गरीब की रोटी Garib ki Roti गरीब की रोटी गरीब आदमी को रोटी चाहिए Garib ki Roti भिखारी को शाल नहीं ,रोटी चाहिए थी .आपका कीमती शाल उसके लिए रोटी से बढ़कर नहीं था .शाल देते समय आपको टोकना उचित नहीं था .इसीलिए चुप रहा .
गरीब की रोटी
Garib ki Roti
गरीब की रोटी गरीब आदमी को रोटी चाहिए Garib ki Roti - सम्राट कृष्णदेव राय सच्चे अर्थों में प्रजा पालक थे .प्रजा का दुःख उनसे देखा नहीं जाता था .एक बार वह कुछ प्रमुख दरबारियों के साथ कहीं जा रहे थे .कड़कड़ाती सर्दियों का मौसम था .हर दरबारी ऊनी वस्त्रों से लड़ा होने पर भी काँप रहा था .
गरीब की रोटी |
रास्ते में अचानक कृष्णदेव राय की दृष्टि एक अधनंगे ,कमजोर भिखारी पर पड़ी .राजपथ के एक ओर भीख का कटोरा हाथ में लिए वह ठण्ड से काँप रहा था .सम्राट ने रथ रुकवाया .नीचे उतरे और अपने शरीर से कीमती ऊनी शाल उतार कर उसे बूढ़े भिखारी को ओढ़ा दिया .सम्राट की इस उदारता को देख वहाँ एकत्र भीड़ जय - जयकार करने लगी .दरबारियों ने भी उसके साथ मिलकर सम्राट - कृष्णदेव राय की जय - जयकार की ,किन्तु तेनालीराम चुप खड़ा रहा .
उसे देखकर सेनापति को अवसर मिल गया .सम्राट के सामने ही तेनालीराम से बोला - "क्यों तेनालीराम ,तुम महाराज की जय - जयकार क्यों नहीं कर रहे हो ? क्या तुम अन्नदाता की इस उदारता से प्रसन्न नहीं हो ?"
सेनापति की इस बात को सुनकर कृष्णदेव राय का ध्यान भी शांत खड़े तेनालीराम की ओर गया .तेनालीराम की चुप्पी सम्राट को भी खली ,किन्तु उस समय वह कुछ बोले नहीं .वही से राजधानी लौट आये .रास्ते - भर सेनापति ,
तेनालीराम के विरुद्ध उनके कान भरता रहा .
अगले दिन दरबार लगा ,तो उन्होंने तेनालीराम को उसकी चुप्पी पर फटकारते हुए कहा - "तुम जरुरत से ज्यादा घमंडी होते जा रहे हो .राज - धर्म की भी अवहेलना करने लगे हो . बोलो - कल तुम चुप क्यों थे ?"
तेनालीराम कुछ नहीं बोला ,तो सम्राट और क्रोधित हो गए .आदेश दिया - " मैं तुम्हे तुम्हारे इस अपराध पर एक वर्ष के लिए विजयनगर राज्य छोड़ने का दंड देता हूँ .तुम केवल एक वस्तु अपने साथ ले जा सकते हो .बोलो ,क्या ले जाना चाहते हो ?"
सम्राट के इस आदेश को सुनकर दरबारी मन - ही मन मुस्कारने लगे . तेनालीराम ने इधर - उधर देखा .हाथ जोड़कर बोला - "अन्नदाता आपका दिया हुआ दंड भी पुरस्कार है .मुझे वह शाल दिलवा दीजिये ,जो कल आपने बूढ़े भिखारी को दिया था ."
सम्राट असमंजस में पड़ गए .भिखारी से शाल कैसे माँगा जाए ? किन्तु वह तेनालीराम को दिए दंड से जुड़ा हुआ था .उन्होंने उस भिखारी को शाल सहित दरबार में उपस्थित करने का आदेश दिया .
राज्य के सैनिक कुछ ही देर में उस भिखारी को पकड़ लाये .सम्राट ने उससे कहा - " हमने जो शाल तुम्हे कल दिया था ,वह हमें वापस कर दो .बदले में उससे भी बढ़िया दो शाल हम तुम्हे देंगे .
भिखारी बगले झाँकने लगा .फिर डरता - काँपता बोला - "हुजुर ,उसे बेचकर तो मैंने रोटी खा ली ."
सम्राट तिलमिला उठे .किन्तु भिखारी का गुस्सा कैसे उतारते ? उसे जाने को कह ,वह तेनालीराम से बोले - " अब भी बता दो ,तुम्हे कल हमारा काम पसंद क्यों नहीं आया था ,वरना ..."
तेनालीराम बीच में हाथ जोड़कर बोला - " अन्नदाता मेरी चुप्पी का उत्तर तो आपको मिल चूका है . भिखारी को शाल नहीं ,रोटी चाहिए थी .आपका कीमती शाल उसके लिए रोटी से बढ़कर नहीं था .शाल देते समय आपको टोकना उचित नहीं था .इसीलिए चुप रहा ."
अब बारी थी सम्राट कृष्णदेव राय के चुप रहने की उन्होंने क्रोध से सेनापति की ओर देखा .फिर तेनालीराम की ओर देखकर बोले - "तुम इस बार भी जीत गए तेनालीराम ."
कहानी से शिक्षा -
- गरीब आदमी को रोटी चाहिए .
- अपने सत्य बोला चाहिए ,चाहे जितना कटु हो .
Nice
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