देव कवित्त और सवैया Dev Savaiya & Kavitt Dev - Savaiya & Kavitt class 10 hindi kshitij savaiye by dev meaning class 10 hindi kshitij chapter 4 summary class 10 class 10 hindi poem explanation chapter 4 atmakatha class 10 dev class 10 summary 10 summary class 10 explanation hindi kshitij class 10 poems समरी ncert solutions for class 10th पाठ 3 सवैया कवित्त हिंदी सवैया का अर्थ देव के कवित्त सवैया कविता सवैया छन्द कृष्ण सवैया कवित्त छंद क्षितिज कक्षा 10
देव कवित्त और सवैया
Dev Savaiya & Kavitt
सवैया
पाँयनि नूपुर मंजु बजै, कटि किंकिनि कै धुनि की मधुराई।
साँवरे अंग लसै पट पीत, हिये हुलसै बनमाल सुहाई।
माथे किरीट बड़े दृग चंचल, मंद हँसी मुखचंद जुन्हाई।
जै जग-मंदिर-दीपक सुंदर, श्रीब्रजदूलह ‘देव’ सहाई॥
व्याख्या - प्रस्तुत सवैया में कवी देव ने श्रीकृष्ण के राजसी रूप का चित्रण किया है . कृष्ण के पैरों की पायल मधुर ध्वनि पैदा कर रही है . उनकी कमर में बंधी करधनी किनकिना रही है . श्रीकृष्ण के साँवले शरीर पर पीले वस्त्र सुसोभित हो रहे हैं .उनके ह्रदय पर वनमाला सुशोभित हो रही है . उनके सिर पर मुकुट है तथा उनकी बड़ी बड़ी चंचलता से पूर्ण है . उनका मुख चंद्रमा के समान पूर्ण है .कवी कहते हैं कि कृष्ण संसार रूपी मंदिर में सुन्दर दीपक के समान प्रकाशमान है . अतः कृष्ण समस्त संसार को प्रकाशित कर रहे हैं .
कवित्त
डार द्रुम पलना बिछौना नव पल्लव के,
सुमन झिंगूला सोहै तन छबि भारी दै।
पवन झूलावै, केकी-कीर बतरावैं ‘देव’,
कोकिल हलावै हुलसावै कर तारी दै।।
पूरित पराग सों उतारो करै राई नोन,
कंजकली नायिका लतान सिर सारी दै।
मदन महीप जू को बालक बसंत ताहि,
प्रातहि जगावत गुलाब चटकारी दै॥
व्याख्या - प्रस्तुत कवित्त में कवि देव ने वसंत ऋतू का बड़ा ही हृदयग्राही वर्णन किया है . उन्होंने वसंत की कल्पना कामदेव के नवशिशु के रूप में की है . पेड़ की डाली बालक का झुला है .वृक्षों के नए पत्ते पलने पर पलने वाले बच्चे के लिए बिछा हुआ है .हवा स्वयं आकर बच्चे को झुला रही है . मोर और तोता मधुर स्वर में बालक का बालक का मन बहला रहे हैं .कोयल बालक को हिलाती और तालियाँ बजाती है .
कवि कहते हैं कि कमल के फूलों से कलियाँ मानो पर अपने सिरपर पराग रूपी पल्ला की हुई है ,ताकि बच्चे पर किसी की नज़र न लगे .इस वातावरणमें कामदेव का बालक वसंत इस प्रकार बना हुआ है की मानो वह प्रातःकाल गुलाब रूपी चुटकी बजा बजाकर जगा रही है .
कवित्त
फटिक सिलानि सौं सुधारयौ सुधा मंदिर,
उदधि दधि को सो अधिकाइ उमगे अमंद।
बाहर ते भीतर लौं भीति न दिखैए ‘देव’,
दूध को सो फेन फैल्यो आँगन फरसबंद।
तारा सी तरुनि तामें ठाढ़ी झिलमिली होति,
मोतिन की जोति मिल्यो मल्लिका को मकरंद।
आरसी से अंबर में आभा सी उजारी लगै,
प्यारी राधिका को प्रतिबिंब सो लगत चंद॥
व्याख्या - प्रस्तुत कवित्त में कवि देव ने शरदकालीन पूर्णिमा की रात का बड़ा ही हृदयग्राही वर्णन किया है .चांदनी रात का चंद्रमा बहुत ही उज्जवल और शोभामान हो रहा है .आकाश स्फटिक पत्थर से बने मंदिर के समान लग रहा है . उसकी सुन्दरता सफ़ेद दही के समान उमड़ रही है .मंदिर के आँगन में दूध के झाग के समान चंद्रमा के किरने के समान विशाल फर्श बना हुआ है . आकाश में फैले मंदिर में शीशे के समान पारदर्शी लग रहा है .चंद्रमा अपनी चांदनी बिखेरता ,कृष्ण की प्रेमिका राधा के प्रतिबिम्ब के समान प्यारा लग रहा है .
dev - savaiya & kavitt questions प्रश्न उत्तर
प्र.१.कवि ने ‘श्रीब्रजदूलह’ किसके लिए प्रयुक्त किया है और उन्हें संसार रूपी मंदिर का दीपक क्यों कहा है?
उ. १. कवि देव ने श्रीब्रज दुलह शब्द का प्रयोग श्री कृष्ण के लिए किया है .उन्हें संसार रूपी मंदिर का दीपक इसीलिए कहा गया है क्योंकि उनके कारण ही संसार में आनंद ,उत्सव और प्रकाश फैला हुआ है .
प्र२.पहले सवैये में से उन पंक्तियों को छाँटकर लिखिए जिनमें अनुप्रास और रूपक अलंकार का प्रयोग हुआ है?
उ.२. पहले सवैय्ये में निम्न रूपों में अलंकार का प्रयोग हुआ है -
अनुप्रास अलंकार का प्रयोग निम्न पंक्तियों में हुआ है:
कटि किंकिनि कै धुनि की मधुराई।
साँवरे अंग लसै पट पीत, हिये हुलसै बनमाल सुहाई।
रुपक अलंकार का प्रयोग निम्न पंक्ति में हुआ है:
मंद हँसी मुखचंद जुंहाई, जय जग-मंदिर-दीपक सुन्दर।
प्र.३. निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य सौंदर्य स्पष्ट कीजिए:
पाँयनि नूपुर मंजु बजै, कटि किंकिनि कै धुनि की मधुराई।
साँवरे अंग लसै पट पीत, हिये हुलसै बनमाल सुहाई।
उ.३. प्रस्तुत कविता में कवि देव ने श्रीकृष्ण का राजसी रूप का वर्णन किया है .कृष्ण के पैरों की पायल मधुर ध्वनि पैदा कर रही है . उनकी कमर में बंधी करधनी किनकिना रही है . श्रीकृष्ण के साँवले शरीर पर पीले वस्त्र सुसोभित हो रहे हैं .उनके ह्रदय पर वनमाला सुशोभित हो रही है .
शिल्प सौन्दर्य - १. ब्रज भाषा का प्रयोग
२. कटि किंकिनि में अनुप्रास अलंकार का प्रयोग
३. भक्ति रस का प्रयोग
४. भाषा कोमल ,मधुर और संगीत्मत है .
प्र.४. दूसरे कवित्त के आधार पर स्पष्ट करें कि ऋतुराज बसंत के बाल-रूप का वर्णन परंपरागत वसंत वर्णन से किस प्रकार भिन्न है।
उ४. प्रस्तुत कवित्त में कवि देव ने परंपरागत रूप से भिन्न प्रकृति के वसंत का वर्णन किया है . कवि ने वसंत की कल्पना कामदेव के नवशिशु के रूप में की है . पेड़ की डाली बालक का झुला है .वृक्षों के नए पत्ते पलने पर पलने वाले बच्चे के लिए बिछा हुआ है .हवा स्वयं आकर बच्चे को झुला रही है . मोर और तोता मधुर स्वर में बालक का बालक का मन बहला रहे हैं .कोयल बालक को हिलाती और तालियाँ बजाती है .
प्र.५.‘प्रातहि जगावत गुलाब चटकारी दै’ इस पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
चाँदनी रात की सुंदरता को कवि ने किन-किन रूपों में देखा है?
उ.५. प्रस्तुत पंक्ति का भाव यह है कि कामदेव का बालक रूपी वसंत को जगाने के लिए प्रातः काल गुलाब चुटकी बजाता है .इस प्रकार प्रातः काल होते ही सुन्दर गुलाब के फूल खिल जाते हैं .
प्र.६.चाँदनी रात की सुंदरता को कवि ने किन-किन रूपों में देखा है?
उ.६. कवि ने चाँदनी रात को कवित्त में विभिन्न रूपों में देखा है .जैसे की - चांदनी रात का चंद्रमा बहुत ही उज्जवल और शोभामान हो रहा है .आकाश स्फटिक पत्थर से बने मंदिर के समान लग रहा है . उसकी सुन्दरता सफ़ेद दही के समान उमड़ रही है .चंद्रमा अपनी चांदनी बिखेरता ,कृष्ण की प्रेमिका राधा के प्रतिबिम्ब के समान प्यारा लग रहा है .
प्र.७.‘प्यारी राधिका को प्रतिबिंब सो लगत चंद’ इस पंक्ति का भाव स्पष्ट करते हुए बताएँ कि इसमें कौन सा अलंकार है?
उ.७. प्रस्तुत पंक्ति में कवि देव ने प्यारी राधिका को चंद्रमा के समान सुन्दर बताया है . राधिका को चंद्रमा के प्रतिबिम्ब के रूप में देखा है . इस प्रकार चंद्रमा को उपमान तथा राधिका को उपमा के रूप में प्रयोग किया है. अतः यह प्रतीप अलंकार है .
प्र.८.तीसरे कवित्त के आधार पर बताइए कि कवि ने चाँदनी रात की उज्ज्वलता का वर्णन करने के लिए किन-किन उपमानों का प्रयोग किया है?
उ.८. कवि देव ने चाँदनी रात की उज्जवलता को प्रदर्शित करने के लिए निम्नलिखित उपमान का प्रयोग किया है -
- स्फटिक शिला
- दूध का झाग
- मल्लिका के फूल
- सुधा मंदिर
- आरसी
- चंद्रमा
प्र.९. पठित कविताओं के आधार पर कवि देव की काव्यगत विशेषताएँ बताइए।
उ.९. कवि देव की पठित कविताओं के आधार पर हम निम्नलिखित काव्यगत विशेषताएँ प्राप्त करते हैं -
- कवि ने श्रीकृष्ण का सौन्दर्य ,वसंत ऋतू तथा चाँदनी रात का बहुत ही हृदयग्राही वर्णन किया है .
- वसंत ऋतू का कामदेव के बालक के रूप में वर्णन मानवीकरण अलंकार का सुन्दर वर्णन किया है .
- देव की भाषा में संगीत ,प्रवाह और लय का सुन्दर वर्णन किया गया हैं .
- कवि ने अनुप्रास,उपमा ,रूपक अलंकारों का सुन्दर प्रयोग किया हैं .
- कवि ने सवैय्य और कवित्त छंदों का प्रयोग किया है .इसमें अपनी नवीन कल्पना शक्ति का प्रयोग करके पाठकों को चमत्कृत किया है .
Keywords -
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nice good job. but ....take care of spellings
जवाब देंहटाएंgood luck .
जवाब देंहटाएंSmall, brief and nice.
जवाब देंहटाएंVery helpful.
Thanks a lot.
~mahitha
अच्छा लगा
जवाब देंहटाएंWhat is the 'ras' used in the first kavit -
जवाब देंहटाएं" daar drum palna bichona nav pallav ke,
Suman jhingoola sohe tan chabi baari de,
Pavan jhulove, kaiki-keer batrave dev"
सहज और सरल भाषा के माध्यम से समझाने का प्रयास किया है जो अति उत्तम है
जवाब देंहटाएंIt nice and good
जवाब देंहटाएंTake care of spelling
जवाब देंहटाएंbest_out_of_best
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