17वीं शती तक साहित्य का आधार बाइबिल की कथा एवं ईश्वर उपकथाएं ही रही हैं, जो जीवन जीने का ढंग सिखाती हैं।origin of religion
दया धर्म का मूल है
बाइबिल :
अंग्रेजी साहित्य में 8वीं शती (लेन्गलेन्ड) से लेकर 17वीं शती तक साहित्य का आधार बाइबिल की कथा एवं
उपकथाएं ही रही हैं, जो जीवन जीने का ढंग सिखाती हैं। इसमें ट्रिनिटी में भगवान, जीव एवं यीशु (ईश्वर का पुत्र) है। शैतान मार नहीं सकता, केवल हैरान और परेशान कर सकता है।1523 से 30 के बीच टिन्डेल ने नई किताब अंग्रेजी में लिखी जिसके बारे में यह राजाज्ञा थी कि जिसके पास यह किताब मिले उसे जिंदा जला दिया जाए। बाइबिल को भगवान के बोले हुए शब्दों की किताब माना गया है .
ईसाई मतावलंबियों की विश्वभर की आस्था का यह आधार है। 1456 में गुटनबर्ग प्रेस ने लैटिन में बाइबिल प्रकाशित की, इससे पूर्व यह हाथ से लिखकर प्रचलन में थी। 1380 में जान वीक्लिफ नाम के सज्जन ने इसे अंग्रेजी में अनुवाद किया। लेकिन भाषा की धर्मान्धता इस कदर क्रूर थी कि 1415 में जान हस को गैर लेटिन बाइबिल रखने के आरोप में जला दिया गया।85 साल बाद इस बाबत ,सेंट केथेड्रल में बोलने के आरोप में फांसी से जान कोलेट बाल-बाल बचे।
उपकथाएं ही रही हैं, जो जीवन जीने का ढंग सिखाती हैं। इसमें ट्रिनिटी में भगवान, जीव एवं यीशु (ईश्वर का पुत्र) है। शैतान मार नहीं सकता, केवल हैरान और परेशान कर सकता है।1523 से 30 के बीच टिन्डेल ने नई किताब अंग्रेजी में लिखी जिसके बारे में यह राजाज्ञा थी कि जिसके पास यह किताब मिले उसे जिंदा जला दिया जाए। बाइबिल को भगवान के बोले हुए शब्दों की किताब माना गया है .
ईसाई मतावलंबियों की विश्वभर की आस्था का यह आधार है। 1456 में गुटनबर्ग प्रेस ने लैटिन में बाइबिल प्रकाशित की, इससे पूर्व यह हाथ से लिखकर प्रचलन में थी। 1380 में जान वीक्लिफ नाम के सज्जन ने इसे अंग्रेजी में अनुवाद किया। लेकिन भाषा की धर्मान्धता इस कदर क्रूर थी कि 1415 में जान हस को गैर लेटिन बाइबिल रखने के आरोप में जला दिया गया।85 साल बाद इस बाबत ,सेंट केथेड्रल में बोलने के आरोप में फांसी से जान कोलेट बाल-बाल बचे।
इसके दो खंड हैं :-
(1) पुराना नियम ( ओल्ड टेस्टामेंट ) ,
(2) नया नियम(न्यू टेस्टामेंट) , 2nd C . पुरानी किताब , जो ग्रीक और आंशिक अरेमैक भाषा में है , में यीशु की जीवन गाथा है।
मूल रूप से बाइबिल हैब्रू भाषा में थी। 01 अप्रैल 1603 को जब महारानी एलिजाबेथ मरी तब नई किताब (न्यू टेस्टामेन्ट) के 130 संस्करण उपलब्ध थे।
(1) पुराना नियम ( ओल्ड टेस्टामेंट ) ,
(2) नया नियम(न्यू टेस्टामेंट) , 2nd C . पुरानी किताब , जो ग्रीक और आंशिक अरेमैक भाषा में है , में यीशु की जीवन गाथा है।
मूल रूप से बाइबिल हैब्रू भाषा में थी। 01 अप्रैल 1603 को जब महारानी एलिजाबेथ मरी तब नई किताब (न्यू टेस्टामेन्ट) के 130 संस्करण उपलब्ध थे।
प्यूरिटन्स (सुधारवादी) राजा जेम्स से मिले और इंग्लेन्ड के चर्च के बारे में बुरा-भला कहा। आखिर राजा ने जान रेनोल्ड्स नाम के व्यक्ति की यह बात मान ली कि “अब बाइबिल को अन्य भाषा में अनुवादित किया जाए।” अंग्रेजी जानने वाले लोगों की सुविधा के लिए 1611 में “किंग जेम्स वर्जन” अनुवाद हुआ।
आक्सफोर्ड के प्रोफेसर जान वीक्लिफ के 1380 के बाद के ट्रांसलेसन ,1517 में मार्टिन लूथर किंग, 1496 में जान कोलेट एवं 1560 में पूरी बाइबिल छापी गई। 1568 में जेनेवा वर्जन आया। 1611 में किंग जेम्स वर्जन 1901 में अमे.स्टे. वर्जन एवं 1952 में रिवाइज्ड स्टेंडर्ड वर्जन आया। लेकिन इस बीच 14 वीं शती से आगे कापर्निकस अपनी खोज पर काम करते रहे और टालेमी के केलेंडर ( पुष्ट या अपुष्ट ) के हवाले से , बाइबिल की मान्यता कि सूरज धरती के चारो ओर घूमता है के उलट कहा कि यह पृथ्वी है जो सूरज के इर्द गिर्द घूमती है ,आगे और वैग्यानिक जिनमें गेलीलियो, डार्विनऔर न्यूटन आदि थे ,उनका यह कहा हुआ कि मनुष्य का उद्भव जानवरों से विकास की एक प्रक्रिया है अब आगे हाकिंग ,डी एन ए ,गौड पार्टीकिल एवं नेनो- टेक, लिक्विड आक्सीजन ने सारे विचार बदल कर रख दिए है ,जो भी किताब पहले -पहल लिखी गई वह जिस ने लिखी सही लिखी होगी इसलिए कई शतियों तक धर्म शास्त्र से सब नीचे रहे बाद में साइंस आगे बढी और अब अर्थशास्त्र अधिकांश पर हावी है । थीसिस ,एंटीथीसिस से आगे सिंथीसिस का उजाला जितना भी है , पहुंच तो रहा है । आधुनिक युग में नवयुवक मौका देखो आगे बढो और कई बूढे तो अपने आप को भगवान घोषित कर चुके, कई अपने आप को अभी एसा बना रहे हैं , जो दुख झेले हें वे और जिनके साथ अब अन्याय हुआ , वे, एक दूसरे से बदला लेने के इंतेज़ार् में हैं । संदेह जो शैतान का एक अचूक अस्त्र है , का वार खाली कभी नहीं जाता है। जो भी हो इस सचाई को आप जानते ही हैं कि ,सूरज अपनी जगह पर है और तब से धरती भी अपनी जगह पर है, पर जानकार लोग एक दूसरे पर खोंसा लगाते रहे हैं ठीक उसी तरह जिस तरह लोकतंत्र के तीन खंबे आपस में नौचा -खोंसी बहुत समय से करते रहे हैं । इस सूचना प्रधान युग में जो आगे जाने की बात कहे जरूर , लेकिन बुरी मंशा से , उसकी बजाए बैल गाडी के युग में धकेले और आपके सिविल अधिकारों पर या ईमानदारी पर आघात करे ,फिर चाहे वह कोई भी हो उसे धिक्कार बोलिए ।
ईसाईयत का आधार बाइबिल है। जो इसमें यकीन नहीं रखते उन्हें “हेरेटिक” पुकारा (कहा) गया, जो कि ईश-निन्दा के अपराधी अतएव गुनाहगार थे।
बाइबिल केवल एक भगवान की बात करती है । जो इससे अलग सोचते हैं उन्हें पैगन (बहु ईश्वरवादी) कहा गया। लेकिन सच यह भी है कि इंग्लेंड में 5 वीं शती से 8 वीं शती तक और इस समय के आसपास पेगन (बहु ईश्वरवादी) पृथा थी, जिसका विवरण पेराडाइज लास्ट में मिलता है कि मिल्टन ने नेचर और रिलीजन , पेगन और क्रिस्चिनिटी का मिश्रण किया । और हज़रत मुहम्मद साहब ने पच्चीस की आयु के बाद इस पृथा (बहु ईश्वर वादी और मूर्ति पूजा ) के खिलाफ सभी समुदायों को एक होने के लिए काम किया
ईसाईयत का आधार बाइबिल है। जो इसमें यकीन नहीं रखते उन्हें “हेरेटिक” पुकारा (कहा) गया, जो कि ईश-निन्दा के अपराधी अतएव गुनाहगार थे।
बाइबिल केवल एक भगवान की बात करती है । जो इससे अलग सोचते हैं उन्हें पैगन (बहु ईश्वरवादी) कहा गया। लेकिन सच यह भी है कि इंग्लेंड में 5 वीं शती से 8 वीं शती तक और इस समय के आसपास पेगन (बहु ईश्वरवादी) पृथा थी, जिसका विवरण पेराडाइज लास्ट में मिलता है कि मिल्टन ने नेचर और रिलीजन , पेगन और क्रिस्चिनिटी का मिश्रण किया । और हज़रत मुहम्मद साहब ने पच्चीस की आयु के बाद इस पृथा (बहु ईश्वर वादी और मूर्ति पूजा ) के खिलाफ सभी समुदायों को एक होने के लिए काम किया
बाइबिल में स्त्री के देवी होने की वर्जना है। केथोलिक एवं प्रोटेस्टेन्ट में ‘इन्डल्जेन्स ( पाप को दान देकर मुक्त होने ) एवं शादी-विवाह’ एवं ‘देवी’ आदि बातों पर भारी मतभेद थे। यह दृढ़ मत था कि “पाप की मजदूरी मृत्यु है”
इसी में , सिनाय पर्वत से, ईश्वर ने अब्राहम / मोजेज को 10 बातें पालन करने को कहा जो “दस कमांडमेंट” आज्ञाएं हैं। जिन्हें इज़रायल ने विश्वभर में फैलाया
(1) कोई अन्य ईश्वर नहीं
(2) अन्य मूर्ति नहीं
(3) व्यर्थ में ईश्वर का नाम न लें
(4) पवित्र दिन
(5) माँ-बाप को सम्मान दें
(6) व्यभिचार न करें।
(7) चोरी न करें ,
(8) हत्या न करें
(9) झूटी गवाही न दें
(10 ) लालच से दूर रहें
क्षेत्रपाल शर्मा |
(2) अन्य मूर्ति नहीं
(3) व्यर्थ में ईश्वर का नाम न लें
(4) पवित्र दिन
(5) माँ-बाप को सम्मान दें
(6) व्यभिचार न करें।
(7) चोरी न करें ,
(8) हत्या न करें
(9) झूटी गवाही न दें
(10 ) लालच से दूर रहें
मनुष्य , ईश्वर के बताए मार्ग का अनुसरण करके ईश्वर की भक्ति का सबूत दें जैसे ईश्वर को याद रखे, वादा निभाएँ एवं पाप से दूर रहें। मोजेज से भगवान ने गुलामी एवं बंधन से लोगों को आज़ाद कराने का हुक्म दिया। पाप करने पर दंड रूप में भगवान को “शहादत” दी जाने लगी। काम, क्रोध, मोह, मद, लोभ, ईर्ष्या, अहंकार सात पाप गिनाए। दया, संयम, तप और दान पुण्य है। इशिया, जेरेमिया, इजेकिल, डेनियल, जान (नेप्टिस्ट) दूत एवं यीशु भगवान के पुत्र प्रकट हैं। करीब 2010 वर्ष पूर्व बेथलहम में क्रिसमस के दिन (25 दिस.) या बड़ा दिन मेरी और जोजेफ के घर गौशाला में यीशु (ल्यूक से मेथ्यू के अनुसार) पैदा हुए। इस समय राजा कैसर, अगस्तस, सेन्ट थे और न्यायाधीश पिलेट थे। कहा यह भी जाता है कि हरन में अब्राहम ( 1400 BC ) की दासी ‘हगार’ से इश्माइल हुए (जो ईसाई प्रवर्तक) एवं तत्पश्चात् पत्नी ‘सराय’ से ‘इशाक’ पैदा हुए जो ‘इस्लाम’ के प्रवर्तक थे। इस्लाम करीब 1300 - 1410 वर्ष पुराना है और इसका पवित्र ग्रंथ कुरान है।
केथोलिक और प्रोटेस्टेन्ट में अंतर :
क्र.सं.
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केथोलिक
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प्रोटेस्टेन्ट
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मूर्ति एवं पिक्चरे (प्रेरणा के लिए मानते हैं)
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नहीं मानते
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दूत (बाइबिल में वर्णित को मानते हैं)
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मानते हैं लेकिन ….
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केन्द्र ─ रोम
|
जर्मनी
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पाप की स्वीकारोक्ति (पुजारियों के ज़रिए)
|
केवल जीसस के ज़रिए
| |
धर्मग्रंथ बाइबिल (पुरानी, नई)
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किंग जेम्स वर्जन
| |
त्रिदेव
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पोप का अधिकार (मान्य)
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अमान्य
| |
शादी (जन्म, जन्मों का पवित्र बंधन)
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व्यभिचार एवं अन्य स्थिति में तलाक वैध
|
भारत , गंडा-ताबीज़ और सपेरों का देश नहीं वरन् उन्नत संस्कृति एवं सभ्यता का देश रहा है इसके लिए मेक्समूलर एवं अल बरूनी को और लाला हर दयाल की पुस्तक “हिंट्स फार सेल्फ कल्चर" पढ़ना चाहिए।ई एम फारेस्टर की किताब ए पैसेज टू इंडिया एवं “हिल आफ देवी" और वह सत्य जो आइंस्टाइन ने कहा कि संसार को शून्य के लिए भारत का ऋणी होना चाहिए , जिसको विवेकानंद ने घोषित किया।
उपरोक्त से यह तो स्पष्ट है कि केवल ज़र, जोरू और ज़मीन के अतिरिक्त झगड़े-फसाद के अन्य कारण व कारक रहे हैं। मो. गाविन फोर्ड के अनुसार सनातन धर्म जो ईसा से भी बहुत पुराना है , करीब 6000 वर्ष पुराना है, जम्बू द्वीपे भरतखंडे का पावन धर्म है जो श्रुति, स्मृतियों से नूतन भी है। 4 वेद, 18 पुराण, 6 उपनिषद आदि इसके आधार हैं। इसके कई उप-पंथ हैं जैसे नास्तिक, जैन, सिख । डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ‘ने तो कहा ही था कि बुद्ध धर्म , हिंदू धर्म का कौंपल है। नेति नेति का ईश्वर सर्व शक्तिमान है . लेकिन यह सनातन धर्म इतना लचीला है कि पूरी वसुधा को कुटुम्ब मानता है और पर्यावरण तक की स्व्च्छ्ता का हामीदार है । . चींटी तक को न मारने की शिक्षा है . जीवन को उन्नत बनाने की शिक्षा हर ओर से ले लेनी चाहिए , जैसे गली गुरुकुल के आचार्य सुकरात ( जो कुरूप थे लेकिन दर्शन के विद्वान थे ने राजशाही की मजबूती पर ही लिखा ,चाणक्य की तरह । काम की व्याख्या एक अन्य जगह इस तरह मिली एक राजा ने एक जगह एक प्रस्तर खंड पर राजाओं के नाम लिखे देखे तो पता लगाया कि ये किनके नाम हैं तो उत्तर मिला कि ये उन राजाओं के नाम हैं जो यहां परमार्थ के काम कर चुके हैं लेकिन आखिरी नाम पर पट्टी समाप्त थी राजा का तर्क था कि काम हमने अच्छे किए हैं तो हमारा नाम भी हो इसलिए आखिर का नाम मिटाकर उसका लिखा जाए इस पर मंत्री ने सलाह दी कि इसकी चिंता आप समय पर छोड दें , लेकिन एक गलत कदम न उठाएं, नहीं तो आगे आने वाला राजा आप के नाम को मिटा कर अपना नाम लिख लेगा . चाणक्य ने तो कहा था कि : मनुष्य अपने अच्छे काम की वजह से जाना जाता है , न कि जाति से ।"
कवि तुलसी दास जी ने ठीक ही कहा कि:
दया धर्म का मूल है पाप मूल अभिमान ,
तुलसी दया न छोडि़ए जब तक घट में प्राण।।
यह रचना क्षेत्रपाल शर्मा जी, द्वारा लिखी गयी है। आप एक कवि व अनुवादक के रूप में प्रसिद्ध है। आपकी रचनाएँ विभिन्न समाचार पत्रों तथा पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी है। आकाशवाणी कोलकाता, मद्रास तथा पुणे से भी आपके आलेख प्रसारित हो चुके है .
'दया धर्म का मूल है...'-सुनाने में अच्छा लगता है. ऐसा होता तो और अच्छा होता!
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