वर्तमान पर्यावरण में जिस तरह से बदलाव हो रहा है, उसमें और 20-30 सालों बाद हमारी दुनिया का क्या हाल होगा, इस बात ने कईं वैज्ञानिकों को चिंतित किया है । गर्मी बढ़ती जा रही है । जिस वजह से कहीं बाढ़ से पूरा गांव तबाह हो रहा है तो कहीं सूखा पड़ने से फसल उजड़ रहे हैं ।
भविष्य में ...
वर्तमान पर्यावरण में जिस तरह से बदलाव हो रहा है, उसमें और 20-30 सालों बाद हमारी दुनिया का क्या हाल होगा, इस बात ने कईं वैज्ञानिकों को चिंतित किया है । गर्मी बढ़ती जा रही है । जिस वजह से कहीं बाढ़ से पूरा गांव तबाह हो रहा है तो कहीं सूखा पड़ने से फसल उजड़ रहे हैं । और कुछ सालों बाद शायद बांग्लादेश और
मारिशस समंदर में लीन हो जाएं । और सुंदरवन और भीतरकनिका भी समंदर में तल्लीन हो जाएं । इधर रेगिस्तान बढ़ रहा है और उधर पर्यावरण की एेसी हालत के बाद भी विज्ञान की क्रमागत उन्नति हो रही है । यह बहुत आश्चर्य की बात है । अगर यह गति इसी तरह चलती रही तो हमारी आंखों के सामने बहुत कुछ बदल जाएगा ।
गलत कहा । कुछ बदलेगा, कुछ नहीं बदलेगा-बल्कि तबाह हो जाएगा । इंसान भी एक अजीब प्राणी है । बदलना चाहता है मगर बदलना नहीं चाहता । कभी चाहता है कभी नहीं चाहता । कुछ क्षेत्रों में चाहता है कुछ क्षेत्रों में नहीं चाहता । इन सभी बातों पर अगर ध्यान दिया जाए तो भविष्य का नजारा कैसा होगा?
कुछ नजारें दिखा रहा हूं । अगर 2030 तक जिंदा रहे तो देख लीजिएगा कि मेरी कईं बातें सच हुई-
1- लोग इतने अकर्मण्य हो जाएंगे कि खुद दांतों में ब्रश नहीं कर पाएँगे । ब्रश करने के लिए मशीन होगा । आप खाली मशीन के सामने दांत दिखाकर खड़े हो जाइए । मशीन ब्रश करा देगा । आपके चाहने पर दाढ़ी, मूछं और तो और बाल भी काट देगा ।
2- आप जानते हैं कि आलसी लोग कईं बीमारियों से पीड़ित होते हैं । हार्ट में ट्रबल, मधुमेह आदि । डाक्टर उन्हें व्यायाम करने की सलाह देते हैं । आलस्य के कारण वह व्यायाम नहीं कर पाते । एेसे लोगों के लिए व्यायाम मशीन होगा । रोबर्ट के जैसा मशीन । सोते समय वह मशीन आपको उठाकर व्यायाम करवा देगा । आपको पता भी नहीं चलेगा और व्यायाम हो जाएगा ।
3- त्वचा के रंग को लेकर लोगों में बहुत चिंता होती है । कईं लोग अपने त्वचा के रंग से खुश नहीं । काले लोग गोरा बनना चाहते हैं और गोरे लोग भूरा । अब लोग गोरा बनने के लिए फेयरनेस क्रीम का इस्तेमाल करते हैं । उसके इस्तेमाल से त्वचा का रंग गोरा हो या नहीं लेकिन त्वचा संबंधित बीमारियां जरूर हो रही हैं । पश्चिमी देश के गोरे लोग खुद को भूरा बनाने के लिए समंदर के किनारे धूप में बैठ रहे हैं । इससे उनकी त्वचा खराब होने की बात डाक्टर कह रहे हैं । लेकिन भविष्य में यह समस्याएं नहीं रहेगी । क्योंकि कुछ सालों में चिकित्सा विज्ञान का कुछ इस तरह से उद्विकास होगा कि लोग जिस रंग की त्वचा चाहें अपने शरीर में लगा पाएंगे । अब जैसे आप बाजार से स्वेटर खरीद रहे हैं, भविष्य में वैसे त्वचा के लिए चमड़ा खरीदेंगे । सिर्फ पांच मिनट में त्वचा का रंग बदल जाएगा ।
4- अक्सर कहीं बाहर जाने पर आप मोबाइल फोन लेकर जाते हैं। भविष्य में आपको मोबाइल फोन पकड़ने की जरूरत नहीं होगी । मोबाइल फोन को आप अंगूठी अथवा कान की बालियों की तरह पहन पाएंगे । बिलकुल उतारने की जरूरत नहीं । मोबाइल फोन से केवल आप बात नहीं कर पाएंगे बल्कि टिवी देंखेगे, गाने सुनेंगे और इंटनेट में सर्फ भी कर पाएंगे ।
5- भविष्य में पेट्रोल और डीजल से चलने वाली गाड़ियां नहीं रहेंगी । सौर ऊर्जा और वायु ऊर्जा से गाड़ियां चलेंगी । अब जैसे आप कहते हैं कि मेरी गाड़ी में पेट्रोल नहीं उस वक्त कहेंगे मेरी गाड़ी में वायु नहीं ।
6- अब आप बड़े-बड़े शहरों में जमीन और घर खरीद रहे हैं, तब चांद और मंगल पर जमीन खरीदेंगे । अखबार में विज्ञापन निकलेगा-मंगलग्रह में थ्री-बेड़रूम फ्लैट सस्ती कीमत पर । चांद पर प्लाटेड स्कीम । आपकी पत्नी कहेगी, देखिए ! शर्माजी ने मंगल पर एक घर खरीदा है । क्या हम नहीं खरीदेंगे? आप जवाब देंगे- 'तनीक ठहर जाओ, बुधग्रह में बेहतर स्कीम निकलेगा, वहीं खरीद लेंगे' ।
7- अब आप प्रिंटेड किताबें पढ़ रहे हैं । भविष्य में आप इलेक्ट्रोनिक किताबें पढ़ेंगे । कागज भी इलेक्ट्रॉनिक होगा । आप चाहें तो किताब में जो लिखा होगा उसे सुन सकेंगे । मैं आपको यह लेख पढ़कर सुनाऊंगा, जब आप चाहें ।
- मृणाल चटर्जी
अनुवाद- इतिश्री सिंह राठौर
मृणाल चटर्जी ओडिशा के जानेमाने लेखक और प्रसिद्ध व्यंग्यकार हैं ।मृणाल ने अपने स्तम्भ 'जगते थिबा जेते दिन' ( संसार में रहने तक) से ओड़िया व्यंग्य लेखन क्षेत्र को एक मोड़ दिया । इनका उपन्यास 'यमराज नम्बर 5003' का अंग्रेजी अनुवाद हाल ही में प्रकाशित हुआ है । इसका प्रकाशन पहले ओडिया फिर असमिया में हुआ । उपन्यास की लोकप्रियता को देखते हुए अंग्रेजी में इसका अनुवाद हुआ है।
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