रीतिकाल की प्रवृत्तियाँ ritikal ki pravritiyan ritikal ki visheshtaye रीतिकाल की विशेषताएँ रीतिकाल की प्रमुख विशेषताएँ रीतिकाल की दो विशेषताएँ रीतिकाल की परिभाषा रीतिकाल की परिस्थितियाँ रीतिबद्ध काव्य की विशेषताएँ रीतिकाल की रचनाएँ रीतिकाल की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि रीतिकाल का अर्थ
रीतिकाल की प्रवृत्तियाँ ritikal ki pravritiyan
ritikal ki visheshtaye रीतिकाल की विशेषताएँ
रीतिकाल की प्रवृत्तियाँ ritikal ki pravritiyan ritikal ki visheshtaye रीतिकाल की विशेषताएँ - हिन्दी साहित्य का उत्तर मध्यकाल रीतिकाल के नाम से पुकारा जाता है ,इस समय के शासक साहित्य प्रेम ,काव्य प्रेम तथा मनोरंजन के लिए कवियों को आश्रय देने लगे थे . कवियों का मुख्य ध्येय आश्रयदाताओं का मनोरंजन हो गया था .क्योंकि कवि चाँदी के चाँद टुकड़ों पर अपनी कला को राजदरबारों में गिरवीं रख चूका था .इस काल के कवियों में स्वतंत सुखी और परहित का अभाव है . राम और कृष्ण की प्रेम लीलाओं की ओट में कविगण श्रृंगार वर्णन ,ऋतू वर्णन ,नख शिख वर्णन आदि पर कविता लिखकर आचार्यत्व और पांडित्यपूर्ण की होड़ में लगे हुए थे . कवियों ने कलापक्ष में ही कुछ अधिक चमत्कार और नवीनता लाने का प्रयास किया . रीति का अर्थ शैली है चूँकि इन कवियों ने काव्य शैली की इस विषिस्ट पद्धति का विकास किया इसीलिए इस काल को रीतिकाल कहा जाता हैं . इस काल में अलंकार ,रस ,नायिका भेद ,नख शिख वर्णन छंद आदि काव्यांगों पर प्रचुर रचना हुई है .
रीतिकाल की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित है -
१. लौकिक श्रृंगारिकता -
इस काल के कवियों का मुख्य काव्य रस श्रृंगार रस है .नायिकाओं का नख शिख वर्णन और कटाक्ष वर्णन ही इनका लक्ष्य रहा है . इसी कारण इस काव्य का वर्णन विषयक अधिक विस्तार नहीं पा सका है .नारी को केवल भोग्या के रूप में देखा गया . वह न किसी की पुत्री थी न किसी की माता .
२. नायिका भेद -
इन कवियों की लेखनी से नायिका भेद सुन्दर वर्णन प्रकाश में आया है . भेद वर्णन अत्यधिक उत्तेजक और कामुक भी है .
३. लक्षण ग्रंथों का निर्माण -
इन काल के कवियों को लक्षण ग्रन्थ लिख कर आचार्य का भी कार्य करना पड़ा .किन्तु दोनों कार्यों में एक भी कार्य अच्छी तरह नहीं संपन्न हो सका .इस काल के कुछ कवियों ने लक्षण लिखकर स्वरचित उदाहरण प्रस्तुत किये .इनमें भूषण ,देव आदि मुख्य हैं .दूसरे प्रकार के कवियों में बिहारी प्रमुख हैं जिन्होंने केवल उदाहरण प्रस्तुत किये .
४. अलंकारिकता -
इस काल के कवियों को अलंकार प्रिय थे .वे मानते थे - भूषण बिना न सोई ,कविता वनिता मित . इस दृष्टि से इन कवियों ने अपनी कविता कामिनी को अलंकर से खूब सजाया है .
५. ब्रज भाषा -
इस काल की साहित्यिक भाषा है जो कोमलता और मधुरता की दृष्टि से सर्वोपरि है . इसी कारण मुसलमान कवियों ने भी इसी भाषा को स्वीकार किया है .
६. मुक्तक कवि -
रीति काल में प्रबंध काव्य लिखने का प्रचलन नहीं रह गया है . सभी कवियों ने मुक्तक काव्य शैली को अपनाया है . श्रृंगार वर्णन के लिए यह शैली सर्वाधिक उपयुक्त है.इन कवियों ने दोहा ,सोरठा ,कविता में अपनी भावनाओं का प्रकाशन किया है .साथ की रीतिकालीन साहित्य में भाव पक्ष की तुलना में काला पक्ष की प्रधानता है .वे अपनी रचनाओं में काव्य के काला पक्ष के इतने आग्रही हो गए थे कि भाव पक्ष की ओर उतना ध्यान ही नहीं गया .कला पक्ष को सबल बनाने के लिए इन कवियों ने चित्र योजना ,अलाकंकार योजना ,नाद योजना तथा छंद योजना को महत्व दिया .
७. वीररस का प्रवाह -
आदिकाल की वीर धारा जो भक्तिकाल में समाप्त हो गयी थी ,रीतिकाल में पुनः उसका उत्थान हुआ .भूषण जैसे कवियों ने वीर धारा को राष्ट्रीयता की ओर मोड़ दिया है . ऐसे एतिहासिक पुरुषों को चारित्रिक बनाया गया है जिन पर हिन्दू जाति और धर्म की रक्षा का भार था .
निष्कर्ष रूप में हम कह सकते हैं कि रीतिकाल की श्रृंगारिकता और विलास की प्रवृति जनता के समक्ष कोई आदर्श प्रस्तुत नहीं कर सकी .भाव पक्ष की दृष्टि से यह काव्य अधिक समृद्ध है .डॉ.भागीरथ मिश्र के शब्दों में - इस धारा के कवि ने जीवन के लिए अदम्य वासना जागृत कर दी है ,सौन्द्र्यनुभुती और सुरुचि की सुकुमार कसौटी प्रदान की है .केवल के चेतावनी एक काव्य के सम्बन्ध में दी जा सकती है और वह यह है कि उसे चूने हुए रूप में पढ़ना अधिक श्रेयकर है .
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I am a student in class 12 B2 school name -saj inter college Anand Nagar Maharajganj
जवाब देंहटाएंTo all words ture
Tin visestaa kon kon si he
हटाएंi am a student of class10
जवाब देंहटाएंThank you so much.😃😀👍👌👌
जवाब देंहटाएंritikal ki do Pramukh Prabhatiya likhiye likhiye
जवाब देंहटाएंritikal ki do Pramukh Prabhatiya likhiye likhiye
जवाब देंहटाएंnyc
हटाएंI am a student class 10.
जवाब देंहटाएंThank you so very much👍
B.a ke students ke lia bhi bna dijie
जवाब देंहटाएंरीतिकाल बांका पर धारा की विशेषता बा वर्गीकरण
हटाएंRiti kal ka sajhipt parichy dete huve ritikal kiprmukh Parvati par prkas dalite
हटाएंThanks to provide
जवाब देंहटाएंMujhe aachhchha LGA mera and mil gya thanks
जवाब देंहटाएंI am student of clssc9th
जवाब देंहटाएंOo Hello bhai aur point me dalo
जवाब देंहटाएंदि गाई जानकारी अच्छी है। यह और भी अच्छा हो सकता है अगर इस में उदाहरण के तोर पर कविताओं के कुछ पद सामिल किया जाय तो।
जवाब देंहटाएंNice
जवाब देंहटाएंअगर यहाँ कुछ कृति होती तो अच्छी बात है। क्योंकि मैं रीतिकाल की कृति को खोज रहा हूं।
जवाब देंहटाएंI'm a student of 12 class
Sir language simpleeasy Krna please
जवाब देंहटाएंअति उत्तम
जवाब देंहटाएंBachelor of arts (Delhi University) maths back ground se hu ab batao koi shak 😊
जवाब देंहटाएंPunjab University Patiala (GCFDK)
जवाब देंहटाएंI am ba bed student give big detail
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