गुस्सा कैसे कम करें How to control anger in Hindi गुस्सा कम करने का मंत्र पति का गुस्सा गुस्सा शांत करने का मंत्र गुस्सा शांत करने का टोटका गुस्से पर काबू गुस्से का इलाज गुस्सा शांत करने के टोटके बच्चों का गुस्सा क्रोध आने लगे तो उसे दबाना नहीं, अन्यथा आखिर एक दिन फट पड़ेगा। परन्तु तत्काल प्रतिक्रिया से भी बचें। जितना हो सके, मन को शाँत करने का, मौन करने का प्रयास करें।
गुस्सा कैसे कम करें
How to control anger in Hindi
काम एष क्रोध एष रजोगुणसमुद्भवः।
महाशनो महापाप्मा विद्ध्येनमिह वैरिणम्।
रजोगुण में उत्पन्न हुई यह कामना है यही क्रोध है यह महाशना (जिसकी भूख बड़ी हो) और महापापी है इसे ही तुम यहाँ (इस जगत् में) शत्रु जानो।।
क्रोध क्या है ?
रोज़मर्रा की जिंदगी में, ज्यादातर लोग अहंकार के खतरे के कारण असंतोष और क्रोध का अनुभव करते हैं क्रोध से हमें आत्म-मूल्य का एक निश्चित नुकसान होता है, क्रोध की मुख्य जड़ अपेक्षाएं और अहंकार हैं ,हम दुनिया में जैसे जीना चाहते हैं अगर वह तरीका हमें नहीं मिलता है तो क्रोध उत्पन्न होता है।स्वाभाविक रूप से, अधिक से अधिक पात्रता का अर्थ, यानी, जितना अधिक आप सोचते हैं कि आपको अपना रास्ता मिलना चाहिए, उतना अधिक असंतोष होता है। जहां क्रोध आपको अपने सर्वोत्तम हितों के खिलाफ कार्य करने को उकसाता है या आपको अपने सर्वोत्तम हितों में कार्य करने से रोकता है – वास्तव में वह अधिकार और अहंकार की समस्याएं उत्पन्न करता हैं, जो आपके जोखिम की भावना को बढ़ाते हैं।
क्रोध को अगर हम गणतीय भाषा में परिभाषित करें तो सूत्र होगा -
अपेक्षाएं (निराशा +अहंकार +दुःख )=क्रोध
क्रोध अर्थात गुस्सा जिसे इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन माना जाता हैं। क्रोध को व्यक्ति के नाश का सबसे बड़ा कारण माना जाता हैं। क्योंकि क्रोध के वश में इंसान कुछ ऐसे फैसले ले लेता हैं जो उसके जीवन को गर्त की ओर ले जाता हैं। इसलिए व्यक्ति को अपने गुस्से पर काबू करने की बहुत आवश्यकता होती हैं।
सारी सृष्टि ही गुण-दोष से भरी हुई है। वर्तमान में ही व्यक्ति लाखों व्यक्ति के सम्पर्क में आता है, और उनमें से
क्रोध |
गुस्सा क्यों आता है ?
अहंकार की भेद्यता की आशंका और बाद में गुस्से की प्रतिक्रिया लगभग 5 गुना तेजी से होती है, जब आप कहते हैं, "मैं नाराज़ हूँ।" तब आप पहले से ही अपने आप को किसी को अवमूल्यन करने के लिए प्रेरित कर चुके हैं। भावनात्मक परिस्थितयों की दुविधाओं को दूर करने का सबसे अच्छा तरीका एक परिस्थिति से दूसरे शब्दों की अभिव्यक्ति है, ताकि परिस्थिति-ए (क्रोध) की घटना परिस्थिति-बी ( प्रशंसा या करुणा के माध्यम से मूल्य सृजन) को सक्रिय करे।धैर्य जहाँ क्रोध को निष्प्रभावी करने का सीधा उपाय है, वहीं शून्यता न केवल क्रोध को बल्कि हमारी सभी समस्याओं और कठिनाइयों को निष्प्रभावी करने का सबसे प्रभावशाली साधन है। वास्तविकता यह है कि हम कितने ही धैर्यवान क्यों न हो जाएं, यदि हमने शून्यता को नहीं समझा है तो फिर भारतीय मानसून की तरह हमारे ऊपर समस्याओं की बरसात होती रहेगी। यदि हम उस समय अपने चित्त की दशा का विश्लेषण करें जब हो क्रोधित होते हैं तो हम पाएंगे कि हमारे अंदर “मैं” की भावना बहुत प्रबल होती है।
गुस्से के कारण -
क्रोध के भावनात्मक पुनर्निर्माण की हमारी विधि, उत्तेजना के साथ साथ शारीरिक लक्षणों पर केंद्रित होती है जैसे आंखों, जबड़े, गर्दन, कंधे, हथियार, हाथ और छाती के आसपास तनाव। इस के दो कारण हैं सबसे पहले, शारीरिक परिवर्तन गुस्से की सचेत जागरूकता के मुकाबले अधिक तेज़ी से होते हैं, दूसरा, वह स्थिति जिससे आपके मन को प्रतिकूल परिस्थिति प्रदान की है पर ध्यान केंद्रित न करके – जो विशेष रूप से आप को गुस्सा दिलाता है – आप गुस्से से बच सकते हैं। लोग अक्सर अपनी समझदारी की कमी की पूर्ति क्रोध से करते हैं। वह मनुष्य सचमुच बुद्धिमान है जो क्रोध की हालत मे भी बुरी बात मुंह से नहीं निकालता। मनुष्य क्रोध मे समुद्र की तरह बहरा और आग की तरह उतावला हो जाता है। क्रोध आदमी को अंधा कर देता है और उसे उसके सही मार्ग से भटका देता है। क्रोध मे की गयी सब बातें अंत मे उल्टी पड़ जाती है।
प्रत्येक जाति और देश उसी परम्परा को ढोने का प्रयास कर रहा है। किसी जाति ने किसी समय दूसरी जाति को उत्पीड़ित किया था, अतः उसका बदला लेने के लिये आज भी घृणा-वृत्ति को जीवित रखता है। एक राष्ट्र दूसरे राष्ट्र का प्रतिद्वन्द्वी है और अपनी श्रेष्ठता की सुरा पीकर अन्य राष्ट्रों के विरुद्ध संघर्ष करता है और इस तरह हिंसा प्रतिहिंसा के चक्र को आगे बढ़ाता ही जाता है। घृणा और संघर्ष की ये प्रवृत्तियाँ मानव मन में आदिम-काल से विद्यमान हैं। उन्हें उकसाना बहुत सरल है। इससे नेतृत्व प्राप्त कर लेना अत्यन्त सरल हो जाता है। किन्तु इसके द्वारा व्यक्ति और समाज को क्या प्राप्त होता है ? यदि हम शान्त चित्त से विचार करें तो देखेंगे कि अशान्ति ही इसकी उपलब्धि है।अगर आप क्रोध के इस प्रचंड वेग से बचना चाहते हैं तो कुछ उपाय हैं जो आपको आचरण में लाने होंगें -
- आप उन परिस्थितियों को धनात्मक रूप से या साक्षी भाव से ग्रहण करें या विचार करें जिन्होंने शारीरिक उत्तेजनाओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए क्रोध या असंतोष को उकसाया।
- इसके बाद, गहरी भेद्यता की पहचान करें –जैसे खुद में अवमूल्यन महसूस करना। फिर अचानक ऐसी छवियां आच्छादित करें जिससे आपको स्वयं अधिक मूल्यवान महसूस हो, जैसे आपने किसी बच्चे को खतरे से बचाया है , या ऐसे प्यार और आध्यात्मिकता के प्रतीकआपके पास हो जिससे आपको शांति का अहसास होता हो या आपके द्वारा किये गए प्रशंसा प्रकृति और रचनात्मक कार्यों का स्मरण , सहयोग की भावना, आपके अंदर जीवन मूल्य छवियों को प्रतिस्थापित करेंगे । और ये मूल्य छवियां आपके क्रोध के उद्देश्य को आपके ग़ुस्से को उत्तेजित करने वाली परिस्थितियों से सामंजस्य बिठाएंगी और यही भाव मन की गहरी और अधिक मानवीय समझ उत्पन्न करती हैं।
- क्रोध आने लगे तो उसे दबाना नहीं, अन्यथा आखिर एक दिन फट पड़ेगा। परन्तु तत्काल प्रतिक्रिया से भी बचें। जितना हो सके, मन को शाँत करने का, मौन करने का प्रयास करें। फिर बुद्धिमत्ता सहित स्थिति को आँकें। यदि हम ऐसा कर सकें तो जीवन में क्रोध से उत्पन्न होने वाली कितनी ही विपदाओं से बच सकते हैं!
- सुशील शर्मा
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