शिरीष के फूल Shirish ke phool समरी इन हिंदी shirish ke phool summary in hindi शिरीष के फूल की विशेषता shirish ke phool ki visheshta शिरीष के फूल की फोटो शिरीष के फूल in english शिरीष के फूल की विशेषता शिरीष के फूल समरी इन हिंदी शिरीष के फूल निबंध शिरीष का पेड़ शिरीष अर्थ शिरीष का अर्थ shirish ke phool summary in english shirish ke phool ki visheshta shirish ke phool question answer shirish ke phool in english shirish ke phool class 12 shirish ke phool written by ashok ke phool summary in hindi shirish ke phool by hazari prasad dwivedi
शिरीष के फूल
Shirish ke phool
शिरीष के फूल समरी इन हिंदी shirish ke phool summary in hindi शिरीष के फूल पाठ का सारांश - शिरीष के फूल हजारी प्रसाद द्विवेदी जी द्वारा लिखा गया एक प्रसिद्ध व ललित निबंध है .शिरीष के फूल निबंध जीवन में संघर्ष पर प्रकाश डालकर संघर्षों तथा विषम परिस्थितियों में मनुष्य को अविचल रहने का सन्देश देता है .शिरीष का फूल संघर्ष का प्रतीक है .वह अपनी कठोरता और कोमलता से जीने की कला सिखाता है .प्रतिकूल
शिरीष के फूल |
शिरीष के वृक्ष शुभ और छायादार होते हैं .इन्हें गृह - उद्यान में लगाया जा सकता है .डालियाँ कुछ कमज़ोर अवश्य होती हैं ,फिर भी इन पर झूले डाले जा सकते हैं . झूलने वाली सुकुमारीयों का वजन ही क्या होता है ? संस्कृत साहित्य में इसकी अपनी महिमा गरिमा है .यह कोमल और श्रृंगार के योग्य माना गया है .महाकवि कालिदास ने शकुन्तला का रूपमंडन इसी शिरीष पुष्प से किया था .यह किसी तरह से उड़ते हुए भौरें के पद स्पर्श भार को वहन कर पाता है .फूल जितना कोमल फल उतना ही कठोर . फल तो अपना स्थान छोड़ना ही नहीं चाहते .नए फूल और फल के दबाव में आकर ही किसी तरह पुराने फल झड़ते हैं, अन्यथा सूख कर डालियों में खडखडाहते रहते हैं और हटने का भूल कर भी नाम नहीं लेते .
लेखक शिरीष के फूलों में अनेक प्रकार की विशेषताएँ देखता है और उनसे प्रभावित होता है .कठोरता और कोमलता के साथ सौन्दर्य और मस्ती ,सहिशुनता और प्रसन्नता ,अनासक्ति और साहस ,सदास्थिरता और एकरूपता आदि कुछ ऐसी विशेषताएँ है ,जो लेखक को अभिभूत कर लेती हैं और वह अनेक प्रकार की कल्पनाएँ करता हुआ कालिदास ,कबीर ,रविन्द्र ,पन्त और राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी को एक साथ याद कर बैठता है .अकेला शिरीष इन सबकी पृथक - पृथक विशेषताओं को समेटे हुए आधुनिक भारतीय नेताओं की याद दिलाता ,अपनी कोमलता और सुन्दरता से शकुन्तला का श्रृंगार करता कालजयी अवधूत की भाँती प्रतीत होता है .
शिरीष के फूल जीवन का अवधूत -
साहित्यकार जब किसी रचना को मूर्तरूप देता है तो अपना कोई न कोई उद्देश्य निश्चित रूप से सन्निहित रखता है .शिरीष के फूल आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी गर्भित निबंध है .द्विवेदी जी के निबंध विचारों से तो पूर्ण हैं ही ,साथ ही उनमें चिंतनशील तत्वों की प्रधानता भी है .शिरीष के फूल निबंध द्वारा विद्वान निबंधकार ने अनेक उद्देश्यों की प्रतिस्थापना की है .
शिरीष के फूल निबंध का उद्देश्य shirish ke phool by hazari prasad dwivedi -
निबंधकार के विचार से मानव मात्र को ऐसा जीवन जीना चाहिए जिसमें कोमलता ,सरलता ,कठोरता ,संग्रर्ष ,मस्ती आदि सभी का समावेश हो .जो व्यक्ति आनंद और विछोह से युक्त प्रत्येक स्थिति के मध्य समभाव से जीने का अभ्यासी है ,वही जन मन को समझने में सक्षम हो सकता है .जो मनुष्य क्षणिक सुख के आवेश में वह जाता है अथवा क्षणिक दुःख से घबडा जाता है ,वह जीवन संघर्ष में कभी विजयी नाह होता है .ऐसा व्यक्ति जीवन से हताश ,निराश ,विवश ,उदास तथा संतास्त रहता है .जीवन के झंझावातों से झूझने की प्रेरणा शिरीष के फूलों से ही मिलती है .मनुष्य कष्ट और धैर्य का संबल लेकर ही जीवन के प्रति आस्था और दृहं संकल्प शक्ति बनाये रख सकता .प्रतिकूल परिस्थितियों से जूझने पर ही जीने की कला की वास्तविक पहचान होती है .जो काल को चुनौती देकर संघर्ष करते हैं ,वे अवश्य विजयी होते हैं ,उनका अशिस्त्वा बना रहता है और जो हिम्मत हार जाते हैं ,वे समाप्त हो जाते हैं .सांसारिक जीवन में साधारण मनुष्य अपने सुख दुःख लाभ हानि यश अपयश विजय पराजय ,आशा - निराशा से प्रभावित होता रहता है पर अनासक्त योगी या व्यक्तिव जीवन की विषम परिस्थितियों के प्रभाव से मुक्त रहता है .वह कभी भी पराजय स्वीकार नहीं करता है ..जीवन संघर्ष में वह अजेय रहता है .कबीर ,कालिदास ,पन्त ,रवीन्द्रनाथ टैगोर तथा महात्मा गाँधी ने फक्कड़ना मस्ती के साथ - साथ वातावरण की प्रतिकूलता में भी जीने की अद्भुत कला सीख रखी थी .व्यक्तिगत लाभ - हानि ,सुख - दुःख ,आशा - निराशा की भावना की भावना मानव हृदय की संक्रिन्दा का घोतक है .मनुष्य मात्र का सम्बन्ध अखिल विश्व से है ,परमेश्स्वर से है .अतः इसे अपने ह्रदय ही संक्रिन्दा का परित्याग कर स्व को पर से जोड़ना होगा .सीमाबद्ध मनुष्य अपने जीवन के लक्ष्य से दूर हटकर भटकता रहता है .अतः मानव को चाहिए कि जीवन संघर्ष में अनासक्ता ,नैक्तिकता तथा दृहं संकल्प शक्ति का सहारा लेकर सदा मुस्कर्ता रहे एवं अपने जीवन की सारी कोमलता तथा सरसता राष्ट्र पर न्योछावर करता रहे .
शिरीष के फूल की विशेषता shirish ke phool ki visheshta -
शिरीष का फूल संघर्ष का प्रतीक है .वह अपनी कठोरता और कोमलता से जीने की कला सिखाता है .प्रतिकूल परिस्थितियों में जीने की कला ही वास्तविक पहचान होती है .मनुष्य के जीवन का लक्ष्य उसकी सामाजिक उपयोगिता है . अपना पेट तो सब भर लेता है ,पर जो दूसरों के लिए जीता है ,उसी का जीना सार्थक कहलाता है .यह संसार क्षणभंगुर है .यहाँ सभी चीज़ें क्षणिक हैं ,कोई भी स्थायी नहीं हैं .यह प्रकृति का शाश्वत नियम हैं कि इस संसार में जो जन्म लेता है ,उसे एक न एक दिन मरना अवश्य पड़ता है .जन्म और मृत्यु से इस जगत में कोई भी बच नहीं सका है .व्यक्ति चला जाता है ,पर समाज ,देश तथा व्यवस्था रह जाती है .जब व्यक्ति जानता है कि वह सदा नहीं रहेगा तब तो नयी पौध को अवसर देना ही उसके लिए उचित है .अधिकार और पद की लिप्सा में लिप्त रहने वाला शीघ्र ही नष्ट हो जाता है ,क्योंकि ऐसा व्यक्ति समय से जूझ नहीं पाता . जीवन का महत्व निजी से पूरी तरह मुक्त होना चाहता है ,लोक जीवन को प्राथमिकता देना है .अपने जीवन को लोकहित के लिए समर्पित करना ही जीने की सच्ची कला है ,आदर्श मानवता है .
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जवाब देंहटाएंShirish Aapna bhojan kha se prapt karta he
जवाब देंहटाएंHindi sahitye me shirish ke phole ko kese mana gya h
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