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महाशिवरात्रि
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महाशिवरात्रि , हिन्दुओं का एक प्रमुख त्यौहार है। यह भगवान शिव का प्रमुख पर्व है।फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को
भगवान् शिवजी |
महाशिवरात्रि 2019 शुभ मुहूर्त की तिथि Mahashivratri Timings And Puja Vidhi -
महाशिवरात्रि 4 मार्च की पड़ रही है. इस शुभ अवसर पर पारण का समय सुबह 07:04 से दोपहर 15:20 तक रहेगा.
घर पर कैसे करें शिवरात्रि का पूजन जानें सरलतम विधि -
फाल्गुन मास के व्रत और त्यौहार दूसरे दिन प्रातःकाल स्नान और संध्या बंदन के पश्चात् हवन करके ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देकर और भोजन कराकर स्वयं भी भोजन करना चाहिए।
महाशिवरात्रि पूजा मंत्र, MahaShivratri Puja Mantra in Hindi -
शिवरात्रि को शिवजी की पूजा में गंगा जल, बिल्वपत्र, पुष्प (यदि उपलब्ध हों तो पीले कनेर पुष्प भी) रोली, मोली, अक्षत (चावल), ताम्बूल (पान), पुंगीफल (सुपारी), धतूरे के फल, आक के फल, पुष्प, पत्र, चन्दन, इलायची, दूध, लौंग, घी, शहद, चीनी, कमलगट्टा, प्रसाद-भोग इत्यादि का प्रयोग करना चाहिए।
‘शिव चालीसा' तथा 'शिव सहस्रानाम' का पाठ करना चाहिए।ॐ नमो शिवाय तथा ॐ महेश्वराय नमः जैसे दिव्य शिव मंत्रों का अधिकाधिक जप करें। पाठ और जप के पश्चात शंकरजी पर घुटी-पिसी भांग चढ़ाई जाती है। शेष भाग को शिवजी के प्रसाद के रूप शिव भक्तों एवं परिवार के सदस्यों को देकर स्वयं भी पान करें। जिन परिवारों में पुत्र का जन्म अथवा लड़के का विवाह होता है, उनके द्वारा शिवजी पर पानी का घड़ा (जेअर) भी चढ़ाई जाती है।
महाशिवरात्रि व्रत विधि -
शिवरात्रि का व्रत निर्जल रहने का विधान नहीं, शाम को एक बार फलाहार किया जाता है। एकादशियों के समान ही इस व्रत में भी नमक और अन्न का सेवन न करें, केवल फलाहार करें।रात्रि में जागरण तथा शिवजी के भजनों का गायन-वादन भी प्राय: प्रत्येक मन्दिर में होता है।यदि रात्रि में नींद सताये तो भगवान् की प्रतिमा के समीप ही शयन करें। इस व्रत के दिन चारपाई पर बैठने तथा सोने का निषेध है।गंगाजी से पैदल गंगा जल की कांवरे लाकर भी विभिन्न शिव मंदिरों में आज के दिन शिव जी पर चढ़ाई जाती है .
भगवान शिव की आरती
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।
भगवान् शिवजी |
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥
अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥
कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी।
सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा।
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥
पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥
जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥
काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
Jo stri ball bache vali hai usey vart Kase rakhna
जवाब देंहटाएंChahey