note demonetisation .मोदी सरकार के नोटबंदी से गाँव में हलचल बढ़ गई है.हजार पाँच सौ की नोट लेकर सब कतार में लग गये हैं.
नोटबंदी पर मोदी सरकार का फैसला
मोदी सरकार के नोटबंदी से गाँव में हलचल बढ़ गई है.गाँव का बच्चा,बूढ़ा,जवान सब भाग रहा है बैंकों की तरफ,अपार जनसमूह उमड़ पड़ा है.जहाँ देखो वहीं विशाल रेला चला जा रहा है बैंकों की तरफ.हजार पाँच सौ
नोटबंदी |
हाय रे नोटबंदी.भीषण धक्का लिये जी में घबराहट है कि कहीं यह समाचार न मिल जाये की पाँच सौ वह हजार की नोट लिया ही न जायेगा.दूसरे दिन बड़की बहू ने बताया कि उसने भी पाँच छः नोट दबाकर रखा है.अरे अम्मा.बाबू से कह दो कि अपने खतवा में मेरा भी पइसवा डालके सफेद कराइ देइही.बाबू का माथा ठनक गया कि बहुरिया भी काला धन रखा है.इतने दिन पता ही नहीं चला. माँगने पर हर कोई यही कहता कि जहर खाने के लिये एक पैसा भी नहीं हैं,पैसा माँगने चले हैं.आखिर कमाल का जादू है मोदी का फंडा.हर किसी का काला धन निकलने लगा.गाँव की बड़की अम्मा के पास भी बारह हजार निकला.दादू के पास तेरह हजार निकला जो सुरती खरीदने के लिये तबाह रहते थे.मामी भी कुछ मामा से छिपाकर रखा था.मोदी का फंडा,सबको कर दिया नंगा.कितना भयानक त्रासदी जिन्दगी में नहीं देखने को मिली.आखिर मोदी जी सबको लाइन में खड़ा करा ही दिये.गाँव के मुखिया ने बताया गाँव वासियों को कि मोदी जी यह हथकंडा उन अमीरों की तिजोरी का पता लगाने के लिये कर रहे हैं जो काला धन खूब चुरा कर रखे हैं.उन लोगों की पोल खुलेगी.हम गाँव वाले सीधे सादे.जिनका खाता है जन धन का.उनकी चाँदी होने वाली है.उनके खाते में मोदी दादा पेंशन देने वाले हैं.गाँव के ही बडका बाबू घबड़ा गये कि हम तो खाता ही नहीं खुलवा सके.अब का होई.हे बेटा ! मुखिया जी से कह के हमारा भी कोई जुगाड़ लगवाकर एक खाता जन धन का खुलवा देते तो अच्छा होता.
इस नोटबंदी से गरीब किसान भी काला पैसा सफेद करने में लग गया कि खेती बाड़ी का सीजन है.किसी तरह भोर से लाइन लग कर पैसा जमाकर दिया कि जल्दी से पैसा निकाल कर गेहूँ बुवाई कर लूँगा लेकिन पैसा निकालने में महीनों लग गये.खेत का पलेवा दुबारा करना पड़ा.रामलाल की लड़की की शादी थी. बेचारा जैसे मोल आफत ले ली हो.कैसे पैसा निकले. अपने बीस बाइस रिश्तेदारों को लगा दिया कि जल्दी से कुछ पैसा निकल जायेगा लेकिन बड़ी मशक्कत के बाद दस हजार ही निकल सका.बिन दहेज के ही दुल्हे को संतोष करना पड़ा.पूरी जमा पूँजी लेकर बैंक में पहुँची बुधनी दादी कई दिन चक्कर लगाया लेकिन पैसा नहीं जमा हो सका.निराश व दुःखी बुधनी दादी बैंक की चौखट पर दम तोड़ दिया.हाय रे नोटबंदी.
बैंक कर्मचारी भी परेशान कि चाय पीने का मौका नही.कुछ अधिकारी पीछे वाले दरवाजे से धन्नासेठों का कालाधन सफेद करने में लगे हैं .भ्रष्टाचार पीछा नहीं छोड़ रहा है .घुन की तरह से हमारे समाज को खा रहा है.मोदी जी भ्रष्टाचार रूपी घुन को धूप दिखा रहे हैं. कई घुन तो मरने के कगार पर हैं.कई है कि जान की परवाह किये बगैर घूस रूपी संजीवनी लेने में कोई हिचकिचाहट नहीं.मोदी बंदा भी कम चालाक नहीं.कई भ्रष्ट अधिकारियों की वाट लगा दी.कई नेता की चमक फीकी हो गई.कई तो कूड़े में कालाधन फेंककर पाक हो गये.कई तो दयालु निकले कि गरीबों को मालामाल कर दिये.मोदी जी उन मालामाल करने वाले दयालु लोगों की खातिरदारी के लिये जाँच दल को बैठा दिये हैं.मोदी सरकार और काला धन रखनेवाले धन्नासेठों का जंग जारी है.
कुछ तो जरूर करेगा ही नोटबंदी.आया है तो पिटारा जरूर खुलेगा.भयानक चर्मरोग की तरह जड़ जमाया यह भ्रष्टाचार कोढ़ का रूप धारण कर चुका था.मोदी जी का हृदय यह सब करूण दृश्य देखकर पिघल गया.इस महान रोग से हाहाकार मचा हुआ था.आखिर कौन दूर करेगा.यह स्थिति बडी़ भयानक रूप धारण कर चुकी थी.मोदी जैसा वीर पुरूष ही कर सकता है इस समाज में व्याप्त रूपी कोढ़ की सफाई.आखिर महोदय जी ने यह बीड़ा उठा लिये हैं.अब यह देखना है कि इस कोढ़ की सफाई कब तक पूरी होगी.
यह रचना जयचंद प्रजापति कक्कू जी द्वारा लिखी गयी है . आप कवि के रूप में प्रसिद्ध हैं . संपर्क सूत्र - कवि जयचन्द प्रजापति 'कक्कू' जैतापुर,हंडिया,इलाहाबाद ,मो.07880438226 . ब्लॉग..kavitapraja.blogspot.com
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