भूकंप आजकल भूंकप के झटके आम बात हैं । कभी भी झटके खा सकते हैं । कुछ सप्ताह पहले हमारे शहर में भी तीन दिनों तक लगातार पांच-छह बार भूकंप के झटके लगे । ज्यादा कुछ नुकसान नहीं हुआ लेकिन कुछ लोग बहुत डर गए थे ।
भूकंप
आजकल भूंकप के झटके आम बात हैं । कभी भी झटके खा सकते हैं । कुछ सप्ताह पहले हमारे शहर में भी तीन दिनों तक लगातार पांच-छह बार भूकंप के झटके लगे । ज्यादा कुछ नुकसान नहीं हुआ लेकिन कुछ लोग बहुत डर गए थे । वे लोग जितने डरे न थे उससे कईं ज्यादा डरे होने का नाटक मीडिया के सामने किया । कुछ लोग एेसे भी होते हैं कि बात-बात पर उन्हें सरकार को दोषी ठहराने की आदत होती है । उन्होंने कहा कि सरकार को हमें पहले से बताना चाहिए था, कब भूकंप होगा ! पहले से कुछ सूचना न थी और अचानक से भूकंप । जैसे इन लोगों के लिए भूकंप बिजली काटने की बात हो । उनसे यह कौन कहेगा कि भूंकप का पूर्वानुमान अबतक बड़े-बड़े वैज्ञानिक भी नहीं कर पाए हैं । उनकी बात छोड़िए ।
भूंकप |
कुछ सालों पहले नेपाल, अफगानिस्तान तथा भारत के उत्तर और पूर्वांचल में बार-बार भूंकप के झटके लगे । नेपाल में भूकंप ने भयानक तबाही मचाई । हजार-हजार लोगों ने अपनी जान गवाई । कईं लोग घायल हुए । अपहानियों का ठिकाना न रहा । हमारे शहर में भूकंप से कुछ खास नुकसान नहीं हुआ चूंकि बार-बार भूंकप हो रहे हैं इसीलिए लोग थोड़े से डरे हुए हैं । अच्छा इंसानों में एक दिलचस्प बात यह है कि उसके जीवन में कुछ भी सार्वकालिक नहीं । न दुःख सार्वकालिक है न ही खुशी । दुःख के दिनों में भी वह खुश होने के रास्ते ढूंढ लेता है । शायद यह इंसानों का इनबिल्ड रक्षा तंत्र है । इसीलिए तो विपरीत से विपरीत परिस्थितियों में भी इंसान जिंदा रहता है । उदाहरण के तौर पर एेसे भयानक भूकंप के समय में भी लोग भूकंप को लेकर हसी ठिठोली वाली बातें कर रहे हैं । फेसबुक, ह्वाट्सएप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म में यह बातें जल्दी व्याप्त हो जाती है । कुछ लोग इसे नापसंद भी करते हैं । कहते हैं, एेसी दुःख की घड़ी में इस तरह की बातें व्यावहारिक बुद्धि का अभाव है । लेकिन युक्ति अलग है । यह इंसान की तन्यकता का निदर्शन है । बहुत वजनदार बातें हो गई । अब लीजिए सोशल मीडिया पर घूम रहे एेसे कुछ बातों के मजे-
-अच्छा यह अफवाह कौन फैला रहा कि केजरीवाल के पदयात्रा करने की वजह से भूकंप आ गया ।
-यह भूकंप नहीं है यार, रजनीकांत ने अपना मोबाइल वाइब्रेशन मोड़ पर छोड़ दिया था । इसीलिए थरथराहट है यह बस !
-आजकल एेसे हो गया है कि मोबाइल में वाइब्रेशन भी होने पर मुझे लग रहा कि भूकंप आ गया और मैं पांच मंजिला से सीढ़ी उतर कर आ रहा हूं ।
-कुछ लोगों को व्यायाम करने का मजा मिल रहा है । विशाल अपार्टमेंट के सबसे ऊपर खड़े होकर भूकंप-भूकंप चिल्ला रहे हैं, इतने लोग नीचे-नीचे दौड़-दौड़ कर आ रहे हैं और वह इसका मजा ले रहे हैं ।
-आफिस में काम न करने का अच्छा बहाना मिल गया है । जिसे काम करने का मन नहीं कर रहा वह चिल्ला-चिल्ला कर भूकंप, भूकंप बोल रहा है । बस! सभी आफिस के बहार और आफिस छुट्टी ।
-हमारे शहर में कुछ लोगों को बिलकुल भी भूकंप के झटके महसूस नहीं हुए लेकिन चूंकि दूसरे इस बारे में बात कर रहे हैं इसीलिए उन्हें भी फील हो रहा है ।
-जो कभी झूले पर नहीं बैठे, वह कह रहे हैं कि काश, और एक बार भूकंप होता तो झूले में बैठने का मजा मिल जाता है ।
- मृणाल चटर्जी
अनुवाद- इतिश्री सिंह राठौर
मृणाल चटर्जी ओडिशा के जानेमाने लेखक और प्रसिद्ध व्यंग्यकार हैं ।मृणाल ने अपने स्तम्भ 'जगते थिबा जेते दिन' ( संसार में रहने तक) से ओड़िया व्यंग्य लेखन क्षेत्र को एक मोड़ दिया।इनका उपन्यास 'यमराज नम्बर 5003' का अंग्रेजी अनुवाद हाल ही में प्रकाशित हुआ है । इसका प्रकाशन पहले ओडिया फिर असमिया में हुआ। उपन्यास की लोकप्रियता को देखते हुए अंग्रेजी में इसका अनुवाद हुआ है ।
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