चुनाव बहुत ही नजदीक है अब नेताओं की संख्या में बढ़ोत्तरी हो गई है | चारों तरफ नेता ही नेता नजर आ रहें हैं | आम जनता की परेशानी को ये नेता भाई बड़े शिद्दत सुन रहे हैं जब नेता लोग किसी आम पब्लिक से जुड़ी चीजों पर चर्चा करते हैं तो ये पब्लिक बेचारी ऐसे नेता को अपना हमदर्द समझने लगती है और चुनाव सम्पन्न होने तक ये नेता आम जन मानस को देवता मानते फिरते हैं और ये नेता लोग खूब जमकर समाज की समस्याओं की निदान की बात करते हुये अगली सरकार हमें दीजिये,सत्ता की कुर्सी तक पहुँचाइये,हम आप सब की एक-एक समस्या का समाधान कर देगें |
जनता और नेता
चुनाव बहुत ही नजदीक है अब नेताओं की संख्या में बढ़ोत्तरी हो गई है | चारों तरफ नेता ही नेता नजर आजनता और नेता |
भाइयों , ये नेता लोग बड़े मायावी होते हैं | तरह-तरह का रूप धारण कर हमारे बीच में आते हैं और अपने महान स्वरूप का दर्शन कराते हैं | ऐसे महान नेताओं के दर्शन मात्र से हम जैसे मतदाता का जीवन धन्य हो जाता है और ऐसे महान देव रूपी नेता को हम जितानें में परहेज नहीं करते हैं और यशस्वी विजयमाला पहनाना अपना कर्तव्य समझते हैं | वैसे हमारे देश की जनता बहुत दयालु टाइप की होती है | करूणा का सागर होती है जब नेतागण हाथ जोड़ कर मतदाता रूपी देव को दण्डवत प्रणाम करती है तो पूरा राजनीति का स्वरूप ही बदल जाता है और एक विशाल जीत की ओर वह नेता चल पड़ता है और सबको वह महान नेता आश्चर्यचकित कर देता है और इसी दण्डवत का नतीजा यह होता है कि वह बढ़ई की बनाई कुर्सी तक पहुँच जाता है और पूरे साम्राज्य को जीत लेता है |
और भाइयों , जब यह नेता जीत जाता है , राजपाठ चालू हो जाता है | अपने किये वादे को किसी कोने में रख देता है | वह नेता बेचारा सत्ता तक पहुँचने पर बेचारा नहीं रह जाता है तब हम आप बेचारे बनकर इन नेताओं के चक्कर में चप्पल घिसते हैं | ये नेता आपकी बात या किये वादे को ऐसे नहीं सुनते हैं | जब तक बहुत बड़ा आन्दोलन नहीं करते हैं | पुतला नहीं फूँकते हैं | बड़ा- बड़ा हंगामा नहीं करते हैं | पुलिस की लाठियां जब तक हम आप पर नहीं पड़ती है ,कई लोग जब तक जेल नहीं जाते हैं , जब तक कईयों की हत्यायें नहीं हो जाती , तब तक यह मूकबधिर सरकार के कान में जूँ नहीं रेंगता है | बहुत बड़ा माथा पच्ची करना पड़ता है तब यह सरकार थोड़ा बहुत टस से मस होती है और इन पाँच सालों में ऐसा रगड़ हम सब को करना पड़ता है कि अन्ततः हमें खाली हाथ ही लौटकर आना पड़ता है और पुनः चुनाव आता है तब फिर ये सफेद कुर्ता पायजाम , कोट पहने हुये ये नेता भाई फिर हम सब के बीच मे आ जाते हैं | यह परम्परा मान लिया जाता है और यह एक प्रक्रिया मान लेते हैं कि ऐसा ही हर पंचवर्षीय में होगा | ये नेतागढ़ आयेगें पुनः वोट लेकर चले जायेंगें फिर हम लोगों का आन्दोलन चालू होता है | यह हमारे देश का दुर्भाग्य है |
मेरे प्यारे मतदाताओं ! अबकी बार समझिये की ये नेता लोग पुनः उल्लू बनाने आ गये हैं और फिर हमारी प्यारी वोट को लेकर चम्पत हो जायेंगें फिर हम ढूँढ़ते रह जायेगें इन नेताओं को पाँच साल तक | ये बेचारे नजर नहीं आयेंगें | हम चाहे जितना मुड़ - मुड़ कर देखें लेकिन ये नेता महोदय अपनी ही राग अलापते रहेंगें | जब जागो तभी सबेरा | अब सबेरा हो गया है | उठो मेरे देश के महान यशस्वी मतदाता और ऐसा बिगुल बजाइये कि ये नेता लोग हमारी हर दुःख तकलीफ सुनते रहें , नहीं तो फिर पाँच साल के लिये महान धोखा खाने के लिये तैयार हो जाइये |
यह रचना जयचंद प्रजापति कक्कू जी द्वारा लिखी गयी है . आप कवि के रूप में प्रसिद्ध हैं . संपर्क सूत्र - कवि जयचन्द प्रजापति 'कक्कू' जैतापुर,हंडिया,इलाहाबाद ,मो.07880438226 . ब्लॉग..kavitapraja.blogspot.com
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