एक उचक्के का रोमांच

SHARE:

एक उचक्के का रोमांच महत्त्वपूर्ण बात तत्काल गिरफ़्तार न होना थी । जिम एक दरवाज़े की ओट में छिप गया और उसका पीछा करने वाले पुलिसवाले लगभग उससे आगे निकल गए । लेकिन फिर अचानक उसने गली में उनके क़दमों के लौटने की आवाज़ सुनी । वह तेज़ी से कूदता हुआ भागा ।

एक उचक्के का रोमांच


महत्त्वपूर्ण बात तत्काल गिरफ़्तार न होना थी । जिम एक दरवाज़े की ओट में छिप गया और उसका पीछा करने वाले पुलिसवाले लगभग उससे आगे निकल गए । लेकिन फिर अचानक उसने गली में उनके क़दमों के लौटने की आवाज़ सुनी । वह तेज़ी से कूदता हुआ भागा ।
“ रुको , वर्ना हम तुम्हें गोली मार देंगे , जिम ! “ हाँ , हाँ , मारो गोली ! उसने सोचा और तब तक वह उनकी प्रहार सीमा से दूर जा चुका था । उसके क़दम उसे पुराने शहर की ढलान वाली गलियों के बीच से तेज़ी से भगाए लिए जा रहे थे । फ़व्वारे के ऊपर वह सीढ़ियों की रेलिंग पर से कूदा । फिर वह मेहराब के नीचे था जहाँ उसके क़दमों की आवाज़ गूँजने लगी ।
उसे ज़हन में जिन सभी लोगों के नाम याद आए उनके यहाँ इस समय जाना ठीक नहीं था । लोला , नहीं । निल्दे ,
उचक्के
उचक्के
नहीं । रेनी , नहीं । ये पुलिसवाले उसे ढूँढ़ते हुए जल्दी ही इन सब लोगों के घरों के दरवाज़े खटखटाने पहुँच जाएँगे । यह एक मृदुल-सी रात थी और आकाश में ऐसे फीके-से बादल थे जैसे दिन में नहीं दिखते थे । बादल , जो गली के ऊपर स्थित मेहराब के भी बहुत ऊपर थे ।
नए शहर की चौड़ी सड़कों के पास पहुँचने पर मारियो अल्बानेसी उर्फ़ जिम बोलेरो ने अपनी चाल थोड़ी धीमी की और अपने माथे पर गिर आई बालों की लटों को अपने कानों के पीछे किया । कहीं किसी के क़दमों की कोई आवाज़ नहीं आ रही थी । दृढ़ता और सावधानी से उसने सड़क पार की और आर्मांडा के मकान के दरवाज़े पर दस्तक दी । रात के इस पहर वह आम तौर पर अकेली होती थी । इस समय तो वह सो रही होगी । इस बार उसने ज़ोर से दरवाज़ा खटखटाया ।
“ कौन है ? “ एक पल के बाद झल्लाए हुए एक पुरुष स्वर ने पूछा । “ इस समय रात को सब सोना चाहते हैं ... । “ वह लिलिन था ।
“ एक मिनट दरवाज़ा खोलना , आर्मांडा । मैं हूँ , जिम , “ उसने कहा ।
आर्मांडा ने बिस्तर पर करवट बदली । “ अरे , लड़के । एक मिनट । मैं दरवाज़ा खोलती हूँ ... ओह , तो तुम हो , जिम । “ उसने बिस्तर के पास बँधी रस्सी को पकड़ कर खींचा । आज्ञा का पालन करते हुए बाहरी दरवाज़ा खुल गया । अपने दोनों हाथ जेबों में रखे हुए जिम गलियारे में से चलता हुआ शयन-कक्ष में आ गया । चादरों के बीच आर्मांडा अपने बड़े बिस्तर पर अपनी विशाल काया को फैलाए लेटी थी । बिना बनाव-श्रृंगार के तकिए पर पड़ा उसका चेहरा ढीला और झुर्रियों से भरा हुआ था । बिस्तर के दूसरे कोने में उसका पति लिलिन लेटा हुआ था । ऐसा लग रहा था जैसे वह अपना छोटा-सा नीला चेहरा तकिए में घुसा लेना चाहता था ताकि वह अपनी बाधित नींद को पूरा कर सके ।
लिलिन को तब तक प्रतीक्षा करनी पड़ती है जब तक अंतिम ग्राहक निपट नहीं जाता । फिर वह बिस्तर पर लेट कर अपने आलस-भरे दिन में एकत्र हो गई थकान को दूर करने के लिए निद्रा की आग़ोश में जा सकता है । क्या करना है और कैसे करना है , इसके बारे में लिलिन कुछ नहीं जानता है । यदि उसके पास पर्याप्त संख्या में सिगरेट हो , तो वह संतुष्ट रहता है । आर्मांडा को लिलिन पर ज़्यादा रक़म ख़र्च नहीं करनी पड़ती । लिलिन दिन भर में जितनी सिगरेट पीता है , बस उतने का ही ख़र्च आर्मांडा वहन करती है । रोज़ सुबह वह अपना सिगरेट पैकेट ले कर बाहर निकल जाता है । वह थोड़ी देर के लिए कभी मोची के पास बैठता है , कभी कबाड़ीवाले के पास तो कभी नलसाज़ के पास । उन सभी दुकानों के स्टूल पर बैठकर वह एक-के-बाद-एक सिगरेट पीता रहता है । उसके हाथ उसके घुटनों पर होते हैं , उसका चेहरा पीला होता है और उसकी दृष्टि तन्द्रालु होती है । वह किसी जासूस की तरह सबकी बातें सुनता है पर खुद कभी-कभार ही कोई संक्षिप्त
टिप्पणी करता है या अप्रत्याशित कुटिल मुस्कान देता है ।
शाम के समय जब अंतिम दुकान भी बंद हो जाती है , वह शराब के ठेके पर जाता है और लगभग एक लीटर दारू से अपना गला तर करता है । फिर वह वहीं बैठ कर तब तक अपनी बाक़ी बची सारी सिगरेटों को फूँकता है जब तक कि दारू के ठेके के बंद हो जाने का समय भी नहीं हो जाता । जब वह वहाँ से बाहर आता है , तब भी उसकी बीवी कोर्सो के इलाक़े में अपने छोटे परिधान , सूजे हुए पैरों और तंग जूतों में अपने नियमित गश्त पर होती है । लिलिन गली के एक कोने के पास प्रकट होता है , एक धीमी सीटी बजाता है और अपनी पत्नी को यह बताने के लिए कुछ शब्द बुदबुदाता है कि अब देर हो गई है और घर का बिस्तर उसकी प्रतीक्षा कर रहा है । लेकिन वह अपने पति की ओर नहीं देखती । वह फ़ुटपाथ पर ऐसे खड़ी है जैसे वह किसी मंच पर खड़ी हो । उसके उरोज तार वाली लचीली अंगिया में दबे हुए हैं । ऐसा लगता है जैसे उसकी अधेड़ देह किसी छोटी उम्र की लड़की के कपड़ों में घुसी हुई है । वह अपने पर्स को अपने हाथों में अधीरता से झटक रही है । वह अपनी सैंडल की एड़ी से फ़ुटपाथ पर दायरे बना रही है । अचानक वह गुनगुनाने लगती है । ऐसी अवस्था में वह अपने पति को मना करते हुए कहती है कि अभी भी वहाँ काफ़ी चहल-पहल है । इसलिए उसे घर जा कर आर्मांडा के आने की प्रतीक्षा करनी चाहिए । हर रात वे दोनों इसी तरह एक-दूसरे से प्रेम जताते
हैं ।
“ तो कैसे आना हुआ , जिम ? “ आर्मांडा की आँखों में हैरानी का भाव है । जिम को पहले ही छोटी मेज पर पड़ा सिगरेट-पैकेट दिख गया है और उसने उसमें से एक सिगरेट ले कर जला ली है ।
“ मुझे आज की रात यहाँ बितानी है । “
“ ठीक है , जिम । बिस्तर पर आ जाओ । लिलिन प्यारे , तुम सोफ़े पर चले जाओ । उठो , जिम को बिस्तर पर आने दो । “
लिलिन पत्थर की तरह वहीं पड़ा रहता है । फिर शिकायत भरी आवाज में अस्प्षट-सा कुछ बुदबुदाते हुए वह किसी तरह उठता है , बिस्तर से उतरता है , अपना तकिया , कम्बल और मेज पर रखा सिगरेट पैकेट उठाता है ।
“ बढ़िया , लिलिन प्यारे , चलो , शाबाश ! “
वह झुका हुआ है और और बहुत छोटा लग रहा है । इन सभी चीज़ों के भार तले दबा हुआ वह गलियारे में रखे सोफ़े की ओर चला जाता है ।
अपने कपड़े उतारते हुए जिम सिगरेट के कश लेता रहता है । वह अपनी पतलून को ध्यान से मोड़ कर हैंगर पर टाँग देता है । फिर वह अपनी जैकेट को भी बिस्तर के सिरहाने के पास रखी हुई कुर्सी पर व्यवस्थित रूप से रख देता है । इसके बाद वह एक और सिगरेट पैकेट , माचिस और ऐश-ट्रे दूसरी जगह से उठा कर अपनी पास वाली छोटी मेज पर ले आता है और खुद बिस्तर पर लेट जाता है । आर्मांडा कमरे की बत्ती बुझाकर एक ठंडी साँस लेती है । लिलिन गलियारे में पड़े सोफ़े पर सो गया है । आर्मांडा करवट बदलती है। जिम अपनी सिगरेट बुझा देता है । तभी दरवाज़े पर दस्तक होती है ।
जिम का हाथ जैकेट की जेब में रखी रिवाल्वर पर चला जाता है । अपने दूसरे हाथ से उसने आर्मांडा की कोहनी पकड़ी हुई है ।वह फुसफुसा कर आर्मांडा से सावधान रहने के लिए कहता है । आर्मांडा की बाँह मोटी और कोमल है और कुछ पल वे दोनों उसी अवस्था में रहते हैं ।
“ कौन है , पूछो लिलिन , “ आर्मांडा धीमी आवाज़ में कहती है ।
गलियारे में सोफ़े पर लेटा लिलिन व्यग्र हो कर झुँझलाता है और अशिष्टता से पूछता है “ कौन है , बे ? “
“ अरे , अर्मांडा ! मैं हूँ , एंजेलो । “
“ एंजेलो कौन ? “
“ पुलिस का सार्जेंट , एंजेलो । मैं इधर से गुज़र रहा था तो सोचा , तुमसे मिलता चलूँ । क्या तुम एक मिनट के लिए दरवाज़ा खोलोगी ? “
जिम बिस्तर से नीचे उतर आता है और आर्मांडा से चुप रहने का इशारा करता है । वह गुसलखाने का दरवाज़ा खोल कर अंदर झाँकता है और फिर जिस कुर्सी पर उसके कपड़े पड़े हैं , वह कुर्सी ले कर वह गुसलखाने में चला जाता है ।
“ मुझे किसी ने यहाँ आते हुए नहीं देखा है । जल्दी से उसे यहाँ से भगाओ । “ जिम मृदु आवाज़ में कहता है और गुसलखाने में जाकर दरवाज़ा भीतर से बंद कर लेता है ।
“ प्यारे लिलिन , बिस्तर पर आ जाओ । चलो , लिलिन । “ बिस्तर पर लेटे-लेटे आर्मांडा दोबारा कमरे की व्यवस्था सुनिश्चित करने लगती है ।
“ आर्मांडा , तुम मुझे बाहर ही प्रतीक्षा करवा रही हो , “ दरवाज़े के बाहर खड़ा पुलिस सार्जेंट बोलता है ।
लिलिन शांत भाव से सोफ़े पर से उठता है , अपना तकिया , कम्बल , सिगरेट-पैकेट , माचिस और ऐश-ट्रे उठा
सुशांत सुप्रिय
सुशांत सुप्रिय
कर बिस्तर पर आ जाता है । बिस्तर पर लेट कर वह ओढ़ने वाली चादर से अपनी आँखें ढँक लेता है । आर्मांडा रस्सी पकड़ कर खींचती है और बाहर का दरवाज़ा खुल जाता है ।
सार्जेंट सोड्डू भीतर आता है । वह पुलिस की वर्दी में नहीं है और उसके बूढ़े चेहरे पर अस्त-व्यस्तता
का भाव है । उसका चेहरा मोटा है और मूँछें सफ़ेद हैं ।
“ सार्जेंट , आप देर रात तक काम पर हैं , “ आर्मांडा कहती है ।
“ अरे , मैं तो टहलने निकला था , “ सोड्डू कहता है , “ और मैंने सोचा कि तुमसे मिलता
चलूँ । “
“ आप क्या चाहते हैं ? “
सोड्डू बिस्तर के सिरहाने के पास रुमाल से अपने माथे का पसीना पोंछ रहा था ।
“ कुछ नहीं , बस तुमसे मिलने चला आया । और नया क्या चल रहा है ? “
“ नया कैसा ? “
“ संयोग से कहीं तुमने अल्बानेसी को देखा है क्या ? “
“ जिम ? अब उसने क्या किया है ? “
“ कुछ नहीं । बच्चों वाली हरकतें ... हम उससे कुछ पूछताछ करना चाहते थे । क्या तुमने उसे देखा है ? “
“ तीन दिन पहले । “
“ मेरा मतलब आज और अभी से है । “
“ मैं तो पिछले दो घंटे से सो रही थी , सार्जेंट । आप मुझसे यह सब क्यों पूछ रहे हैं ? उसकी प्रेमिकाओं रोज़ी , निल्दे , लोला वग़ैरह के पास जाइए और उनसे पूछिए ... । “
“ कोई फ़ायदा नहीं । जब वह कुछ गड़बड़ करता है और मुसीबत में होता है तब उन सबसे दूर रहता है । “
“ वह यहाँ नहीं आया है । शायद अगली बार , सार्जेंट । “
“ ख़ैर , आर्मांडा । मैं तो वैसे ही पूछ रहा था । जो भी हो , तुम से मिल कर अच्छा लगा । “
“ शुभ रात्रि , सार्जेंट । “
“ शुभ रात्रि । “
सोड्डू मुड़ा लेकिन दरवाज़े की ओर नहीं गया ।
“ मैं सोच रहा था ... अब तो लगभग सुबह होने वाली है , और मुझे अब गश्त भी नहीं लगानी । मैं अपने कमरे के बिस्तर पर वापस नहीं लौटना चाहता । अब जब मैं यहाँ आ ही गया हूँ तो क्यों न आज यहीं रुक जाऊँ । तुम क्या कहती हो , आर्मांडा । अब मेरे लिए थोड़ी जगह बनाओ । “
“ ठीक है । लिलिन सोफ़े पर चला जाएगा । लिलिन प्यारे , उठो , सोफ़े पर जाओ । “
लिलिन अपने लम्बे हाथों से चीज़ें टटोलने लगा । उसने मेज से सिगरेट पैकेट लिया और भुनभुनाता हुआ किसी तरह उठा । बिस्तर से नीचे उतर कर उसने लगभग बिना अपनी आँखें खोले अपना तकिया , कम्बल , माचिस उठाया । “ चलो , प्यारे लिलिन । “ वह हॉल में अपने पीछे कंबल घसीटता हुआ गलियारे में रखे सोफ़े की ओर चला गया । सोड्डू बिस्तर पर चादरों के भीतर घुस गया ।
उधर गुसलखाने में छिपा हुआ जिम गुसलखाने की खिड़की से आकाश को गहरे हरे रंग में बदलते हुए देख रहा था । मुश्किल यह थी कि वह अपना सिगरेट-पैकेट शयन-कक्ष की मेज पर ही छोड़ आया था । और अब वह पुलिस सार्जेंट उसी कमरे के बिस्तर पर जा लेटा था । इसके कारण जिम को सुबह होने तक बिना सिगरेट के वहीं छिपे रहना पड़ सकता था — कमोड वाले उस छोटे-से गुसलखाने में जहाँ टैल्कम पाउडर के बहुत सारे डिब्बे पड़े थे । उसने चुपचाप दोबारा अपने कपड़े पहन लिए थे , कंघी से अपने बाल सँवारे थे और वाश-बेसिन के आईने में अपने हुलिये पर निगाह डाली थी । वहाँ ताक पर इत्र और आँखों की दवाई की शीशियों के साथ कई अन्य दवाइयाँ और कीटनाशक मौजूद थे । खिड़की से आती रोशनी में उसने कई शीशियों पर लिखे दवाइयों के नाम पढ़े , एक शीशी में से कुछ दवाइयाँ चुरा कर जेब में रख लीं और गुसलखाने में चारों ओर देखना जारी रखा । वहाँ ढूँढ़ने के लिए ज़्यादा कुछ नहीं था । कुछ कपड़े टब में पड़े थे , कुछ खूँटी पर लटके हुए थे । उसने वाश-बेसिन के नल की जाँच की — आवाज़ के साथ पानी बाहर आया । यदि सोड्डू ने सुन लिया तो ? भाड़ में जाएँ सोड्डू और जेल का भय ।
जिम ऊब महसूस कर रहा था । उसने कुछ इत्र अपने जैकेट पर छिड़का और बालों में ब्रिलियंटाइन लगाया । सच यह था कि यदि वे उसे आज गिरफ़्तार नहीं कर पाए तो कल कर लेंगे । लेकिन वे उसे रंगे हाथों नहीं पकड़ पाए थे । इसलिए यदि सब ठीक रहा तो अंत में वे उसे छोड़ देंगे । उस ‘ आरामदेह कमरे ‘ में बिना सिगरेट के अगले दो-तीन घंटे बिताना तो यातनादायक था । घबराने की क्या बात है — उसने सोचा । ज़ाहिर है , बिना किसी सबूत के उन्हें उसे जल्दी ही छोड़ देना पड़ेगा । उसने गुसलखाने में मौजूद एक अल्मारी खोली । अल्मारी खुलते समय पल्लों के चरमराने की आवाज़ आई । भाड़ में जाए अल्मारी और सब कुछ । अल्मारी में आर्मांडा के कपड़े लटके हुए थे । जिम ने अपना रिवाल्वर निकाल कर आर्मांडा के एक चमड़े के जैकेट की जेब में डाल दिया । मैं बाद में वापस आ कर अपना रिवाल्वर ले जाऊँगा , उसने सोचा । वैसे भी आर्मांडा को अगली सर्दियों तक इस जैकेट की ज़रूरत नहीं पड़ेगी । उसने जब जैकेट की जेब से अपने हाथ बाहर निकाले तो पाया कि उसके हाथ में नैप्थलीन की गोलियों का सफ़ेद रंग लग गया था । बढ़िया है , वह हँसा । अब उसकी रिवाल्वर को कीड़े नहीं खा पाएँगे । उसने अपने हाथ दोबारा धोए लेकिन आर्मांडा का गंदा तौलिया उसे उबकाई दिला रहा था । इसलिए उसने अपने गीले हाथ अल्मारी में टाँगे एक वस्त्र से पोंछ लिए ।
बिस्तर पर लेटे हुए सोड्डू ने गुसलखाने से आती आवाज़ें सुनी थीं । उसने आर्मांडा पर अपना एक हाथ रखते हुए पूछा , “ वहाँ अंदर कौन है ? “
आर्मांडा उसकी ओर मुड़ी और अपनी नरम बाँह उसके गले के गिर्द डालती हुई बोली , “ कोई नहीं ... वहाँ कौन हो सकता है ...? “
सोड्डू खुद को आर्मांडा की पकड़ से छुड़ाना नहीं चाहता था लेकिन उसे गुसलखाने में किसी के चलने-फिरने की आवाज़ें दोबारा सुनाई दीं । उसने फिर पूछा , “ वहाँ क्या हो रहा है ? कौन है वहाँ ? “
जिम गुसलखाने का दरवाज़ा खोलकर शयन-कक्ष में आ गया । “ चलो सार्जेंट , बेवक़ूफ़ों जैसा व्यवहार मत करो । मुझे गिरफ़्तार कर लो । “
सोड्डू ने अपना एक हाथ कुर्सी पर रखे जैकेट की जेब में डाल कर रिवाल्वर पकड़ लिया । लेकिन उसने खुद को आर्मांडा के आलिंगन से नहीं छुड़ाया ।
“ कौन हो तुम ? “
“ जिम बोलेरो । “
“ ख़बरदार ! अपने दोनों हाथ ऊपर करो । “
“ मेरे पास हथियार नहीं है , सार्जेंट । मूर्खता मत करो । मैं खुद को क़ानून के हवाले कर रहा
हूँ । “
अब वह बिस्तर के सिरहाने के पास खड़ा था । उसका जैकेट उसके कंधों पर पड़ा था और उसके दोनों हाथ आधे उठे हुए थे ।
“ अरे , जिम ! यह क्या ! “ आर्मांडा ने कहा ।
“ मैं कुछ दिनों के बाद तुमसे मिलने आऊँगा , आर्मांडा । “ जिम ने कहा ।
सोड्डू कुछ बुदबुदाता हुआ बिस्तर से उठ कर खड़ा हो गया । उसने फटाफट अपनी पतलून पहनी ।
“ क्या वाहियात नौकरी है ... कभी पल भर का भी चैन नहीं है ...। “
जिम ने मेज पर से एक सिगरेट उठा कर जला ली और सिगरेट-पैकेट को अपनी जैकेट की जेब में डाल लिया ।
“ मुझे भी एक सिगरेट दो , जिम , “ आर्मांडा बोली । यह कहते हुए वह अपने ढीले उरोज उठाए हुए जिम की ओर झुकी ।
जिम ने आर्मांडा के होंठों के बीच एक सिगरेट फँसाई और जला दी । फिर उसने जैकेट पहनने में सोड्डू की मदद करते हुए कहा , “ अब चलते हैं , सार्जेंट । “
“ फिर कभी , आर्मांडा , “ सोड्डू बोला ।
“ फिर मिलते हैं , एंजेलो , “ उसने कहा ।
“ फिर मिलें , आर्मांडा ? “ सोड्डू ने दोबारा कहा ।
“ विदा , जिम । “
वे दोनों बाहर की ओर चले गए । गलियारे में लिलिन टूटे हुए सोफ़े के किनारे पर लटका हुआ सो रहा था । वह हिला तक नहीं । अपने बड़े बिस्तर पर बैठी आर्मांडा सिगरेट पी रही थी । उसने कमरे की बत्ती बुझा दी क्योंकि अब बाहर से एक धूसर रोशनी पहले से ही कमरे में आ रही थी ।
“ लिलिन , “ उसने पुकारा । “ चलो , लिलिन । वापस बिस्तर पर आ जाओ । चलो , लिलिन प्यारे । “
लिलिन पहले से ही अपना तकिया , ऐश-ट्रे वग़ैरह उठा रहा था ।
( 1949 )

——————0——————
—— मूल कथा : इतैलो कैल्विनो
—- अनुवाद : सुशांत सुप्रिय




प्रेषक : सुशांत सुप्रिय
A-5001 ,
गौड़ ग्रीन सिटी ,
वैभव खंड ,
इंदिरापुरम् ,
ग़ाज़ियाबाद -201014
( उ. प्र. )
मो : 8512070086
ई-मेल : sushant1968@gmail.com

——————0——————



COMMENTS

Leave a Reply
नाम

अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोश,3,अकबर इलाहाबादी,11,अकबर बीरबल के किस्से,62,अज्ञेय,37,अटल बिहारी वाजपेयी,1,अदम गोंडवी,3,अनंतमूर्ति,3,अनौपचारिक पत्र,16,अन्तोन चेख़व,2,अमीर खुसरो,7,अमृत राय,1,अमृतलाल नागर,1,अमृता प्रीतम,5,अयोध्यासिंह उपाध्याय "हरिऔध",7,अली सरदार जाफ़री,3,अष्टछाप,4,असगर वज़ाहत,11,आनंदमठ,4,आरती,11,आर्थिक लेख,8,आषाढ़ का एक दिन,22,इक़बाल,2,इब्ने इंशा,27,इस्मत चुगताई,3,उपेन्द्रनाथ अश्क,1,उर्दू साहित्‍य,179,उर्दू हिंदी शब्दकोश,1,उषा प्रियंवदा,5,एकांकी संचय,7,औपचारिक पत्र,32,कक्षा 10 हिन्दी स्पर्श भाग 2,17,कबीर के दोहे,19,कबीर के पद,1,कबीरदास,19,कमलेश्वर,7,कविता,1474,कहानी लेखन हिंदी,17,कहानी सुनो,2,काका हाथरसी,4,कामायनी,6,काव्य मंजरी,11,काव्यशास्त्र,38,काशीनाथ सिंह,1,कुंज वीथि,12,कुँवर नारायण,1,कुबेरनाथ राय,2,कुर्रतुल-ऐन-हैदर,1,कृष्णा सोबती,2,केदारनाथ अग्रवाल,4,केशवदास,6,कैफ़ी आज़मी,4,क्षेत्रपाल शर्मा,52,खलील जिब्रान,3,ग़ज़ल,139,गजानन माधव "मुक्तिबोध",15,गीतांजलि,1,गोदान,7,गोपाल सिंह नेपाली,1,गोपालदास नीरज,10,गोरख पाण्डेय,3,गोरा,2,घनानंद,3,चन्द्रधर शर्मा गुलेरी,6,चमरासुर उपन्यास,7,चाणक्य नीति,5,चित्र शृंखला,1,चुटकुले जोक्स,15,छायावाद,6,जगदीश्वर चतुर्वेदी,17,जयशंकर प्रसाद,35,जातक कथाएँ,10,जीवन परिचय,76,ज़ेन कहानियाँ,2,जैनेन्द्र कुमार,6,जोश मलीहाबादी,2,ज़ौक़,4,तुलसीदास,28,तेलानीराम के किस्से,7,त्रिलोचन,4,दाग़ देहलवी,5,दादी माँ की कहानियाँ,1,दुष्यंत कुमार,7,देव,1,देवी नागरानी,23,धर्मवीर भारती,10,नज़ीर अकबराबादी,3,नव कहानी,2,नवगीत,1,नागार्जुन,25,नाटक,1,निराला,39,निर्मल वर्मा,4,निर्मला,42,नेत्रा देशपाण्डेय,3,पंचतंत्र की कहानियां,42,पत्र लेखन,202,परशुराम की प्रतीक्षा,3,पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र',4,पाण्डेय बेचन शर्मा,1,पुस्तक समीक्षा,139,प्रयोजनमूलक हिंदी,38,प्रेमचंद,47,प्रेमचंद की कहानियाँ,91,प्रेरक कहानी,16,फणीश्वर नाथ रेणु,4,फ़िराक़ गोरखपुरी,9,फ़ैज़ अहमद फ़ैज़,24,बच्चों की कहानियां,88,बदीउज़्ज़माँ,1,बहादुर शाह ज़फ़र,6,बाल कहानियाँ,14,बाल दिवस,3,बालकृष्ण शर्मा 'नवीन',1,बिहारी,8,बैताल पचीसी,2,बोधिसत्व,9,भक्ति साहित्य,143,भगवतीचरण वर्मा,7,भवानीप्रसाद मिश्र,3,भारतीय कहानियाँ,61,भारतीय व्यंग्य चित्रकार,7,भारतीय शिक्षा का इतिहास,3,भारतेन्दु हरिश्चन्द्र,10,भाषा विज्ञान,17,भीष्म साहनी,7,भैरव प्रसाद गुप्त,2,मंगल ज्ञानानुभाव,22,मजरूह सुल्तानपुरी,1,मधुशाला,7,मनोज सिंह,16,मन्नू भंडारी,10,मलिक मुहम्मद जायसी,9,महादेवी वर्मा,20,महावीरप्रसाद द्विवेदी,3,महीप सिंह,1,महेंद्र भटनागर,73,माखनलाल चतुर्वेदी,3,मिर्ज़ा गालिब,39,मीर तक़ी 'मीर',20,मीरा बाई के पद,22,मुल्ला नसरुद्दीन,6,मुहावरे,4,मैथिलीशरण गुप्त,14,मैला आँचल,8,मोहन राकेश,15,यशपाल,15,रंगराज अयंगर,43,रघुवीर सहाय,6,रणजीत कुमार,29,रवीन्द्रनाथ ठाकुर,22,रसखान,11,रांगेय राघव,2,राजकमल चौधरी,1,राजनीतिक लेख,21,राजभाषा हिंदी,66,राजिन्दर सिंह बेदी,1,राजीव कुमार थेपड़ा,4,रामचंद्र शुक्ल,3,रामधारी सिंह दिनकर,25,रामप्रसाद 'बिस्मिल',1,रामविलास शर्मा,9,राही मासूम रजा,8,राहुल सांकृत्यायन,2,रीतिकाल,3,रैदास,4,लघु कथा,124,लोकगीत,1,वरदान,11,विचार मंथन,60,विज्ञान,1,विदेशी कहानियाँ,34,विद्यापति,8,विविध जानकारी,1,विष्णु प्रभाकर,1,वृंदावनलाल वर्मा,1,वैज्ञानिक लेख,8,शमशेर बहादुर सिंह,6,शमोएल अहमद,5,शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय,1,शरद जोशी,3,शिक्षाशास्त्र,6,शिवमंगल सिंह सुमन,6,शुभकामना,1,शेख चिल्ली की कहानी,1,शैक्षणिक लेख,57,शैलेश मटियानी,2,श्यामसुन्दर दास,1,श्रीकांत वर्मा,1,श्रीलाल शुक्ल,4,संयुक्त राष्ट्र संघ,1,संस्मरण,33,सआदत हसन मंटो,10,सतरंगी बातें,33,सन्देश,44,समसामयिक हिंदी लेख,269,समीक्षा,1,सर्वेश्वरदयाल सक्सेना,19,सारा आकाश,20,साहित्य सागर,22,साहित्यिक लेख,86,साहिर लुधियानवी,5,सिंह और सियार,1,सुदर्शन,3,सुदामा पाण्डेय "धूमिल",10,सुभद्राकुमारी चौहान,7,सुमित्रानंदन पन्त,23,सूरदास,16,सूरदास के पद,21,स्त्री विमर्श,11,हजारी प्रसाद द्विवेदी,4,हरिवंशराय बच्चन,28,हरिशंकर परसाई,24,हिंदी कथाकार,12,हिंदी निबंध,431,हिंदी लेख,531,हिंदी व्यंग्य लेख,14,हिंदी समाचार,182,हिंदीकुंज सहयोग,1,हिन्दी,7,हिन्दी टूल,4,हिन्दी आलोचक,7,हिन्दी कहानी,32,हिन्दी गद्यकार,4,हिन्दी दिवस,91,हिन्दी वर्णमाला,3,हिन्दी व्याकरण,45,हिन्दी संख्याएँ,1,हिन्दी साहित्य,9,हिन्दी साहित्य का इतिहास,21,हिन्दीकुंज विडियो,11,aapka-banti-mannu-bhandari,6,aaroh bhag 2,14,astrology,1,Attaullah Khan,2,baccho ke liye hindi kavita,70,Beauty Tips Hindi,3,bhasha-vigyan,1,chitra-varnan-hindi,3,Class 10 Hindi Kritika कृतिका Bhag 2,5,Class 11 Hindi Antral NCERT Solution,3,Class 9 Hindi Kshitij क्षितिज भाग 1,17,Class 9 Hindi Sparsh,15,English Grammar in Hindi,3,formal-letter-in-hindi-format,143,Godan by Premchand,11,hindi ebooks,5,Hindi Ekanki,20,hindi essay,423,hindi grammar,52,Hindi Sahitya Ka Itihas,105,hindi stories,679,hindi-bal-ram-katha,12,hindi-gadya-sahitya,8,hindi-kavita-ki-vyakhya,19,hindi-notes-university-exams,65,ICSE Hindi Gadya Sankalan,11,icse-bhasha-sanchay-8-solutions,18,informal-letter-in-hindi-format,59,jyotish-astrology,22,kavyagat-visheshta,25,Kshitij Bhag 2,10,lok-sabha-in-hindi,18,love-letter-hindi,3,mb,72,motivational books,11,naya raasta icse,9,NCERT Class 10 Hindi Sanchayan संचयन Bhag 2,3,NCERT Class 11 Hindi Aroh आरोह भाग-1,20,ncert class 6 hindi vasant bhag 1,14,NCERT Class 9 Hindi Kritika कृतिका Bhag 1,5,NCERT Hindi Rimjhim Class 2,13,NCERT Rimjhim Class 4,14,ncert rimjhim class 5,19,NCERT Solutions Class 7 Hindi Durva,12,NCERT Solutions Class 8 Hindi Durva,17,NCERT Solutions for Class 11 Hindi Vitan वितान भाग 1,3,NCERT Solutions for class 12 Humanities Hindi Antral Bhag 2,4,NCERT Solutions Hindi Class 11 Antra Bhag 1,19,NCERT Vasant Bhag 3 For Class 8,12,NCERT/CBSE Class 9 Hindi book Sanchayan,6,Nootan Gunjan Hindi Pathmala Class 8,18,Notifications,5,nutan-gunjan-hindi-pathmala-6-solutions,17,nutan-gunjan-hindi-pathmala-7-solutions,18,political-science-notes-hindi,1,question paper,19,quizzes,8,raag-darbari-shrilal-shukla,7,Rimjhim Class 3,14,samvad-lekhan-in-hindi,6,Sankshipt Budhcharit,5,Shayari In Hindi,16,skandagupta-natak-jaishankar-prasad,6,sponsored news,10,suraj-ka-satvan-ghoda-dharmveer-bharti,4,Syllabus,7,top-classic-hindi-stories,51,UP Board Class 10 Hindi,4,Vasant Bhag - 2 Textbook In Hindi For Class - 7,11,vitaan-hindi-pathmala-8-solutions,16,VITAN BHAG-2,5,vocabulary,19,
ltr
item
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika: एक उचक्के का रोमांच
एक उचक्के का रोमांच
एक उचक्के का रोमांच महत्त्वपूर्ण बात तत्काल गिरफ़्तार न होना थी । जिम एक दरवाज़े की ओट में छिप गया और उसका पीछा करने वाले पुलिसवाले लगभग उससे आगे निकल गए । लेकिन फिर अचानक उसने गली में उनके क़दमों के लौटने की आवाज़ सुनी । वह तेज़ी से कूदता हुआ भागा ।
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjlSuGAMANyZYyp9WFz5XaxwBb6foo0MH_EHxHgd1RCELuSYbavYsDt-1T7OZGnsDFtI3MM22yLwCXy-8XOb5q7wXBxu5lV_oLJRAe1DsnXxNh3lRFBnsUrCkY1_HwBnIgFw5-26GTvBJmS/s320/img_20170517024315-1+%25281%2529.jpg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjlSuGAMANyZYyp9WFz5XaxwBb6foo0MH_EHxHgd1RCELuSYbavYsDt-1T7OZGnsDFtI3MM22yLwCXy-8XOb5q7wXBxu5lV_oLJRAe1DsnXxNh3lRFBnsUrCkY1_HwBnIgFw5-26GTvBJmS/s72-c/img_20170517024315-1+%25281%2529.jpg
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika
https://www.hindikunj.com/2019/03/italo-giovanni-calvino-mameli.html
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/2019/03/italo-giovanni-calvino-mameli.html
true
6755820785026826471
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका