फिल्म बनाने के तरीके सिनेमा बनाने का फार्मूला अब हर महीने सैकड़ों फिल्में बनाई जाती हैं । पहले साल में ही कुछ फिल्में रिलीज होती थी । इतनी फिल्मों का बनना अच्छी बात है । कुछ लोग कहते हैं कि ये जो हिंदी भाषा में फिल्में बनाई जाती है दरअसल वो हिंदी फिल्में नहीं होती । अगर सिनेमा बनाने का फार्मूला सिनेमा बनाने का फार्मूला भाषा को छोड़ दें तो बाकी सब गैरहिंदी ही लगती है । इनकी कहानी दुसरे फिल्मों से प्रेरित होती है ।
सिनेमा बनाने का फार्मूला
फिल्म बनाने के तरीके अब हर महीने सैकड़ों फिल्में बनाई जाती हैं ।पहले साल में ही कुछ फिल्में रिलीज होती थी । इतनी फिल्मों का बनना अच्छी बात है ।
कुछ लोग कहते हैं कि ये जो हिंदी भाषा में फिल्में बनाई जाती है दरअसल वो हिंदी फिल्में नहीं होती । अगर
सिनेमा बनाने का फार्मूला |
जिन फिल्मों से हिंदी की यह रीमेक फिल्में बनाई जाती है, उन फिल्मों का भी कुछ फार्मूला है । उसमें कुछ फार्मूला यहां परोस रहे हैं । पाठक भी फिल्म देखते वक्त मिलाकर देख सकते हैं ।
1. अगर फिल्म में हीरो की संख्या हीरोइन की संख्या से अधिक है, तब जो एक्सट्रा हीरो होते हैं फिल्म खत्म होते तक उनकी मौत हो जाती है या फिर वह किसी से बिना कुछ कहे कहीं चले जाते हैं । हिंदी तथा तमिल सिनेमा में वह स्विट्ज़रलैंड चले जाते हैं । क्योंकि लोकल फिल्मों में निर्माता के पास इतने पैसे नहीं होते इसीलिए उसे शिमला या मसूरी भेज देते हैं ।
2. अगर फिल्म में दो हीरो हैं वह कम से कम पांच मिनट एक-दुसरे के साथ फाइटिंग करते नजर आएंगे और अगर वह दो भाई से तो 10मिनट तक फाइटिंग करंगे ।
3. किसी भी कोर्ट के सीन में वकील जरुर कहेगा ऑब्जेक्शन माई लर्ड । अगर फिल्म का हीरो वकील है तो जज साहब बोलेंगे, ऑब्जेक्शन ससटेन्ड और अगर वकील हीरो न हो तो जज साहब बोलेंगे, ऑब्जेक्शन ओवररूल्ड ।
4. हीरो की बहन की शादी हमेशा ही हीरो के सबसे अच्छे दोस्त से होती है । नहीं तो सिनेमा शुरू होने के आधे घंटे बाद फिल्म का विल्लन उसके साथ बदतमीजी करेगा ।
5. हीरो अगर विल्लन के पीछे भाग रहा हो तो वह विल्लेन को जैसे भी पकडेगा चाहे हीरो बैलगाड़ी में जा रहा हो और विल्लन कार में ।
6. हीरो अगर विल्लन को गोली मारे तो उसका निशाना कभी नहीं चूकता और अगर विल्लन हीरो को गोली मारे तो उसका निशाना हमेशा ही चूकता है । अगर गोली खाने के बाद हीरो को मरना भी है तब भी वह हीरोइन से लंबीचौड़ी बातचीत के बाद ही मरता है ।
7. फाइटिंग सीन के समय पाख में मट्के का होना जरूरी है ताकि हीरो उसपर गीरे और वह टूटे ।
8. कुंभ के मेले में बिछड़े भाई अक्सर बचपन के गीत गाते-गाते मिलेंगे ।
9. कमर्शियल फिल्मों में आपको तीन तरह के इंसपेक्टर देखने को मिलेंगे ।
-बिलकुल साधु । ईमानदार । आमतौर पर हीरो या हीरो का पिता या उसका भाई इस तरह पुलिस होता है जिसकी हत्या विल्लेन के हाथों होती है । बाद में हीरो इसका बदला लेता है ।
- ईमानदार पुलिस । पूरे फिल्म में यह हीरो के पीछे पड़े होते हैं । यह इंसपेक्टर अक्सर यह कहता नजर आता है कि तुम कानून के हाथों से नहीं बच सकते । हीरो के अक्सर इसकी बहन या बेटी से प्यार हो जाता है ।
- बेईमान पुलिस इंसपेक्टर । इस तरह से पुलिस अधिकारी गुंडों के साथ मिले होते हैं । अंत में हीरो के हाथों इनकी हत्या होती है ।
10.हीरो-हीरोइन डांस करते समय उनके साथ पचास के अधिक डांसर कूद पड़ते हैं ।
11. किसी कारण अगर हीरो का दिल टूटा हो तो वह शराब जरूर पिएगा और हीरोइन का दिल टूटने पर वह तकिये के नीचे मुंह दबा कर रोती नजर आएगी ।
- मृणाल चटर्जी
अनुवाद- इतिश्री सिंह राठौर
मृणाल चटर्जी ओडिशा के जानेमाने लेखक और प्रसिद्ध व्यंग्यकार हैं । मृणाल ने अपने स्तम्भ 'जगते थिबा जेते दिन' ( संसार में रहने तक) से ओड़िया व्यंग्य लेखन क्षेत्र को एक मोड़ दिया । इनका एक नाटक संकलन प्रकाशित होने वाला है।
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