आज हम चौराहे पर जो मर गया अपने जाने से पहले यदि उसने एक आदमी के भीतर भी मशाल जला दी तो समझो वह तर गया अच्छा हुआ बापू आप पहले चले गए आप नदी-नालों को गंदा होते हुए नहीं देख पाते आप जंगलों को अंधाधुँध कटते हुए नहीं देख पाते आप बाँध बनने के बाद गाँवों को जलमग्न होते हुए नहीं देख पाते ...
आज हम चौराहे पर
जो मर गया
अपने जाने से पहले
यदि उसने एक आदमी के भीतर भी
मशाल जला दी तो समझो
वह तर गया
महात्मा गाँधी |
अच्छा हुआ बापू
आप पहले चले गए
आप नदी-नालों को गंदा होते हुए
नहीं देख पाते
आप जंगलों को अंधाधुँध कटते हुए
नहीं देख पाते
आप बाँध बनने के बाद
गाँवों को जलमग्न होते हुए
नहीं देख पाते ...
जो मर गया
उसके जाने के बाद
यदि हमने
उसका चश्मा बेच डाला
उसकी बकरी मार डाली
उसकी लाठी तोड़ डाली
और उसकी दी हुई मशाल
बुझा दी तो समझो
सारा खेल बिगड़ गया
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अंतर
मैंने एक पत्ते को छुआ
वह पूरा का पूरा मुरझा गया
बच्चे ने भी उसी पत्ते को छुआ
मुरझाए पत्ते में फिर से जीवन का हरा रंग आ गया
मैंने पिंजरे में बंद पक्षी को छुआ
पक्षी भय से सिहर उठा
बच्चे ने भी उसी पक्षी को छुआ
पक्षी आह्लाद से भर उठा
मैंने एक आदमकद पत्थर को छुआ
पत्थर पूरा का पूरा काला पड़ गया
बच्चे ने भी उसी पत्थर को छुआ
उसमें क़ैद देव-दूत शाप-मुक्त हो उड़ गया
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भविष्यवाणी
कुछ अरसे से
मुझे साँस लेने में
दिक़्क़त हो रही थी
और बेचैनी
किसी भारी शिला-सी
आ बैठी थी मेरे सीने पर
कि एक दिन अचानक
मेरी छठी इन्द्रिय ने
कर दी भविष्यवाणी —
यदि बचना है तो
भागो
खुली हवा की ओर
साफ़ पानी की ओर
कंक्रीट-जंगल से
थोड़े-से दिखते
नीले आकाश की ओर
ज़रा से बचे हुए
हरे जंगल की ओर
बच्चों की निश्छल
मुस्कान की ओर
हर उस चीज़ की ओर
जो बची हुई है अभी
अपनी मासूम निष्कलंकता में
क्योंकि जल्दी ही यह सब
प्रदूषित और विलुप्त हो जाएगा
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चौथा आदमी
चार आदमी
इंद्रधनुष के बारे में
बातचीत कर रहे थे
एक ने उसे
पानी की सतरंगी बूँदें कहा
दूसरे ने उसे देख कर
एक गीत सुनाया
तीसरे ने कैमरे से
उसकी शानदार फ़ोटो खींच कर दिखाई
चौथे के भीतर
वह इन्द्रधनुषी आकाश ही उतर कर छा गया
चार आदमी
समुद्र के बारे में
बातचीत कर रहे थे
एक ने उसकी
गहराई के बारे में बताया
दूसरे ने तट पर आती उसकी
फेनिल लहरों में पाँव डुबाया
तीसरे ने समुद्र के बारे में
उपनिषदों से एक श्लोक सुनाया
चौथे की आँखें क्षितिज बन गईं
जिनमें वह हहराता समुद्र ही समा गया
चार आदमी
पक्षियों के बारे में
बातचीत कर रहे थे
एक ने उनकी
उड़ान को ख़ूबसूरत कहा
दूसरे ने उनके
गीतों को मधुर कहा
एक ने उनके
रंगों को ख़ूब सराहा
चौथे के पंख उग आए और
वह उड़ कर आकाश की गोद में समा गया
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युद्ध से वापसी
मेरा सबसे अच्छा मित्र
युद्ध में घायल होकर
वापस घर लौटा था
उसके चेहरे पर
दर्द के अमिट निशान थे
उसकी आँखों में से
एक गहरी खाई
बाहर झाँक रही थी
उसकी देह
कई जगहों से घायल थी
उसका अंतर्मन
न जाने कहाँ-कहाँ से
आहत था
कभी-कभी वह
इतनी ज़बानों में
इतना अधिक बोलने लगता कि
समझना मुश्किल हो जाता
कभी-कभी वह
इतना चुप रहता कि
मौत का अँधेरा
उसकी आँखों में उतर आता
उसके ज़हन में हमेशा
युद्ध के प्रेत मँडराते रहते
कभी वह नींद में चलने लगता
कभी खुली आँखों से सो जाता
कभी उसकी आँखों में हमारे लिए
पहचान का सूर्यास्त हो जाता
कभी वह जानी-पहचानी
जगहों पर भी खो जाता
उसके घरवाले कहते थे कि
युद्ध की विभीषिका देख कर
वह ‘ हिल गया ‘ था
लेकिन मेरे लिए
इतना ही काफ़ी था कि
युद्ध में लड़ने गया
मेरा सैनिक मित्र
मुझे वापस मिल गया था
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प्रेषक : सुशांत सुप्रिय
A-5001 ,
गौड़ ग्रीन सिटी ,
वैभव खंड ,
इंदिरापुरम् ,
ग़ाज़ियाबाद - 201014
मो : 851270086
ई-मेल : sushant1968@gmail.com
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