जंगल में आग फ़ैल रही है .तभी हाथियों के चिघाडते की आवाज सुनाई दी .साथ ही कुछ लोगों का शोर भी .सिगबी समझ गया कि यही आसपास शिकारी छिपे हैं .वे हाथियों तथा दूसरे जंगली पशुओं को पकड़ना चाहते हैं . तभी सिगबी की नज़र एक शिकारी पर पड़ी .शिकारी बंदूक से लैस था .सिगबी ने इधर - इधर घूमकर देखा तो उसे कुछ और शिकारी नज़र आये .भय से पशु इधर - इधर दौड़ रहे थे .
बरस पड़े बादल
असम के घने जंगलों में एक कबीला रहता था .उसका मुखिया था मोपन .उसका एक बेटा था .बेटे का नाम था सिगबी. चौदह - पन्द्रह साल का किशोर .बेहद साहसी .
सिगबी दिन भर जंगल में घूमता .ढेर सारे पशु उसके मित्र बन गए थे .उसे उन पर तीर चलाना अच्छा नहीं लगता था .पशु भी उसे अपना मित्र समझते थे .
हाथी |
एक दिन सिगबी ने देखा कि जंगल में आग फ़ैल रही है .तभी हाथियों के चिघाडते की आवाज सुनाई दी .साथ ही कुछ लोगों का शोर भी .सिगबी समझ गया कि यही आसपास शिकारी छिपे हैं .वे हाथियों तथा दूसरे जंगली पशुओं को पकड़ना चाहते हैं .
तभी सिगबी की नज़र एक शिकारी पर पड़ी .शिकारी बंदूक से लैस था .सिगबी ने इधर - इधर घूमकर देखा तो उसे कुछ और शिकारी नज़र आये .भय से पशु इधर - इधर दौड़ रहे थे .शिकारियों का ध्यान तो हाथियों पर था .वे हाथियों को एक गहरे गड्ढे की ओर खदेड़ रहे थे .सिगबी उधर बढ़ा. वह समझ गया कि शिकारी हाथियों को गड्ढे में गिराकर पकड़ना चाहते हैं .
सिगबी को शिकारियों पर क्रोध आया .वह हाथियों को बचाने का उपाय खोजने लगा ,पर अकेला क्या करता ? उसे लगा कि देवताओं को ही सहायता के लिए पुकारना चाहिए .उसने तुरंत आसमान की ओर मुँह किया .फिर उसने हवा में एक तीर छोड़ा .देखते ही तीर न जाने कहाँ हवा में खो गया .
कुछ देर बाद सिगबी ने देखा कि आसमान से एक चील नीचे उतर रही हैं .सिगबी के पास आकर चील ने कहा - "मुझे परियों ने भेजा है .तुम्हारा तीर उन तक पहुँच गया है .बताओ ,तुमने तीर क्यों छोड़ा था ?
चील को बोलते देखकर पहले तो सिगबी हैरान हुआ .फिर उसने कहा - " शायद हाथियों को पकड़ने के लिए शिकारियों ने आग लगायी है .देखो ,कैसे परेशान हैं ,सभी इधर - उधर दौड़ रहे हैं .उन्हें बचाने का कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है .सब इधर ही दौड़े चले आ रहे हैं .इधर आयेंगे ,तो गड्ढे में गिर जायेंगे .फिर शिकारी हाथियों को पकड़कर ले जायेंगे .मैं चाहता हूँ कि देवता उनकी रक्षा करें .मेरा यह सन्देश जल्दी से जल्दी उन तक पहुँचा दो .
वह कोई सामान्य चील तो थी नहीं .वह बेग से ऊपर उडी और सीधे इंद्र के दरबार में पहुँची.
परियों ने तब तक सिगबी का तीर इंद्र तक पहुँचा दिया था .इंद्र दैवी शक्ति से सब जान चुके थे .चील ने जो कुछ बतलाया ,उसे भी उन्होंने ध्यान से सुना .फिर सिगबी की उदारता और साहस की प्रशंसा करते हुए बादलों को आदेश दिया - "जाओ ,उस जंगल में बरस पड़ो,जहाँ आग लगी हुई है .
बादल जंगल पर जाकर बरस पड़े .
वर्षा हुई तो आग बुझ गयी .पशु - पक्षियों ने राहत की साँस ली .हाथी भी रुक गए और गड्ढे में गिरने से बच गए .
हाथी समझ गए कि यह सब उन्हें पकड़ने की चाल थी .वे गड्ढे के पास पहुंचे .देखते ही देखते हाथियों ने डालियाँ और पत्तियों को सूंड से खींच - खींच कर दूर फेंक दिया .तभी एक हाथी की दृष्टि बन्दूक लिए शिकारियों पर पड़ गयी .फिर क्या था ? सभी हाथी उस ओर दौड़ पड़े .
शिकारी अब खुद शिकार होने जा रहे थे .हाथियों को अपनी ओर आते देख ,शिकारी बुरी तरह घबरा गए .अपने हथियारों को फेंककर पागलों की तरह भागने लगे .वन में हाथियों के भारी पैरों की आवाज और चिंघाड़ गूँज रही थी .शिकारी भागे जा रहे थे .
आखिर जैसे - तैसे शिकारी पहाड़ी पर चढ़ गए .प्राण प्राण बचाने की भाग दौड़ में सभी घायल हो रहे थे .लालची शिकारियों की बुरी दशा देखकर ,सिगबी बहुत खुश हुआ .उसे विश्वास हो गया कि अब वे भूलकर भी वन की तरफ नहीं आयेंगे .
सिगबी ने मन ही मन देवराज इंद्र और परियों को धन्यवाद दिया .कुछ ही देर बाद हाथियों का क्रोध शांत हो गया .वे चुपचाप जंगल में वापस चले गए .शिकारियों की टोली भी डरती - कांपती जंगल से बाहर चली गयी .
सिगबी यह देखकर बहुत खुश हुआ .उधर हाथी पहाड़ी के नीचे सूंड उठाकर ख़ुशी से चिंघाड़ रहे थे .
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