स्त्री शिक्षा के विरोधी कुतर्कों का खंडन

SHARE:

स्त्री शिक्षा के विरोधी कुतर्कों का खंडन extra questions stri shiksha ke virodhi extra question answers stri shiksha ke virodhi ka khandan extra questions stri shiksha ke virodh me stri shiksha par vad vivad stri shiksha ke virodhi kutarko ka khandan prashna abhyas 3 shiksha ke virodhi kutarko ka khandan stri shiksha ke paksh me stri shiksha in hindi essay stri shiksha ke virodhi ka khandan extra questions stri shiksha ke virodhi kutarkon ka khandan summary stri shiksha ke virodh me stri shiksha par vad vivad stri shiksha vipaksh cbse class 10 hindi stri shiksha stri shiksha ke paksh me stri shiksha ke vipaksh me

स्त्री शिक्षा के विरोधी कुतर्कों का खंडन Stri Shiksha ke Virodhi kutarkon ka khandan

पाठ का सार summary - स्त्री शिक्षा के विरोधी कुतर्कों का खंडन ,महावीरप्रसाद द्विवेदीजी द्वारा लिखित निबंध का ऐतिहासिक महत्व है। प्रस्तुत निबंध में द्विवेदी जी ने स्त्री शिक्षा के विरोधी मतों को ध्वस्त किया है।उनके काल में स्त्रियों को पढ़ाना - लिखाना ,गृह सुख के नाश का कारन माना जाता था।  अच्छे अच्छे विद्वान जन भी जो संस्कृत के ग्रन्थ साहित्य और धर्म शाश्त्र का विद्वान भी स्त्री शिक्षा के विरोधी है।  ऐसे लोगों को मानना है कि - 
१. पुराने संस्कृत नाटकों में महिलाएँ संस्कृत भाषा न बोलकर प्राकृत भाषा जो कि जन समुदाय की भाषा थी ,बोलती थी। अतः वे पुरातन काल से ही गंवार थी।
२. शकुंतला आदि नारियाँ काम पढ़कर भी अपने पति दुष्यंत को कटु वाक्य कहे. शंकुन्तला ने जिस भाषा में श्लोक कहा वह जानवरों की भाषा थी।

लेखक का कहना है कि स्त्रियों का प्राकृत भाषा में बात करना उनके अपढ़ होने का प्रमाण नहीं है। भवभूति और कालिदास के समय में कुछ वर्ग ही ससंकृत  प्रयोग करता था ,अन्य वर्ग जनसमुदाय प्राकृत का ही प्रयोग करता था।इसका उदाहरण बौद्धों का त्रिपिटक ,गाथा सप्तसती ,सेतु बांध महाकाव्य ,कुमारपाल चरित आदि ग्रन्थ प्राकृत में रचे गए।  जिस प्रकार आज के ज़माने में हिंदी ,बांग्ला ,मराठी आदि भाषा जनसमुदाय की भाषा है। नाट्य शाश्त्र के नियम एक सिमित वर्ग द्वारा बनाया गया था।उसी वर्ग ने संस्कृत और प्राकृत में विभेद किया।

प्राचीन समय में स्त्रियाँ वर्ग के पठन -पाठन के लिए कोई नियमित विद्यालय -विश्वविद्यालय न था।पुराणों में विमानों -जहाज़ों का वर्णन है ,लेकिन आज उसका कोई प्रमाण नहीं है।बहुत सारी विदुषी स्त्रियाँ जिनमे शीला ,विज्जा ,बौद्ध ग्रन्थ त्रिपतिक के थेरीगाथा आदि का नाम आता है ,अपने विद्धवता से सारे समाज को लाभवनवित किया।अत्रि की पत्नी ,मंडान मिश्र की पत्नी , गार्गी आदि अपने पांडित्य से सभी हरा दिया।  अतः हमें स्त्रियों को पढ़ाने  प्रयन्त करना चाहिए।
लेखक कहता है कि भले ही प्राचीन काल में स्त्री शिक्षा की आवश्क्त्या नहीं समझी गयी हो ,किन्तु आज इसकी आवश्क्त्या है। भागवत पुराण में रुक्मणी जी द्वारा लिखित पत्र उनके पांडित्य का सूचक था। अतः आज हमें उसकी महत्ता समझनी चाहिए।
लेखक का मानना है कि यदि स्त्रियाँ को पढ़ने से अनर्थ होता तो पुरुषों को पढ़ाने से जो वे बम के गोले फेंकते ,नर हत्या ,डाका ,चोरी ,घूस लेना आदि अपराध करते हैं - तो उन्हें भी नहीं पढ़ाना चाहिए। शंकुन्लता और सीता ने जो भी कटु वाक्य कहे वे उनके दुःख के परिणाम  था ,अल्पज्ञता  का नहीं।
अतः पढ़ने लिखने में कोई बुराई नहीं है। अनर्थ -दुराचार व्यक्ति के स्वयं के गुण है ,शिक्षा के परिणाम नहीं। स्त्रियों को साक्षर करने से देश और समाज का भला होगा।  स्त्री शिक्षा पर बहस होबी चाहिए ,शिक्षा प्रणाली का संशोधन होना चाहिए।लेकिन किसी भी परिस्थिति में स्त्री -शिक्षा पर रोक नहीं लगानी चाहिए क्योंकि यह अनर्थकर है।

प्रश्न अभ्यास stri shiksha ke virodhi extra question answers


प्र.१. कुछ पुरातन पंथी लोग स्त्रियों की शिक्षा के विरोधी थे।द्विवेदी जी ने क्या-क्या तर्क देकर स्त्री-शिक्षा का समर्थन किया?

उ. लेखक का मानना रहा है कि प्राचीन काल में शीला ,विज्जा ,थेरीगाथा ,गार्गी आदि महिलाएँ विदुषी रही है। इन्होने धर्म धर्म साहित्य की रचना की।  संस्कृत नाटकों के समय केवल एक सीमित वर्ग ही संस्कृत का प्रयोग करता था ,जबकि जनसमुदाय की भाषा प्राकृत थी। अतः स्त्री पात्रों द्वारा जनसमुदाय की भाषा प्रयोग की गयी है।
आज के समय में विश्व के अनुकूल स्त्रियों को शिक्षा देना आवश्यक है। अतः हमें शिक्षा प्रणाली में संशोधन करना चाहिए ,न की स्त्री शिक्षा पर पाबन्दी।  

प्र.२. ‘स्त्रियों को पढ़ाने से अनर्थ होते हैं’ – कुतर्कवादियों की इस दलील का खंडन दि्वेदीजी ने कैसे किया है, अपने शब्दों में लिखिए।

उ.  प्रस्तुत निबंध में लेखक ने स्त्री शिक्षा के विरोधियों की दलीलों का खंडन किया है। उनका मानना है कि यदि स्त्री शिक्षा अनर्थ का कारक है तो पुरुष शिक्षा प्राप्त कर नर हत्या ,डाका , ,चोरी ,बेईमानी ,बम के गोले फेंकते हैं।  अतः इन्हे तुरंत बंद कर देना है।  पुरातन समय में गार्गी ,शीला ,थेरीगाथा ,मंडन मिश्र की पत्नी आदि ने अपने लोहा मनवाया। प्राचीन समय इ महिलाओं को चित्र बनाने ,नाचने ,गाने ,हार बनाने आदि की स्वंतंत्र थी ,तो आज उनकी शिक्षा पर पाबन्दी नहीं लगनी चाहिए क्योंकि जब शिक्षा पुरुषों के लिए पीयूष का घूँट हो सकती है ,तो स्त्रियों के कालकूट नहीं हो सकती है।  

प्र.३. द्विवेदी जी ने स्त्री-शिक्षा विरोघी कुतर्कों का खंडन करने के लिए व्यंग्य का सहारा लिया है – जैसे ‘यह सब पापी पढ़ने का अपराध है। न वे पढ़तीं, न वेपूजनीय पुरूषों का मुकाबला करतीं।’ आप ऐसे अन्य अंशों को निबंध में से छाँटकर समझिए और लिखिए।

उ . स्त्री शिक्षा के विरोधी कुतर्कों का खंडन ,महावीर प्रसाद द्विवेदीजी द्वारा लिखित निबंध में स्त्री शिक्षा से सम्बन्धित कुछ व्यंग्य निम्नलिखित हैं  –
(१) स्त्रियों के लिए पढ़ना कालकूट और पुरुषों के लिए पीयूष का घूँट! ऐसी ही दलीलों और दृष्टांतो के आधार पर कुछ लोग स्त्रियों को अपढ़ रखकर भारतवर्ष का गौरव बढ़ाना चाहते हैं।
(२) स्त्रियों का किया हुआ अनर्थ यदि पढ़ाने ही का परिणाम है तो पुरुषों का किया हुआ अनर्थ भी उनकी विद्या और शिक्षा का ही परिणाम समझना चाहिए।
(३) “आर्य पुत्र, शाबाश! बड़ा अच्छा काम किया जो मेरे साथ गांधर्व-विवाह करके मुकर गए। नीति, न्याय, सदाचार और धर्म की आप प्रत्यक्ष मूर्ति हैं!”
(४) अत्रि की पत्नी पत्नी-धर्म पर व्याख्यान देते समय घंटो पांडित्य प्रकट करे, गार्गी बड़े-बड़े ब्रह्मवादियों को हरा दे, मंडन मिश्र की सहधर्मचारिणी शंकराचार्य के छक्के छुड़ा दे!गज़ब! इससे अधिक भयंकर बात और क्या हो सकेगी!
(५) जिन पंडितों ने गाथा-सप्तशती, सेतुबंध-महाकाव्य और कुमारपालचरित आदि ग्रंथ प्राकृत में बनाए हैं, वे यदि अपढ़ और गँवार थे तो हिंदी के प्रसिद्ध से भी प्रसिद्ध अख़बार का संपादक को इस ज़माने में अपढ़ और गँवार कहा जा सकता है; क्योंकि वह अपने ज़माने की प्रचलित भाषा में अख़बार लिखता है।

प्र. ४. पुराने समय में स्त्रियों द्वारा प्राकृत भाषा में बोलना क्या उनके अपढ़ होने का सबूत है – पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उ. द्विवेदी जी ने अनुसार - पुराने समय में स्त्रियों द्वारा प्राकृत भाषा का प्रयोग उनके अपढ़ होने का प्रमाण नहीं है। उस समय में संस्कृत का प्रयोग एक सिमित वर्ग ही करता था, नाट्यशास्त्र के नियम भी उसी वर्ग ने बनाये थे। प्राकृत भाषा जनसमुदाय की भाषा थी।  अतः स्त्रियों इस भाषा का प्रयोग करती है ,इसका सबसे बड़ा उदाहरण बौद्ध और जैन धर्म के ग्रंथों का निर्माण प्राकृत में हुआ। शाक्य मुनि और उनके शिष्य प्राकृत में अपना धर्म प्रचार किये।  अतः प्राकृत अपढ़ों की भाषा नहीं थी।  


पर. ५. परंपरा के उन्हीं पक्षों को स्वीकार किया जाना चाहिए जो स्त्री-पुरुष समानता को बढ़ाते हों – तर्क सहित उत्तर दीजिए।

उ. द्विवेदी जी का मानना है कि हमें परम्परा का ही हमेशा  प्रयोग नहीं करना चाहिए। परंपरा और रीतियाँ आगे यदि आगे बढ़ाने वाली हो ,तो हमें उनका प्रयोग करना चाहिए। स्त्री शिक्षा आज की महती आवश्कतय है। बिना स्त्री शिक्षा के समाज और राष्ट नहीं चल सकता है। हमारा संविधान भी वर्ग समानता की बात करता है और ऐसी प्रथाओं का त्याग करने के लिए कहती है स्त्री की गरिमा को घटाता है।  अतः स्त्री शिक्षा ,उनकी गरिमा को बढ़ाना है।  अतः हमें स्त्री शिक्षा को बढ़ाना देना चाहिए।  

प्र. ६. तब की शिक्षा प्रणाली और अब की शिक्षा प्रणाली में क्या अंतर है? स्पष्ट करें।

उ. प्राचीन काल और आज की शिक्षा में बहुत अंतर आ गया है।प्राचीन काल में शिक्षा गुरुकुलों में दी जाती है।  समाज की कुलीन वर्ग की स्त्रियाँ ही शिक्षा ग्रहण कर पाती थी।अन्य वर्ग की स्त्रियाँ चित्र बनाने ,नाच गान ,माला गूँथने का ही काम कर पाती थी।  
आज का युग सह शिक्षा का है।जो शिक्षा पुरुष वर्ग ग्रहण कर रहा है वही शिक्षा महिलाओं को दी जा रही है।अतः शिक्षा में समानता लायी गयी है।  महिलाएँ शिक्षा ग्रहण कर जीवन के हर क्षेत्र में उन्नति कर रही है।  


रचना और अभिव्यक्ति 


प्र. ७. महावीरप्रसाद द्विवेदी का निबंध उनकी दूरगामी और खुली सोच का परिचायक है, कैसे?

उ.  महावीर प्रसाद द्विवेदी जी ,स्त्री शिक्षा की जोरदार वकालत करते है।आज हमारे समाज में लड़कियाँ शिक्षा पाने एवं कार्य क्षेत्र में क्षमता दर्शाने में लड़कों से बिलकुल भी पीछे नहीं हैं किन्तु यहाँ तक पहुँचने के लिए अनेक स्त्री -पुरषों ने लम्बा संघर्ष किया।  नवजागरण काल के चिंतकों ने मात्र स्त्री शिक्षा ही नहीं बल्कि समाज में जनतांत्रिक एवं वैज्ञानिक चेतना के सम्पूर्ण विकास के लिए अलख जगाया।  लेखक का यह लेख उन सभी पुरानतन पंथी विचारों से लोहा लेता है जो स्त्री शिक्षा को व्यर्थ अथवा समाज के विघटन का कारण मानते थे।  इस निबंध की दूसरी विशेषता यह है कि इसमें परंपरा को ज्यों का त्यों नहीं स्वीकारा गया है और परंपरा का जो हिस्सा सड़ - गल चूका है ,उसे रूढ़ि मानकर छोड़ देने की।यह विवेकपूर्ण दृष्टि सम्पूर्ण नवजागरण काल की विशेषता है।आज इस निबंध का अनेक दृष्टियों से ऐतिहासिक महत्व है।  

प्र.८. द्विवेदी जी की भाषा-शैली पर एक अनुच्छेद लिखिए।

उ. द्विवेदी जी अपने समय के हिंदी साहित्य के विधायक थे।इन्होने हिंदी साहित्य को ब्रज ,अवधी भाषा से परिष्कृत कर खड़ी बोली को प्रतिष्ठित किया। उन्होंने मानक शब्द गढ़े और हिंदी पत्रिका सरस्वती के माध्यम से हिंदी की खड़ी बोली का प्रचार किया और रचनाकारों को खड़ी बोली में ही लिखने को इन्होने साहित्य लेखन का माध्यम बनाया।  प्रस्तुत निबंध में हम संस्कृत उर्दू और अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग पाते है . जैसे - 

  • विद्यमान ,प्रमाणित ,सुशिक्षित - संस्कृत 
  • अपढ़ ,गँवार ,पुराना (तद्भव )
  • कॉलेज ,स्कूल ( अंग्रेजी )
द्विवेदी जी ने भाषा प्रयोग का जो आदर्श रखा ,उसका पालन आज भी हो रहा है।वास्तव में हिंदी साहित्य उनकी प्रतिभा कजा ऋणी है।  


Keywords - 
स्त्री शिक्षा के विरोधी कुतर्कों का खंडन ppt स्त्री शिक्षा विपक्ष नारी शिक्षा के पक्ष नौबतखाने में इबादत नारी शिक्षा के पक्ष में नारी शिक्षा के विपक्ष में स्त्री शिक्षा पर वाद विवाद स्त्री शिक्षा के विरोधी कुतर्कों का खंडन extra questions stri shiksha ke virodhi extra question answers stri shiksha ke virodhi ka khandan extra questions stri shiksha ke virodh me stri shiksha par vad vivad stri shiksha ke virodhi kutarko ka khandan prashna abhyas 3 shiksha ke virodhi kutarko ka khandan stri shiksha ke paksh me stri shiksha in hindi essay stri shiksha ke virodhi ka khandan extra questions stri shiksha ke virodhi kutarkon ka khandan summary stri shiksha ke virodh me stri shiksha par vad vivad stri shiksha vipaksh cbse class 10 hindi stri shiksha stri shiksha ke paksh me stri shiksha ke vipaksh me

COMMENTS

Leave a Reply
नाम

अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोश,3,अकबर इलाहाबादी,11,अकबर बीरबल के किस्से,62,अज्ञेय,37,अटल बिहारी वाजपेयी,1,अदम गोंडवी,3,अनंतमूर्ति,3,अनौपचारिक पत्र,16,अन्तोन चेख़व,2,अमीर खुसरो,7,अमृत राय,1,अमृतलाल नागर,1,अमृता प्रीतम,5,अयोध्यासिंह उपाध्याय "हरिऔध",7,अली सरदार जाफ़री,3,अष्टछाप,4,असगर वज़ाहत,11,आनंदमठ,4,आरती,11,आर्थिक लेख,8,आषाढ़ का एक दिन,22,इक़बाल,2,इब्ने इंशा,27,इस्मत चुगताई,3,उपेन्द्रनाथ अश्क,1,उर्दू साहित्‍य,179,उर्दू हिंदी शब्दकोश,1,उषा प्रियंवदा,5,एकांकी संचय,7,औपचारिक पत्र,32,कक्षा 10 हिन्दी स्पर्श भाग 2,17,कबीर के दोहे,19,कबीर के पद,1,कबीरदास,19,कमलेश्वर,7,कविता,1474,कहानी लेखन हिंदी,17,कहानी सुनो,2,काका हाथरसी,4,कामायनी,6,काव्य मंजरी,11,काव्यशास्त्र,38,काशीनाथ सिंह,1,कुंज वीथि,12,कुँवर नारायण,1,कुबेरनाथ राय,2,कुर्रतुल-ऐन-हैदर,1,कृष्णा सोबती,2,केदारनाथ अग्रवाल,4,केशवदास,6,कैफ़ी आज़मी,4,क्षेत्रपाल शर्मा,52,खलील जिब्रान,3,ग़ज़ल,139,गजानन माधव "मुक्तिबोध",15,गीतांजलि,1,गोदान,7,गोपाल सिंह नेपाली,1,गोपालदास नीरज,10,गोरख पाण्डेय,3,गोरा,2,घनानंद,3,चन्द्रधर शर्मा गुलेरी,6,चमरासुर उपन्यास,7,चाणक्य नीति,5,चित्र शृंखला,1,चुटकुले जोक्स,15,छायावाद,6,जगदीश्वर चतुर्वेदी,17,जयशंकर प्रसाद,35,जातक कथाएँ,10,जीवन परिचय,76,ज़ेन कहानियाँ,2,जैनेन्द्र कुमार,6,जोश मलीहाबादी,2,ज़ौक़,4,तुलसीदास,28,तेलानीराम के किस्से,7,त्रिलोचन,4,दाग़ देहलवी,5,दादी माँ की कहानियाँ,1,दुष्यंत कुमार,7,देव,1,देवी नागरानी,23,धर्मवीर भारती,10,नज़ीर अकबराबादी,3,नव कहानी,2,नवगीत,1,नागार्जुन,25,नाटक,1,निराला,39,निर्मल वर्मा,4,निर्मला,42,नेत्रा देशपाण्डेय,3,पंचतंत्र की कहानियां,42,पत्र लेखन,202,परशुराम की प्रतीक्षा,3,पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र',4,पाण्डेय बेचन शर्मा,1,पुस्तक समीक्षा,139,प्रयोजनमूलक हिंदी,38,प्रेमचंद,47,प्रेमचंद की कहानियाँ,91,प्रेरक कहानी,16,फणीश्वर नाथ रेणु,4,फ़िराक़ गोरखपुरी,9,फ़ैज़ अहमद फ़ैज़,24,बच्चों की कहानियां,88,बदीउज़्ज़माँ,1,बहादुर शाह ज़फ़र,6,बाल कहानियाँ,14,बाल दिवस,3,बालकृष्ण शर्मा 'नवीन',1,बिहारी,8,बैताल पचीसी,2,बोधिसत्व,9,भक्ति साहित्य,143,भगवतीचरण वर्मा,7,भवानीप्रसाद मिश्र,3,भारतीय कहानियाँ,61,भारतीय व्यंग्य चित्रकार,7,भारतीय शिक्षा का इतिहास,3,भारतेन्दु हरिश्चन्द्र,10,भाषा विज्ञान,17,भीष्म साहनी,7,भैरव प्रसाद गुप्त,2,मंगल ज्ञानानुभाव,22,मजरूह सुल्तानपुरी,1,मधुशाला,7,मनोज सिंह,16,मन्नू भंडारी,10,मलिक मुहम्मद जायसी,9,महादेवी वर्मा,20,महावीरप्रसाद द्विवेदी,3,महीप सिंह,1,महेंद्र भटनागर,73,माखनलाल चतुर्वेदी,3,मिर्ज़ा गालिब,39,मीर तक़ी 'मीर',20,मीरा बाई के पद,22,मुल्ला नसरुद्दीन,6,मुहावरे,4,मैथिलीशरण गुप्त,14,मैला आँचल,8,मोहन राकेश,15,यशपाल,15,रंगराज अयंगर,43,रघुवीर सहाय,6,रणजीत कुमार,29,रवीन्द्रनाथ ठाकुर,22,रसखान,11,रांगेय राघव,2,राजकमल चौधरी,1,राजनीतिक लेख,21,राजभाषा हिंदी,66,राजिन्दर सिंह बेदी,1,राजीव कुमार थेपड़ा,4,रामचंद्र शुक्ल,3,रामधारी सिंह दिनकर,25,रामप्रसाद 'बिस्मिल',1,रामविलास शर्मा,9,राही मासूम रजा,8,राहुल सांकृत्यायन,2,रीतिकाल,3,रैदास,4,लघु कथा,124,लोकगीत,1,वरदान,11,विचार मंथन,60,विज्ञान,1,विदेशी कहानियाँ,34,विद्यापति,8,विविध जानकारी,1,विष्णु प्रभाकर,1,वृंदावनलाल वर्मा,1,वैज्ञानिक लेख,8,शमशेर बहादुर सिंह,6,शमोएल अहमद,5,शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय,1,शरद जोशी,3,शिक्षाशास्त्र,6,शिवमंगल सिंह सुमन,6,शुभकामना,1,शेख चिल्ली की कहानी,1,शैक्षणिक लेख,57,शैलेश मटियानी,2,श्यामसुन्दर दास,1,श्रीकांत वर्मा,1,श्रीलाल शुक्ल,4,संयुक्त राष्ट्र संघ,1,संस्मरण,33,सआदत हसन मंटो,10,सतरंगी बातें,33,सन्देश,44,समसामयिक हिंदी लेख,269,समीक्षा,1,सर्वेश्वरदयाल सक्सेना,19,सारा आकाश,20,साहित्य सागर,22,साहित्यिक लेख,86,साहिर लुधियानवी,5,सिंह और सियार,1,सुदर्शन,3,सुदामा पाण्डेय "धूमिल",10,सुभद्राकुमारी चौहान,7,सुमित्रानंदन पन्त,23,सूरदास,16,सूरदास के पद,21,स्त्री विमर्श,11,हजारी प्रसाद द्विवेदी,4,हरिवंशराय बच्चन,28,हरिशंकर परसाई,24,हिंदी कथाकार,12,हिंदी निबंध,431,हिंदी लेख,531,हिंदी व्यंग्य लेख,14,हिंदी समाचार,182,हिंदीकुंज सहयोग,1,हिन्दी,7,हिन्दी टूल,4,हिन्दी आलोचक,7,हिन्दी कहानी,32,हिन्दी गद्यकार,4,हिन्दी दिवस,91,हिन्दी वर्णमाला,3,हिन्दी व्याकरण,45,हिन्दी संख्याएँ,1,हिन्दी साहित्य,9,हिन्दी साहित्य का इतिहास,21,हिन्दीकुंज विडियो,11,aapka-banti-mannu-bhandari,6,aaroh bhag 2,14,astrology,1,Attaullah Khan,2,baccho ke liye hindi kavita,70,Beauty Tips Hindi,3,bhasha-vigyan,1,chitra-varnan-hindi,3,Class 10 Hindi Kritika कृतिका Bhag 2,5,Class 11 Hindi Antral NCERT Solution,3,Class 9 Hindi Kshitij क्षितिज भाग 1,17,Class 9 Hindi Sparsh,15,English Grammar in Hindi,3,formal-letter-in-hindi-format,143,Godan by Premchand,11,hindi ebooks,5,Hindi Ekanki,20,hindi essay,423,hindi grammar,52,Hindi Sahitya Ka Itihas,105,hindi stories,679,hindi-bal-ram-katha,12,hindi-gadya-sahitya,8,hindi-kavita-ki-vyakhya,19,hindi-notes-university-exams,65,ICSE Hindi Gadya Sankalan,11,icse-bhasha-sanchay-8-solutions,18,informal-letter-in-hindi-format,59,jyotish-astrology,22,kavyagat-visheshta,25,Kshitij Bhag 2,10,lok-sabha-in-hindi,18,love-letter-hindi,3,mb,72,motivational books,11,naya raasta icse,9,NCERT Class 10 Hindi Sanchayan संचयन Bhag 2,3,NCERT Class 11 Hindi Aroh आरोह भाग-1,20,ncert class 6 hindi vasant bhag 1,14,NCERT Class 9 Hindi Kritika कृतिका Bhag 1,5,NCERT Hindi Rimjhim Class 2,13,NCERT Rimjhim Class 4,14,ncert rimjhim class 5,19,NCERT Solutions Class 7 Hindi Durva,12,NCERT Solutions Class 8 Hindi Durva,17,NCERT Solutions for Class 11 Hindi Vitan वितान भाग 1,3,NCERT Solutions for class 12 Humanities Hindi Antral Bhag 2,4,NCERT Solutions Hindi Class 11 Antra Bhag 1,19,NCERT Vasant Bhag 3 For Class 8,12,NCERT/CBSE Class 9 Hindi book Sanchayan,6,Nootan Gunjan Hindi Pathmala Class 8,18,Notifications,5,nutan-gunjan-hindi-pathmala-6-solutions,17,nutan-gunjan-hindi-pathmala-7-solutions,18,political-science-notes-hindi,1,question paper,19,quizzes,8,raag-darbari-shrilal-shukla,7,Rimjhim Class 3,14,samvad-lekhan-in-hindi,6,Sankshipt Budhcharit,5,Shayari In Hindi,16,skandagupta-natak-jaishankar-prasad,6,sponsored news,10,suraj-ka-satvan-ghoda-dharmveer-bharti,4,Syllabus,7,top-classic-hindi-stories,51,UP Board Class 10 Hindi,4,Vasant Bhag - 2 Textbook In Hindi For Class - 7,11,vitaan-hindi-pathmala-8-solutions,16,VITAN BHAG-2,5,vocabulary,19,
ltr
item
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika: स्त्री शिक्षा के विरोधी कुतर्कों का खंडन
स्त्री शिक्षा के विरोधी कुतर्कों का खंडन
स्त्री शिक्षा के विरोधी कुतर्कों का खंडन extra questions stri shiksha ke virodhi extra question answers stri shiksha ke virodhi ka khandan extra questions stri shiksha ke virodh me stri shiksha par vad vivad stri shiksha ke virodhi kutarko ka khandan prashna abhyas 3 shiksha ke virodhi kutarko ka khandan stri shiksha ke paksh me stri shiksha in hindi essay stri shiksha ke virodhi ka khandan extra questions stri shiksha ke virodhi kutarkon ka khandan summary stri shiksha ke virodh me stri shiksha par vad vivad stri shiksha vipaksh cbse class 10 hindi stri shiksha stri shiksha ke paksh me stri shiksha ke vipaksh me
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika
https://www.hindikunj.com/2017/12/stri-shiksha-ke-virodhi.html
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/2017/12/stri-shiksha-ke-virodhi.html
true
6755820785026826471
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका