करीना कपूर ने बेटे को जन्म दिया जिसका नाम रखा गया 'तैमूर' । तो इस बात पर बहस छिड़ गई कि करीना कपूर ने अपने बेटे का नाम एक निर्दय सम्राट तैमूर लंग पर क्यों रखा । यहां तक कि एक वरिष्ठ लेखक ने तो उन्हें घमंडी करार दे दिया ।
नाम ही तो रखा है, कोई गुनाह तो नहीं क्या !
आजकल सोशल मीडिया की गली में रहने वाले लोग कुछ ज्यादा ही जागरूक हो उठे हैं ! किसी भी बात पर चाहे वह किसी का निजी मामला क्यों न हो या लोगों को टिप्पणी करना जरुरी लगता है । कहने का मतलब यह कि दो
तैमूर के नाम पर सवाल |
मेरे पड़ोस में शर्माजी रहते थे जिन्होंने अपने बेटे का नाम पद्मलोचन रखा जो किसी हादसे का शिकार होकर अंधा हो गया । यहां तक कि मेरी एक सहेली का नाम उजाला था लेकिन दिखने में वह काली थी । लेकिन यहां गौर करने वाली बात यह है कि 80 के दशक में 'गौरीशंकर' नामक एक खूंखार सीरियल कीलर हुआ करता था जिसने नौ नावालिकाओं के साथ दुष्कर्म करने के बाद उनकी हत्या कर दी गई थी और 1995 में उसे फांसी पर लटकाया गया । तो अगर आज की बहस की माने तो, एक हत्यारे का नाम गौरीशंकर कैसे हो सकता है, है न ! एक दूसरा उदाहरण देती हूं 'मोहन कुमार' का । शायद आपको याद होगा साल 2005-06 में मोहन कुमार ने 20 महिलाओं की हत्या की थी । वह पहले महिलाओं को अपने चंगुल में फंसाता था और बाद में बड़ी ही बेरहमी से उनकी हत्या करता था । तो क्या मोहन भगवान कृष्ण का दूसरा नाम है । वहीं 'धनंजय चटर्जी' की बात सोचिए । अर्जुन का दूसरा नाम है धनंजय । लेकिन धनंजय का नाम सुनने ही शरीर कांप उठता क्योंकि यह वही धनंजय है जिसने एक 14 साल की बच्ची के साथ बलात्कार कर बड़ी ही बेरहमी से उसकी हत्या कर दी थी । अब एक आखिरी उदाहरण देती हूं जिससे आप शायद खुद को जोड़ पाए । राम सिंह । हां आप सही सोच रहे हैं यह 'राम सिंह' वही है जो निर्भया का बलात्कारी थी ।
यहां कहने का मतलब यही है कि हर वह इंसान जिसका नाम राम है वह मर्यादा पुरुषोत्तम नहीं है । हर वह इंसान जिसका नाम कृष्ण है वह स्त्री के लाज का रखवाला नहीं है और हर वह इंसान जिसका नाम तैमूर है वह क्रूर नहीं है । किसी भी इंसान का व्यक्तित्व उसके नाम से नहीं होता बल्कि उसके काम से होता है । अगर किसी का नाम बुद्ध रख दिया जाए या फिर किसी का नाम मोहनदास हो तो वह बुद्ध या गांधी नहीं बन जाता। यहां जिस तैमूर नाम पर बहस हो रही है वह भले ही अत्यंत क्रूर शासक रहा हो लेकिन इसबात को झूठलाया नहीं जा सकता कि वह बड़ा ही बलशाली था जिसने कम समय में कई राज्य जीत लिए थे । यहां कहने का तात्पर्य यह है कि "सीरिया के अलेप्पो में इंसानों के खून से एेसी होली खेली जा रही है कि खूदा भी आज अपनी नाकामी पर रोता होगा । यहां तक कि भारत में भी इस साल आतंकवादियों ने कितने सैनिकों के सिर धड़ से अलग कर दिए यह सोशल मीडिया की गली में रहने वाले लोग नहीं बता पाएंगे" ।
हमारा काम हैं कि कुछ बुरा हुआ तो बस एक दिन मातम मनाएंगे । अच्छा हुआ तो खुशी से बेहाल हो जाएंगे और हमारे मन का न हुआ तो बहसों की इमारत खड़ी कर देंगे । कुछ युवाओं ने जरूर किया होगा लेकिन कभी किसीने क्यों सशक्त रूप से अलेप्पों के लिए आवाज नहीं उठाई । हमने शहीदों को सम्मान तो दिया लेकिन कभी किसीने क्यों उनके बाद उनके परिवार का हाल जानने की कोशिश नहीं की । जब किसी क्रिकेट मैच में भारत हार जाती है तो हम बुरा खेलने वाले खिलाड़ी तथा कप्तान के घर पत्थरबाजी करते हैं लेकिन जब कोई नेता घोटालों में फंसता है तो घर में बैठ कर दिनभर वहीं खबर देखते हैं और देश के हालातों पर दुख जताते रहते हैं और इतने में ही हमारा दायित्व खत्म हो जाता है । मैं किसी को कोई सलाह देना नहीं चाहती लेकिन बस यही बताना चाहती हूं कि एक बच्चे के प्रति माता-पिता का हर तरह का आधिकार होता है , जिसमें नामकरण का भी आधिकार शामिल है ।
यह लेख इतिश्री सिंह राठौर जी द्वारा लिखी गयी है . वर्तमान में आप हिंदी दैनिक नवभारत के साथ जुड़ी हुई हैं. दैनिक हिंदी देशबंधु के लिए कईं लेख लिखे , इसके अलावा इतिश्री जी ने 50 भारतीय प्रख्यात व्यंग्य चित्रकर के तहत 50 कार्टूनिस्टों जीवनी पर लिखे लेखों का अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद किया. इतिश्री अमीर खुसरों तथा मंटों की रचनाओं के काफी प्रभावित हैं.
itishri ji, bilkul sahi bat ki aapne koi bhi manushya kisi bhi naam ka ho usase koi fark nahi padata fark to uske karmo se padta hain,fir naam chahe jo bhi ho, esliye apne bachcho ka naam jo bhi rakho lekin us par sanskar achche karne chahiye aur uske aas pas vala vatavarn achcha hona chahiye.
जवाब देंहटाएंजिस तरह आपने तेमुर के नाम का पक्ष रखा ! पहली बात राम सिंग का नाम उसके माता पिता ने रखा उन्हे नही मालूम था की उनका बेटा आगे चल कर एसा करेगा ! उन्होने अपने बेटे का नाम रावण क्यो नही रखा ! सभी सेलेब्रिटी को हमारी मूर्ख जनता फॉलो करती हे और उनसे प्रेरणा लेती हे ! सभी जानते हे तेमुर आज के जमाने के हिसाब से एक आतंकवादी ही था न की कोई महान आत्मा ! इसके मध्यम से आप क्या मेसेज देना चाहते हे !
हटाएंजागरूक होना अच्छी बात हे कोई गुनाह नही हे ! सोशियल मीडिया पर लोग बोलेगे कोई रोक नही सकता ! आपके लेख से लगता हे की आपकी मानसिकता अभी भी गुलामी वाली हे जिसमे बदलाव की आवश्कता हे !
आशीष दावे जी बहुत सही कहा आपने।
हटाएंयहाँ मैं इस लेख के लेखक को बस यह समझाना चाहूंगा,किसी भी गलत बात को सही साबित करना उतना ही गलत है जितना किसी गलत काम को स्वयं करना। और रही बात उन नामों की जो आपने उदहारण दिए तो बताना चाहूंगा, ये सभी नाम सज्जन व्यक्तित्व और महापुरुष और देवताओं के हैं और उनके नाम और उन सभी के नाम से दुनिया को एक सकारात्मक संदेश मिला है, अब अच्छा होने के बावजूद कोई गलत काम करे तो कुछ नहीं किया जा सकता, परंतु जब आपको पता है कि तैमूर एक निर्दयी बलात्कारी क्रूर व्यक्ति का नाम है तो आप ये नाम(तैमूर) रख के क्या साबित करना चाहती हैं ,हाँ अगर तैमूर किसी महँ व्यक्ति का भी नाम हुआ होता तैमूर लंग से पहले तो यह नाम रखने में कोई हर्ज नहीं था पर जब आपको पता है तब क्यों आप यही नाम रखना चाहते हैं?
क्यों आपको अब्दुल कलाम का नाम नै मिला क्यों आपको अबुल कलाम आजाद का नाम नहीं मिला, क्यों आको अब्दुल गफ्फार खान का नाम नहीं मिला? बड़ी अजीब सी बात है , है न? भला अब कोई अपने बच्चे का नाम रावण सूर्पनखा केकई भस्मासुर कुम्भकरण क्यों नहीं रखता?
क्योंकि इन नामों से समझ में 1 नकारात्मकता फैलती है मैडम।
सोच का दायरा बढ़ाएं अपना, दकियानुची सोच से बहार निकलें।
आशीष दावे जी बहुत सही कहा आपने।
हटाएंयहाँ मैं इस लेख के लेखक को बस यह समझाना चाहूंगा,किसी भी गलत बात को सही साबित करना उतना ही गलत है जितना किसी गलत काम को स्वयं करना। और रही बात उन नामों की जो आपने उदहारण दिए तो बताना चाहूंगा, ये सभी नाम सज्जन व्यक्तित्व और महापुरुष और देवताओं के हैं और उनके नाम और उन सभी के नाम से दुनिया को एक सकारात्मक संदेश मिला है, अब अच्छा होने के बावजूद कोई गलत काम करे तो कुछ नहीं किया जा सकता, परंतु जब आपको पता है कि तैमूर एक निर्दयी बलात्कारी क्रूर व्यक्ति का नाम है तो आप ये नाम(तैमूर) रख के क्या साबित करना चाहती हैं ,हाँ अगर तैमूर किसी महँ व्यक्ति का भी नाम हुआ होता तैमूर लंग से पहले तो यह नाम रखने में कोई हर्ज नहीं था पर जब आपको पता है तब क्यों आप यही नाम रखना चाहते हैं?
क्यों आपको अब्दुल कलाम का नाम नै मिला क्यों आपको अबुल कलाम आजाद का नाम नहीं मिला, क्यों आको अब्दुल गफ्फार खान का नाम नहीं मिला? बड़ी अजीब सी बात है , है न? भला अब कोई अपने बच्चे का नाम रावण सूर्पनखा केकई भस्मासुर कुम्भकरण क्यों नहीं रखता?
क्योंकि इन नामों से समझ में 1 नकारात्मकता फैलती है मैडम।
सोच का दायरा बढ़ाएं अपना, दकियानुची सोच से बहार निकलें।
धन्यवाद अनिमेश विश्वकर्मा जी, अभी के समय मे नकली बुदिजीवी की एक फसल तेय्यार हो गई हे जो सीधे सीधे ग़लत का साथ देती हे जेसा की JNU मे हुआ ! और भी बहुत कुछ हे ! लेकिन खुशी की बात ये हे की अब जनता जागरूक हो गई हे और सभी के पेतरे को समजने लगी हे ! सोचने का विषय यह हे की अब महादवी वर्मा, निराला जेसे लोग पेदा क्यो नही होते !
हटाएंbahut bahut shukriya apka lekh ko padhne key liye aur sahamati jatane key liye
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