हे शारदे माँ जब भी तेरी वंदना की कोशिश करता हूँ टीवी पर चीखता हुआ एंकर बड़े जोरों से घोषणा करता है कि वही सच का पक्षधर है। कोने में खड़ा सकते में सिसकता आम आदमी देखता है किस तरह अपने अपने एजेंडे को आगे बढ़ाता बाज़ारू मीडिया आम सरोकारों से दूर पूंजीपतियों की आवाज़ बना है।
हे शारदे माँ
हे शारदे माँजब भी आँख बंद कर
तुझे याद करता हूँ।
शारदे माँ |
बेबस लोकतंत्र की बोटियां
नोचते ठहाके लगाते गिद्ध
कुछ पक्ष और कुछ विपक्ष में
एक दूसरे पर भौंकती आवाजें।
लेकिन अपने स्वार्थों के लिए
निरीह जनों के अधिकार हड़पते
घिनोने सफेदपोश चेहरे।
हे शारदे माँ
जब भी तेरी तस्वीर के आगे
हाथ जोड़ कर खड़ा होता हूँ
मेरे सामने संसद में हुल्लड़ करते
खिलंदड़ चेहरे घूम जाते है।
जो देश की जनता का खरा पैसा
उड़ा रहे है अपने स्वार्थों पर।
मुझे याद आते हैं दो हज़ार के लिए
लाइन में लगे गरीब बूढ़े आम लोग
साथ ही दिखते हैं गुलाबी नोटों की
गड्डियां उछालते सुनहरे चेहरे।
हे शारदे माँ
जब भी तेरी वंदना की
कोशिश करता हूँ
टीवी पर चीखता हुआ एंकर
बड़े जोरों से घोषणा करता है
कि वही सच का पक्षधर है।
कोने में खड़ा सकते में सिसकता
आम आदमी देखता है किस तरह
अपने अपने एजेंडे को आगे बढ़ाता
बाज़ारू मीडिया आम सरोकारों से
दूर पूंजीपतियों की आवाज़ बना है।
हे शारदे माँ
तेरी प्रार्थना के लिए जब भी
मेरी वाणी उत्साहित होती है
मेरे आजु बाजू अभिव्यक्ति
की स्वतंत्रता के नाम पर
भारत एवं भारतीयता को
ललकारती गालियों का स्वर
किसी संस्थान की नीवों से आता है
संविधान की सौगंध को तोड़ती
जहरीली आवाजें फ़िज़ा में गूंजती है
हे शारदे माँ
जब भी विद्यालय में
तेरी प्रार्थना करता हूँ
शिक्षा की दो धाराएं
आँखों में झलकती हैं
सरकारी फटी चिथी व्यवस्था
के बीच खड़ा मजदूर का बेटा
लकदक कान्वेंट की पोशाक में
फर्राटेदार कार से उतरते अमीर बच्चे।
हे शारदे माँ
जब भी तुझे अपने अंदर
प्रतिस्थापित करने की कोशिश की
पाया गहन अँधेरा टूटा हुआ मन
अंदर बहुत जाले है भय अहंकार के
माया मोह बंधनों की धूल से अटा
ये अंतर्मन बहुत व्यथित है।
हे शारदे माँ
करो मुक्त मेरा अंतर्मन
करो चित्त मेरा निर्मल
दूर करो सारे अवगुण
करो प्रफुल्लित मेरा मन
साहित्य सुधा का दीप जला
करो उजास भरा जीवन।
यह रचना सुशील कुमार शर्मा जी द्वारा लिखी गयी है . आप व्यवहारिक भूगर्भ शास्त्र और अंग्रेजी साहित्य में परास्नातक हैं। इसके साथ ही आपने बी.एड. की उपाधि भी प्राप्त की है। आप वर्तमान में शासकीय आदर्श उच्च माध्य विद्यालय, गाडरवारा, मध्य प्रदेश में वरिष्ठ अध्यापक (अंग्रेजी) के पद पर कार्यरत हैं। आप एक उत्कृष्ट शिक्षा शास्त्री के आलावा सामाजिक एवं वैज्ञानिक मुद्दों पर चिंतन करने वाले लेखक के रूप में जाने जाते हैं| अंतर्राष्ट्रीय जर्नल्स में शिक्षा से सम्बंधित आलेख प्रकाशित होते रहे हैं | अापकी रचनाएं समय-समय पर देशबंधु पत्र ,साईंटिफिक वर्ल्ड ,हिंदी वर्ल्ड, साहित्य शिल्पी ,रचना कार ,काव्यसागर, स्वर्गविभा एवं अन्य वेबसाइटो पर एवं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं।आपको विभिन्न सम्मानों से पुरुष्कृत किया जा चुका है जिनमे प्रमुख हैं :-
1.विपिन जोशी रास्ट्रीय शिक्षक सम्मान "द्रोणाचार्य "सम्मान 2012
2.उर्स कमेटी गाडरवारा द्वारा सद्भावना सम्मान 2007
3.कुष्ट रोग उन्मूलन के लिए नरसिंहपुर जिला द्वारा सम्मान 2002
4.नशामुक्ति अभियान के लिए सम्मानित 2009
इसके आलावा आप पर्यावरण ,विज्ञान, शिक्षा एवं समाज के सरोकारों पर नियमित लेखन कर रहे हैं |
COMMENTS