दिनेश और मनोज दोनो बहुत अच्छे मित्र थे।वो बचपन से ही साथ मे खेले ,पढ़े और बड़े हुए। दोनो हर मामलो में एक दूसरे को चैलेंज किया करते थे। चाहे वह पढ़ाई से संबंधित हो या दोनो के कमीनेपन से।दोनों सभी मे माहिर थे।
दोस्ती मस्ती
दिनेश और मनोज दोनो बहुत अच्छे मित्र थे।वो बचपन से ही साथ मे खेले ,पढ़े और बड़े हुए। दोनो हर मामलो मेंएक दूसरे को चैलेंज किया करते थे। चाहे वह पढ़ाई से संबंधित हो या दोनो के कमीनेपन से।दोनों सभी मे माहिर थे। इण्टर पास करने के बाद दिनेश ने एस. एस. सी. की तैयारी करनी शुरू की तो मनोज ने बी.सी. ए. करना शुरू किया।
दोनो की मित्र मंडली बढ़ रही थी। मनोज और दिनेश दोनो एक ही घर के विभिन्न कमरो में अपने कुछ मित्रों के साथ रहते थे।
उन दिनों मनोज के मित्र मंडली अच्छी खासी बढ़ गई थी। इनके मित्र मंडली में कुछ लड़कियां भी थीं जो बहुत ही खुले दिमाग की थी या यूं कह लो कि फ्रैंक माइंड की थी।
मनोज की अपने मित्र मंडली में लड़के लड़कियां एक दूसरे से मौज मस्ती करते रहते थे। लगभग रोज शाम को मनोज की बात फ़ोन पर लड़के लड़कियों से हुआ करती थी, पर दिनेश इससे अछूता था। ऐसा नही था कि वह लड़कियों बात करना और तफरी करना पसन्द नही करता था , वह पसन्द करता था पर उसके मित्र मंडली में फ्रैंक माइंड की लड़कियां नही थी ।
एक दिन दिनेश अपने ट्यूशन से वापस आ ही रहा था कि उसके मोबाइल पर एक लड़की का फ़ोन आया।
हेल्लो दिनेश............
दिनेश अपने फ़ोन पर लड़की की प्यारी सी आवाज में हेल्लो दिनेश सुनके सन्न रह गया। सोच में पड़ गया कौन है?
ऐसा नही था कि उसके घर की लड़कियों का फ़ोन नही आता था।
फ़ोन आता था पर सब उसके घर के नाम से उसको बोलती थी।
तब तक दुबारा आवाज आई...
हेल्लो......
दिनेश - हाँ जी
इधर दिनेश सोच ही रहा था कि कौन हो सकता है तब तक फिर से आवाज आई।
जानू आई लव यू...
दिनेश - हाँ जी हेल्लो हेल्लो.......
तब तक फ़ोन कट गया।
दिनेश सोच में पड़ गया । कौन है जिसने उसे आई लव यू बोला। दिनेश उस नंबर पर पुनः फ़ोन करना चाहा पर अफ़सोस उसके मोबाइल में बैलेंस नही था। बैलेंस की दुकान दिनेश से 10 मिनट की दूरी पर थी। दिनेश के चेहरे पर एक तरफ तो खुशी की लहर दौड़ रही थी तो दूसरी तरफ मोबाइल में बैलेंस न होने का दुःख।
उसके चेहरे पर सब कुछ साफ साफ दिखाई दे रहा था।
दिनेश बैलेंस डलवाने के लिए दुकान की तरफ बढ़ ही रह था कि तब तक फिर से कॉल आई।
हेल्लो !कहां हो यार?
दिनेश कुछ बोल पाता तब तक फिर से आवाज आई....
फ़ोन क्यों नही कर रहे हो ? बात नही करनी है क्या? मेरा बैलेंस खत्म होने वाला है । जल्दी फ़ोन करो , वरना मैं बात नही कर पाउंगी । थोड़ी देर में पापा जी आ जाएंगे।
अभिनव कुमार त्रिपाठी |
दिनेश दुकान पर पहुच के तुरंत बैलेंस डलवाया और तनिक भी देरी किए बिना उसी नंबर पर फ़ोन किया।अफ़सोस!! उस समय दिनेश कोे निराशा ही हाथ लगी।
उसका फ़ोन बंद आने लगा।
दिनेश ने सोचा कि कोई बात नही, उसके पापा आ गए होंगे।
दिनेश जब कमरे पर पहुँचा तो उसके चेहरे पर अजीब क़िस्म की खुशी दिखाई दे रही थी।
मनोज- क्या बात है दिनेश?
आज बहुत खुश दिखाई दे रहे हो।
दिनेश- नही तो, ऐसी कोई भी बात नही।
बस ऐसे ही आज की क्लास बहुत अच्छे से चली इसलिए बहुत खुश हूं।
मनोज ने ये बात आज के लिए यही खत्म कर दी।
दिनेश पूरे दिन कई बार उस नंबर पर फ़ोन करता रहा पर फ़ोन बन्द ही आ रहा था।
अगले दिन दिनेश ट्यूशन से वापस हो रहा था तभी फिर से कॉल आई।
हेल्लो- मैंने आपसे लव यू बोला पर आपने कोई उत्तर नही दिया। और न ही फोन किया ।
इतना बोलते ही फ़ोन कट।
दिनेश- हेल्लो, हेल्लो।
दिनेश ने बिना देर किए तुरंत फ़ोन किया ।
इस बार घंटी गई , दिनेश बहुत खुश था। फ़ोन रिसीव हुआ पर धीरे से प्यारी आवाज में, पापा आ गए है बाद में फ़ोन करना। इतना बोलके फ़ोन कट।
दिनेश के चेहरे पर खुशी का ठिकाना न था।
कमरे पर पहुँचते ही मनोज ने कहा , क्या बात है? आज तो और खुश दिख रहे हों , आज की क्लास और अच्छी चली क्या?
दिनेश - हॉ , बहुत अच्छी।
दिनेश मनोज को यूं ही अच्छी क्लास , अच्छी क्लास बताता रहा।
ऐसे ही कुछ दिन निकल गए। दिनेश अभी तक उस लड़की से सही से बात नही कर पाया। कभी कोई तो कभी कोई आ ही जाता और फ़ोन कट कर देती। दिनेश उन दिनों अपने फ़ोन में उसी नंबर के साथ उलझा रहता।
एक दिन तो दिनेश की पूरे दो मिनट तक प्यारी प्यारी बातें बढ़ ही रही थी कि कोई आ गया और फ़ोन कट गया। वह उस दिन बहुत ही खुश था।
कमरे पर पहुँचा तो मनोज और उसके मित्र लोग बैठे थे।
मनोज - क्या बात है दिनेश ?
आज तो बहुत खुश हो।
आज क्लास बहुत ही अच्छी थी क्या?
दिनेश - हाँ भाई, बहुत अच्छी थी।
मनोज - आज कौन आया था?
दिनेश हड़बड़ाते हुए- हाँ, हाँ , आज एक नए सर आये थे।
मनोज - रोज कोई न कोई आ ही जाता है।
दिनेश उसका मुंह देखने लगा।
तब तक दूसरे मित्र ने कहा- जानू आई लव यू।
दिनेश का चेहरा उतर सा गया था। उसके समझ मे आ रहा था कि यह सब उसके कमीने और जिगरी मित्र मनोज का किया धरा है।
मनोज अपने एक मित्र (लड़की) से ऐसा करने को बोला था और इधर दिनेश के चेहरे पर एक नई ही खुशी की क्लास चल रही थी।
जब दिनेश को यह सब पता चला तो उसने चेहरा देखने वाला था। अच्छी क्लास वाला चेहरा और इस चेहरे में जमीन आसमान का अंतर था।
दिनेश का हतप्रभ और उदास चेहरा देखके मनोज बोला।
परेशान क्यों होते हो भाई?
रुको तो सही, अभी आपकी अच्छी क्लास फ़ोन पर फिर से करवाये देता हूं।
इतना बोलके दोनो एक दूसरे को गले लगा के बोले-
"हम नही सुधरेंगे"।।
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Written by- अभिनव कुमार त्रिपाठी
(बी. पी.एड.,बी.टी.सी.)
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