किसी गाँव में सुखदेव नामक एक किसान रहता था .वह बहुत ही मेहनती और ईमानदार था .सभी से प्यार से बोलता तथा कुशल व्यवहार करता था .गाँव वाले उसे बहुत पसंद करते थे .चोर भी पकड़ा गया और मुखिया भी .उन्हें लम्बी जेल की सजा मिली और सुखदेव को राजा ने उस गाँव का नया मुखिया बना दिया .
रानी के जेवर
रानी के जेवर किसी गाँव में सुखदेव नामक एक किसान रहता था .वह बहुत ही मेहनती और ईमानदार था .सभी से प्यार से बोलता तथा कुशल व्यवहार करता था .गाँव वाले उसे बहुत पसंद करते थे .
गर्मी की दोपहरी थी ,इसीलिए खेत में काम करते करते सुखदेव थककर एक पेड़ के नीचे लेट गया .उसी बीच उसकी पत्नी खाना लेकर आई .
सुखदेव खाना खाने लगा .उसकी पत्नी ने बैलों को पास वाले पेड़ से बाँध दिया .बैल जहाँ बंधे थे ,वहां एक टीला था .
सुखदेव किसान |
"नहीं मैं अपनी कमाई और ईमानदारी से पेट पाल लूँगा .ऐसी दौलत से जीवन में शांति नहीं मिलती है .यह जिसका है ,उसी को दे दूंगा ."- सुखदेव ने कहा .
- लेकिन यह पता कैसे लगेगा ,यह जेवर किसका है ? पत्नी ने कहा .
"एक डुग्गी पीटने वाला कह रहा था ,रानी का जेवर चोरी हो गया .शायद उन्ही का हो .पकड़े जाने के भय से चोर पेड़ के नीचे गाड गए हो ."पति बोला .
मुखिया के मन में खोट -
खेत से लौटने पर किसान ने गाँव के सभी सम्मानित लोगों को गहने दिखाते हुए सारी बात बता दी .सभी लोगों की राय थी ,ये गहने रानी के ही जान पड़ते हैं इसीलिए वह स्वयं उन्हें राजा को दे आये.मगर रात्री अधिक हो चुकी है .महल भी काफी दूर था .अभी रात हो चुकी है .रास्ते में कोई इन्हें छीन भी सकता है .मैं इन्हें मुखिया जी को सौंपता हूँ .उनके घर में ये सुरक्षित रहेंगे .कहते हुए सुखदेव ने मुखिया को जेवर सौंप दिए .नए चमकते जेवरों को देखकर मुखिया के मन में खोट आ गया .उसने रात्री में नए - नए जेवरों को छिपा ,पुराने जेवरों उसी तरह लाल कपड़े में लपेट कर बक्से में रख दिए .
सुबह जेवर लेकर किसान राजा के सामने पहुंचा .उसने सारा किस्सा बताया .मंत्री ने जेवर का बक्सा खोलकर देखा ,तो जेवर पुराने थे ,लेकिन जेवरों पर लिपटा कपडा राजमहल का ही था .
रानी ने कहा - कपडा तो हमारा है ,पर जेवर मेरे नहीं है .नहीं महराज ! ऐसा नहीं है .मैं चोर नहीं हूँ .सुखदेव मंत्री की बात सुनकर डर सा गया .
सुखदेव एक सीधा और अनपढ़ किसान था .घबराहट में कांपने लगा.फिर बोला - मैंने चोरी नहीं की है महाराज .न मैंने जेवर बदले हैं .मैंने इन्हें रात में चोरों के डर से गाँव में मुखिया को सौंप दिए थे .रात भर उन्ही के घर में रखे रहे हैं ये जेवर .
राजा और रानी को सुखदेव की बात सुनकर दाल में कुछ काला सा लगा .राजा कुछ सोचकर बोले - क्या सत्य है ? तुमने गहने नहीं बदले ?"
"नहीं महराज ,मैंने गहने नहीं बदले .किसान ने कहा .
राजा ने ने मंत्री को बुलाया .सिपाहियों को गाँव के मुखिया को पेश करने की आज्ञा दी .कुछ ही देर में मुखिया दरबार में हाज़िर था .
गाँव वालों को जब यह पता चला की गहनों की चोरी और हेरी फेरी में सुखदेव को सजा मिलने वाली हैं ,तो सभी चिंतित हुए .वे सभी राजा के पास पहुंचे .सारी बात बताई .
चोर पकड़ा गया -
राजा ने उनकी बातें गौर से सुनी .विश्वास दिलाया की दोषी को ही सजा मिलेगी . राजा ने मुखिया से कहा - तुम उन चोरों का पता बता दो .उन्हें पकड़ने के लिए जो हजारों का इनाम रखा गया ,वह तुम्हे दिया जाएगा .असली गहने किसके पास हैं ,किसने बदले ,यह बता दो .तुम्हे एक हज़ार सोने के मोहरें और मिलेंगी .
एक हज़ार मोहरों का नाम सुनकर मुखिया के मुंह में पानी भर आया .वह सोचने लगा .उन गहनों से मोहरें कीमती हैं ."
मुखिया बोला - "महाराज ,मुझे आज की मोहलत दें .मेरे गाँव में दो शातिर चोर हैं .लगता है ,उन्ही का यह काम है .मैं लगाकर सही बात कल बताऊंगा.
राजा ने मुखिया को जाने दिया ,मगर उसके पीछे अपने जासूस भी लगा दिए .मुखिया कहीं गया नहीं .दूसरे दिन सुबह अपने घर से जेवर ले आया .राजा से कहा - महाराज ,लीजिये असली जेवर .चोरों ने इन्हें छिपाकर घर में रखा था और दूसरे जेवर कपड़े में बांधकर सुखदेव के खेत में गाड़ दिए थे .
सुखदेव नया मुखिया -
मगर तभी जासूसों ने राजा को सारी बात बता दी .अब मुखिया चुप .जब दो कोड़े पीठ पर पड़े,तो अपना अपराध कबूल कर लिया की जेवर उसी ने बदले .चोर कौन थे ,यह पता न चल सका ,मगर फिर दो कोड़े पड़े ,तो मुखिया चिल्लाया - हुजुर ,मैंने ही पास के गाँव के एक नामी चोर से यह काम करवाया था .चोर भी पकड़ा गया और मुखिया भी .उन्हें लम्बी जेल की सजा मिली और सुखदेव को राजा ने उस गाँव का नया मुखिया बना दिया .
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