ला इलाहा इल्लल्लाह मुहम्मद रसूल अल्लाह” अर्थात { अल्लाह् के सिवा और कोई परमेश्वर नहीं है और मुहम्मद अल्लाह के रसूल (प्रेषित) हैं।} यह मुस्लिमों का प्यारा व पवित्र मंत्र है।
भारत में इस्लामीकरण का खतरा
इस्लाम आज के युग में एक सशक्त कौम के रुप में उभर आया है। इसका इतिहास इतना प्राचीन ना होते हुए भी यह अपने क्रियाकलापों के कारण वैश्विक जगत में महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है। “ला इलाहा इल्लल्लाह मुहम्मद रसूल अल्लाह” अर्थात { अल्लाह् के सिवा और कोई परमेश्वर नहीं है और मुहम्मद अल्लाह के रसूल (प्रेषित) हैं।} यह मुस्लिमों का प्यारा व पवित्र मंत्र है। इनका पावन ग्रंथ कुरान अरबी भाषा में रची गई और यही विश्व की कुल जनसंख्या के 25 प्रतिशत यानी लगभग 20 से 30 करोड़ लोगों की यह मातृभाषा है। विश्व में आज लगभग 1.3 अरब (130 करोड़) से 1.8 अरब (180 करोड़) मुसलमान हैं। इनमें से लगभग 85 प्रतिशत सुन्नी और लगभग 15 प्रतिशत शिया हैं। सबसे अधिक मुसलमान दक्षिण पूर्व एशिया और दक्षिण एशिया के देशों में रहते हैं। मध्य पूर्व,
अफ्रीका और यूरोप में भी मुसलमानों के बहुत समुदाय रहते हैं। विश्व में लगभग 50 से ऊपर देश ऐसे हैं जहां मुसलमान बहुमत में हैं। विश्व में कई देश ऐसे भी हैं जहां मुसलमानों की जनसंख्या के बारे में कोई विश्वसनीय जानकारी उपलब्ध नहीं है। 2010 में ‘पिव रिसर्च सेंटर’ के अनुसार विश्व में 50 मुस्लिम बहुल देश हैं जिनमें 62 प्रतिशत के करीब एशिया महाद्वीप में ही हैं। सबसे अधिक आवादी साउदी अरबिया एवं मालद्वीप में शत प्रतिशत, मोरीटानिया में 99.99, सोमालिया में 99.9, अफ्रीकी मोरक्को अल्जीरिया व यामीन में 99, टनिशिया व चामोरस में 98, इराक, लीबिया व तजाकिस्तान में 97, जार्डन में 95, डजिबोती व सेंगल में 94, आजीरब में 93.4, ओमान में 93, सीरिया, नाइगर , माले, कोसो तथा गम्बिया में 90, तुर्कमेनिस्तान में 89, उजबेकिस्तान में 88, गुवाना व कुवैत में 85, बहरीन में 81, कतर में 77.5, यू. ए. ई. में 76, कयागिस्तान में 75, सूडान व अलबानिया में 70, मलेशिया में 60.4, साइरा लियोन व लेबनान में 60, कजाकिस्तान में 57, चांद में 54 तथा बुकिनफासा में 50 प्रतिशत मुस्लिम आबादी के प्रमाण प्राप्त होते हैं। इस संख्या में कमी तो नहीं इजाफा ही हो सकता है, क्योकि जब तक सर्वे होता है तब स्थिति काफी बदल चुकी होती है।मुस्लिम आबादी का कपटपूर्ण विस्तार : -
साउदी अरब में मुहम्मद के जन्म के (ई. 570) के वक्त अधिकतर लोग यहूदी और ईसाई धर्मी थे। वहां पर आतंक फैला कर मुहम्मद और उसके अनुयायियों ने जनता को मुसलमान बनाया और साउदी अरब इस्लामी देश बन गया। फिर साउदी अरब के मुस्लिमों ने कुरान से प्रभावित होकर येमेन, फिलिस्तीन, इजिप्ट, जोर्डन आदि यहूदी धर्मी राष्ट्रों पर हमला कर मुस्लिम देशो में तब्दील किया। कुछ ही साल में पड़ोस के उत्तर अफ्रीका, ओमान, टर्की, ईराक आदि ईसाई ( देशो पर हमला कर मुसलमान बनाया गया। इरान भी एक पारसी धर्म का देश था। इरान के पारसी धर्मी लोगो को जिस क्रूरता से मुसलमान बनाया गया वह भूला नहीं जा सकता है। आज कोई यकीन भी नहीं करेगा की इतिहास में इरान का इस्लाम से दूर दूर तक कोई नाता नहीं था। आज पारसी धर्म लुप्त होने के कगार पर है। अफगानिस्तान में बौद्ध धर्म का प्रभाव था। यहां भी रक्तपात कर इस्लामी देश बनाया गया। बामियान की बौद्ध की मुर्तिया तालिबान ने किस तरह तोड़ी यह तो पूरी दुनिया देख चुका है। भारत का हिस्सा पाकिस्तान भी इसी प्रकार बना, यहाँ पंजाब, सिंध राज्यों में जो भी हिंदू राजा थे उनका कत्लेआम कर सभी हिंदू जनता से इस्लाम कबूल करवाया गया। मुगल ने भारत में करोडो लोगो को मुसलमान बनाया, लेकिन वे भारत को पूरी तरह इस्लामी राष्ट्र बनाने में कामयाब नहीं हो सके। बाद में समुन्दर के रास्ते से मुसलमान मलेशिया और इंडोनेशिया तक पहुच गये, ये दोनों बौद्ध राष्ट्र आज इस्लामी राष्ट्र बन चुके है।
कमजोर लोकतंत्र (जम्हूरियत ) :- आज विश्व में 51 से अधिक मुस्लिम देश है मगर किसी भी मुल्क में लोकतंत्र नहीं है। कहीं बादशाहत , फौजी , डिक्टेटरशिप और कही कमजोर जम्हूरियत है, जिस कारण ये सभी देश सांस्कृतिक, शैक्षिक, आर्थिक पृष्ठभूमि में बहुत पिछड़े हुए हैं। इस्लाम में राज्य सरकारों के संवैधानिक ढांचे की कोई स्पष्ट स्वरूप मौजूद नहीं है। नबी की मृत्यु के तुरंत बाद खिलाफत (उत्तराधिकार) पर जबर्दस्त मतभेद पैदा हो गये। जिसमें बड़े-बड़े साहबान एक दूसरे के सामने तलवारें लेकर खड़े हो गए और वही से खिलाफत के लिए और सत्ता के लिए लड़ाई का सिलसिला चल पड़ा। आगे चल कर पारिवारिक खिलाफत बादशाहत में तब्दील हो गया। उनमें लोकतांत्रिक चरित्र कभी देखा ही नहीं गया है। सारी बुनियाद आम जनभावना के विपरीत धार्मिक बंदिशों का जामा पहनाकर थोपा गया है। अफगानिस्तान के बलूच नेता प्रोफेसर नायला कादरी ने काशी में हुए एक कार्यक्रम में पाकिस्तान पर हमला बोलते हुए कहा था कि पाकिस्तान इस्लाम का सबसे बड़ा दुश्मन है। वह इस्लाम के नाम दहशतगर्दी करते हुए अब तक 30 लाख बंगाली मुसलमानों, 40 लाख अफगानी मुसलमानों और दो लाख से अधिक बलूचों की हत्या कर चुका है।
भारत का इस्लामीकरण -
इस्लाम कभी अमन और शांति का ना तो धर्म रहा है और ना मुसलमान आज भी अमन पसंद करते हैं । संसार में मुस्लिम आवादी तथा देशों की संख्या कम नहीं है। लगभग 57 मुसलमान देश, लगभग 25 ईसाई देश, 10 बुद्धिस्ट और केवल एक यहूदी देश है। यु एन ओ आज दुनिया के सारे मामलों में आखिरी फैसला किया करती है लेकिन यह भी इतिहास है कि यू. एन. ओ. के या इन्टरनेशनल एटमिक इनर्जी एजेन्सी के अब तक के सभी सेक्रेटरी उसी देश के निवासी होते हैं, जिनकी हुकूमतें अमरीका के इशारे पर चलती हैं। यु एन ओ के 193 देश मेम्बर हैं जिनमे से 5 देश (4 ईसाई और एक बुद्धिस्ट) देश को वीटो का हक हासिल है। अविभाजित भारत और भारतीय गणराज्य की हर जनगणना में कुल जनसंख्या में मुसलमानों की जनसंख्या में वृद्धि और हिन्दुओं की जनसंख्या में गिरावट दर्ज की गई है। सन् 1881 में कुल जनसंख्या में मुसलमानों की संख्या 20 प्रतिशत से बढ़कर 1941 में 69.4 हो गई ह, हिन्दुओं की जनसंख्या 1881 में 75.1 प्रतिशत से घटकर 1941 में 69.4 प्रतिशत रह गई थी। यहां तक कि स्वतंत्र भारत में सन् 1951 में देश की कुल जनसंख्या में मुसलमानों का प्रतिशत 9.9 था जो कि सन् 1991 में 12.1 हो गया, जबकि कुल जनसंख्या में हिन्दुओं का प्रतिशत 84.9 से घटकर 82.0 रह गया है। पी.एम. कुलकर्णी ने भारत में 1981-91 के दौरान हिन्दुओं और मुसलमानों की जनसंख्या वृद्धि में अंतर नामक अपने अध्ययन में राष्ट्रीय स्तर के अलावा बड़े राज्यों में मुसलमानों की हिन्दुओं की तुलना में उच्च वृद्धि दर के लिए मुख्य रूप से उनकी प्रजनन की अधिक दर, नवजातों की निम्न मृत्यु दर और कुछ हद तक सीमा पार से मुसलमानों की घुसपैठ को जिम्मेदार बताया है। यहां तक कि केरल जैसे अधिक साक्षरता वाले राज्य में भी मुसलमानों की प्रजनन दर हिन्दुओं से अधिक है। अगर सरकार और समाज ने समय रहते मुसलमानों की उच्च प्रजनन दर पर नियंत्रण, बंगलादेशी घुसपैठ और चर्च के मतांतरण अभियानों को रोकने के लिए प्रभावी कदम न उठाए तो वह दिन भी देखना पड़ सकता है जब हिन्दू अपने ही देश में अल्पसंख्यक होकर रह जाएंगे।
दुगनी रफ्तार से बढ़ती मुस्लिम आबादी :-
हर इस्लामिक देश में गैर मुसलमानों की तुलना में आबादी दुगनी रफ्तार से बढ़ती हैं, जिससे उस देश की सारी अर्थव्यवस्था गड़बड़ा जाती हैं। ये पढाई लिखाई में कोई खास रूचि नहीं रखते। अंग्रेजी, गणित, विज्ञान के लिए कोई विशेष प्रयास नहीं करते। हां, कुरान की शिक्षा आवश्यक रुप में दी जाती है। ये लोग जो व्यवसाय करते हैं वह भी समाज हित के नहीं होते हैं। इनकी मांस की दुकाने आसपास बीमारियां लाती हैं। ये जहां अधिक संख्या में
डा.राधेश्याम द्विवेदी |
संगठित अपराध में संलिप्तता :-
मुस्लिम परिवार में अधिक सदस्य होने और अशिक्षित होने से छोटे संगठित अपराध किया करते हैं। जैसे अनाधिकृत कब्जे, बिजली चोरी, नशीले पदार्थो का धंधा आदि । ये छोटे अपराधी जल्द ही बड़े अपराधियों से जा मिलते हैं और ये बड़े अपराधी भी कभी ना कभी उन्हीं मुस्लिम बस्तियों से निकल कर आये होते हैं। टाइगर मेनन और दाउद इब्राहीम और ना जाने कितने अपराधी इसी प्रकार ऊपर उठे हैं। बड़े अपराधी देश की अर्थ व्यवस्था को बिजली चोरी या अतिक्रमण की तरह छोटा मोटा नुक्सान नहीं पहुचाते बल्कि हजारो करोडो का नुकसान पहुचाते हैं। स्टाम्प घोटाले व हवाला कांड का प्रमुख अब्दुल करीम तेलगी 10,000 करोड़ व हसन अली 36,000 करोड़ रकम की कमाई किया है। ये इस्लामिक मुल्को से गैर इस्लामिक देशो में आतंक हत्या के लिए हथियार प्रशिक्षण का प्रयोग भी करते हैं। ये मुस्लिम काफिर देश में किये गए अपराध लूट पाट को धार्मिक कृत्य मानते हैं। उनमे से एक सरलतम रास्ता जेहाद का है। काफिर का कत्ल हर मुस्लिम पर अनिवार्य है। कुरान पढ़े बेरोजगार लड़के जेहाद के लिए आसानी से तैयार हो अपना सौभाग्य समझते हैं। वे इस्लामिक देशो में मौजूद अपने रहनुमाओ की मदद से जेहादी बनते हैं। ये जेहादी देश में समय-समय पर बम विस्फोट, सामूहिक हत्याए व दंगे कराते हैं। दंगो को कुछ लोगो की शरारत कहा जाता है। बम विस्फोट पर कहा जाता हैं - इसका इस्लाम और मुसलमानों से कोई लेना देना नहीं है। दोनों ही जेहाद अर्थात धर्मं युद्ध का हिस्सा कहे जाते हैं। यदि गैर इस्लामी कौमे संगठित होकर धर्मं युद्ध का जवाब देती हैं तो मुस्लिम जोर-जोर से हल्ला करना शुरु कर देते हैं कि उन पर जुल्म और अत्याचार हो रहा हैं। इस मुल्क में वे सुरक्षित नहीं हैं। मुसलमानों के संगठित और हमलावर होने की वजह से तथाकथित सेकुलर राजनैतिक दल मुसलमानों का पक्ष लेने में ही अपनी भलाई समझते हैं। जैसे की भारत में कांग्रेस, तृणमूल, आम आदमी, समाजवादी, कमुनिस्ट तथा जनता दल इत्यादि। इन दलों का धर्म से, संस्कृति से कोई लेना देना नहीं होता और मुस्लिम समर्थन मिलने पर इन्हें सत्ता का लालच आ जाता है। ये मुस्लिम आबादी के बढने में और सहायता करते हैं। उनके गलत सही हर काम में उनका हर तरह से साथ देते हैं।
सेकुलर दलों द्वारा पक्षपात व प्रोत्साहन :-
भारत का फर्जी सेकुलरवाद भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने की ओर अग्रसर करता हैं। बंगलादेश से आये 4 करोड़ मुस्लिमो को कांग्रेस तथा तृणमूल ने बसवाया। आतंकवाद के खिलाफ कानून (पोटा एक्ट) बनाना तो दूर रहा, जो कानून था उसको भी खत्म कर दिया गया। मुस्लिम नाराज ना हो इस लिए जेहादियों को उच्चतम न्यायालय से दी हुयी को सजा को भी रोके रखते हैं। कांग्रेस ने अफजल गुरु की फासी रोक रखी थी। तथाकथित सेकुलर वर्ग की इस मूर्खता से मुस्लिम खुश होते हैं और तेजी से अपनी आबादी बढ़ाने के प्रयास करते रहते हैं। इनमें गैर मुस्लिम सम्प्रदाय की लड़कियों को प्यार के झूठे जाल में फंसाते हैं उनसे बच्चे पैदा करते हैं इन्हें लव जेहादी कहते हैं। ये लव जेहादी हिंदू या ईसाई लडकियो को वर्गला-फुसला कर भोग करने के बाद किसी अधेड उम्र के मुस्लिम को बेच भी देते हैं। अधिकतर वह मुस्लिम बदसूरत ही होते हैं इसीलिए उन्हें बड़ी उम्र तक औरते नहीं मिल पाती। ये लोग हिंदू इलाके में अधिक दामों पर इमारत खरीद लेते हैं और फिर वहां बड़े मुस्लिम परिवार बसा दिए जाते हैं। ये आसपास लोगो से प्रायः झगडा करते रहते हैं और धीरे-धीरे पडोसियो को अपने घर सस्ते दामों पर किसी मुस्लिम को ही बेचने को मजबूर कर देते हैं। इस प्रकार इनकी एक मकान पर खर्च की गयी अतिरिक्त रकम से कही अधिक मुनाफा निकल आता हैं।
आबादी के बीच मस्जिदों का निर्माण :-
मुसलमानों की मस्जिद अक्सर शहर के बीचों-बीच होती हैं ताकि किसी तरह की व्यवस्था बिगडने पर मीनारो की आड़ से पुलिस को देख सके और जरुरत पड़ने पर खुद पुलिस व्यवस्था पर हमला कर सके। छोटी मुस्लिम बस्तियाँ ना केवल संगठित होती हैं अपितु हमलावर लोगो से भरी होती हैं। हर घर में देसी तमंचे मिलना सामान्य बात होती हैं। भारत में नव-निर्मित मुस्लिम बस्तियाँ अक्सर या तो राजमार्गो के किनारे होती हैं या ट्रेन लाइनों के किनारे होती हैं । राजमार्गो के किनारे बनी मजारें प्रायः खाली होती हैं जिसमें हथियार छिपाने की संभावनाओ से इंकार नहीं किया जा सकता है।
गैर-इस्लामिक देशों पर हमला :-
यदि गैर-इस्लामिक देश के अगल-बगल में इस्लामिक देश हैं तो समय-समय पर इस्लामिक देश हमला करते रहते हैं। भारत का पडोसी पाकिस्तान इसी प्रकार करता रहता है। एसे पडोसी इस्लामिक मुल्क प्रत्यक्ष जीत ना पाने की स्थिति में छदम युद्ध प्रारंभ करते हैं। इस्लामिक एकता के नाम गैर इस्लामिक मुल्क में मौजूद मुस्लिमो की मदद लेते हैं। आबादी में 30 प्रतिशत तक पहुचने पर वे काफिर देश पर कब्जा कर लेते हैं क्योंकि संगठित 30 प्रतिशत मत किसी भी लोकतान्त्रिक देश में सरकार बनाने के लिए या गृह युद्ध के माध्यम से कब्जा करने के लिए काफी होता है।
भारत इस्लामिक देश बनने की कगार पर :-
इसका मूल कारण मुस्लिम आबादी का हिन्दुओ ईसाइयों और अन्य सभी से दोगुनी रफ्तार से बढ़ना हैं। भारत में हिंदुओं और मुस्लिमों की वृद्धि दर में उल्टा समानुपात है और पिछले तीन दशकों में असंतुलन बढ़ा है और समुदाय ने लगातार तीसरी बार ऐसी वृद्धि हासिल की है। ‘आर्गनाइजर’ पत्र ने कहा है कि देश में 1981 से 1991 और 1991 से 2001 के बीच मुस्लिमों की आबादी करीब 0 . 8 फीसदी की दर से बढ़ी है। भारत में 2050 तक मुस्लिमों की आबादी 31.1 करोड़ होगी जो पूरी दुनिया की आबादी का 11 फीसदी है। इससे भारत विश्व में सर्वाधिक मुस्लिम आबादी वाला देश बन जाएगा। राजनीति में अपेक्षाकृत कम महत्वपूर्ण लेकिन भारतीय परंपराओं से जुड़े हुए सिख और बौद्ध धर्म को मानने वालों की संख्या में वास्तव में कमी आई है जो चिंताजनक है। जब भी स्वदेश से शुरू हुए धर्म को मानने वालों की संख्या में कमी आई है, तब अलगाववादी रूझान बढ़ा है जो ऐतिहासिक तथ्य है। आर्गनाइजर के संपादकीय में लिखा गया है कि मुस्लिमों की ज्यादा वृद्धि दर के दो कारण हैं एक अवैध आव्रजन और दूसरा धर्म परिवर्तन। पश्चिम बंगाल और असम में मुस्लिम आबादी में बढ़ोतरी दिखाता है कि अवैध आव्रजन एक मुद्दा है जबकि दूसरे मामलों में यह धर्म परिवर्तन से जुड़ा हो सकता है।
इस्लामीकरण का दुष्परिणाम :-
अगर भारत का इस्लामीकरण हुआ तो देश को भयंकर दुष्परिणम सहना पड़ सकता है। सारे हिंदू उद्योगपतियों की संपत्तिया जब्त कर ली जायेंगी। सेक्युलर वर्ग की लड़किया, बहने, माताये कभी ना कभी मुसलमानों के शादी जाल में फसने को मजबूर होंगी। कोई भी हिंदू किसी भी सरकारी व्यवस्था में बड़े ओहदे पर नहीं रह पायेगा। मुगल काल का जजिया नियम लग सकता है। हिन्दुओ के एक से अधिक बच्चे पैदा करने पर रोक भी लग सकती हैं ,क्योंकि आबादी सबसे बड़ा हथियार है। हिन्दुओ को जमीन खरीदने की इज्जाजत नहीं होगी जैसाकि कश्मीर में धारा 370 की वजह से हम आज भी बस नहीं सकते हैं। हिन्दुओ के सभी धर्म स्थल तोड़ दिए जा सकते हैं। उनको सार्वजनिक स्थान पर पूजा करने पर कड़े से कड़ा दंड भी हो सकता है। हिन्दुवादी सभी संगठनो को खत्म कर दिया जा सकता है। इससे हिंदू संगठित नहीं हो सकेंगे। केरल और कश्मीर प्रत्यक्ष उदहारण हैं।देश से लोकतंत्र या चुनाव प्रणाली या हिन्दुओ का मताधिकार ही खत्म कर दिया जा सकता है। किसी हिंदू के लिए कोई मनवाधिकार नहीं रह जाएगा। हिंदू लड़की के साथ बलात्कार , हिंदू के घर चोरी डकैती या हत्या का कोई मुकदमा नहीं दर्ज हो सकता है। सेना, पुलिस और प्रशासनिक सेवा के हर महत्वपूर्ण ओहदों से हिन्दुओ को हटा दिया जा सकता है। देश में सिख, इसाई, कमुनिस्ट, जैन, बौद्ध व दालित सभी का खात्मा हो सकता है। इस्लामिक शाखाओ, शियाओ, बरेलवियो, अहमदिया व इस्माइलो का भी खात्मा हो सकता है। भारत का हिंदू, पंथ-निरपेक्षता सिर्फ सपनो के शब्द में रह सकता है। देश का अस्तित्व व उसकी सांस्कृतिक पहचान खत्म हो सकती है। हिंदुत्व यानी वैदिक धर्म से एसे वक्त में फिर कोई शिवाजी, राणासांगा, राणा प्रताप, वीर हेमू, छत्रसाल, गोविन्द सिंह और बंदा वैरागी जैसे योद्धा निकलकर नहीं आ सकंगे। आज जितना विशाल भारत नहीं दिखेगा। जो थोडा बहुत देश बच पायेगा वह भी लाशो के ढेर पर हो सकता है। अगर हम समय रहते भारत को वैदिक आर्य हिंदू तथा सनातन राष्ट्र बना लें तो ये सब रुक सकता हैं ।
डा.राधेश्याम द्विवेदी ने अवध विश्वविद्यालय फैजाबाद से बी.ए. और बी.एड. की डिग्री,गोरखपुर विश्वविद्यालय से एम.ए. (हिन्दी),एल.एल.बी., सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी का शास्त्री, साहित्याचार्य तथा ग्रंथालय विज्ञान की डिग्री तथा विद्यावारिधि की (पी.एच.डी) की डिग्री उपार्जित किया। आगरा विश्वविद्यालय से प्राचीन इतिहास से एम.ए.डिग्री तथा’’बस्ती का पुरातत्व’’ विषय पर दूसरी पी.एच.डी.उपार्जित किया। बस्ती ’जयमानव’ साप्ताहिक का संवाददाता, ’ग्रामदूत’ दैनिक व साप्ताहिक में नियमित लेखन, राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित, बस्ती से प्रकाशित होने वाले ‘अगौना संदेश’ के तथा ‘नवसृजन’ त्रयमासिक का प्रकाशन व संपादन भी किया। सम्प्रति 2014 से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण आगरा मण्डल आगरा में सहायक पुस्तकालय एवं सूचनाधिकारी पद पर कार्यरत हैं। प्रकाशित कृतिः ”इन्डेक्स टू एनुवल रिपोर्ट टू द डायरेक्टर जनरल आफ आकाॅलाजिकल सर्वे आफ इण्डिया” 1930-36 (1997) पब्लिस्ड बाई डायरेक्टर जनरल, आकालाजिकल सर्वे आफ इण्डिया, न्यू डेलही। अनेक राष्ट्रीय पोर्टलों में नियमित रिर्पोटिंग कर रहे हैं।
Jitni v bate likhi gayi hain ye 100 % sach hain agar hindustan aaj v nahin jage to 2050 me hinduo ko mitne se koi nahin rok sakta es liye abhi mouka hain jis tarha 2014 me modi ko ek tarfa vote deke jitaya waise hi 2019 me full bahumat se vote deke hindu modi ko jittao jai hind🇮🇳jai bharat
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