साखी कबीरदास | Sakhi Kabirdas Class 9 & 10 ICSE

SHARE:

साखी कबीरदास १.गुरु गोविन्द दोनों खड़े, काके लागूं पाँय । बलिहारी गुरु आपनो, गोविंद दियो बताय ॥ व्याख्या - कबीरदास जी कहते हैं की गुरु और भगवान् दोनों ही मेरे सामने खड़े हैं .

साखी कबीरदास

१.गुरु गोविन्द दोनों खड़े, काके लागूं पाँय ।
बलिहारी गुरु आपनो, गोविंद दियो बताय ॥
व्याख्या - कबीरदास जी कहते हैं की गुरु और भगवान् दोनों ही मेरे सामने खड़े हैं . मैं पहले किसके चरण स्पर्श करूँ ? मुझे पहले गुरु के चरणों में श्रद्धा ,प्रेम और भक्ति से स्वयं को समर्पित कर देना चाहिए क्योंकि गुरु ने ही मुझे ईश्वर तक पहुँचने का मार्ग बताया है . अतः प्रस्तुत पंक्यियों में गुरु के महत्व पर प्रकाश डाला गया है . 

२.जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाहिं।
प्रेम गली अति सॉंकरी, तामें दो न समाहिं।।
व्याख्या - कबीरदास जी कहते है की जहाँ घमंड होता है ,अहंकार होता है ,वहां भगवान् का वास नहीं होता है .जहाँ भगवान् रहते हैं वहां घमंड नहीं होता है .क्योंकि प्रेम की गली अत्यधिक तंग है .उसमें अहंकार और ईश्वर एक साथ नहीं रह सकते हैं . अतः जब तक मनुष्यके मन में अहंकार होता है तब उसे ईश्वर की प्राप्ति नहीं होती है . ईश्वे के प्रति प्रेम तभी सार्थक होता है .जब मन का अहंकार दूर हो जाता है . 

३.कांकड़ पाथर जोरी के मस्जिद लऐ चुनाय.
ता पर चढि मुल्ला बाँग दे क्या बहरा हुआ खुदाय
.
व्याख्या - कबीरदास ने उन लोगों पर करारा व्यंग किया है जो धर्म के नाम दिखावा करते हैं . बाहरी आडम्बर को अपनाते हैं . मुस्लिम समुदाय के लोगकंकड़ ,पत्थर जोड़ कर मस्जिद का निर्माण करते हैं .उसके ऊपर क्ग्द्कर मुल्ला बानग देता है यानी की अजान देता है .कबीर कहते है की क्या खुदा बहरा हो गया है जो की मस्जिद के ऊपर चढ़कर चिल्लाने ने सुनता है . अतः ईश्वर दिलों में वास करता है .उसे पाने के लिए मस्जिद -मंदिर बनाने की कोई आवश्यकता नहीं है . 

४.पाथर पूजे हरि मिले, तो मैं पूजू पहाड़! ...
घर की चाकी कोई ना पूजे, जाको पीस खाए संसार !!
व्याख्या - कबीरदासजी कहते है की पत्थरों की पूजा करने से ईश्वर की प्राप्ति नहीं होती है .अगर पत्थरों की पूजा करनेसे ईश्वर की प्राप्ति होती है तो कबीर पहाड़ भी पूजने के लिए तैयार हैं .उन्होंने मूर्ति की अपेक्षा चक्की को अच्छा बताया है क्योंकि इसके द्वारा पीसे गए अनाज से लोगों का पेट भरता है . अतः पत्थर में भगवान् नहीं होते है ,यह मात्र एक बाह्य आडम्बर है . 

५.  सात समंदर की मसि करौं लेखनि सब बनराइ।
     धरती सब कागद करौं हरि गुण लिखा न जाइ॥
व्याख्या - कबीरदास जी कहते है कि यदि पृथ्वी पर व्याप्त सात समुन्द्र की श्याही बनाकर,जंगलों, में मिली सम्पूर्ण लाकदिक्यों की कलम बनाकर ,सम्पूर्ण धरती के कागज़ पर हरी यानि भगवान् का बखान लिखूं तो भी वह पूर्ण नहीं होगा .अतः ईश्वर के गुण अतुलनीय है और वर्णनातीत है . 


साखी कविता का मूल भाव / सारांश

साखी ,कबीरदास जी द्वारा लिखित रचना है .इसमें उन्होंने विचार व्यक्त किये है .वे भक्त ,समाजसुधारक तथा कवी के रूप में हमारे सामने आते है .अतः हम साखी में उनके विभिन्न रूप देख पाते है . कबीरदास जी ने गुरु का स्थान ईश्वर से बड़ा बताया है क्योंकि वहीँ हमें ईश्वर प्राप्ति का मार्ग दिखाता है . ईश्वर से मिलने पर मनुष्य का अहंकार भी समाप्त हो जाता है और वह ईश्वर में लीं हो जाता है . कवि हिन्दू और मुसलामानों के पूजा पद्धति पर व्यंग करते हैं .मूर्ति पूजा और मस्जिद पर चढ़कर अजान देने से ईश्वर क्या बहरा हो गया है ? जिसे अजान की आवश्यकता है . वहीँ हिन्दू भी मूर्ति पूजा करते है  , इससे अच्छी तो चक्की है ,जिसके द्वारा अनाज पीस कर लोग खाते है और अपना पेट भरते हैं . अंत में कवि ईश्वर के गुणों की प्रशंसा करते है की उसके अनंत गुणों का वर्णन करना कठिन है ।
 
इस प्रकार प्रस्तुत कविता साखी में कवि ने मूर्ति पूजा ,कर्मकाण्ड तथा बाह्य आडम्बरों  का विरोध किया है और ईश्वर प्रेम के प्रति मार्ग प्रसस्त किया है । 


Sakhi Kabirdas Question Answer



प्र.कबीरदास जी ने गुरु को ईश्वर से क्यों बड़ा बताया है ? 

उ.कबीर ने गुरु को ईश्वर से बड़ा बताया है क्योंकि गुरु ही ईश्वर तक पहुँचने का मार्ग दिखता है वही सिखाता है .अतः गुरु बड़ा है . 




प्र.कबीर ने चक्की को उपयोगी क्यों बताया है ?

उ.कबीरदास जी कहना है कि पत्थर की पूजा करने से अच्छा है कि पत्थर की बनी चक्की की पूजा किया जाय क्योंकि यह हमारी अनाज पीसने में मदद करता है और लोगों के पेट भरने में सहायक होता है . 

प्र.कबीरदास जी ने मुसलमानों को क्यों फटकारा है ?

उ.कबीर ने जीवन भर ईश्वर प्राप्ति के मार्ग में बाह्य आडम्बरों का विरोध किया है . मुसलमान समुदाय कंकड़ -पत्थर जोड़ कर मस्जिद बनाता है . मस्जिद पर चद्खर मुल्ला सुबह -सुबह अजान देता है .अतः क्या खुदा बहरा हो गया है .जिसे बांग की आवश्यकता हो गयी है . यह केवल आडम्बर है जो की ईश्वर प्राप्ति के मार्ग में बाधक है .





प्र.कबीरदास जी एक समाज सुधारक थे ,इस पर अपने विचार व्यक्त करें ?

उ. कबीरदास जी की रचना साखी में उनकी समाजसुधारक की भावना दिखाई पढ़ती है .उन्होंने मूर्ति पूजा , कर्मकांड तथा बाहरी आडम्बरों का खुल कर विरोध किया है .हिन्दू और मुसलमान दोनों समुदाय की व्यर्थ की रुढियों ,प्रथाओं और परम्परों का विरोध किया है . उन्होंने ईश्वर प्राप्ति के मार्ग में सरल भक्ति का मार्ग दिखाया है ,जिसमें कोई अहंकार न हो ,आडम्बर न हो सिर्फ ईश्वर के प्रति प्रेम हो .

प्रश्न . कवि किसके बारे में क्या सोच रहे हैं ? 
उत्तर- कवि कबीरदासजी गुरु और ईश्वर के बारे में सोच रहे हैं कि  दोनों में से अधिक सम्माननीय, प्रथम पूजनीय कौन है ? वह असमंजस में हैं कि इन दोनों में से वह सबसे पहले किसके चरण स्पर्श करे-गुरु के अथवा ईश्वर के ?
 
प्रश्न. कवि किसके ऊपर न्योछावर (समर्पण) हो जाना चाहते हैं तथा क्यों ? 
उत्तर- कबीरदास जी गुरु के ऊपर न्योछावर (समर्पण) हो जाना चाहते हैं क्योंकि उनका मानना है कि गुरु ने ही उसे ईश्वर तक पहुँचने का मार्ग दिखाया है। यदि गुरु मेरा मार्गदर्शन न करते, तो ईश्वर तक न पहुँच पाता। अतः गुरु का स्थान सर्वोपरि है।
 
प्रश्न. ईश्वर का वास कहाँ नहीं होता है ? कवि हमें क्या त्यागने की प्रेरणा दे रहे हैं? कवि का संक्षिप्त परिचय देते हुए बताइए ।
उत्तर- जिसके हृदय में अहंकार और दंभ का वास होता है उसके मन में ईश्वर का वास नहीं होता। कवि हमें अपने मन से अहंकार व दंभ त्यागने की प्रेरणा दे रहा है। कबीरदास जी निर्गुण भक्ति शाखा के ज्ञानाश्रयी कवियों में अग्रणी हैं। इनका जन्म संवत् 1455 में दिल्ली के पास सीही नामक स्थान पर माना जाता है। एक मुसलमान जुलाहा दंपति नीरू और नीमा ने इनका लालन-पोषण किया था। कबीर पढ़े पुन के लिखे नहीं थे। साधु-सन्तों के साथ बैठ-बैठ कर इन्होंने ज्ञान प्राप्त किया। इन्होंने साखियों व पदों के माध्यम से मूर्ति पूजा व्यक्ति व बाह्य आडम्बरों का विरोध किया। इन्होंने हिन्दुओं और स पैसा मुसलमानों दोनों को ही वाह्य आडंबरों के लिए फटकारा। है। यहाँ अपनी रचनाओं में इन्होंने 'पंचमेल खिचड़ी' और 'सधुक्कड़ी' भाषा का प्रयोग किया। 

प्रश्न. 'साँकरी' शब्द का क्या अर्थ है ? प्रेम गली से कवि का क्या तात्पर्य है ? उसमें कौन दो एक साथ नहीं रह सकते हैं समझाइए । 

उत्तर- साँकरी का अर्थ है, संकरी या तंग। प्रेम गली से कवि का के रोल आशय है मन में स्थित प्रेम की भावना । प्रेम गली अत्यन्त तंग होती है उसमें अहंकार और ईश्वर दोनों को स्थान नहीं मिल सकता। वे एक साथ नहीं रह सकते।

प्रश्न. 'जब मैं था तब हरि नहिं का' भावार्थ स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- कबीरदास जी के अनुसार जब तक मन में अहंकार एवं घमण्ड का भाव विद्यमान रहेगा तब तक ईश्वर की प्राप्ति नहीं हो सकती। अतः ईश्वर प्राप्ति के लिए अहंकार को मन से दूर करना होगा । 

प्रश्न. कबीरदास जी ने प्रेम रूपी गली की क्या विशेषता बताई है? 

उत्तर- कबीरदास जी ने प्रेम रूपी गली को बहुत ही तंग बताया है। इसमें ईश्वर और अहंकार दोनों एक साथ नहीं आ सकते। या तो अहंकार रहेगा या फिर भगवान । मन में अहंकार के साथ कभी भी ईश्वर की प्राप्ति नहीं हो सकती। 

प्रश्न. 'काँकर पाथर जोरि कै, मस्जिद लई बनाय' में कवि ने मनुष्य की किस प्रवृत्ति पर व्यंग्य किया ? 

उत्तर- 'काँकर पाथर जोरि कै, मस्जिद लई बनाय' अर्थात् मनुष्य कंकड़ व पत्थरों से मस्जिद का निर्माण कर ईश्वर की आराधना करता है। कवि ने मनुष्य की इसी दिखावे की प्रवृत्ति पर व्यंग्य किया है।
 
प्रश्न. कवि ने चाकी को भला क्यों बताया है? 

उत्तर- कवि मूर्तिपूजा को आडम्बर मानते हैं। पत्थर की मूर्ति को पूजने से कोई लाभ नहीं हो सकता। उससे भली तो पत्थर की चाकी (चक्की) है क्योंकि उससे अनाज को पीसने से आटा बनता है। आटे से बनी रोटी को खाकर मनुष्य की क्षुधा शांत होती है।
 
प्रश्न. कबीर की भक्ति भावना को समझाइए । 

उत्तर- कबीरदास जी निर्गुण ईश्वर के उपासक थे। वे मूर्तिपूजा के कट्टर विरोधी थे। उन्होंने हिन्दू-मुस्लिम दोनों धर्मों में फैले आडम्बरों का जमकर मजाक उड़ाया। वे ईश्वर की प्राप्ति के लिए सच्चे मन से की गई प्रार्थनाओं का समर्थन करते  थे क्योंकि घट-घटव्यापी ईश्वर को बाहर कहीं ढूँढने की आवश्यकता नहीं है।
 
प्रश्न . हरि के गुणों के बारे में कबीरदास जी ने क्या कहा है? 
उत्तर- हरि के गुणों के बारे में कबीरदास जी कहते है कि यदि सातों समुद्रों की स्याही बनाई जाये, धरती के सभी वनों की लकड़ी की कलम बना लें और पूरी धरती का प्रयोग कागज के रूप में करें तब भी हरि के गुणों का बखान कर पाना मुश्किल है।
 
प्रश्न. कबीर की भाषा की विशेषता बताइए । 
उत्तर- कबीरदास की भाषा जनभाषा कही जा सकती है उसमें अवधी ब्रज, खड़ी बोली । पूर्वी हिन्दी, अरबी, फारसी, राजस्थानी आदि भाषाओं के शब्दों का मिश्रण था। इनकी भाषा को सधुक्कड़ी तथा पंचमेल खिचड़ी भी कहा जाता है। 

MCQ Questions with Answers Sakhi Kabirdas Class 10 ICSE


बहुविकल्पीय प्रश्न उत्तर 

प्र.१.  साखी पाठ के कवि कौन है ?
a. सूरदास 
b. रहीमदास 
c. तुलसीदास 
d. कबीरदास 

उ. d कबीरदास

प्र.२. कबीरदास के गुरु का नाम क्या है ?
a. रामानंद 
b. नरहरिदास 
c. गोकुलदास
d. रामदास 

उ. a. रामानंद 

३. कबीरदास की वाणी का संग्रह का क्या नाम है ?
a. विनयपत्रिका
b. सूरसागर 
c. कवितावली 
d. बीजक 

उ. d. बीजक 

४. कबीरदास की भाषा कैसी है ?
a. पंचमेल खिचड़ी 
b. अवधी 
c. ब्रजभाषा 
d. खड़ीबोली

उ. a . पंचमेल खिचड़ी 


५. कबीरदास किसे महत्वपूर्ण मानते हैं ?
a. ईश्वर 
b. पिता 
c. पत्नी 
d. गुरु 

उ. d. गुरु 

६. कवि गुरु को क्यों श्रेष्ठ मानते हैं ?
a. गुरु ने ही धन दिया . 
b. गुरु ने ही उन्हें सम्मान पद दिलवाया 
c. गुरु ने ही ईश्वर तक पहुँचने का मार्ग दिखलाया 
d. उपयुक्त में से कोई नहीं . 

उ. c. गुरु ने ही ईश्वर तक पहुँचने का मार्ग दिखलाया . 

७. भगवान् तक पहुँचने में हमें कौन रोकता है ?
a. अज्ञानता 
b. मुर्खता 
c. मनुष्य का अहंकार 
d. धन प्राप्ति 

उ. c. मनुष्य का अहंकार 

8. प्रेम की गली कवि के अनुसार कैसी है ?
a. लम्बी 
b. बड़ी 
c. भारी 
d. संकरी 

उ. d. संकरी 

९. प्रेम की गली में कौन एक साथ नहीं जा सकते हैं ?
a. धन और प्रेम 
b. पत्नी - पत्नी 
c. गुरु - शिष्य 
d. अहंकार और भक्त 

उ. d. अंहकार और भक्त 

१०. मुसलमान कवि के अनुसार ईश्वर को कैसे पुकारते हैं ?
a. घंटे बजा कर 
b. भजन गाकर 
c. शांत स्वर में 
b. मस्जिद पर चढ़ कर अजान देकर 

उ. d. मस्जिद पर चढ़ कर अजान देकर 

11. पत्थर पूजने पर यदि ईश्वर प्राप्ति होती तो कवि क्या पूजने को तैयार है ?
a. गाय 
b. गुरु 
c. मूर्ति 
d. पहाड़ 

उ. d. पहाड़ 

१२. 'पाहन' शब्द का क्या अर्थ है ?
a. पक्षी 
b. मेहमान 
c. पहाड़ 
d. हवा 

उ. c. पहाड़ 

१३. 'मसि' शब्द का क्या अर्थ है ?
a. महिना 
b. श्याही 
c. कलम 
d. मलना 

उ. b. श्याही 

१४. प्रेम की गली का कवि के अनुसार क्या अर्थ है ?
a. प्रेमिका से मिलना 
b. प्रेम का मार्ग 
c. ईश्वर और भक्त का मिलन 
d. उपयुक्त में से कोई नहीं 

उ. c. ईश्वर और भक्त का मिलन 

१५. कबीरदास कहाँ तक पढ़े थे ?
a. कक्षा १० 
b. घर में पढ़े थे 
c. माता-पिता ने पढाया था 
d. अनपढ़ थे 

उ. d. अनपढ़ थे 






COMMENTS

Leave a Reply: 11
  1. कृपया साखी की दूसरी पंक्ति शुद्ध करें-

    पाथर पूजे हरि मिले तो मैं पूजू पहार।
    ताते ये चाकी भली पीस खाए संसार।।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. Kabi keh rahe hain ki agar patthar ki puja karne se logo ko hari yani bhagwaan milenge to be pure pahar ki puja. Aur be kehte hain ki puja karne se acha patthar ki bni chakki ki puja ki jaye kyunki yeh hamari anaaj pisne mein madad karti hain aur logo ka pet bharti hain

      हटाएं
  2. SAAKHI KE 3RD DOHE KI VHAYKHA MEIN JO WORD LIKHA HAI KAGADKAR, USKA MATLAB KYA HOTA HAI?

    जवाब देंहटाएं
आपकी मूल्यवान टिप्पणियाँ हमें उत्साह और सबल प्रदान करती हैं, आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है !
टिप्पणी के सामान्य नियम -
१. अपनी टिप्पणी में सभ्य भाषा का प्रयोग करें .
२. किसी की भावनाओं को आहत करने वाली टिप्पणी न करें .
३. अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .

नाम

अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोश,3,अकबर इलाहाबादी,11,अकबर बीरबल के किस्से,62,अज्ञेय,37,अटल बिहारी वाजपेयी,1,अदम गोंडवी,3,अनंतमूर्ति,3,अनौपचारिक पत्र,16,अन्तोन चेख़व,2,अमीर खुसरो,7,अमृत राय,1,अमृतलाल नागर,1,अमृता प्रीतम,5,अयोध्यासिंह उपाध्याय "हरिऔध",7,अली सरदार जाफ़री,3,अष्टछाप,4,असगर वज़ाहत,11,आनंदमठ,4,आरती,11,आर्थिक लेख,8,आषाढ़ का एक दिन,22,इक़बाल,2,इब्ने इंशा,27,इस्मत चुगताई,3,उपेन्द्रनाथ अश्क,1,उर्दू साहित्‍य,179,उर्दू हिंदी शब्दकोश,1,उषा प्रियंवदा,5,एकांकी संचय,7,औपचारिक पत्र,32,कक्षा 10 हिन्दी स्पर्श भाग 2,17,कबीर के दोहे,19,कबीर के पद,1,कबीरदास,19,कमलेश्वर,7,कविता,1478,कहानी लेखन हिंदी,17,कहानी सुनो,2,काका हाथरसी,4,कामायनी,6,काव्य मंजरी,11,काव्यशास्त्र,40,काशीनाथ सिंह,1,कुंज वीथि,12,कुँवर नारायण,1,कुबेरनाथ राय,2,कुर्रतुल-ऐन-हैदर,1,कृष्णा सोबती,3,केदारनाथ अग्रवाल,4,केशवदास,6,कैफ़ी आज़मी,4,क्षेत्रपाल शर्मा,52,खलील जिब्रान,3,ग़ज़ल,139,गजानन माधव "मुक्तिबोध",15,गीतांजलि,1,गोदान,7,गोपाल सिंह नेपाली,1,गोपालदास नीरज,10,गोरख पाण्डेय,3,गोरा,2,घनानंद,3,चन्द्रधर शर्मा गुलेरी,6,चमरासुर उपन्यास,7,चाणक्य नीति,5,चित्र शृंखला,1,चुटकुले जोक्स,15,छायावाद,6,जगदीश्वर चतुर्वेदी,17,जयशंकर प्रसाद,35,जातक कथाएँ,10,जीवन परिचय,77,ज़ेन कहानियाँ,2,जैनेन्द्र कुमार,7,जोश मलीहाबादी,2,ज़ौक़,4,तुलसीदास,28,तेलानीराम के किस्से,7,त्रिलोचन,4,दाग़ देहलवी,5,दादी माँ की कहानियाँ,1,दुष्यंत कुमार,7,देव,1,देवी नागरानी,23,धर्मवीर भारती,12,नज़ीर अकबराबादी,3,नव कहानी,2,नवगीत,1,नागार्जुन,25,नाटक,1,निराला,39,निर्मल वर्मा,4,निर्मला,42,नेत्रा देशपाण्डेय,3,पंचतंत्र की कहानियां,42,पत्र लेखन,202,परशुराम की प्रतीक्षा,3,पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र',4,पाण्डेय बेचन शर्मा,1,पुस्तक समीक्षा,141,प्रयोजनमूलक हिंदी,38,प्रेमचंद,50,प्रेमचंद की कहानियाँ,91,प्रेरक कहानी,16,फणीश्वर नाथ रेणु,4,फ़िराक़ गोरखपुरी,9,फ़ैज़ अहमद फ़ैज़,24,बच्चों की कहानियां,88,बदीउज़्ज़माँ,1,बहादुर शाह ज़फ़र,6,बाल कहानियाँ,14,बाल दिवस,3,बालकृष्ण शर्मा 'नवीन',1,बिहारी,8,बैताल पचीसी,2,बोधिसत्व,9,भक्ति साहित्य,143,भगवतीचरण वर्मा,7,भवानीप्रसाद मिश्र,3,भारतीय कहानियाँ,61,भारतीय व्यंग्य चित्रकार,7,भारतीय शिक्षा का इतिहास,3,भारतेन्दु हरिश्चन्द्र,10,भाषा विज्ञान,18,भीष्म साहनी,9,भैरव प्रसाद गुप्त,2,मंगल ज्ञानानुभाव,22,मजरूह सुल्तानपुरी,1,मधुशाला,7,मनोज सिंह,16,मन्नू भंडारी,10,मलिक मुहम्मद जायसी,9,महादेवी वर्मा,20,महावीरप्रसाद द्विवेदी,3,महीप सिंह,1,महेंद्र भटनागर,73,माखनलाल चतुर्वेदी,3,मिर्ज़ा गालिब,39,मीर तक़ी 'मीर',20,मीरा बाई के पद,22,मुल्ला नसरुद्दीन,6,मुहावरे,4,मैथिलीशरण गुप्त,14,मैला आँचल,8,मोहन राकेश,16,यशपाल,19,रंगराज अयंगर,43,रघुवीर सहाय,6,रणजीत कुमार,29,रवीन्द्रनाथ ठाकुर,22,रसखान,11,रांगेय राघव,2,राजकमल चौधरी,1,राजनीतिक लेख,21,राजभाषा हिंदी,66,राजिन्दर सिंह बेदी,1,राजीव कुमार थेपड़ा,4,रामचंद्र शुक्ल,3,रामधारी सिंह दिनकर,25,रामप्रसाद 'बिस्मिल',1,रामविलास शर्मा,9,राही मासूम रजा,8,राहुल सांकृत्यायन,2,रीतिकाल,3,रैदास,4,लघु कथा,125,लोकगीत,1,वरदान,11,विचार मंथन,60,विज्ञान,1,विदेशी कहानियाँ,34,विद्यापति,8,विविध जानकारी,1,विष्णु प्रभाकर,3,वृंदावनलाल वर्मा,1,वैज्ञानिक लेख,8,शमशेर बहादुर सिंह,6,शमोएल अहमद,5,शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय,1,शरद जोशी,3,शिक्षाशास्त्र,6,शिवमंगल सिंह सुमन,6,शुभकामना,1,शेख चिल्ली की कहानी,1,शैक्षणिक लेख,57,शैलेश मटियानी,3,श्यामसुन्दर दास,1,श्रीकांत वर्मा,1,श्रीलाल शुक्ल,4,संयुक्त राष्ट्र संघ,1,संस्मरण,34,सआदत हसन मंटो,10,सतरंगी बातें,33,सन्देश,44,समसामयिक हिंदी लेख,270,समीक्षा,1,सर्वेश्वरदयाल सक्सेना,19,सारा आकाश,22,साहित्य सागर,22,साहित्यिक लेख,87,साहिर लुधियानवी,5,सिंह और सियार,1,सुदर्शन,3,सुदामा पाण्डेय "धूमिल",10,सुभद्राकुमारी चौहान,7,सुमित्रानंदन पन्त,23,सूरदास,16,सूरदास के पद,21,स्त्री विमर्श,11,हजारी प्रसाद द्विवेदी,4,हरिवंशराय बच्चन,28,हरिशंकर परसाई,24,हिंदी कथाकार,12,हिंदी निबंध,436,हिंदी लेख,536,हिंदी व्यंग्य लेख,14,हिंदी समाचार,186,हिंदीकुंज सहयोग,1,हिन्दी,7,हिन्दी टूल,4,हिन्दी आलोचक,7,हिन्दी कहानी,32,हिन्दी गद्यकार,4,हिन्दी दिवस,91,हिन्दी वर्णमाला,3,हिन्दी व्याकरण,45,हिन्दी संख्याएँ,1,हिन्दी साहित्य,9,हिन्दी साहित्य का इतिहास,21,हिन्दीकुंज विडियो,11,aapka-banti-mannu-bhandari,6,aaroh bhag 2,14,astrology,1,Attaullah Khan,2,baccho ke liye hindi kavita,70,Beauty Tips Hindi,3,bhasha-vigyan,1,chitra-varnan-hindi,3,Class 10 Hindi Kritika कृतिका Bhag 2,5,Class 11 Hindi Antral NCERT Solution,3,Class 9 Hindi Kshitij क्षितिज भाग 1,17,Class 9 Hindi Sparsh,15,divya-upanyas-yashpal,5,English Grammar in Hindi,3,formal-letter-in-hindi-format,143,Godan by Premchand,12,hindi ebooks,5,Hindi Ekanki,20,hindi essay,428,hindi grammar,52,Hindi Sahitya Ka Itihas,105,hindi stories,682,hindi-bal-ram-katha,12,hindi-gadya-sahitya,8,hindi-kavita-ki-vyakhya,19,hindi-notes-university-exams,77,ICSE Hindi Gadya Sankalan,11,icse-bhasha-sanchay-8-solutions,18,informal-letter-in-hindi-format,59,jyotish-astrology,23,kavyagat-visheshta,26,Kshitij Bhag 2,10,lok-sabha-in-hindi,18,love-letter-hindi,3,mb,72,motivational books,12,naya raasta icse,9,NCERT Class 10 Hindi Sanchayan संचयन Bhag 2,3,NCERT Class 11 Hindi Aroh आरोह भाग-1,20,ncert class 6 hindi vasant bhag 1,14,NCERT Class 9 Hindi Kritika कृतिका Bhag 1,5,NCERT Hindi Rimjhim Class 2,13,NCERT Rimjhim Class 4,14,ncert rimjhim class 5,19,NCERT Solutions Class 7 Hindi Durva,12,NCERT Solutions Class 8 Hindi Durva,17,NCERT Solutions for Class 11 Hindi Vitan वितान भाग 1,3,NCERT Solutions for class 12 Humanities Hindi Antral Bhag 2,4,NCERT Solutions Hindi Class 11 Antra Bhag 1,19,NCERT Vasant Bhag 3 For Class 8,12,NCERT/CBSE Class 9 Hindi book Sanchayan,6,Nootan Gunjan Hindi Pathmala Class 8,18,Notifications,5,nutan-gunjan-hindi-pathmala-6-solutions,17,nutan-gunjan-hindi-pathmala-7-solutions,18,political-science-notes-hindi,1,question paper,19,quizzes,8,raag-darbari-shrilal-shukla,8,Rimjhim Class 3,14,samvad-lekhan-in-hindi,6,Sankshipt Budhcharit,5,Shayari In Hindi,16,skandagupta-natak-jaishankar-prasad,6,sponsored news,10,suraj-ka-satvan-ghoda-dharmveer-bharti,6,Syllabus,7,tamas-upanyas-bhisham-sahni,4,top-classic-hindi-stories,58,UP Board Class 10 Hindi,4,Vasant Bhag - 2 Textbook In Hindi For Class - 7,11,vitaan-hindi-pathmala-8-solutions,16,VITAN BHAG-2,5,vocabulary,19,
ltr
item
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika: साखी कबीरदास | Sakhi Kabirdas Class 9 & 10 ICSE
साखी कबीरदास | Sakhi Kabirdas Class 9 & 10 ICSE
साखी कबीरदास १.गुरु गोविन्द दोनों खड़े, काके लागूं पाँय । बलिहारी गुरु आपनो, गोविंद दियो बताय ॥ व्याख्या - कबीरदास जी कहते हैं की गुरु और भगवान् दोनों ही मेरे सामने खड़े हैं .
https://i.ytimg.com/vi/_Tt_3iYmf14/hqdefault.jpg
https://i.ytimg.com/vi/_Tt_3iYmf14/default.jpg
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika
https://www.hindikunj.com/2017/08/kabir-saakhi.html
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/2017/08/kabir-saakhi.html
true
6755820785026826471
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका