होंठों पर उड़ती तितली

SHARE:

अब्बास अली इतने दिन से बिस्तर पर लेटे-लेटे बेज़ार हो गया था। अब नींद न होने पर भी वह आँखें मूँदकर पड़ा रहता था। आँखें खोलते ही वही एक-सा मंजर देखकर उसे भय लगने लगता और चाहता था कि वहाँ से उठकर भागे और बाहर निकले।

होंठों पर उड़ती तितली

अब्बास अली इतने दिन से बिस्तर पर लेटे-लेटे बेज़ार हो गया था। अब नींद न होने पर भी वह आँखें मूँदकर पड़ा रहता था। आँखें खोलते ही वही एक-सा मंजर देखकर उसे भय लगने लगता और चाहता था कि वहाँ से उठकर भागे और बाहर निकले। पर बाहर भाग निकलने की शक्ति अब उसमें नहीं थी। वह जैसे उस कमरे का क़ैदी बनकर रह गया था। इसमें उसकी मर्ज़ी का कोई हस्तक्षेप नहीं था। बीमारी के कारण वह बाहर निकलने और घूमने-फिरने जैसा नहीं रहा था। अस्पताल में रहने से भी कोई फ़ायदा नहीं था। डाक्टर उसे जवाब दे चुके थे।
‘क्या खाओगे? दलिया बनाऊँ?’
कज़बानो की आवाज़ पर उसने आँखें खोलकर देखा। उसे पता ही नहीं चला कि वह कब अंदर आई।
‘नहीं, मुझे कुछ अच्छा नहीं लगता।’ उसने मंद स्वर में कहा।
‘नहीं खाओगे तो और कमज़ोर हो जाओगे।’ कज़बानो ने चिंतित स्वर में कहा।
‘अब खाने और न खाने से कौनसा अंतर पड़ेगा!’ अब्बास के खुश्क होंठों पर मुस्कान आ गई।
‘कज़ो बात सुन, कमज़ोरी न खाने की वज़ह से नहीं है और न ही कुछ खाने से ख़त्म हो जाएगी।’
‘तब भी, पेट में कुछ तो हो, मैं दलिया बना लेती हूँ। दो-चार चम्मच खा लेना।’ कज़बानो ने ज़ोर भरते हुए कहा।
‘तुम्हारी मर्ज़ी, कज़ो। बाकी मेरे दाने-पानी के दिन अब पूरे हुए हैं। साँस की डोर में खिंचाव बढ़ रहा है। किसी भी वक़्त वह टूट जाए।’
कज़बानो के हृदय को आघात पहुँचा।
‘अल्ला, यूँ तो न कहो। मेरा तो दम निकला जा रहा है। फिर हमारा क्या होगा?’ कज़बानो का मन भर आया। वह अब्बास अली के सामने रोकर उसे और निरुत्साहित नहीं करना चाहती थी। उठकर तेज क़दमों से वह कमरे के
शौक़त हुसैन शोरो
शौक़त हुसैन शोरो 
बाहर निकल गई।
पहले जब कभी भी कज़बानो कहती थी-‘फिर हमारा क्या होगा?’ तो जवाब में वह कहता-‘अल्लाह मालिक है, पगली।’
पर फिर उसने जवाब देना बंद कर दिया था। वह जानता था कि उसके शब्द कज़बानो को ढाँढ़स बँधा पाने में असमर्थ थे। अब्बास अली से अब ज़्यादा बातचीत भी न हो पाती थी। हालाँकि उसे इस बात का अहसास था कि कज़बानो की परेशानी निरर्थक न थी। वह घर में अकेला ही कमाने वाला था। उसके तीन बेटे और एक बेटी अभी बच्चे थे; तत्पश्चात कोई संपति भी न थी।
अब्बास अली के पिता, न्याज़ अली, प्राइवेट स्कूल के हेडमास्टर थे। चार बेटियों के बाद अब्बास अली उनका इकलौता बेटा था। न्याज़ अली की ख़्वाहिश तो यही रही कि उसका बेटा डॉक्टर या इंजीनियर बने। अब्बास अली ने अभी इंटर पास की ही थी कि न्याज़ अली सेवानिवृत्त हो गए। अब्बास अली को इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी में दाख़िला न मिल पाया। वैसे भी अब उसे आगे पढ़ाने की हिम्मत न्याज़ अली में न रही। अब्बास अली ने नौकरी की तलाश के दौरान प्राइवेट तौर पर बी॰ए॰ पास कर लिया था। न्याज़ अली का एक पुराना शागिर्द अब चीफ़ इंजीनियर बन गया था। न्याज़ अली ने उससे अनुरोध किया, मिन्नतें कीं। आखिर अब्बास अली को इंजीनियरिंग विभाग में क्लर्क की नौकरी मिल ही गई। उसे डिस्पैच क्लर्क की टेबल पर निर्धारित किया गया। सरकारी हिसाब-किताब वाले खातों की रजिस्टर में प्रविष्टि करके, नंबर लगाकर, डाक में भेजने के सिवाय उसके पास और कोई काम न था। इस बीच उसने एम॰ए॰ भी कर लिया। फिर पता नहीं ऑफ़िस निरीक्षक काइमदीन को क्या सूझी, उसने साहब को कहकर अब्बास अली को ठेकेदार के बिल पास कराने वाली टेबल दिलवा दी। अब पगार के सिवाय उसकी ऊपर की कमाई भी शुरू हो गई।
अब्बास अली आँखें मूँदकर काफ़ी थक गया था। उसमें कुछ दर्द का अहसास हुआ। आँखें खोलकर कमरे में देखा, जिसकी हर इक चीज़ अस्त-व्यस्त अवस्था में बिखरी पड़ी थी। एक कोने में उसके और बच्चों के कपड़े पड़े थे तो कहीं बच्चों के स्कूल के बैग और...मैले...उनके जूते पड़े थे। कोई चीज़ ढंग से रखी हुई न थी।
‘अगर फ़ाइज़ा से शादी हुई होती तो इस घर का नक़्शा ही और होता...’ अचानक अब्बास अली को ख़्याल आया। इतने सालों के बाद उसे फ़ाइज़ा की याद आई थी। वह अब्बास अली के निरीक्षक काइमदीन की बेटी थी... फ़ाइज़ा किसी अँग्रेज़ी मीडियम स्कूल में पढ़ी थी। बाद में उसने यूनिवर्सिटी से एम॰एस-सी॰ की थी। अभी हाल ही में उसे गर्ल्स कॉलेज में लेक्चररशिप मिली थी। वह अभी यूनिवर्सिटी में पढ़ रही थी तो काइमदीन ने उसके लिए रिश्ते तलाशने शुरू कर दिए, पर कहीं बात नहीं बनी। एक दिन ऑफ़िस में बैठे-बैठे उसे अब्बास अली का ख़्याल आया। लड़का अच्छा और सभ्य था। अब्बास अली को पहले तो हैरत हुई कि काइमदीन अचानक उस पर क्यों इतना मेहरबान हुआ कि उसे आमदनी वाली टेबल दिलवा दी। उसके घर से आए टिफिन से ज़बरदस्ती उसे साथ में खाना खिलाता था... फिर वह उसे अपने घर भी ले गया और घर के सभी सदस्यों से मुलाक़ात करवाई।
‘उस पहली मुलाक़ात में काइमदीन की घरवाली ने और फ़ाइमा ने जैसे मेरा इंटरव्यू लिया हो। पर वह इंटरव्यू न होकर एक आड़ी-टेढ़ी पूछताछ रही। मेरे माँ-बाप, घर के अन्य सदस्यों की बाबत, ख़ानदानी धन-संपत्ति और जायदाद के बारे में, जो थी ही नहीं।’ अब्बास अली को याद आया कि ये सवाल अभी पूरे ही नहीं हुए थे कि अचानक फ़ाइज़ा ने पूछा था-
‘आप यूनिवर्सिटी में कब पढ़े थे?’
‘मैं यूनिवर्सिटी में पढ़ने नहीं गया।’ अब्बास अली ने जवाब दिया।’ मैंने इंटर के बाद सभी परीक्षाएँ एक्सर्ट्नल तौर पर दी हैं।’
फ़ाइज़ा ने अपनी माँ की तरफ़ देखा। दोनों कुछ देर चुप रहीं। अब्बास अली अब हताश हो रहा था कि उससे वे सवाल क्यों पूछे जा रहे थे। उसने इज़ाज़त लेकर उठने की कोशिश की तो काइमदीन और उनकी पत्नी बैठने की गुज़ारिश करने लगी।
‘नहीं, ऐसे कैसे होगा? पहली बार हमारे घर आए हो, खाना खाए बिना कैसे चले जाओगे?’
अब्बास अली को मजबूरन बैठना पड़ा था। वह काइमदीन को नाराज़ करना नहीं चाहता था। फ़ाइज़ा उठकर रसोईघर में चली गई और काइमदीन भी बाहर से कुछ लाने के लिए चला गया। उसकी पत्नी अब्बास अली के पास बैठी रही।
‘देखो बेटा, दिल में न करना कि हमने तुमसे व्यक्तिगत सवाल पूछे। हक़ीक़त में काइम साहब तुम्हें बहुत पसंद करते हैं। वह फ़ाइज़ा का रिश्ता तुमसे जोड़ना चाहते हैं। हमें भी तुम अच्छे लगे हो।’
अब्बास अली का दिमाग़ चकरा गया। उसकी कनपटियाँ लाल हो गईं।
‘अपनी ज़िंदगी के भविष्य का फ़ैसला तुम्हें करना है। तुम भले ही अपने पिता से सलाह-मशवरा कर लो, पर एक बात ध्यान में रखना। ऐसा रिश्ता क़िस्मत वालों को मिलता है। फ़ाइमा न सिर्फ़ पढ़ी-लिखी है, बल्कि अच्छे ओहदे पर भी है। वह सुघड़ है, घर का हर कामकाज जानती है कि घर को कैसे बनाया जाए, सजाया जाए।’
अब्बास अली ने एक लंबी साँस ली और बिस्तर पर करवट बदली। मैं उसे क्या सुनाता कि मेरी क़िस्मत पहले ही लिखी जा चुकी है। मेरी मौसेरी बहन कज़बानो के साथ मेरी मँगनी हो चुकी है। यह बात मुझे उस वक़्त ही तुम्हें बता देनी चाहिए थी, पर मुझे समझ नहीं आ रहा था क्या करूँ!’
अब्बास अली को याद आया कि जब खाना लगा दिया गया था, तब उसकी हलक़ से एक निवाला भी नहीं उतर रहा था। खाना न खाना भी ठीक नहीं लग लग रहा था। जैसे-तैसे थोड़ा बहुत खा लिया। औरों ने समझा कि वह खाने में हिजाब कर रहा है।
‘बेटा!’ अपना घर समझो, फ़ाइज़ा ने सारा खाना अपने हाथों से बनाया है।’ काइमदीन की पत्नी ने कहा।
अब्बास अली ने मुस्कराकर फ़ाइज़ा की ओर देखा और दाद देते हुए कहा-‘वाक़ई बहुत स्वादिष्ट बना है।’
सबने खाना खा लिया, तो कुछ देर बाद अब्बास ने उनसे जाने की इज़ाज़त ली। बाहर आकर उसने ठंडी हवा में एक लंबी साँस ली। जैसे क़ैदख़ाने से बाहर निकला था। उसने पहली बार फ़ाइमा की ओर ध्यान दिया। रंग में साँवली, क़द भी ठीक-ठाक, पर उसकी शक्ल-सूरत व जिस्म में एक दिलकशी थी...फिर कज़बानो का क्या होगा? बाबा और अम्मा कभी नहीं मानेंगे। रास्ते चलते यही ख़्याल उसके ज़हन में आते रहे। अपने कमरे में आकर उसे याद आया कि वह अपना मोबाइल फ़ोन काइमदीन के घर भूल आया था। रात के दस बज रहे थे। उस वक़्त दोबारा उनके पास जाना उसे ठीक नहीं लगा; वह भी फ़ोन की ख़ातिर!
दूसरे दिन सुबह काइमदीन ऑफ़िस में उसका फ़ोन ले आया। उसी दिन शाम के वक़्त उसके फ़ोन पर किसी अनजान नंबर से एसएमएस आने शुरू हो गए। शुरुआत शेर भेजने से हुई। कुछ दिनों बाद एस॰एम॰एस॰ आया-‘शायद आपको शायरी से दिलचस्पी नहीं।’ 
अब्बास अली ने जवाब लिखा। ‘आपने कैसे जाना कि मुझे शायरी से दिलचस्पी नहीं?’
जवाब आया-‘आपकी तरफ़ से कोई भी जवाब नहीं मिला, इसलिए।’
देवी नागरानी
देवी नागरानी
अब्बास अली ने लिखा-‘मुझे पता नहीं है कि आप कौन हैं, इसलिए।’
जवाब आया, ‘आप अपने दिल से पूछते तो पता चल जाता।’
अब्बास अली सोच में पड़ गया। तभी उसके ज़ह्न में जैसे बिजली कौंधी।’ यह फ़ाइज़ा हो सकती है।
उसने एस॰एम॰एस॰ में लिखा, ‘दिल ने तो मुझे बताया है, पर फिर भी पुष्टि कर लेना ज़रूरी है।
जवाब आया, ‘मतलब आप अपने दिल की बात को इतनी अहमियत नहीं देते और न ही उसके कहे अनुसार करते हैं। लगता है, आपके पास बहुत सारी लड़कियों के एस॰एम॰एस॰ आते हैं। तभी तो पहचान नहीं पाए कि मैं कौन हूँ?’
अब्बास अली परेशान हो गया कि इस बात का क्या जवाब दे। अपनी बातों के जाल में वह खुद फँस गया। तभी एक और एस॰एम॰एस॰ आया-‘क्या सोच रहे हैं? जवाब देने में परेशानी है क्या?’
अब्बास अली ने लिखा, ‘मेरे पास इससे पहले कभी किसी लड़की का एस॰एम॰एस॰ नहीं आया है। दूसरी बात कि मेरा दिल पत्थर का बना हुआ नहीं है। और लोगों की तरह कुदरती दिल है। 
जवाब आया, ‘अच्छा मान लिया। आपका दिल क्या कहता है कि मैं कौन हूँ?’
अब्बास अली ने फ़क़त इतना लिखा, ‘फ़ाइज़ा’
जवाब आया, ‘अरे वाह क्या अंदाज़ा लगाया है।’
अब्बास अली को हँसी आ गई।
फिर ऑफ़िस में, घर में एस॰एम॰एस॰ का कभी न ख़त्म होने वाला सिलसिला शुरू हो गया। मोबाइल फ़ोन पर बात भी होती थी, पर एस॰एम॰एस॰ रात को दो-तीन बजे तक चलते रहते थे। कभी-कभी अब्बास अली का दिल यह सोचकर मायूस हो जाता था कि आख़िर एक दिन यह सिलसिला ख़त्म होने वाला है। फ़ाइज़ा को जब इस बात का पता चलेगा, तब क्या होगा? मेरी सारी उम्र उन तीन लफ़्जों की चक्की में...।’ अब्बास अली ने एक लंबी साँस ली और आँखें मूँद लीं।
बाद में जब वह गाँव गया, तब उसने घर में यह बात छेड़ी तो घर में कोहराम मच गया।
‘मैं बहन को क्या मुँह दिखाऊँगी?’ अब्बास अली की माँ ने रोते हुए कहा। ख़ून के रिश्ते टूट जाएँगे अब्बास!’
‘हम रिश्ते-नाते, बिरादरी सबसे कट के रह जाएँगे। तुम तो जाकर शहर बसा लोगे, पर यह सोचो कि तुम्हारी चार बहनों का क्या होगा? कौन हमसे नाता जोड़ेगा?’ न्याज़ अली की आवाज़ में परेशानी के साथ ग़ुस्सा भी था।
अब्बास अली ने बड़ी मुश्किल के साथ दोनों को समझाया, ‘मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं है। मैंने तो सिर्फ़ आपको हक़ीक़त बताई है। बाक़ी होगा वही जो आप चाहेंगे।’
अब उसके सामने यह दुश्वारी थी कि काइमदीन से यह बात कैसे करे। वह उन्हें बहुत देर तक अँधेरे में रखना नहीं चाहता था। आख़िर दिल थामकर सारी सच्चाई काइमदीन के सामने रखी, जिसने उसकी मजबूरी को समझते हुए सिर्फ़ इतना कहा, ‘मैंने तेरे भले के लिए सोचा कि तेरा भविष्य बन जाएगा। पर ख़ैर... उस दिन के बाद अब्बास अली के मोबाइल फ़ोन पर एस॰एम॰एस॰ आने बंद हो गए। उसने लगातार दो-तीन दिन एस॰एम॰एस॰ किए। पर जवाब नहीं आया। उसने फ़ाइमा से बात करनी चाही, पर हिम्मत जुटा नहीं पाया।
‘फ़ाइमा से शादी करता तो शायद हालात ऐसे न होते, जैसे अब हैं। अब्बास अली ने सोचा, ‘अब जब सारा किस्सा ही ख़त्म होने वाला है, तो उन बातों को याद करने का क्या फ़ायदा?’
अब्बास अली को कुछ देर पहले काज़बानो की वही बात याद आई। ‘फिर हमारा क्या होगा?’
ख़ुद उसके लिए भी मौत से ज़्यादा मौत मार सवाल यह था कि बाद में क्या होगा? उसे डॉक्टर के चेहरे पर उभरे हाव-भाव अब तक याद हैं, जब उसने जाँच की रिपोर्ट देखी थी। डॉक्टर उसे सिर्फ़ देखता रहा। तब अब्बास अली ने फ़ीकी मुस्कराहट के साथ पूछा था-‘मुझे पता है डॉक्टर साहब, मेरी रिपोर्ट अच्छी नहीं आई है।’
‘लीवर का आधा भाग कैंसर की वजह से क्षतिग्रस्त है। ‘डॉक्टर ने कहा, ‘उसका इलाज फ़क़त लीवर ट्रांसप्लांट से होगा, जो यहाँ नहीं होता। उसके लिए सिंगापुर या भारत जाना पड़ेगा। सिंगापुर की तुलना में भारत फिर भी सस्ता है।’
‘कितना खर्च होगा, डॉक्टर साहब?’ अब्बास अली ने पूछा था।
‘लगभग साठ लाख रुपये।’ डाक्टर ने जवाब दिया।
‘साठ लाख।’ उसके मुँह से चीख़ निकल गई। कज़बानो ने जब यह बात सुनी तो वह भी दंग रह गई। अब्बास अली ने नौकरी करके जो भी कमाया, वह उसकी चार बहनों की शादियों में ख़र्च हो गया। उसने कासिमाबाद में एक फ़्लैट बुक करवाया था, जिसमें अब वह बच्चों के साथ रह रहा है।
‘अपने पास और तो कोई दौलत नहीं है, सिर्फ़ घर है, वही बेच...’ कज़बानो ने सोचते हुए कहा।
‘पागल हो गई हो क्या? बच्चों के लिए यह घर बनाया है वह बेच दूँ।’ अब्बास अली ने ग़ुस्से से कहा।
‘पर जिंदगी से ज़्यादा तो कुछ नहीं है। हमारी छत्रछाया सब तुम हो। तुम सलामत रहोगे तो घर फिर बन जाएगा।’
‘वह तो है।’ अब्बास अली सोच में पड़ गया।
‘पर कज़ो, साठ लाख कोई छोटी रक़म तो नहीं। फ़्लैट बेचने से इतने पैसे तो नहीं मिलने वाले।’
‘मेरे कुछ जेवर हैं। तुम पता तो लगाओ कि इस घर की कितनी क़ीमत मिलेगी।’ कज़बानो ने बात पर ज़ोर देते हुए कहा।
अब्बास अली ने प्रोपर्टी डीलर के यहाँ चक्कर लगाए, सबको इस बात का अहसास तो था कि जल्दबाज़ी में घर बेचने से ज़्यादा से ज़्यादा पच्चीस लाख मिलने वाले थे। ऐसे ही छह-सात लाख ज़ेवरों से मिलते। बाक़ी ज़रूरत के और पैसों के मिलने की संभावना और कहीं से बहुत कम थी।
यहाँ उसकी हालत और बिगड़ती रही। अस्पताल से आख़िर डिस्चार्ज होकर वह घर आकर बिस्तर में दाख़िल हो गया। 
‘अब बाक़ी कुछ महीने, कुछ हफ़्ते, कुछ दिन जाकर बचे हैं। अब्बास अली को ख़्याल आया।’ मैं नहीं रहूँगा तब मेरे बच्चों का क्या होगा? बाबा और अम्मा भी गुज़र गए। बहनें अपने घरों में बसी हुई हैं। कज़ो घर की व्यवस्था को अकेली कैसे सँभाल पाएगी? बच्चों की ख़ैर-ख़बर कौन लेगा? पीछे कोई सहारा भी तो नहीं। बेटे तो फिर भी धक्के खाकर जवान हो जाएँगे, शायद वे पढ़ न पाएँ। क्या पता घुमक्कड़ व आवारा न बन जाएँ...! पर फिर भी मर्द हैं। जिंदगी का सामना कर ही लेंगे। आगे उनकी क़िस्मत! बेटी एक है, पर उसका क्या होगा?’
अब्बास अली के मन में उथल-पुथल मची थी। उसे लगा कि कमरे में घुटन बढ़ गई है या शायद वह उसके मन में थी।
‘बीमारी ने धीरे-धीरे समस्त शरीर को व्यथित कर दिया था; जो सूखकर एक पिंजर-मात्र रह गया है। यह घातक बीमारी मंद गति से ज़हर बनकर उसके भीतर फैल गई है। यह कितनी पीड़ादायक स्थिति है। आदमी के लिए जब वह जानता हो कि वह मौत की ओर पग-पग बढ़ रहा है या मौत धीमी चाल से उसकी ओर चली आ रही है। कितनी यंत्रणा देने वाली स्थिति है और आने वाले कल का ख़याल, बेचैनी, व्याकुलता... उफ़ यह मौत से ज़्यादा मौतमार है।’
अब्बास अली आँखें मूँदकर लंबी-लंबी साँसें लेकर ख़ुद को सामान्य करने की कोशिश करने लगा। तभी उसे ख़्याल आया-‘रास्ते पर अचानक हादसा हो जाता और उसमें मर जाता या कहीं धमाके के वक़्त मैं वहाँ हाज़िर होता और मेरे जिस्म के टुकड़े-टुकड़े हवाओं में बिखरकर कहीं दूर पड़ते तो? सब-कुछ अचानक ख़त्म हो जाता। न चिंता, न बेचैनी, न परेशानियों का अहसास। किसी के मरने से दुनिया ख़त्म नहीं हो जाती। मैं न रहूँगा, तब भी दुनिया चलती रहेगी। बाद में क्या होगा, यह चिंता निरर्थक है। जो जीवित रहेंगे, वे जीने की राह ढूँढ ही लेंगे। ज़िंदगी अपना रास्ता खुद बना लेती है। अब्बास अली को लगा कि उसके ज़ेह्न से जैसे भार कम हो गया था, पर उसने खुद को बेहद थका हुआ महसूस किया-जैसे वह लंबी पैदल यात्रा कर आया हो। वह आराम करना चाहता था। अब उसकी आँखें स्वतः बंद हो गईं।
कज़बानो दलिये का प्याला लिए कमरे में दाख़िल हुई तो वह पथरा-सी गई। एक वेदनामय चीख़ कमरे में गूँज उठी। अब्बास अली बिल्कुल सीधा लेटा था। एक ख़ूबसूरत रंगीन परों वाली तितली उसके अधखुले होंठों के आसपास थिरक रही थी। अब्बास अली के होंठों पर न्यारी मुस्कान थी। कज़बानो को हैरत हुई कि वह तितली कमरे में आई कहाँ से? उसे लगा कि अब्बास अली हमेशा की तरह आँखें मूँदे जाग रहा है। उसने आवाज देते पूछा,  ‘जाग रहे हो?’ पर अब्बास अली ने कोई उत्तर नहीं दिया। पहले कज़बानो को ख़्याल आया कि अब्बास अली के होंठों के पास उड़ती तितली को हटाकर दूर कर दे। पर फिर उसने यह विचार तज दिया। तितली अब्बास अली के होंठों के पास उड़ती अच्छी लग रही थी। कज़बानो के होंठों पर भी एक अदृश्य मुस्कान थिरक गई।

 शौक़त हुसैन शोरो
जन्म : 4 जुलाई 1947, तालुका सजावल, ज़िला ठट्टो में। सचल सरमस्त आर्ट्स कॉलेज से बी.ए. और सिंध यूनिवर्सिटी से एम.ए. किया। अपनी कार्ययात्रा का प्रारंभ सिंधी अदबी बोर्ड, जामशोरो से प्रकाशित रसाले 'गुल-फुल’ के संपादक के रूप में किया। बाद में पाकिस्तान टी.वी. सेंटर, कराची में सहायक निर्माता रहे। इस समय सिंध यूनिवर्सिटी जामशोरो में छात्र पाठ्य सहगामी क्रियाओं के निदेशक के पद पर कार्यरत हैं। उनकी कहानियों के संग्रह 'गूँगी धरती, बहरा आकाश' और 'आँखों में टँगे सपने', 'रात का रंग' सिंधी में और 'गुम हुई परछाई' हिंदी में प्रकाशित हैं। सिंधी व उर्दू में कई नाटकों का प्रसारण हो चुका है। उनमें खास हैं-दौलत, बाख, धुब्बण एवं सुनीति वगैरह। मई 14, 2015 “अखिल भारत सिंधी बोली और साहित्य सभा” की ओर से उन्हें मुंबई में सिन्धी अदीब अवरद प्राप्त हुआ।संपर्क : सिन्ध यूनिवर्सिटी जामशोरो की कालोनी में आवास।

 देवी नागरानी जन्म: 1941 कराची, सिंध (पाकिस्तान), 8 ग़ज़ल-व काव्य-संग्रह, (एक अंग्रेज़ी) 2 भजन-संग्रह, 8 सिंधी से हिंदी अनुदित कहानी-संग्रह प्रकाशित। सिंधी, हिन्दी, तथा अंग्रेज़ी में समान अधिकार लेखन, हिन्दी- सिंधी में परस्पर अनुवाद। श्री मोदी के काव्य संग्रह, चौथी कूट (साहित्य अकादमी प्रकाशन), अत्तिया दाऊद, व् रूमी का सिंधी अनुवाद. NJ, NY, OSLO, तमिलनाडू, कर्नाटक-धारवाड़, रायपुर, जोधपुर, महाराष्ट्र अकादमी, केरल व अन्य संस्थाओं से सम्मानित। साहित्य अकादमी / राष्ट्रीय सिंधी विकास परिषद से पुरुसकृत।
संपर्क 9-डी, कार्नर व्यू सोसाइटी, 15/33 रोड, बांद्रा, मुम्बई 400050॰ dnangrani@gmail.com  

COMMENTS

Leave a Reply
नाम

अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोश,3,अकबर इलाहाबादी,11,अकबर बीरबल के किस्से,62,अज्ञेय,37,अटल बिहारी वाजपेयी,1,अदम गोंडवी,3,अनंतमूर्ति,3,अनौपचारिक पत्र,16,अन्तोन चेख़व,2,अमीर खुसरो,7,अमृत राय,1,अमृतलाल नागर,1,अमृता प्रीतम,5,अयोध्यासिंह उपाध्याय "हरिऔध",7,अली सरदार जाफ़री,3,अष्टछाप,4,असगर वज़ाहत,11,आनंदमठ,4,आरती,11,आर्थिक लेख,8,आषाढ़ का एक दिन,22,इक़बाल,2,इब्ने इंशा,27,इस्मत चुगताई,3,उपेन्द्रनाथ अश्क,1,उर्दू साहित्‍य,179,उर्दू हिंदी शब्दकोश,1,उषा प्रियंवदा,5,एकांकी संचय,7,औपचारिक पत्र,32,कक्षा 10 हिन्दी स्पर्श भाग 2,17,कबीर के दोहे,19,कबीर के पद,1,कबीरदास,19,कमलेश्वर,7,कविता,1480,कहानी लेखन हिंदी,17,कहानी सुनो,2,काका हाथरसी,4,कामायनी,6,काव्य मंजरी,11,काव्यशास्त्र,40,काशीनाथ सिंह,1,कुंज वीथि,12,कुँवर नारायण,1,कुबेरनाथ राय,2,कुर्रतुल-ऐन-हैदर,1,कृष्णा सोबती,3,केदारनाथ अग्रवाल,4,केशवदास,6,कैफ़ी आज़मी,4,क्षेत्रपाल शर्मा,53,खलील जिब्रान,3,ग़ज़ल,139,गजानन माधव "मुक्तिबोध",15,गीतांजलि,1,गोदान,7,गोपाल सिंह नेपाली,1,गोपालदास नीरज,10,गोरख पाण्डेय,3,गोरा,2,घनानंद,3,चन्द्रधर शर्मा गुलेरी,6,चमरासुर उपन्यास,7,चाणक्य नीति,5,चित्र शृंखला,1,चुटकुले जोक्स,15,छायावाद,6,जगदीश्वर चतुर्वेदी,17,जयशंकर प्रसाद,35,जातक कथाएँ,10,जीवन परिचय,77,ज़ेन कहानियाँ,2,जैनेन्द्र कुमार,7,जोश मलीहाबादी,2,ज़ौक़,4,तुलसीदास,28,तेलानीराम के किस्से,7,त्रिलोचन,4,दाग़ देहलवी,5,दादी माँ की कहानियाँ,1,दुष्यंत कुमार,7,देव,1,देवी नागरानी,23,धर्मवीर भारती,12,नज़ीर अकबराबादी,3,नव कहानी,2,नवगीत,1,नागार्जुन,25,नाटक,1,निराला,39,निर्मल वर्मा,4,निर्मला,42,नेत्रा देशपाण्डेय,3,पंचतंत्र की कहानियां,42,पत्र लेखन,202,परशुराम की प्रतीक्षा,3,पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र',4,पाण्डेय बेचन शर्मा,1,पुस्तक समीक्षा,141,प्रयोजनमूलक हिंदी,38,प्रेमचंद,50,प्रेमचंद की कहानियाँ,91,प्रेरक कहानी,16,फणीश्वर नाथ रेणु,4,फ़िराक़ गोरखपुरी,9,फ़ैज़ अहमद फ़ैज़,24,बच्चों की कहानियां,88,बदीउज़्ज़माँ,1,बहादुर शाह ज़फ़र,6,बाल कहानियाँ,14,बाल दिवस,3,बालकृष्ण शर्मा 'नवीन',1,बिहारी,8,बैताल पचीसी,2,बोधिसत्व,9,भक्ति साहित्य,143,भगवतीचरण वर्मा,7,भवानीप्रसाद मिश्र,3,भारतीय कहानियाँ,61,भारतीय व्यंग्य चित्रकार,7,भारतीय शिक्षा का इतिहास,3,भारतेन्दु हरिश्चन्द्र,10,भाषा विज्ञान,18,भीष्म साहनी,9,भैरव प्रसाद गुप्त,2,मंगल ज्ञानानुभाव,22,मजरूह सुल्तानपुरी,1,मधुशाला,7,मनोज सिंह,16,मन्नू भंडारी,10,मलिक मुहम्मद जायसी,9,महादेवी वर्मा,20,महावीरप्रसाद द्विवेदी,3,महीप सिंह,1,महेंद्र भटनागर,73,माखनलाल चतुर्वेदी,3,मिर्ज़ा गालिब,39,मीर तक़ी 'मीर',20,मीरा बाई के पद,22,मुल्ला नसरुद्दीन,6,मुहावरे,4,मैथिलीशरण गुप्त,14,मैला आँचल,8,मोहन राकेश,16,यशपाल,19,रंगराज अयंगर,43,रघुवीर सहाय,6,रणजीत कुमार,29,रवीन्द्रनाथ ठाकुर,22,रसखान,11,रांगेय राघव,2,राजकमल चौधरी,1,राजनीतिक लेख,21,राजभाषा हिंदी,66,राजिन्दर सिंह बेदी,1,राजीव कुमार थेपड़ा,4,रामचंद्र शुक्ल,3,रामधारी सिंह दिनकर,25,रामप्रसाद 'बिस्मिल',1,रामविलास शर्मा,9,राही मासूम रजा,8,राहुल सांकृत्यायन,2,रीतिकाल,3,रैदास,4,लघु कथा,125,लोकगीत,1,वरदान,11,विचार मंथन,60,विज्ञान,1,विदेशी कहानियाँ,34,विद्यापति,8,विविध जानकारी,1,विष्णु प्रभाकर,3,वृंदावनलाल वर्मा,1,वैज्ञानिक लेख,8,शमशेर बहादुर सिंह,6,शमोएल अहमद,5,शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय,1,शरद जोशी,3,शिक्षाशास्त्र,6,शिवमंगल सिंह सुमन,6,शुभकामना,1,शेख चिल्ली की कहानी,1,शैक्षणिक लेख,57,शैलेश मटियानी,3,श्यामसुन्दर दास,1,श्रीकांत वर्मा,1,श्रीलाल शुक्ल,4,संयुक्त राष्ट्र संघ,1,संस्मरण,34,सआदत हसन मंटो,10,सतरंगी बातें,33,सन्देश,44,समसामयिक हिंदी लेख,271,समीक्षा,1,सर्वेश्वरदयाल सक्सेना,19,सारा आकाश,22,साहित्य सागर,22,साहित्यिक लेख,88,साहिर लुधियानवी,5,सिंह और सियार,1,सुदर्शन,3,सुदामा पाण्डेय "धूमिल",10,सुभद्राकुमारी चौहान,7,सुमित्रानंदन पन्त,23,सूरदास,16,सूरदास के पद,21,स्त्री विमर्श,11,हजारी प्रसाद द्विवेदी,4,हरिवंशराय बच्चन,28,हरिशंकर परसाई,24,हिंदी कथाकार,12,हिंदी निबंध,438,हिंदी लेख,537,हिंदी व्यंग्य लेख,14,हिंदी समाचार,187,हिंदीकुंज सहयोग,1,हिन्दी,7,हिन्दी टूल,4,हिन्दी आलोचक,7,हिन्दी कहानी,32,हिन्दी गद्यकार,4,हिन्दी दिवस,91,हिन्दी वर्णमाला,3,हिन्दी व्याकरण,45,हिन्दी संख्याएँ,1,हिन्दी साहित्य,9,हिन्दी साहित्य का इतिहास,21,हिन्दीकुंज विडियो,11,aapka-banti-mannu-bhandari,6,aaroh bhag 2,14,astrology,1,Attaullah Khan,2,baccho ke liye hindi kavita,70,Beauty Tips Hindi,3,bhasha-vigyan,1,chitra-varnan-hindi,3,Class 10 Hindi Kritika कृतिका Bhag 2,5,Class 11 Hindi Antral NCERT Solution,3,Class 9 Hindi Kshitij क्षितिज भाग 1,17,Class 9 Hindi Sparsh,15,divya-upanyas-yashpal,5,English Grammar in Hindi,3,formal-letter-in-hindi-format,143,Godan by Premchand,12,hindi ebooks,5,Hindi Ekanki,20,hindi essay,430,hindi grammar,52,Hindi Sahitya Ka Itihas,105,hindi stories,682,hindi-bal-ram-katha,12,hindi-gadya-sahitya,8,hindi-kavita-ki-vyakhya,19,hindi-notes-university-exams,77,ICSE Hindi Gadya Sankalan,11,icse-bhasha-sanchay-8-solutions,18,informal-letter-in-hindi-format,59,jyotish-astrology,24,kavyagat-visheshta,26,Kshitij Bhag 2,10,lok-sabha-in-hindi,18,love-letter-hindi,3,mb,72,motivational books,12,naya raasta icse,9,NCERT Class 10 Hindi Sanchayan संचयन Bhag 2,3,NCERT Class 11 Hindi Aroh आरोह भाग-1,20,ncert class 6 hindi vasant bhag 1,14,NCERT Class 9 Hindi Kritika कृतिका Bhag 1,5,NCERT Hindi Rimjhim Class 2,13,NCERT Rimjhim Class 4,14,ncert rimjhim class 5,19,NCERT Solutions Class 7 Hindi Durva,12,NCERT Solutions Class 8 Hindi Durva,17,NCERT Solutions for Class 11 Hindi Vitan वितान भाग 1,3,NCERT Solutions for class 12 Humanities Hindi Antral Bhag 2,4,NCERT Solutions Hindi Class 11 Antra Bhag 1,19,NCERT Vasant Bhag 3 For Class 8,12,NCERT/CBSE Class 9 Hindi book Sanchayan,6,Nootan Gunjan Hindi Pathmala Class 8,18,Notifications,5,nutan-gunjan-hindi-pathmala-6-solutions,17,nutan-gunjan-hindi-pathmala-7-solutions,18,political-science-notes-hindi,1,question paper,19,quizzes,8,raag-darbari-shrilal-shukla,8,rangbhumi-upanyas-munshi-premchand,2,Rimjhim Class 3,14,samvad-lekhan-in-hindi,6,Sankshipt Budhcharit,5,Shayari In Hindi,16,skandagupta-natak-jaishankar-prasad,6,sponsored news,10,suraj-ka-satvan-ghoda-dharmveer-bharti,6,Syllabus,7,tamas-upanyas-bhisham-sahni,4,top-classic-hindi-stories,59,UP Board Class 10 Hindi,4,Vasant Bhag - 2 Textbook In Hindi For Class - 7,11,vitaan-hindi-pathmala-8-solutions,16,VITAN BHAG-2,5,vocabulary,19,
ltr
item
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika: होंठों पर उड़ती तितली
होंठों पर उड़ती तितली
अब्बास अली इतने दिन से बिस्तर पर लेटे-लेटे बेज़ार हो गया था। अब नींद न होने पर भी वह आँखें मूँदकर पड़ा रहता था। आँखें खोलते ही वही एक-सा मंजर देखकर उसे भय लगने लगता और चाहता था कि वहाँ से उठकर भागे और बाहर निकले।
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEif214Wqo44d_MY38A7jZQYSSNX-nUPQ4buAIw_Jxidse4f1XKhWSKQWPow4Jk2zEX6Ps2KeN2z4N28KNNIbtoR1-5qMwail5chc2MsRVET6FKk27Dwn4z_cXAq6Y84dYxid7WeayXOj_wq/s200/Shoukat++Hussain+Shoro.JPG
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEif214Wqo44d_MY38A7jZQYSSNX-nUPQ4buAIw_Jxidse4f1XKhWSKQWPow4Jk2zEX6Ps2KeN2z4N28KNNIbtoR1-5qMwail5chc2MsRVET6FKk27Dwn4z_cXAq6Y84dYxid7WeayXOj_wq/s72-c/Shoukat++Hussain+Shoro.JPG
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika
https://www.hindikunj.com/2017/01/sindhi-kahani.html
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/2017/01/sindhi-kahani.html
true
6755820785026826471
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका