भाषा संवाद की संवाहिका होती है लेकिन जब यह प्रशासन की भाषा होती है तो इसकी पृक्रति भिन्न प्रकार की होती है पदबंधों के अर्थ भी प्रयोग या context के अनुसार बदलते हैं . अर्थ का अनर्थ देखने को तब मिलता है जब अनु.343 (1) में Hindi shall be the official language of the Union ,
हिंदी के उन्नयन में अलमबरदारों की भूमिका
पृष्ठ भूमि
भाषा संवाद की संवाहिका होती है लेकिन जब यह प्रशासन की भाषा होती है तो इसकी पृक्रति भिन्न प्रकार की होती है पदबंधों के अर्थ भी प्रयोग या context के अनुसार बदलते हैं . अर्थ का अनर्थ देखने को तब मिलता है जब अनु.343 (1) में Hindi shall be the official language of the Union, इसमें शेल बी का जो अर्थ है ( संविधान के रज़तजयंती वर्ष संस्कारण के अनुसार , संघ की राजभाषा हिंदी
और लिपि देवनागरी होगी, अंकों का रूप भारतीय अंकों का अंतरराष्ट्रीय स्वरूप होगा ) ( होगा तो भविष्य की एक होने वाली घटना है यहां अर्थ आदेश कि एसा हो गया , हो चुका है , न कि होगा ) सही अर्थ Black’s Law Dictionary के अनुसार और ओक्स्फोर्ड यूनिवरसिटी प्रेस की ब्रायन ए गारनर की पुस्तक ए डिक्सनरी ओफ माडर्न इंग्लिश यूसेज के दूसरे एडीसन के पृष्ठ 940 - 941 पर मिलेगा . शब्द एक हो सकता है पर अर्थ कई होंगे जैसे फूंक , फूंक मारने वाले ने लोगों के जर्जर शरीर में प्राण फूंक दिए पर अब एसी फूंक सरक रही है कि दिल्ली आने पर फूंक फूंककर सोच रहा है . उस पर समझ के स्तर की बहस हो सकती है .यहां अर्थ भविष्य का नहीं बल्कि संघ की राजभाषा हिंदी है संविधान में समानता , न्याय और अवसर की उपलब्धता प्रमुख आधार बिंदु हैं .
1950 में जब राजभाषा बन गई तब हिंदीतर भाषियों के लिए 15 साल की यह छूट दी गई कि वे हिंदी पढ पढा लें लेकिन अब मेधावी लोगों द्वारा 65 साल के बाद भी योजना, कानून एवं साइंस के काम मौलिक रूप से हिंदी में क्यों नहीं हो रहे ?
हमारे देश की शासन ( भारतीय संविधान के साठ वर्ष,गरिमा मेहदीरता , योजना अगस्त 2010 , पृष्ठ 49 ) प्रणाली, इंगलेंड के आधार पर, संसदीय है , लेकिन प्रमुख राष्ट्रपति , चुनाव द्वारा , होता है जबकि इंगलेंड में वंशानुगत है . इंगलेंड में संविधान नहीं है इसलिए संसद सर्वोच्च है चूंकि वहां कोई लिखित संविधान नहीं है जब कि हमारे यहा लिखित और स्पष्ट रूप में संविधान है इसी कारण संविधान हमारे यहां सर्वोच्च माना गया है संसद नहीं, .हर कानून जो बन चुका या बनाया जाने वाला है , उसे संविधान की कसौटी पर न्यायालाय में खरा उतरना होगा नहीं तो उसे निरस्त या खारिज़ किया जाएगा.या पालन रोक देना होगा .
अब प्रशासन जनता के दरवाज़े पर आने को उद्यत है . कार्य पालकों के लिए विधान , नियम उप नियम सब हैं ,लेकिन ये सब कोडीफाइड कामनसेन्स है .
सरकार की भाषा नीति प्रेरणा , प्रोत्साहन एवं सद्भाव की है लेकिन जानबूझकर यदि राजभाषा नियमों का पालन कोई नहीं करता है तो अनुशासनिक कार्रवाई के स्पष्ट निर्देश है
देवनागरी हिंदी 7 वीं शती से आगे लोक व्यवहार की भाषा रही है 12 वीं शती से इसके कविता में प्रमाण मिलते हैं 1857 में यह स्वातंत्र्य में इसका अग्रणी योगदान सर्व विदित है खडीबोली के रूप में ( सभी बोलियों को खडा करके 19 वीं शती में हिंदी नाम से जाना गया ) 14 सितंबर 1949 को इसे संविधान सभा ने राजभाषा के रूप में अपना लिया
26 जनवरी 1950 से संविधान लागू हुआ
संविधान के भाग 17 अध्याय 1,2,3 के अनुसार
- अनुच्छेद 343
- अनुच्छेद 351
- आठवीं अनुसूची ( अब 22 भाषाएं )
- आठवीं अनुसूची ( अब 22 भाषाएं )
संसद की भाषा
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न्यायालय की भाषा
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जन भाषा
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राज्य की
भाषाएं
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अनु 120
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अनु 348
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अनु 343 , 350
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अनु 345
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1857 में जो जोश था वह धीरे धीरे ठंडा पड गया , 1963 का अधिनियम अंग्रेजी को जारी रहने देने के लिए लाया गया तो 1976 के राजभाषा नियम के अमल को केवल अनुष्ठानिक / सजावटी रखा गया. सब राज्य विधान मंडल जब तक प्रस्ताव पारित नहीं कर लेते तब तक संविधान सभा का संकल्प ध्वस्त रहेगा ? उस कथा की तरह कि मरणासान्न हाथी की दवा और देखभाल के लिए एक प्रधान को धन सोंपकर राज़ा कहता है कि अब लौटकर यह खबर तूने दी कि हाथी मर गया तो सूली पर चढा दूंगा , तो हाथी तो मरा जैसा था ही तो अब खबर कैसे दें ? एक तरक़ीब जो इस जटिल काम को आसान करेगी , अब हमारे और आपके हिंदी के प्रयोग पर निर्भर करती है . इस पर एक विचार पूर्ण लेख कादंबिनी की हिंदी अंक में सिंहवी साहब ( संविधान में हिंदी )- डॉ. लक्ष्मी मल्ल सिंघवी ने लिखा है सिंहवी साहब ने लिखा है कि कभी उस ज़माने में डंके की चोट पर अमीर खुसरो कहते थे कि मैं हिंदी की तूती हूं मुझसे जो भी पूछना हो हिंदी में पूछो, लेकिन आज वही हिंदी नक्कारखाने में तूती की आवाज़ बनकर रह गई है . यूनीकोड मंगल और यांत्रिक उपकरणों ने भी इस काम को जटिल बनाया और शोध हुए जरूर पर इधर उधर बिखरे पडे रहे . भाषा का काम दिल से नहीं ,बल्कि दिमाग से चल रहा है .2010 में गुजरात हाई कोर्ट ( कोरम जस्टिस मुखोपाध्याय ) ने राजभाषा और राष्ट्रभाषा के झगडे में उलझाकर सुरेश कछाडिया के पी आई एल पर एक तरह से राम विलास पासवान के आदेश को पलट दिया
क्षेत्रपाल शर्मा |
मानीटरिंग
- माननीय राष्ट्रपति जी के आदेश /राजभाषा आयोग ( अनु 344 ,1)
- संसदीय समिति के निरीक्षण और साक्ष्य आलेख ( अनु 344,4)
- गृह मंत्रालाय राज भाषा विभाग के क्षेत्रीय कार्यालय
- आंतरिक व्यव्स्था
दायित्व
1 न.रा.का.समिति की बैठकों में स्वयं उपस्थित होना
2 हिंदी रोस्टर बनवाना ,बना हुआ है तो उसे अद्यतन कराना
3 वि.रा.का.समिति की बैठकें हर तिमाही में आयोजित कराना
4 नियम 12 के तहत जिम्मेदारियां :D.F.P.R की भांति
5 राजभाषा के नियम 5 ,6 एवं 11 का सम्यक अनुपालन ( जिसमें विग्यापन,वेब साइट एवं संसद से कार्य व्यवहार शामिल हैं ) .
6 हिंदी पदों का समुचित प्रबंध ( स्वयं हिंदी डिक्टेसन देना , टिप्पणी लिखना शामिल)
7 हिंदी संवर्धन के लिए पुरस्कार योजनाएं लागू कराना
8 समय समय पर हिंदी कार्यशालाएं ,हिंदी पुस्तकों की कार्यालय उपयोगी पुस्तकों की खरीद , राजभाषा सम्मेलन आयोजित कराना
हिंदी के चार फोंट यूनीकोड समर्थित जो विंडो 7 एवं 110 में प्रे सेट हैं ,मंगल , कोकिला ,एम एस एरियल, विंडो 7 में अपराजिता ( यहां से फोंट डाउनलोड करें : http://www.lipikaar.com/support/download-unicode-fonts-for-hindi-marathi-sanskrit-nepali ) एवं टाइपिंग हिंदी की 3 विधि है 1 रेमिंगटन , फोनेटिक एवं इन स्क्रिप्ट
हिंदी के 23 सभी यूनीकोड समर्थित हिंदी फोंट जो गूगल ड्राइव में उपलब्ध , उनकी लिंक https://drive.google.com/drive/folders/0Bx7abjYu_zUnd2VLek9UWVpmTkk
How to type in Hindi
This is also common question and there are many methods of Hindi typing.
Who they know English Keyboard layout only can use Google Hindi Input and Microsoft Indic input and type using english letters like Namaste and this will convert as नमस्ते in Unicode Hindi.
लिनक्स यद्यपि फ्री सोफ्ट्वेयर है पर प्रचलित नहीं हुआ
10 हिंदी मंत्र ,इनपुट हिंदी गूगल ट्रांस्लेट आदि उपकरणों का समुचित दोहन :-
6 www.hindinideshalaya.nic.in
11 व्यक्तिश: आदेश सभी अधिकारियों /कर्मचारियों को अप्रेल में जारी करना ,
12 जांच बिंदु हर अप्रेल में निर्धारित कर जारी करना
13 सेवा पंजियों में एंटरीज हिंदी में कराना
14 मान्य शब्दावली का प्रयोग
हिंदी एकमात्र एसी भाषा है जिसे देश में हर जगह आसानी से लोग सभी वर्गों के समझते है ,बोलते है,यह एकता का प्रमाण है
Ethnologue (2015, 18th edition)
The following languages are listed as having 50 million or more native speakers in the 2015 edition of Ethnologue, a language reference published by SIL International. Speaker totals are generally not reliable, as they add together estimates from different dates and (usually uncited) sources; language information is not collected on most national censuses.
Rank
|
Language
|
Family
|
L1 speakers
|
L1 Rank
|
L2 speakers
|
Total
|
1
|
900 million
|
1
|
190 million
|
1,090 million
| ||
2
|
339 million
|
3
|
603 million
|
942 million
| ||
3
|
472 million
|
2
|
94 million
|
570 million
| ||
4
|
295 million
|
4
|
90 million
|
385 million
| ||
5
|
260 million (2001)
|
5
|
120 million (1999)
|
380 million
| ||
6
|
230 million (2010)
|
6
|
32 million (2010)
|
262 million
| ||
7
|
150 million (2010)
|
8
|
110 million (2010)
|
260 million
| ||
8
|
205 million (2011)
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( हिंदी बोलने वालों की संख्या के आधार पर एंथोलोग ने 5 वें स्थानपर , लिस्ट्वर्स डोट काम ने इसे तीसरे स्थान पर और इनफोप्लीज डोट कोम ने इसे चोथे स्थान पर बताया )
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लेकिन भोपाल में विश्व हिंदी सम्मेलन में जब जर्मन विद्वान यह कहते है कि हिंदी को वह स्थान मिलना था वह नहीं मिला और हम बडे हैं वे बडे हैं , भाषा की बडी बडा में तमिल को जून 2004 में क्लासिकल भाषा का दर्ज़ा मिलता है तो सुभ्रमण्यम भारती की कविता कि मेरे देश के सपूत कोटि मुख से भाषाओ में बोलते हैं लेकिन सुर एक है तो वह स्वर ( शायद बेसुरा तो नहीं ही है , तमिलनाडु में नवोदय विद्यालय खोलने नहीं देते ? ) मैं खोज रहा हूं इसी बडी बडा की एक घटना दत्तात्रेय महाराज की है वे कई जगह भटके लेकिन उनसे बडा जो गुरू उनका मिल सके ,नहीं मिला , सच बात है कि एसे गुरू आसानी से मिलते कब है ,दूसरी घटना शिवाजी महाराज की याद आती है कि गुरू जी हमारे श्रेष्ठ हैं सिरमौर हैं और उनके कारनामे जब एसे हो जाएं कि हमारी गरदन झुक जाए तो ये मौर टिकेग़ा कहां ? भाषा की नीति वाकई बहुत बुरी तरह उलझ गई है , सरकार की हालत जंगल में बंदर राजा की तरह इस डाल कभी उस डाल कूद कर प्रयासों को गिना तो सकती है पर दरअसल समझ नहीं पा रहे कि उसने इस ओर आंखें बंद की हुई हैं , अंग्रेजी ही पसन्द है या उसके घुटने टिके हुए हैं , क्या जनता इन सभी पहलुओं पर गम्भीरता से सोचेगी ?
( इस लेख में लेखक के निजी विचार व्यक्त किए गए हैं )
संपर्क क्षेत्रपाल शर्मा
म.सं 19/117 शांतिपुरम, सासनी गेट ,आगरा रोड अलीगढ 202001
मो 9411858774 ( kpsharma05@gmail.com )
01.01.2017
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