सरयूपारीण ब्राह्मण या सरवरिया ब्राह्मण या सरयूपारी ब्राह्मण सरयू नदी के पूर्वी तरफ बसे हुए ब्राह्मणों को कहा जाता है। यह कान्यकुब्ज ब्राह्मणो कि शाखा है। श्रीराम ने लंका विजय के बाद कान्यकुब्ज ब्राह्मणों से यज्ञ ब्राह्मण ब्राह्मण करवाकर उन्हे सरयु पार स्थापित किया था।
सरयूपारीण ब्राह्मण
सरयूपारीण ब्राह्मण या सरवरिया ब्राह्मण या सरयूपारी ब्राह्मण सरयू नदी के पूर्वी तरफ बसे हुए ब्राह्मणों को कहा जाता है। यह कान्यकुब्ज ब्राह्मणो कि शाखा है। श्रीराम ने लंका विजय के बाद कान्यकुब्ज ब्राह्मणों से यज्ञ
ब्राह्मण |
एक अन्य मत के अनुसार श्री राम ने कान्यकुब्जो को सरयु पार नहीं बसाया था बल्कि रावण जो की ब्राह्मण थे उनकी हत्या करने पर ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्त होने के लिए जब श्री राम ने भोजन ओर दान के लिए ब्राह्मणों को आमंत्रित किया तो जो ब्राह्मण स्नान करने के बहाने से सरयू नदी पार करके उस पार चले गए ओर भोजन तथा दान समंग्री ग्रहण नहीं की वे ब्राह्मण सरयुपारीन ब्राह्मण कहे गए।
सरयूपारीण ब्राहमणों के मुख्य गाँव :
गर्ग (शुक्ल- वंश)
गर्ग ऋषि के तेरह लडके बताये जाते है जिन्हें गर्ग गोत्रीय, पंच प्रवरीय, शुक्ल बंशज कहा जाता है जो तेरह गांवों में बिभक्त हों गये थे| गांवों के नाम कुछ इस प्रकार है|
(१) मामखोर (२) खखाइज खोर (३) भेंडी (४) बकरूआं (५) अकोलियाँ (६) भरवलियाँ (७) कनइल (८) मोढीफेकरा (९) मल्हीयन (१०) महसों (११) महुलियार (१२) बुद्धहट (१३) इसमे चार गाँव का नाम आता है लखनौरा, मुंजीयड, भांदी, और नौवागाँव| ये सारे गाँव लगभग गोरखपुर, देवरियां और बस्ती में आज भी पाए जाते हैं|
उपगर्ग (शुक्ल-वंश)
उपगर्ग के छ: गाँव जो गर्ग ऋषि के अनुकरणीय थे कुछ इस प्रकार से हैं|
बरवां (२) चांदां (३) पिछौरां (४) कड़जहीं (५) सेदापार (६) दिक्षापार
यही मूलत: गाँव है जहाँ से शुक्ल बंश का उदय माना जाता है यहीं से लोग अन्यत्र भी जाकर शुक्ल बंश का उत्थान कर रहें हैं यें सभी सरयूपारीण ब्राह्मण हैं|
गौतम (मिश्र-वंश)
गौतम ऋषि के छ: पुत्र बताये जातें हैं जो इन छ: गांवों के वाशी थे|
(१) चंचाई (२) मधुबनी (३) चंपा (४) चंपारण (५) विडरा (६) भटीयारी
इन्ही छ: गांवों से गौतम गोत्रीय, त्रिप्रवरीय मिश्र वंश का उदय हुआ है, यहीं से अन्यत्र भी पलायन हुआ है ये सभी सरयूपारीण ब्राह्मण हैं|
उप गौतम (मिश्र-वंश)
उप गौतम यानि गौतम के अनुकारक छ: गाँव इस प्रकार से हैं|
(१) कालीडीहा (२) बहुडीह (३) वालेडीहा (४) भभयां (५) पतनाड़े (६) कपीसा
इन गांवों से उप गौतम की उत्पत्ति मानी जाति है|
वत्स गोत्र ( मिश्र- वंश)
वत्स ऋषि के नौ पुत्र माने जाते हैं जो इन नौ गांवों में निवास करते थे|
(१) गाना (२) पयासी (३) हरियैया (४) नगहरा (५) अघइला (६) सेखुई (७) पीडहरा (८) राढ़ी (९) मकहडा
बताया जाता है की इनके वहा पांति का प्रचलन था अतएव इनको तीन के समकक्ष माना जाता है|
कौशिक गोत्र (मिश्र-वंश)
तीन गांवों से इनकी उत्पत्ति बताई जाती है जो निम्न है|
(१) धर्मपुरा (२) सोगावरी (३) देशी
बशिष्ट गोत्र (मिश्र-वंश)
इनका निवास भी इन तीन गांवों में बताई जाती है|
(१) बट्टूपुर मार्जनी (२) बढ़निया (३) खउसी
शांडिल्य गोत्र ( तिवारी,त्रिपाठी वंश)
शांडिल्य ऋषि के बारह पुत्र बताये जाते हैं जो इन बाह गांवों से प्रभुत्व रखते हैं|
(१) सांडी (२) सोहगौरा (३) संरयाँ (४) श्रीजन (५) धतूरा (६) भगराइच (७) बलूआ (८) हरदी (९) झूडीयाँ (१०) उनवलियाँ (११) लोनापार (१२) कटियारी, लोनापार में लोनाखार, कानापार, छपरा भी समाहित है
इन्ही बारह गांवों से आज चारों तरफ इनका विकास हुआ है, यें सरयूपारीण ब्राह्मण हैं| इनका गोत्र श्री मुख शांडिल्य त्रि प्रवर है, श्री मुख शांडिल्य में घरानों का प्रचलन है जिसमे राम घराना, कृष्ण घराना, नाथ घराना, मणी घराना है, इन चारों का उदय, सोहगौरा गोरखपुर से है जहाँ आज भी इन चारों का अस्तित्व कायम है|
उप शांडिल्य ( तिवारी- त्रिपाठी, वंश)
इनके छ: गाँव बताये जाते हैं जी निम्नवत हैं|
(१) शीशवाँ (२) चौरीहाँ (३) चनरवटा (४) जोजिया (५) ढकरा (६) क़जरवटा
भार्गव गोत्र (तिवारी या त्रिपाठी वंश)
भार्गव ऋषि के चार पुत्र बताये जाते हैं जिसमें चार गांवों का उल्लेख मिलता है जो इस प्रकार है|
(१) सिंघनजोड़ी (२) सोताचक (३) चेतियाँ (४) मदनपुर
भारद्वाज गोत्र (दुबे वंश)
भारद्वाज ऋषि के चार पुत्र बाये जाते हैं जिनकी उत्पत्ति इन चार गांवों से बताई जाती है|
(१) बड़गईयाँ (२) सरार (३) परहूँआ (४) गरयापार
कन्चनियाँ और लाठीयारी इन दो गांवों में दुबे घराना बताया जाता है जो वास्तव में गौतम मिश्र हैं लेकिन इनके पिता क्रमश: उठातमनी और शंखमनी गौतम मिश्र थे परन्तु वासी (बस्ती) के राजा बोधमल ने एक पोखरा खुदवाया जिसमे लट्ठा न चल पाया, राजा के कहने पर दोनों भाई मिल कर लट्ठे को चलाया जिसमे एक ने लट्ठे सोने वाला भाग पकड़ा तो दुसरें ने लाठी वाला भाग पकड़ा जिसमे कन्चनियाँ व लाठियारी का नाम पड़ा, दुबे की गादी होने से ये लोग दुबे कहलाने लगें|
सरार के दुबे के वहां पांति का प्रचलन रहा है अतएव इनको तीन के समकक्ष माना जाता है|
सावरण गोत्र ( पाण्डेय वंश)
सावरण ऋषि के तीन पुत्र बताये जाते हैं इनके वहां भी पांति का प्रचलन रहा है जिन्हें तीन के समकक्ष माना जाता है जिनके तीन गाँव निम्न हैं|
(१) इन्द्रपुर (२) दिलीपपुर (३) रकहट (चमरूपट्टी)
सांकेत गोत्र (मलांव के पाण्डेय वंश)
सांकेत ऋषि के तीन पुत्र इन तीन गांवों से सम्बन्धित बाते जाते हैं|
(१) मलांव (२) नचइयाँ (३) चकसनियाँ
कश्यप गोत्र (त्रिफला के पाण्डेय वंश)
इन तीन गांवों से बताये जाते हैं|
(१) त्रिफला (२) मढ़रियाँ (३) ढडमढीयाँ
ओझा वंश
इन तीन गांवों से बताये जाते हैं|
(१) करइली (२) खैरी (३) निपनियां
चौबे -चतुर्वेदी, वंश (कश्यप गोत्र)
इनके लिए तीन गांवों का उल्लेख मिलता है|
(१) वंदनडीह (२) बलूआ (३) बेलउजां
एक गाँव कुसहाँ का उल्लेख बताते है जो शायद उपाध्याय वंश का मालूम पड़ता है|
🌇ब्राह्मणों की वंशावली🌇
भविष्य पुराण के अनुसार ब्राह्मणों का इतिहास है की प्राचीन काल में महर्षि कश्यप के पुत्र कण्वय की आर्यावनी नाम की देव कन्या पत्नी हुई। ब्रम्हा की आज्ञा से दोनों कुरुक्षेत्र वासनी सरस्वती नदी के तट पर गये और कण् व चतुर्वेदमय सूक्तों में सरस्वती देवी की स्तुति करने लगे एक वर्ष बीत जाने पर वह देवी प्रसन्न हो वहां आयीं और ब्राम्हणो की समृद्धि के लिये उन्हें वरदान दिया ।
वर के प्रभाव कण्वय के आर्य बुद्धिवाले दस पुत्र हुए जिनका क्रमानुसार नाम था -
उपाध्याय,
दीक्षित,
पाठक,
शुक्ला,
मिश्रा,
अग्निहोत्री,
दुबे,
तिवारी,
पाण्डेय,
और
चतुर्वेदी ।
इन लोगो का जैसा नाम था वैसा ही गुण। इन लोगो ने नत मस्तक हो सरस्वती देवी को प्रसन्न किया। बारह वर्ष की अवस्था वाले उन लोगो को भक्तवत्सला शारदा देवी ने
अपनी कन्याए प्रदान की।
वे क्रमशः
उपाध्यायी,
दीक्षिता,
पाठकी,
शुक्लिका,
मिश्राणी,
अग्निहोत्रिधी,
द्विवेदिनी,
तिवेदिनी
पाण्ड्यायनी,
और
चतुर्वेदिनी कहलायीं।
फिर उन कन्याआं के भी अपने-अपने पति से सोलह-सोलह पुत्र हुए हैं
वे सब गोत्रकार हुए जिनका नाम -
कष्यप,
भरद्वाज,
विश्वामित्र,
गौतम,
जमदग्रि,
वसिष्ठ,
वत्स,
गौतम,
पराशर,
गर्ग,
अत्रि,
भृगडत्र,
अंगिरा,
श्रंगी,
कात्याय,
और
याज्ञवल्क्य।
इन नामो से सोलह-सोलह पुत्र जाने जाते हैं।
मुख्य 10 प्रकार ब्राम्हणों ये हैं-
(1) तैलंगा,
(2) महार्राष्ट्रा,
(3) गुर्जर,
(4) द्रविड,
(5) कर्णटिका,
यह पांच "द्रविण" कहे जाते हैं, ये विन्ध्यांचल के दक्षिण में पाय जाते हैं|
तथा
विंध्यांचल के उत्तर मं पाये जाने वाले या वास करने वाले ब्राम्हण
(1) सारस्वत,
(2) कान्यकुब्ज,
(3) गौड़,
(4) मैथिल,
(5) उत्कलये,
उत्तर के पंच गौड़ कहे जाते हैं।
वैसे ब्राम्हण अनेक हैं जिनका वर्णन आगे लिखा है।
ऐसी संख्या मुख्य 115 की है।
शाखा भेद अनेक हैं । इनके अलावा संकर जाति ब्राम्हण अनेक है ।
यहां मिली जुली उत्तर व दक्षिण के ब्राम्हणों की नामावली 115 की दे रहा हूं।
जो एक से दो और 2 से 5 और 5 से 10 और 10 से 84 भेद हुए हैं,
फिर उत्तर व दक्षिण के ब्राम्हण की संख्या शाखा भेद से 230 के
लगभग है |
तथा और भी शाखा भेद हुए हैं, जो लगभग 300 के करीब ब्राम्हण भेदों की संख्या का लेखा पाया गया है।
उत्तर व दक्षिणी ब्राम्हणां के भेद इस प्रकार है
81 ब्राम्हाणां की 31 शाखा कुल 115 ब्राम्हण संख्या, मुख्य है -
(1) गौड़ ब्राम्हण,
(2)गुजरगौड़ ब्राम्हण (मारवाड,मालवा)
(3) श्री गौड़ ब्राम्हण,
(4) गंगापुत्र गौडत्र ब्राम्हण,
(5) हरियाणा गौड़ ब्राम्हण,
(6) वशिष्ठ गौड़ ब्राम्हण,
(7) शोरथ गौड ब्राम्हण,
(8) दालभ्य गौड़ ब्राम्हण,
(9) सुखसेन गौड़ ब्राम्हण,
(10) भटनागर गौड़ ब्राम्हण,
(11) सूरजध्वज गौड ब्राम्हण(षोभर),
(12) मथुरा के चौबे ब्राम्हण,
(13) वाल्मीकि ब्राम्हण,
(14) रायकवाल ब्राम्हण,
(15) गोमित्र ब्राम्हण,
(16) दायमा ब्राम्हण,
(17) सारस्वत ब्राम्हण,
(18) मैथल ब्राम्हण,
(19) कान्यकुब्ज ब्राम्हण,
(20) उत्कल ब्राम्हण,
(21) सरवरिया ब्राम्हण,
(22) पराशर ब्राम्हण,
(23) सनोडिया या सनाड्य,
(24)मित्र गौड़ ब्राम्हण,
(25) कपिल ब्राम्हण,
(26) तलाजिये ब्राम्हण,
(27) खेटुवे ब्राम्हण,
(28) नारदी ब्राम्हण,
(29) चन्द्रसर ब्राम्हण,
(30)वलादरे ब्राम्हण,
(31) गयावाल ब्राम्हण,
(32) ओडये ब्राम्हण,
(33) आभीर ब्राम्हण,
(34) पल्लीवास ब्राम्हण,
(35) लेटवास ब्राम्हण,
(36) सोमपुरा ब्राम्हण,
(37) काबोद सिद्धि ब्राम्हण,
(38) नदोर्या ब्राम्हण,
(39) भारती ब्राम्हण,
(40) पुश्करर्णी ब्राम्हण,
(41) गरुड़ गलिया ब्राम्हण,
(42) भार्गव ब्राम्हण,
(43) नार्मदीय ब्राम्हण,
(44) नन्दवाण ब्राम्हण,
(45) मैत्रयणी ब्राम्हण,
(46) अभिल्ल ब्राम्हण,
(47) मध्यान्दिनीय ब्राम्हण,
(48) टोलक ब्राम्हण,
(49) श्रीमाली ब्राम्हण,
(50) पोरवाल बनिये ब्राम्हण,
(51) श्रीमाली वैष्य ब्राम्हण
(52) तांगड़ ब्राम्हण,
(53) सिंध ब्राम्हण,
(54) त्रिवेदी म्होड ब्राम्हण,
(55) इग्यर्शण ब्राम्हण,
(56) धनोजा म्होड ब्राम्हण,
(57) गौभुज ब्राम्हण,
(58) अट्टालजर ब्राम्हण,
(59) मधुकर ब्राम्हण,
(60) मंडलपुरवासी ब्राम्हण,
(61) खड़ायते ब्राम्हण,
(62) बाजरखेड़ा वाल ब्राम्हण,
(63) भीतरखेड़ा वाल ब्राम्हण,
(64) लाढवनिये ब्राम्हण,
(65) झारोला ब्राम्हण,
(66) अंतरदेवी ब्राम्हण,
(67) गालव ब्राम्हण,
(68) गिरनारे ब्राम्हण
सभी ब्राह्मण बंधुओ को मेरा नमस्कार बहुत दुर्लभ जानकारी है जरूर पढ़े। और समाज में सेयर करे हम क्या है
इस तरह ब्राह्मणों की उत्पत्ति और इतिहास के साथ इनका विस्तार अलग अलग राज्यो में हुआ और ये उस राज्य के ब्राह्मण कहलाये।
ब्राह्मण बिना धरती की कल्पना ही नहीं की जा सकती इसलिए ब्राह्मण होने पर गर्व करो और अपने कर्म और धर्म का पालन कर सनातन संस्कृति की रक्षा करें।
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सौजन्य - whatapps group
नमस्कार , जानकारी आधी अधूरी और बिना तर्कों के दी गयी है।
जवाब देंहटाएंSambhaw hai
हटाएंAapne ko aashi janjati nahi deni chaahiye
हटाएंSir kya jha maithil bramhan and shukla me vivha sambhab hai
जवाब देंहटाएंParivaar pe depend. Apke parivar ki parampara kya hai
हटाएंश्री मानजी चौबे या चतुर्वेदी का संपूर्ण गोत्र और बंशावली की जानकारी देने की कृपा करें।
हटाएंNhi
हटाएंtop jankari
जवाब देंहटाएंJankari khud aap kitabon se haasil kijiye chaubey ji. Aap khud analysis kariye kisi cheej ka accha bura kooch nhi hota.
हटाएंअग्निवेश का सरजू से क्या रिस्ता है बताऐ । रामचंद्र ने किनको ब्राह्मण बनाया था अपने पिता के ब्रह्मभोज मे । प्रमाण हमारे पास है ।
जवाब देंहटाएंJo brahmin ka ullekh h o gotrawise kis gharme kon ata h eska spasta ullekh ni h
हटाएंJo 3 aur sbko panti ka prachalan batakr 3 gharke bata diya h sayad mere vichar se o trutipurn h
Nivedan h jo jis gotra ka uska alag alag gharwise classification honi chahiye.
Thank
Gotra ke anusar kon kis ghar ka brahmin h 3-13-16 spasta ullekh kariye to achha hoga kyoki 13 walo ko bi panti ka prachalan batakr 3 gharme samil krna uchit ni h
हटाएंUllekh praman ke sath ho jisase koe ungali na utha sake gotra wise gharwise alag alag nispaksha
हटाएंThanks
Nhi ye galat jankari hai brahman ram se pehle bhi the Ram ji ka janam khud ek brahman maharishi shringi ki vajah se hua.... Dashrath ke virya se nhi.. (Putrakamistha yagya)
हटाएंBhai sahab dekhiye Garg Gautam Aur shandilya gotra ke brahman teen me hain baki terah me ab yha pehle teen wale terah me ladki ki shadi nahi karte the... Lekin usi terah me kooch vidwan prajati ke brahman the jaise (vats gotriya piyasi ke misir ,sarar ke Dubey, Triphla Pandey , Malaw ke Pandey, Itar Pandey ityadi) To ye brahman terah me panktipawan hain aur teen walo ke vidwata aur pratistha ke maamle me takkar dete the..
हटाएंTo aaj kal jis trh log status dekh ke shadi vivaah kar dete hain us time vidwata, panditya, aur pratista ke adhar pe shadi vivaah hota tha.. To teen ghar ke brahman Terah ke in pratishthit brahmano me ladki ka shadi kar dete the(Isliye ki in brahmano ki pratistha, panditya, aur panktipawan ityadi cheejo ko dekh ke) jaise aaj kal log status dekhte hain. Kar dete the.. To ye brahman unhi me ghul mil gye aur unke saath kanya ka adan pradan ek lambe time tak chalta rha aur aaj bhi chal rha hai.. Yha teen ka nhi likha hai(Teen ke samkasha likha hai) matlab ki teen ke barabar ka(samman, pankti aur pratistha ke maamle me) Ye baat hai.. Chuki ye blog maine nhi daala hai lekin aap bhai ka comment dekha is liye reply kiya. Asha hai aapko accha lagega... Is cheej me galti yhi hai ki inko bakayade samjhana chahie gotra wise detail me.. Aur 3 aur 13 clear clear likhna chahie . Haa 13 me jo paktipawan hai uski samman pratistha, aur panditya tagdi thi aur isliye we 3 me ghule mile the (Unke barabar khade ho sakte the) lekin the wo 13 ke hi kyuki unka gotra Garga Gautam aur shandilya nhi tha. Pranam
.. Baki terah me
Bilkul aisa hona chahie ham apka samarthan karte hain.
हटाएंIsme 13 walo ko teen ka nahi balki jo terah wale panktipawan hain unko teen ke samkasha ya (Teen ke takkar ka btaya gya gai na ki teen ka)
हटाएंHaa apki baat sahi hai lekin isme ye kaha likha hai ki terah ke panktipawan brahman teen me hain... Yaha ye btaya gya hai ki terah ke panktipawan brahman jaise (Itar ke pandey, payasi ke misir, gana ke misir, malaw ke pandey ityadi) bhi teen ke samkasha ya (barabar ke ohde ke hai ) Naa ki teen ke (teen ka aur teen ke samkasha me antar hai).
हटाएंGalat kaha hai
हटाएंBilkul sahi kaha aapane.par ye batwara eske baad hi hua.
हटाएंAdhuri Jankari hai , koi iska shrot nahi diya gaya hai ||
जवाब देंहटाएंKooch had tak cheeje sahi hain Tiwari ji... Lekin isme chook hai kai jagah.. Yha teen ke samkasha ka matlab teen ka nahi teen ke barabar ka(Vidwata, Panditya, ke maamle me). Mistakes ye hai ki saryupareeya brahman kanyakubjo ki sakha nhi hai. Aur ye Ram ji wala concept bhi sahi nhi hai.
हटाएंIsme eak doubt hai Lathiyari Dubey ka Gautam gotra hai lekin brahman ke hisab se 13 me aate hai
हटाएंClear kariye
Jati prasan parta prapt katne K liye Kya prakriya hai krupa Karke Mujhe batayen.
जवाब देंहटाएंसरयू-पारी ब्राह्मणों से ही सभी ब्राह्मणों का उद्गम हुआ,वेदों में सबसे प्रतिष्ठित प्रथम वेद ऋग्वेद में सरयू नदी का जिक्र तीन बार आया है... पुराणों में भी सरयू नदी का जिक्र किया गया है...आप कोरी बाते न करे प्रमाण दे ....सरयू पारी ब्राह्मणों में सबसे श्रेष्ठ परंपरा है अत्तः झूठ ना फैलाए
जवाब देंहटाएंYe baat satya hai.. Mai apka samarthan karta hu.
हटाएंब्राह्मण केबल कान्यकुब्ज थे और उन्ही से बने ब्राह्मण सरजुपारी कहलाए हैं सरजू नदी के पूर्व में बसे ब्राह्मण सरजूपारी है और भिक्षा में सब कुछ लेने (वरण) के कारण सरवरिया कहलाए
हटाएंइसलिए श्रेष्ठ ब्राह्मण कान्यकुब्ज ही है
उचित हो अपना नाम भी लिखें। कौन श्रेष्ठ कौन छोटा के चक्कर में न पड़ कर ब्रमनत्व पर ध्यान दिया जाय अपनी अपनी परंपराओ को माना जाय
हटाएंजहँ लगि नाथ नेह अरु नाते
हटाएंसब मानिअहि राम के नाते !!
* अर्थात् संसार मनुष्य शरीर धारण करने का यही उद्देश्य है कि जिस किसी भी साधन से , भजन से सत्संग से , सेवा से श्री भगवान का प्रेम प्राप्त हो ! वह प्रेम श्री राम राघव सरकार का प्रेम जिन ब्राह्मणों को प्राप्त हुआ वही आज श्री सरयूपारीण ब्राह्मण कहलाए और जिसे भगवान अपना प्रेमभाजन बनाएं ,उनसे उत्तम ,उनसे उच्च कौन हो सकता है !
नमो राघवाय !!!
जय जय श्री सीताराम
इसमें बहुत कमी तथा जानकारियां गलत हे
जवाब देंहटाएंSambhaw hai
हटाएंVatsa gotra kis number pR ata hai
जवाब देंहटाएं13 me hai vats gotra is gotra me brahman ratno ki khan hai...
हटाएंPayashi Mishra ji rampur ayodhya m rahte hain unka gotra kya vats hi hota h please sahi bataeyega
हटाएंमेरा नाम आशुतोष गौतम है। मैं गौतम गौत्र सरयूपारीण ब्राह्मण हूँ। इस पोस्ट में जो बात कही गयी है कि सरयूपारीण ब्राह्मण की उत्पत्ति कान्यकुब्ज ब्राह्मण से हुई है, यह बात असत्य है। ज़रा विचार विमर्श करके पोस्ट ड़ालें। मैंने कही पढ़ा तो नही है पर जब शादी की बात आती है तो कान्यकुब्ज ब्राह्मण हमारे यहाँ शादी करने के लिए तत्पर रहते है, किन्तु हम कान्यकुब्ज में शादी करने के विरुद्ध रहते है। अब इसका मतलब मैं यही समझूँगा की सरयूपारीण ब्राह्मण कान्यकुब्ज की शाखा नही है।
जवाब देंहटाएंHaa ye baat galat hai ki saryupareeya brahman kanyakubj ki sakha nahi hai. Ye suru se hi ek swatantra brahman samaj hai. Jisme kul Do bhed hain 3,13 usme kooch pantipawan hai aur kooch nahi.
हटाएंbilkul galat tark hai yahan per jo kanyakubj bhahman hai wo apne son ki shadi to saryupaari brahman me kar dete hai lekin apni girl ki shadi amuman saryuparii brahmano me nahi karte the lekin ab samay badal gaya hai ab sab kuchh sambhaw hai yeh mere purvajo dwara dee gayi jankari hai aur jahan tak bhoj khane wali baat hai wah saryu paari brahmano dwara hi kiya gaya tha jiske praman mai jutane ki koshis me
हटाएंlaga hun
Bhai aisa nhi hai... Pranam.
हटाएंBhai aisa nhi hai... Pranam.
हटाएंकोई आतुर नहीं रहता riwaadi होगे
हटाएंMain bhi Sandiya gotra se gonda U.P. ka tiwari hoon. App ki baat bilkul shi hai.
हटाएंIsme Gautam gotra Lathiyari ka 3 me parichay nahi hai
हटाएंइसमे गार्ग्य गोत्र दुबे (करवरिया) वंश नही है ll
जवाब देंहटाएंNhi hai koi baat nhi Karwariya Dubey uttam koti ke Gargya gotra.. Teen ke panktipawan brahman hote hain. Goswami Tulsidas isi vans ke ek ratna the.
हटाएंबहुत सुंदर लेख है कृपया सरार दुबे ,भारद्वाज गोत्र की कुलदेवी के बारे में विस्तार से बताएं
जवाब देंहटाएंकृपया सरार दुबे भारद्वाज गोत्र की कुलदेवी के बारे में जानकारी email at anildubey686@gmail.com
जवाब देंहटाएंसरार गांव कहां है कृपया सरार दुबे भारद्वाज गोत्र की कुलदेवी के बारे में जानकारी email at anildubey686@gmail.com
जवाब देंहटाएंDo garg gotra ke shukla me shaadi sambhav ho skta hai kya?🥲
जवाब देंहटाएंJi nahi
हटाएंबहुत सुन्दर जानकारी । पूर्णतः सहमत हूॅं। वैसे तो बहुत सारी उल्टी सीधी जानकारी नेट पर उपलब्ध है। धन्यवाद।।
जवाब देंहटाएंChandrayan gotra k Chaturvedi ki jaan Kari uplabdh karwane
जवाब देंहटाएं