अभय सोनम से प्यार करता था। लेकिन सोनम तो रोहन की परछाई थी। तो अभय ने अपने दोस्तों के साथ मिल कर सोनम की बेवफाई के किस्से फैलाना शुरू कर दिया।
सोनम गुप्ता बेवफ़ा नहीं है
रोहन का दिमाग भन्ना गया था। जब से उसे ये नोट मिला था वो हैरान परेशान था। सोनम और रोहन दोनों ही बस स्टॉप पर सिटी बस की बाट जोह रहे थे। स्कूल टाइम से दोनों साथ-साथ जाते, साथ ही आते। यह सिलसिला कॉलेज में भी जारी था। रोहन सोनम से प्यार करता था और आज वो सोनम से इजहार करने वाला था। घरवाले भी रोहन और सोनम की दोस्ती से अंजान नहीं थे। और दबी जबान में दोनों के तथाकथित अफेयर की चर्चा भी शहर में आम हो चली थी जबकि वो दोनों इस बात से अनभिज्ञ थे। ओर उस दिन जब गुलाबी ठंड का माहौल था। कॉलेज से घर आने के लिए रोहन और सोनम दोनों ही बस स्टॉप खड़े थे। जैसे ही बस आई, सोनम के बस में चढ़ने के पश्चात रोहन भी चढ़ने को हुआ कि उसे आभास हुआ किसी ने उसकी जेब में हाथ डाला है। रोहन जेब काटे जाने के भय से सिहर उठा। उसने एकदम से अपना बटुआ संभाला। वो सही सलामत था। रोहन ने चैन की सांस ली और दोनों पड़ोसी हँसी ख़ुशी अपने-अपने घर पहुँच गये। लेकिन रोहन इजहार की हिम्मत नहीं जुटा पाया। घर जाकर जब रोहन ड्रेस चेंज कर रहा था। उसने अपना बटुआ वापिस देखा। बटुआ सही सलामत था। वो अपनी मूर्खता पर हंस रहा था कि एकदम से उसे कितना डर लगा। लेकिन ये क्या, जेब से रुमाल निकालते वक़्त एक नोट जमीं पर गिरा। रोहन की आदत थी, पैसे वो हमेशा पर्स में ही रखता। उसने नोट उठाकर देखा। उस पर लिखी एक लाइन पढ़ कर एक बार तो वह हतप्रभ ही रह गया। उस पर लिखा था, ‘सोनम गुप्ता बेवफ़ा है।‘ रोहन हैरान था। ये नोट कहाँ से आया।
सोनम गुप्ता बेवफा है |
अगले दिन सब कुछ नॉर्मल था। रोहन भी नोट की बात भूल चुका था। कॉलेज कैंटीन में सब दोस्त बैठे थे। हंसी मजाक चल रही थी। सोनम किसी कारण वश उठी, चलते ही थोड़ी लड़खड़ा गई। अभय ने उसका हाथ न पकड़ा होता तो शायद गिर जाती। सोनम ने प्यारा सा थैंक यू कहते हुए अभय के गाल पर चिकोटी क्या काटी, रोहन को एकदम वो दस का नोट याद आया। ‘सोनम गुप्ता बेवफ़ा है।‘ रोहन का दिमाग गर्म था। सोनम अभय से इतना कैसे एटैच हो सकती है। क्या सोनम बेवफा है? क्या नोट पर लिखी वो इबारत सही है? क्या सच में सोनम गुप्ता बेवफ़ा है? क्लासेज पूरी होने के बाद दोनों बस स्टॉप पर आए। बस टाइम पर आ गई। लेकिन आज एक अजीब सी घटना हुई। रोहन सोनम से पहले बस में चढ़ा। इतने साल स्कूल टाइम तक से सोनम पहले चढ़ती। उसकी सुरक्षा के लिए रोहन बाद में चढ़ता। लेकिन आज रोहन पहले सीट पर बैठ चुका था। सीट खाली नहीं थी। सोनम पूरे सफर में खड़ी रही और रोहन रास्ते भर ये ही सोचता रहा, ‘क्या सोनम गुप्ता बेवफ़ा है?’
सुनकर उसके होश उड़ गए। पांच सौ और एक हजार के नोट बन्द हो चुके थे। वो एकदम से चिंता में आ गया। लोन की पूरी रकम इन्हीं नोटों में थी। अब क्या होगा? पूरी रात वो करवटें बदलता रहा। अगले दिन बैंक आम जन के लिए बन्द था। दस तारीख को जितनी जल्दी हो सकता था वो नोट जमा कराने के लिए बैंक भागा। बहुत भीड़ थी। लेकिन जल्दी आने का कुछ तो फायदा था। उसका नंबर काफी जल्दी आ गया। लेकिन जैसे ही काउंटर पर पहुँचा उसका दिमाग चकरा गया। काउंटर पर अभय बैठा था। रोहन ने अपने आधार कार्ड की कॉपी उसे थमानी चाही। लेकिन गलती से पर्स में से वो दस का नोट अभय के सामने गिर गया। अभय ने देखा, उस पर लिखा था, ‘सोनम गुप्ता बेवफा है।‘ अभय की आँखों से आंसू बहाने लगे लेकिन उसने स्वयं को संयत किया। और रोहन से बोला,” सॉरी सर! लोन आज जमा नहीं हो सकता। आप चाहो तो दो हजार रूपये के पुराने नोट नए नोट में कन्वर्ट करके दे दूँ। लोन जमा करने के लिए हम स्वयं आपसे संपर्क करेंगे।“ रोहन ने बस हां में सिर हिलाया। कैश में कमी की वजह से सिर्फ दो हजार का एक नोट मिला। लोन जमा न करने पर रोहन कैशियर अभय को ही मन गालियां देता हुआ लौट आया।
वहम आदमी को क्या से क्या बना देता है! रोहन एकदम बदल गया था। उसके दोस्त भी कई बार उसके सामने सोनम के बारे में कुछ न कुछ कहते रहते थे, तब तो रोहन ने उन्हें कभी सीरियसली नहीं लिया था लेकिन अब उसे याद आता कि दोस्त शायद सही ही कहते थे। बेवफाई की बात उसके दिमाग में इस हद तक घर कर चुकी थी कि उसने सोनम के साथ कॉलेज जाना बंद कर दिया। सोनम को अब अहसास होने लगा के रोहन उसके लिए दोस्त से बढ़कर था। लोग कहते है नजदीकियों से प्यार बढ़ता है लेकिन यहां तो दूर होने के बाद पता चला कि रोहन दोस्त नहीं, सोनम का प्यार था। लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी। छोटे से वहम के कारण रोहन सोनम की शक्ल से भी नफरत करने लगा था। दूरियां बहुत बढ़ चुकी थी।
इन्हीं दूरियों के साथ दो साल गुजर गए। इसी बीच रोहन ने सुना कि सोनम की सगाई उस अभय के साथ हो चुकी थी। अब तो रोहन को यकीन हो चला था कि सोनम बेवफा थी। रोहन के पापा की किराना की दुकान भी घाटे में चली गई थी। रोहन भी उस और कम ही ध्यान देता था। अपना पुश्तैनी मकान छोड़ कर उन लोगों ने दूसरे मोहल्ले में सस्ता मकान खरीद लिया। रोहन ने एक बार भी सोनम से बात नहीं की। उसने वो दस का नोट लेमिनेशन करवा कर अपने पास रखा था, जिस पर लिखा था, ‘सोनम गुप्ता बेवफ़ा है।‘
वक़्त बीतता गया। सरकार बदल गई। मगर रोहन न बदला। उसने अकेले जीवन गुजारने का फैसला कर दिया था। नए मोहल्ले में दुकान भी अच्छी चल रही थी। उसने वापिस मुख्य बाजार में दुकान करने के लिए बैंक से लोन उठाया था। प्यार में असफलता के बाद व्यापार में तेजी के उसने बहुत ख़्वाब देखे थे। लेकिन फिर से रोहन की जिंदगी में तूफ़ान आना बाकी था।
मंगलवार आठ नवम्बर की उस रात को जब रोहन टीवी के सामने बैठा बैठा चैनल बदल रहा था, एक खबर
विनोद कुमार दवे |
घर आकर उत्सुकता वश रोहन ने दो हजार का नोट देखा। नोट अभय के आंसुओं से भीगा हुआ था। लेकिन उस पर लिखी इबारत पढ़ते ही रोहन की सब पुरानी यादें ताजा हो गई। नोट पर लिखा था, ‘सोनम गुप्ता बेवफ़ा नहीं है।‘ रोहन की आँखों के आगे जैसे दस और दो हजार का नोट गुत्थमगुत्था हो रहे थे। रोहन सोच सोच कर परेशान था, क्या सोनम गुप्ता बेवफ़ा है?
रोहन से रहा न गया। रात को वह सीधे अभय के घर की तरफ निकल गया, एक बिन बुलाए मेहमान की तरह। वो रास्ते भर सोचता रहा कैसे वह देख पाएगा अभय और सोनम को पति पत्नी के रूप में? कैसे वो अपना पहला प्यार दोस्त के साथ देख पाएगा? अभय के दरवाजे पर पहुँच डोरबेल बजाते वक़्त उसके हाथ काँप रहे थे। रोहन को उम्मीद थी सोनम दरवाजा खोलेगी लेकिन ये तो कोई और औरत थी। अभय के मुंह से निकल गया,”आप कौन?”
महिला बोली,” हमारे घर आकर हमीं से पूछते हो कि हम कौन है?”
तभी अभय की आवाज़ आई,”आओ रोहन। ये तो तेरी भाभी है। मेरी बेगम है यार। अंदर आ जाओ यार। बरसों बाद आए हो।“
रोहन सोच रहा था, ये अभय की पत्नी है तो बेवफ़ा सोनम कहाँ गई? क्या उसने अभय से भी बेवफाई कर दी?
दो दोस्त सालों बाद मिले थे। बातों का सिलसिला चल पड़ा तो आधी रात हो गई। रोहन ने जो सुना उसके बाद उसे खुद पर शर्म आ रही थी। देर रात वह घर लौट आया, सच की वो इबारत लेकर जिसने झूठ की इमारत ढहा दी थी।
हुआ ये था कि अभय सोनम से प्यार करता था। लेकिन सोनम तो रोहन की परछाई थी। तो अभय ने अपने दोस्तों के साथ मिल कर सोनम की बेवफाई के किस्से फैलाना शुरू कर दिया। रोहन का ब्रेन वाश करने के लिए उस दिन भीड़ में रोहन की जेब में दस का नोट अभय ने ही डाला था। धीरे-धीरे रोहन सोनम से दूर हो गया। अभय ने जाल फेंका और सोनम से उसकी सगाई हो गई। लेकिन एक रात शराब के नशे में अभय ने सोनम के सामने सब कुछ उगल दिया। सोनम ने अभय से सगाई तोड़ दी। वो रोहन से प्यार करती थी और लेकिन रोहन के वहम और गुस्से के कारण वो कभी कुछ नहीं बोल पाई। सोनम बेवफ़ा नहीं थी। सोनम आज तक रोहन का इंतजार कर रही थी। रोहन ने निश्चय कर लिया था कल की सुबह वो सोनम से मिल कर उसे अपना बना लेगा।
रोहन ने वो दस का नोट जला दिया। अब उसके पास दो हजार रुपये का नोट था जिस पर लिखा था, ‘सोनम गुप्ता बेवफ़ा नहीं है।‘
यह रचना विनोद कुमार दवे जी द्वारा लिखी गयी है .आपकी,पत्र पत्रिकाओं यथा, राजस्थान पत्रिका, दैनिक भास्कर, अहा! जिंदगी, कादम्बिनी , बाल भास्कर आदि में कुछ रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं ।आप वर्त्तमान में अध्यापन के क्षेत्र में कार्यरत हैं .सपंर्क सूत्र -विनोद कुमार दवे206बड़ी ब्रह्मपुरीमुकाम पोस्ट=भाटून्दतहसील =बालीजिला= पालीराजस्थान306707मोबाइल=9166280718ईमेल = davevinod14@gmail.com
manoj kumar dave ji, sunder kahani.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद जी
जवाब देंहटाएंसुंदर कथा वाचन.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद रंगराजजी
जवाब देंहटाएंशानदार पोस्ट .... बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति .... Thanks for sharing this!! :) :)
जवाब देंहटाएंthanks a lot
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