पृथ्वीराज रासो प्रमाणिकता पृथ्वीराज रासो काल पृथ्वीराज रासो पद्मावती समय पृथ्वीराज रासो बुक इन हिंदी पृथ्वीराज रासो का पद्मावती समय पृथ्वीराज रासो के लेखक रासो काव्य रासो का अर्थ prithviraj raso in hindi language prithviraj raso hindi prithviraj raso by chand bardai book prithviraj raso in english prithviraj raso story in hindi who wrote prithviraj raso what does it tell us about prithviraj raso written by prithviraj raso in english
पृथ्वीराज रासो Prithviraj Raso
चंदरबरदाई द्वारा लिखित पृथ्वीराज रासो एक बहुचर्चित चरित्र काव्य है . इस काव्य में दिल्ली के चौहान नरेश पृथ्वीराज चौहान के शौर्य का वर्णन किया गया है .चंदरबरदाई दिल्ली के सम्राट महाराजा पृथ्वीराज चौहान के सखा ,सामंत और राजकवि थे . कहा जाता है कि पृथ्वीराजऔर इनका जन्म एक ही तिथि को हुआ और मृत्यु भी एक ही तिथि को हुई . इस प्रकार जन्म और मृत्यु को साथ साथ इन्होने पूर्ण मित्रता से निभाई . ऐसा कहा जाता है कि पृथ्वीराज रानी संयुक्ता के प्रेम में इतना भूल गए कि उन्हें राज्य का ध्यान ही नहीं रहा .इसी अवसर पर शहाबुद्दीन दिल्ली चढ़ आया ,पर हार कर पकड़ा गया .पृथ्वीराज ने उसे छोड़ दिया .शहाबुद्दीन बार - बार चढ़ाई कर हारता रहा ,किन्तु अंत में विजयी होकर महाराज पृथ्वीराज को पकड़ कर गजनी ले आया . कुछ दिन बाद चंद भी वहाँ पधारे . पृथ्वीराज चंद के इशारे पर शहाबुद्दीन को शब्द भेदी बाण से मारकर स्वयं चंद के हाथ से मारे गए तथा उसी समय चंद ने भी अपना प्राणांत कर लिया .हिंदी का प्रथम महाकाव्य -
पृथ्वीराज रासो एकमात्र ऐसा बहुमूल्य ग्रन्थ है जो हिंदी का प्रथम महाकाव्य है . इस ग्रन्थ में २५०० पृष्ठ तथा ६९ सर्ग है . इस पुस्तक की प्रमाणिकता के प्रश्न को लेकर विद्वानों में मतभेद है .पृथ्वीराज में महाकाव्य होते हुए भी प्रबंध निर्वाह का अभाव है . यह भारतीय जीवन की झाँकी नहीं प्रस्तुत कर पाटा . इसकी कथा कहीं - कहीं चंद और उसकी पत्नी के वाद - विवाद के रूप में तथा कहीं शुक शुकी के संवाद के रूप में चलती है . इस ग्रन्थ में श्रृंगार तथा वीर रस की प्रधानता है . युध्य क्षेत्र का वर्णन बड़े ही कौशल के साथ किया गया है . उपमा , रूपक ,उत्प्रेक्षा आदि अलंकारों का प्रयोग भी अधिक हुआ है . इस काव्य में श्रृंगार के हाव - भाव को प्रकृति के उद्दीपन के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है .
पृथ्वीराज रासो की प्रमाणिकता -
पृथ्वीराज रासो की भाषा के प्रश्न को लेकर इस ग्रन्थ के बारे में संदेह उत्पन्न हो जाता है . नाना प्रकार की भाषाएँ इस ग्रन्थ में मिलती है . बहुत से शब्द तो ऐसे मिलते हैं जो उस समय के लिखे ही नहीं जान पड़ते हैं . कुछ विद्वान लोग पृथ्वीराज रासो के शुक शुकी संवाद को ही ग्रन्थ का मूल समझते हैं ,शेष को अप्रमाणिक . वैसे यह ग्रन्थ अपने आप में एक प्रौढ़ रचना हैं . डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी जी ने पृथ्वीराज रासो को अर्धप्रमाणिक रचना माना है . उनका कहना है कि "इस रासो का काव्य रूप दसवीं शताब्दी के साहित्य के काव्य रूप से समानता रखता है .इसकी संवाद प्रवृति और रासो प्रवृति ,कीर्तिलता से साम्य रखती है . पृथ्वीराज और जयचंद के विरोध का कारण चाहे संयोगिता अपहरण हो या न हो किन्तु कवि ने रसराज की अभिव्यक्ति के लिए सुन्दर प्रसंग दूध निकला है . युध्यों का कारण किसी नारी को कल्पित करके जहाँ एक ओर प्रेम चित्रण के प्रसंगों को खड़ा किया है वहाँ विशुद्ध द्वेष की अभिव्यक्ति को क्षीण नहीं होने दिया है . पृथ्वीराज का गोरी को बार बार क्षमा कर देना भले ही ऐतिहासिक न हो ,किन्तु इससे नायक के चरित्र की उदारता का अभीष्ट प्रभाव पाठकों के हृदयपटल पर अंकित हो जाता है ."राष्ट्रीय चेतना पर आधारित -
पृथ्वीराज रासोकार में हर समय एक महाकवि की सी प्रतिभा के दर्शन होते हैं . यदि रासोकार वीर रस के मूल भाव की व्यक्तिगत रागद्वेष पर आधारित न करके उसे व्यापक राष्ट्रीय चेतना पर आधारित करता तो अच्छा होता ,साथ रासो में वर्णित प्रेम भाव में अभीष्ट गहनता भी नहीं आ पायी है . किन्तु इन त्रुटियाँ के लिए चंद को दोषी नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि वह युग संकुचित राष्ट्रीयता और सामंती विलासिता का था . वस्तुतः रासो और उसके कर्ता कवि चंद का महत्व हिंदी साहित्य में अमर है .
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I respct my path as chandwar dai and i love to study our paste it is alive and dynamic we have to learn lesson from this book how mahmud ghori attacking again and again on prithvi raj but he left him alive it shows how the heart of indian are kind and whereas md ghori gave the thord practice makes a man perfect and after all his many defeats once he win over prithvi raj i am interested in this book and i think this is the source of knowledge to learn from our past
जवाब देंहटाएंपृथ्वीराज रासो की अपृमाणीकता
जवाब देंहटाएं1.नलपती नल्हा 2.बिसलदेव 3.चंद्रवरदाई
हटाएंSir Thank you
जवाब देंहटाएंसर् आपको बहुत बहुत धन्यवाद
जवाब देंहटाएंGurjar samrat prathviraj chauhan
जवाब देंहटाएंkis tarah se gujjar the vo ye batao.vo rajput the. kuch padho unke bare me taki kuch sikho
हटाएंkis tarah se gujjar the vo ye batao.vo rajput the. kuch padho unke bare me taki kuch sikho unke sasur jaichand rathore the or gujjar me rathore aata nhi kahan se gujjar ho gye gujjaro me chouhan hota h iska mtlb gujjar ho gye chouhan toh or cast me bhi h vo bhi bol denge.
हटाएंare acchi baat nhi h uh ithaas pr hak jamana
aapke krne se thodi ne itihaas chnge hoga😄😃
Pruthviraj rasho mahakavya ko dekho Shlok no 11 ne btaya gya h ki vo gurjar Samrat the
हटाएंPage no 32 dekh lo usme aspat unko rajput raja likha hain sale gujar Kila likha hain tu Jo bol raha hain sale gujar.
हटाएंगुजरात पर जार किया था इसलिए स्थानवाचक नाम से कहा गया गुर्जर नरेश वह राजपूत से
हटाएंHistory mai bhot Kuch bare galat h or chupaya BHI h..
जवाब देंहटाएंPrithviraj keval ek Rajput Raja the enke history ke sath ched chad mat kroo vrna ham sbhi Rajputo ka ravaiya to ap jante hi honge Bhansali ke sath jo hua tha wo har koi janta h pr abki bar kya ho jaye koi nhi janta iss liye hm Apse Reqest krte h plzz , Prithviraj movie ka jo real name hai .Chakravarti Samrat Prithviraj Chouhan .yhi Rakhnaa h . ..
जवाब देंहटाएंजय राजपूताना ..
जय मा भावानि..🚩
श्री राजपूत करनी सेना जिन्दाबाद..🚩🚩🚩