आषाढ़ का एक दिन नाटक में कालिदास कालिदास संस्कृत के इतिहास प्रसिद्ध महाकवि हैं। उनके इसी ऐतिहासिक चरित्र को आधार बना कर आषाढ़ का एक दिन नाटक की कथा गठित की गयी है। सारी कथा उन्ही चरित्र गाथा है।
आषाढ़ का एक दिन नाटक में कालिदास
कालिदास संस्कृत के इतिहास प्रसिद्ध महाकवि हैं। उनके इसी ऐतिहासिक चरित्र को आधार बना कर आषाढ़ का एक दिन नाटक की कथा गठित की गयी है। सारी कथा उन्ही चरित्र गाथा है। प्रत्येक घटना और प्रत्येक पात्र उनसे प्रभवित है। अतः वे कथानक के नायक है। एक महाकवि के रूप में उनका प्रसिद्धि बहुत है। उनको राजसम्मान भी प्राप्त हैं। वे मातृगुप्त के रूप में कश्मीर के शाशक बनते हैं। राजकन्या प्रियंगुमंजरी से उनका विवाह होता है ,परन्तु पहले भावुक कवि हैं और पीछे और कुछ। वे कश्मीर के शासक के रूप में नहीं रह पाते हैं और अपने गाँव लौट आते हैं।उनके चरित्र में हम निम्न रूप देख पाते हैं -
१. अहिंसक ,उदार एवं भावुक व्यक्ति -
कथा के आरम्भ में ही कालिदास एक भावुक कवि और प्रेमी के रूप में सामने आते हैं। वे घायल हरिण शावक को गाँव में लिए हुए दिखाई पड़ते हैं। मल्लिका के आग्रह पर ही वे उज्जैयनी जाते हैं। यहाँ नाटक और काव्यों की रचना उनकी प्रसिद्धि को दूर दूर पहुँचती हैं।
२. दुर्बल प्रेमी -
कालिदास के प्रेम में दुर्बलता है। वे उज्जयनी में मल्लिका को भूलकर राजकन्या प्रियंगुणमंजरी से विवाह कर लेते हैं।उन्होंने यह भले ही विवश होकर किया , कश्मीर का शाशक बनने का तो लोभ था ही। कश्मीर जाते हुए वे प्रियंगुमंजरी सहित अपने गाँव में रुकते हैं ,परन्तु मल्लिका से नहीं मिलते हैं। मल्लिका विलोम को आत्म - समर्पण करने के लिए विवश थी। उससे उसके एक बच्ची भी हो जाती है। कालिदास यह सब कुछ जानकार उससे विमुख हो जाते हैं। मल्लिका की आखों में आंसू भरे रह जाते हैं। प्रेम के क्षेत्र में नाटककार कालिदास के चरित्र की गरिमा की रक्षा नहीं कर पाया हैं।
३. स्वार्थी और आत्म केंद्रित व्यक्ति -
प्रियंगुमंजरी से विवाह करना और कश्मीर का शासक बनना कालिदास के अभावपूर्ण जीवन की प्रतिक्रिया थी। अपनी सफाई देते हुए कालिदास मल्लिका से फिर से जीवन प्रारम्भ करने की बात कहते हैं।
"परन्तु इससे आगे भी तो जीवन शेष है। हम फिर अथ से आरम्भ कर सकते हैं।"
कालिदास की युपयुक्त सारी सफाई उस समय थोथी लगने लगती हैं ,जबकि वे यह जानकार कि विलोम से मल्लिका की बच्ची है ,उससे विमुख हो जाते हैं ,अभी वे अथ से जीवन प्रारम्भ करने की बात कह चुके थे ,समय शक्तिशाली है कहकर पीछे हट जाते हैं।
"मैंने कहा था।मैं अथ से आरम्भ करना चाहता हूँ। यह संभवतः इच्छा का समय के साथ द्वन्द था। परन्तु देख रहा हूँ कि समय अधिक शक्तिशाली है."
और वे बाहर चले जाते हैं। मल्लिका नेत्रों में आंसू भरे हुए देखते रह जाती है।कालिदास की यह हालत उनके भावुक प्रेमी व्यक्तित्वापर प्रश्न चिह्न लगा देता है।
संक्षेप में उनके चरित्र में हम निम्न रूप देख पाते हैं -
- कालिदास जन्मजात प्रकृति प्रेमी कवि हैं।
- ग्राम के प्राकृतिक वातावरण में उनकी कविता का विकास हुआ है।
- राजकीय लोभ उनको प्रभावित नहीं करता ,परन्तु मल्लिका के आग्रह से वे उज्जयिनी जाते हैं।
- उज्जयिनी जाकर उनके व्यक्तित्व में परिवर्तन आता है। वे मातृगुप्त के नाम से कश्मीर के शासक बनते हैं।
- कालिदास के ह्रदय उनके राज -पुरुष के व्यक्तित्व को स्वीकार नहीं करता है। वे पुनः कालिदास के रूप में अपने ग्राम में आते हैं।
- कथा या नाटक के अंत में मल्लिका के प्रति उनका व्यवहार उनके व्यक्तित्व की महानता पर प्रश्न चिह्न लगा देता है।
- कालिदास का पूरा व्यक्तित्व आषाढ़ का एक दिन नाटक में अंतर्द्वंद प्रधान है।
विडियो के रूप में देखें -
धन्यवाद❤️
जवाब देंहटाएंKalidas ka praniprem
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